राजनीति लेख व्यापक बदलाव आया है हिन्दू धर्म में December 1, 2020 / December 1, 2020 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment -अशोक “प्रवृद्ध” वर्तमान में मांसाहारी होना, राम, कृष्ण, साईं जैसे मनुष्यों को भगवान मानकर पूजन करना, जाति, घूंघट व पर्दा प्रथा का प्रचलन आदि को सनातन वैदिक हिन्दू धर्म का वास्तविक स्वरूप माना जाने लगा है, जो कि हिन्दू धर्म का वास्तविक सनातन स्वरूप नहीं है। आदि काल में सनातन धर्म का ऐसा स्वरूप कदापि […] Read more » big change in Hinduism There has been a big change in Hinduism हिन्दू धर्म
राजनीति समाज सनातन परम्पराओं को कुरीतियाँ कह कर खारिज करने का षडयंत्र November 8, 2018 / November 8, 2018 by डॉ नीलम महेन्द्रा | Leave a Comment डॉ नीलम महेंद्र 5 नवंबर को एक दिन की विशेष पूजा के लिए सबरीमाला मंदिर के द्वार कडे पहरे में खुले। न्यायालय के आदेश के बावजूद किसी महिला ने मंदिर में प्रवेश की कोशिश नहीं की। लेकिन कुछ बुद्धिजीवियों द्वारा सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश देने के न्यायालय के आदेश के विरोध को गलत ठहराया जा रहा है।इनका कहना है […] Read more » ईश्वर कन्याकुमारी मंदिर निर्जीव न्यायालय हिन्दू धर्म
विविधा प्रोटो इण्डो युरोपीयन भाषा की कपोल कल्पना: डॉ. मधुसूदन August 3, 2018 / August 3, 2018 by डॉ. मधुसूदन | 4 Comments on प्रोटो इण्डो युरोपीयन भाषा की कपोल कल्पना: डॉ. मधुसूदन डॉ. मधुसूदन प्रवेश: आज आक्रामक पैतरा ले रहा हूँ. जैसे बालक बिन्दू बिन्दू क्रमवार जोडकर चित्र बना देता है, कुछ उसी प्रकार मैं वास्तविक घटनाओं के पीछे की मानसिकता उजागर करने का प्रयास कर रहा हूँ. आज अंग्रेज़ी शासन के साथ साथ भारत आए मिशनरियॊ की मानसिकता में दृष्टिपात करते हैं. आलेख कुछ इतिहास का […] Read more » Featured एशियाटिक सोसायटी प्रोटो इण्डो युरोपीयन भाषा की कपोल कल्पना: डॉ. मधुसूदन यूरोपीय प्रभाव लेखक देवेन्द्रनाथ हिन्दू धर्म
समाज योग से खत्म होती है मनुष्य के अन्दर की नकारात्मकता June 19, 2018 / June 19, 2018 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment ब्रह्मानंद राजपूत, हर साल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को मनाया जाता है। इस साल पूरे विश्व में चतुर्थ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा। भारत देश में योग दिवस का एक अपना ही अलग महत्त्व है। योग भारतीय प्राचीन संस्कृति कीपरम्पराओं को समाहित करता है। भारत देश में योग का प्राचीन समय से ही अहम स्थान है। पतंजली योग दर्शन में कहा गया है कि– योगश्चित्तवृत्त निरोधः अर्थात् चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है। दूसरे शब्दों में कहा जाएतो ह्रदय की प्रकृति का संरक्षण ही योग है। जो मनुष्य को समरसता की और ले जाता है। योग मनुष्य की समता और ममता को मजबूती प्रदान करता है। यह एक प्रकार का शारारिक व्यायाम ही नहीं है बल्कि जीवात्मा कापरमात्मा से पूर्णतया मिलन है। योग शरीर को तो स्वस्थ्य रखता है ही इसके साथ–साथ मन और दिमाग को भी एकाग्र रखने में अपना योगदान देता है। योग मनुष्य में नये–नये सकारात्मक विचारों की उत्पत्ति करता है। जो किमनुष्य को गलत प्रवृति में जाने से रोकते हैं। योग मन और दिमाग की अशुद्धता को बाहर निकालकर फेंक देता है। साथ-साथ योग से मनुष्य के अन्दर की नकारात्मकता खत्म होती है। योग व्यक्तिगत चेतना कोमजबूती प्रदान करता है। योग मानसिक नियंत्रण का भी माध्यम है। हिन्दू धर्म, बौध्द धर्म और जैन धर्म में योग को आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाता है। योग मन और दिमाग को तो एकाग्र रखता है ही साथ ही साथ योगहमारी आत्मा को भी शुध्द करता है। योग मनुष्य को अनेक बीमारियों से बचाता है और योग से हम कई बीमारियों का इलाज भी कर सकते हैं। असल में कहा जाते तो योग जीवन जीने का माध्यम है। श्रीमद्भागवत गीता में कई प्रकार के योगों का उल्लेख किया गया है। भगवद गीता का पूरा छठा अध्याय योग को समर्पित है। इस मे योग के तीन प्रमुख प्रकारों के बारे में बताया गया है। इसमें प्रमुख रूप से कर्म योग, भक्तियोग और ज्ञान योग का उल्लेख किया गया है। कर्म योग– कार्य करने का योग है। इसमें व्यक्ति अपने स्थिति के उचित और कर्तव्यों के अनुसार कर्मों का श्रद्धापूर्वक निर्वाह करता है। भक्ति योग– भक्ति का योग। भगवान् केप्रति भक्ति । इसे भावनात्मक आचरण वाले लोगों को सुझाया जाता है। और ज्ञान योग– ज्ञान का योग अर्थात ज्ञान अर्जित करने का योग। भगवत गीता के छठे अध्याय में बताये गए सभी योग जीवन का आधार हैं। इनके बिनाजीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। भगवद्गीता में योग के बारे में बताया गया है कि – सिद्दध्यसिद्दध्यो समोभूत्वा समत्वंयोग उच्चते। अर्थात् दुःख–सुख, लाभ–अलाभ, शत्रु–मित्र, शीत और उष्ण आदि द्वन्दों में सर्वत्रसमभाव रखना योग है। दुसरे शब्दों में कहा जाए तो योग मनुष्य को सुख–दुःख, लाभ–अलाभ, शत्रु–मित्र, शीत और उष्ण आदि परिस्थितिओं में सामान आचरण की शक्ति प्रदान करता है। भगवान् श्रीकृष्ण ने गीता में एक स्थलपर कहा है ‘योगः कर्मसु कौशलम’ अर्थात योग से कर्मो में कुशलता आती हैं। वास्तव में जो मनुष्य योग करता है उसका शरीर, मन और दिमाग तरोताजा रहता है। और मनुष्य प्रत्येक काम मन लगाकर करता है। 27 सितंबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में अपने पहले संबोधन में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की जोरदार पैरवी की थी। इस प्रस्ताव में उन्होंने 21 जून को ‘‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’’ के रूप में मान्यतादिए जाने की बात कही थी। मोदी की इस पहल का 177 देशों ने समर्थन किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र में इस आशय के प्रस्ताव को लगभग सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया। और 11 दिसम्बर 2014 को को संयुक्तराष्ट्र में 193 सदस्यों द्वारा 21 जून को ‘‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’’ को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। प्रधानमंत्री मोदी के इस प्रस्ताव को 90 दिन के अंदर पूर्ण बहुमत से पारित किया गया, जो संयुक्त राष्ट्र संघ में किसीदिवस प्रस्ताव के लिए सबसे कम समय है। पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया और पूरे विश्व में धूमधाम से मनाया गया। इस दिन करोड़ों लोगों ने विश्व में योग किया जो कि एक रिकॉर्ड था। योग दिवस में ‘सूर्य नमस्कार’ व ‘ओम’ उच्चारण का कुछ मुस्लिम संगठन विरोध करते रहे हैं। असल में कहा जाए तो ‘ओम’ शब्द योग के साथ जुड़ा हुआ है। इसे विवाद में तब्दील करना दुर्भागयपूर्ण है। लेकिन इसे हर किसीपर थोपा भी नहीं जा सकता। इसलिए योग करते समय लोगों को ‘ओम’ उच्चारण को अपनी धार्मिक मान्यता की आजादी के अनुसार प्रयोग करना चाहिए। अगर किसी का धर्म ओम उच्चारण की आजादी नहीं देता तो उन्हेंबिना ओम जाप के योग करना चाहिए। लेकिन योग को किसी एक धर्म से जोडकर विवाद पैदा नहीं करना चाहिए। आज के समय में योग को भारत के जन–जन तक योग को पहुँचाने में योग गुरु बाबा रामदेव, आध्यात्मिक गुरुश्री श्री रविशंकर सहित अनेकों ऐसे महापुरुषों का अहम् योगदान है। इनके योग के क्षेत्र में योगदान की वजह से ही आज भारत के घर–घर में प्रतिदिन योग होता है। भगवद्गीता के अनुसार – तस्माद्दयोगाययुज्यस्व योगः कर्मसु कौशलम। अर्थात् कर्त्व्य कर्म बन्धक न हो, इसलिए निष्काम भावना से अनुप्रेरित होकर कर्त्तव्य करने का कौशल योग है। योग को सभी लोगों को सकारात्मकभाव से लेना चाहिए। कोई भी धर्म–सम्प्रदाय योग की मनाही नहीं करता। इसलिए लोगों को योग को विवाद में नहीं घसीटना चाहिए। योग बुध्दि कुशग्र बनाता है और संयम बरतने की शक्ति देता है। योग की जितनी धार्मिकमान्यता है। उतना ही योग स्वस्थ्य शरीर के लिए जरूरी है। योग से शरीर तो स्वस्थ्य रहता है ही साथ ही साथ योग चिंता के भाव को कम करता है। और मनोबल भी मजबूत करता है। योग मानसिक शान्ति प्रदान करता है औरजीवन के प्रति उत्साह और ऊर्जा का संचार करता है। योग मनुष्य में सकारात्मकता तो बढाता है ही, साथ ही साथ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढाता है। इसलिए लोगों को इस तनाव भरे जीवन से मुक्ति पाने के लिए योगकरना चाहिए। और दूसरे लोगों को भी प्रेरित करना चाहिए। जिससे कि अधिक से अधिक लोगों को इसका लाभ मिल सके। Read more » Featured आध्यात्मिक गुरुश्री श्री रविशंकर बौध्द धर्म और जैन धर्म मनुष्य के अन्दर की नकारात्मकता योग गुरु बाबा रामदेव योग दिवस योग से खत्म होती है हिन्दू धर्म
प्रवक्ता न्यूज़ अमेरिकी संस्थाओं के निशाने पर हिन्दू धर्म, कुछ करेंगे ट्रम्प ? February 18, 2017 by मनोज ज्वाला | Leave a Comment मनोज ज्वाला हिन्दू धर्म, हिन्दू संस्कृति, हिन्दू समाज और हिन्दू राष्ट्र अभूतपूर्व संकटों और अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्रों के दौर से गुजर रहा है । इस षड्यंत्र में वैसे तो अमेरिका की कई संस्थायें शामिल हैं, किन्तु दलित फ्रीडम नेटवर्क और फ्रीडम हाऊस दो ऐसी संस्थायें हैं, जो अमेरिकी शासन में भी इतनी गहरी पैठ रखती हैं […] Read more » Featured फ्रीडम हाऊस हिन्दू धर्म हिन्दू राष्ट्र हिन्दू समाज हिन्दू संस्कृति
महिला-जगत समाज हिन्दू धर्म में नारी के स्थान March 28, 2016 by डॉ नीलम महेन्द्रा | 2 Comments on हिन्दू धर्म में नारी के स्थान हिन्दू धर्म में नारी के स्थान को लेकर बहुत सी बातें कही जाती हैं अनेक विरोधाभासों से सामना होता है और कभी कभी संशय की स्थिति भी निर्मित हो जाती है। दरअसल हिन्दू धर्म सनातन धर्म है और विश्व का सबसे पुराना धर्म भी है। अफसोस की बात है कि इसकी बेहद खुली एवं उदारवादी […] Read more » Featured position of women in hindu dharma नारी के स्थान हिन्दू धर्म हिन्दू धर्म में नारी के स्थान
परिचर्चा हिन्दू धर्म और इस्लाम May 21, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -अशोक “प्रवृद्ध”- इस्लाम के भारतीय समाज पर आघात को सन् ७१२ ई० से आरम्भ समझा जाता है, परन्तु तब का आक्रमण शीघ्र ही विलीन हो गया थाl यद्यपि सन् ७१२ में भी आक्रमण में राजनैतिक कारणों के साथ मजहब के विस्तार का भी लक्ष्य थाl इस कारण जब राजनतिक प्रभाव क्षीण हुआ तो मजहबी […] Read more » Featured इस्लाम हिन्दू धर्म हिन्दू धर्म और इस्लाम