विविधा आजादी के 70 साल August 11, 2016 / August 11, 2016 by प्रमोद कुमार | Leave a Comment प्रमोद कुमार 15 अगस्त को आजादी के 70 साल पूरे होने जा रहे हैं। देश को आजाद कराने वाले उन देश भक्तों को याद कर हम अपने देश भक्ति का परिचय देतें हैं। 15 अगस्त मतलब स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को देश भक्तों ने अपने प्रण नौछावर कर के हमें आज स्वतंत्र देश दिया। तांकि […] Read more » Featured आजादी आजादी के 70 साल
परिचर्चा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की आधारशिला पर खड़ा होता भारत May 31, 2015 by डॉ. सौरभ मालवीय | Leave a Comment -डा.सौरभ मालवीय- “राष्ट्र सर्वोपरि” यह कहते नहीं बल्कि उसे जीते है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। पिछले कुछ दशकों में भारतीय जनमानस का मनोबल जिस प्रकार से टूटा था और अब मानों उसमें उड़ान का एक नया पंख लग गया है और अपने देश ही नहीं दुनिया भर में भारत का सीना चौड़ा […] Read more » Featured आजादी भारत सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
जरूर पढ़ें कितने आजाद हम और हमारा स्वाभिमान ? May 30, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -अभिषेक कुमार तिवारी- हम एक आजाद देश में रहते हैं। हमारा देश एक गणतंत्र है। संविधान के कानूनों और नियमों के आधार पर सभी लोग बराबर हैं, ना कोई छोटा-ना कोई बड़ा। ये सब आपको भी पता है, है ना। लेकिन एक बात जो बहुत कम लोग जानते हैं वो ये है कि हम जिस […] Read more » Featured आजादी कितने आजाद हम और हमारा स्वाभिमान ? भारत संविधान
जरूर पढ़ें आजादी के 67 वर्ष और चुनौतियां August 14, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment (भारतीय स्वतंत्रता दिवस- 15 अगस्त के उपलक्ष्य में) -निर्भय कुमार कर्ण- आजादी के 67 वर्षों के गहरे उतार- चढ़ाव में भारत ने कई सफलताओं को अर्जित करते हुए विश्व पटल पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। भारत ने अपनेआपको इतना महत्वपूर्ण साबित करा दिया है कि कोई भी देश इसकी अनदेखी नहीं कर सकता। यही कारण है कि दुनिया के लगभग सभी देश भारत से दोस्तानारिश्ता कायम करने के लिए लालायित रहता है। आजादी हमने किस परिस्थिति में हासिल किया और किन परेशानियों को देशवासियों ने झेलते हुए आजादी कासुनहरा मुकाम हासिल किया, कभी भुलाया नहीं जा सकता। तब से लेकर अब तक हमने सभी क्षेत्र में तरक्की की चाहे कृषि, रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, तकनीकीया अन्य लेकिन दूसरी ओर हमें कई मोर्चेे पर कठिन चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। साल दर साल रक्षा बजटों में लगातार इजाफा होता रहा है। हमारी सेना और भी दिन प्रति दिन सशक्त होती जा रही है। हम भी परमाणु बम से लैस हो गएहैं जिसके कारण कोई भी देश भारत को आंख दिखाने से पहले दस बार सोचता है। इसके बावजूद पाकिस्तान अपनी छदम हरकतों से बाज नहीं आ रहा और अपनेधरती से आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा है। दूसरी ओर चीन की नियति एवं नीति में भी खोट नजर आती है। जहां चीन एकतरफ भारत से दोस्ताना रिश्ता कायमरखना चाहता है तो दूसरी ओर चारों ओर से हमें घेरने की नीति पर भी लगाताार काम कर रहा है। कभी अरूणाचल प्रदेश पर दावा करता है तो कभी अन्य क्षेत्रों पर।इसलिए हमें विदेश नीति को दुरूस्त कर फूंक-फूंक कर कदम उठाने होंगे। आजादी के समय की तुलना में आज कृषि उपज साढ़े तीन गुना बढ़ी है लेकिन राष्ट्रीय आय में इसका हिस्सा निरंतर घटता चला गया। जहां आजादी केसमय 1947 में राष्ट्रीय आय में कृषि क्षेत्र का हिस्सा 65 प्रतिशत था वही 2007 में घटकर 17 प्रतिशत रह गया और इसके 2022 तक घटकर 6 प्रतिशत पर आ जानेकी संभावना है। देखा जाए तो, कृषि प्रधान भारत के विकास की जिम्मेदारी औद्योगिक क्षेत्र को सौंप दी गई जिसके कारण भारतीय कृषि को इस उदासीनता का दंशझेलना पड़ रहा है। वहीं आजादी के बाद से अब तक देश में राष्ट्रीय राजमार्गाें की लंबाई तिगुनी हो गई है। इनकी लंबाई 1947 में 23,000 किमी थी, जो अब बढ़कर70,000 किमी से ज्यादा हो चुकी है। अतीत का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि 15 अगस्त, 1947 को भारत न सिर्फ विदेशी कर्जों से मुक्त था, बल्कि उल्टे ब्रिटेन पर भारत का 16.62करोड़ रूपए का कर्ज था। लेकिन आज देश पर 390 अरब डाॅलर से भी ज्यादा का विदेशी ऋण है। दूसरी ओर भारत इतना सक्षम भी हो गया कि प्रत्येक वर्ष दूसरे देशोंके विकास के लिए अरबों रूपए कर्ज भी देता है। आजादी के समय जहां एक रूपए के बराबर एक डाॅलर होता था वहीं अब एक डाॅलर की कीमत 60 रूपए के इर्द-गिर्दरहता है। जिसके कारण महंगाई पर से सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रहा और समय-समय पर सत्ता हस्तांतरित भी होता रहा जिसका ताजा उदाहरण नरेंद्र मोदी केनेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी का सरकार में आना है। भ्रष्टाचार, गरीबी, आतंकवाद, उग्रवाद, सांप्रदायिक दंगे, घोटाले, जातिवादी और कट्टरपंथी धार्मिक राजनीतिक हथकंडे, दलित उत्पीड़न, महिलाओं केखिलाफ हिंसा, आदि देश को चारों ओर से पीछे धकेलने का काम कर रहा है। एक तरफ तो हम आगे बढ़ रहे हैं लेकिन ये दूसरे मोर्चा हमें अंदर ही अंदर खोखला भीकर रहा है। भ्रष्टाचार इस तरह से हर विभाग में कब्जा कर रखा है कि चाहकर भी इससे निजात नहीं मिल रहा। बिना पैसे का कोई काम हो पाना मुश्किल है। गरीबऔर गरीब होते जा रहे हैं और धनी और धनी। देखा जाए तो, एक हद तक हमें राजनीतिक आजादी तो मिली लेकिन आत्मनिर्भरता के लिए सफल प्रयास नहीं होनेके कारण हम आर्थिक रूप से गुलाम होते जा रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी आजादी की तुलना में हमने काफी सफलता अर्जित की है। जहां 1951 में साक्षरता दर 18.33 प्रतिशत था जो धीरे-धीरे बढ़कर 2011 में 74.04 प्रतिशत हो गया। इसके बावजूद हमारे युवा शिक्षित होने के बाद भी रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं। इन युवाओंका सही इस्तेमाल देश के विकास के लिए नहीं हो पा रहा है जिसके कारण युवाओं में हताशा जैसी भावनाओं का समावेश होना स्वाभाविक है। भारत में नित नएघोटाला होना आम बात हो गयी है। अगर भ्रष्टाचार पर अंकुश लग जाए तो देश का एक भी युवक बेरोजगार नहीं रह सकेगा। 15 अगस्त, 1947 को हमने राजनीतिकआजादी प्राप्त की थी, लेकिन भय, भूख और भ्रष्टाचार से आजाद होना शेष है। इन सभी समस्याओं से निजात दिलाने की जिम्मेदारी अब मोदी सरकार के कंधों पर है। अब देखा जाना शेष है कि जिस उम्मीद और आशा पर भाजपा सरकार रिकार्ड तोड़ जीत दर्ज कर सत्ता में आयी है, उन उम्मीदों को पूरा कर पाती है या नहीं? Read more » आजादी आजादी के 67 वर्ष और चुनौतियां स्वतंत्रता दिवस
व्यंग्य आजादी…क्यों मजाक करते हो भाई… August 17, 2012 / August 16, 2012 by हिमांशु डबराल | Leave a Comment हिमांशु डबराल ‘क्या आज़ादी तीन थके हुए रंगों का नाम है जिन्हें एक पहिया ढोता है? या इसका कोई ख़ास मतलब होता है’ धूमिल की ये पंक्तियाँ आज भी ज़हन में कई सवाल छोड़ जाती….आज़ादी…हम आज़ाद है, ये कहने पर एक बंधू बोल पड़े – क्यों मजाक करते हो भाई? सच में कई बार मजाक […] Read more » आजादी
विविधा यह कैसी आजादी? August 15, 2011 / December 7, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अरुण कुमार सिंह भारत को आजाद हुए 64 वर्ष हो चुके हैं। हमें आजादी तो मिली पर एक बड़ा भू-भाग खोकर। पिफर भी भारतीयों ने सारे दुःख-दर्द को भूलकर आगे की सुध ली। यही कारण है कि भारतीयों ने आज दुनिया में अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया है। भारतीय सपूतों ने कड़ी मेहनत और लगन से पूरे […] Read more » Independence Day आजादी
विविधा भाषण, जो लाल किले से पढ़ा नहीं गया! August 15, 2011 / December 7, 2011 by सुनील अमर | 1 Comment on भाषण, जो लाल किले से पढ़ा नहीं गया! सुनील अमर मेरे प्यारे देशवासियों …… आज आजादी को याद करने का दिन है। आजादी की कीमत वही समझ सकता है जो गुलाम हो। वैसे ही, जैसे खाने की कीमत वही समझ सकता है जो भूखा हो। यह अच्छी बात है कि हम आप न तो गुलाम हैं और न ही भूखे। यह हमारे देश […] Read more » Independence Day आजादी स्वतंत्रता दिवस
विविधा ये कैसी आजादी August 8, 2011 / December 7, 2011 by पंकज व्यास | 6 Comments on ये कैसी आजादी पंकज व्यास चाहे लोकपाल बिल हो, या काला धन भारत में लाने की मांग, इस आजाद (?)देश में विरोध के लिए भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। अन्ना हजारे से लेकर बाबाराम देव तक जो घटनाक्रम चला, व चल रहा है, उससे यह सवाल सहज ही उठ जाता है कि क्या आजादी का पंछी […] Read more » independence आजादी
आलोचना असमानता की आजादी का जश्न! August 7, 2011 / December 7, 2011 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | 5 Comments on असमानता की आजादी का जश्न! डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ 15 अगस्त, 2011 को हम आजादी की 65वीं सालगिरह मनाने जा रहे भारत में कौन कितना-कितना और किस-किस बात के लिये आजाद है? यह बात अब आम व्यक्ति भी समझने लगा है| इसके बावजूद भी हम बड़े फक्र से देशभर में आजादी का जश्न मनाते हैं| हर वर्ष आजादी के जश्न […] Read more » independence आजादी आजादी का जश्न
समाज मजदूरों के लिए क्या आजादी और क्या गुलामी! May 1, 2011 / December 13, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment एक दिन बाद यानी 1 मई को देशभर में बड़ी-बड़ी सभाएं होगी, बड़े-बड़े सेमीनार आयोजित किए जाएंगे, जिनमें मजदूरों के हितों की बड़ी-बड़ी योजनाएं भी बनेगी और ढ़ेर सारे लुभावने वायदे किए जाएंगे, जिन्हें सुनकर एक बार तो यही लगेगा कि मजदूरों के लिए अब कोई समस्या ही बाकी नहीं रहेगी। इन खोखली घोषणाओं पर […] Read more » Freedom आजादी गुलामी मजदूरों
प्रवक्ता न्यूज़ आजादी नहीं चुनौती है यह बीड़ा कौन उठायेगा! August 8, 2009 / December 27, 2011 by पंकज झा | Leave a Comment आजादी के 63वें वर्षगांठ के अब महज चंद दिन शेष रह गये हैं। हर साल की तरह इस बार भी धुमधाम से यह पर्व मनाया जायेगा, मनाया जाना भी चाहिए। लेकिन अफसोस, छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में पुलिस का नेतृत्व करने, सलामी लेने और देने विनोद चौबे समेत 29 पुलिसजन उपलब्ध नहीं रहेंगे। सलामत रहे यह […] Read more » Freedom आजादी