कला-संस्कृति खोने लगे हैं मूल्य और संस्कार June 6, 2015 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on खोने लगे हैं मूल्य और संस्कार -डॉ. दीपक आचार्य- जब तक मूल्यों का दबदबा था तब तक सभी प्रकार की अच्छाइयों का मूल्य था। जब से मूल्यहीनता का दौर आरंभ हुआ है सभी प्रकार के मूल्यों में गिरावट आयी है। मूल्यों में जब एक बार गिरावट आ जाती है तब यकायक इसका पारा ऊपर नहीं चढ़ पाता। यह कोई सेंसेक्स […] Read more » Featured खोने लगे हैं मूल्य और संस्कार जिंदगी जीवन संस्कार
चिंतन वैष्णव जन तो तैने कहिये, जे पीर पराई जाने रे June 4, 2015 / June 4, 2015 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- आप अपनी जिंदगी किस तरह जीना चाहते हैं? यह तय होना जरूरी है, आखिरकार जिंदगी है आपकी! यकीनन, आप जवाब देंगे-जिंदगी तो अच्छी तरह जीने का ही मन है। यह भाव, ऐसी इच्छा इस तरह का जवाब बताता है कि आपके मन में सकारात्मकता लबालब है, लेकिन यहीं एक अहम प्रश्न उठता है-जिंदगी […] Read more » Featured इंसान जिंदगी जीवन जे पीर पराई जाने रे मनुष्य वैष्णव जन तो तैने कहिये
परिचर्चा स्वयं से रू-ब-रू होने का लक्ष्य बनाएं May 29, 2015 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग – जीवन में व्यक्ति और समाज दोनों अपना विशेष अर्थ रखते हैं। व्यक्ति समाज से जुड़कर जीता है, इसलिए समाज की आंखों से वह अपने आप को देखता है। साथ ही उसमें यह विवेक बोध भी जागृत रहता है ‘मैं जो भी हूं, जैसा हूं’ इसका मैं स्वयं जिम्मेदार हूं। उसके अच्छे […] Read more » Featured जीवन लक्ष्य स्वयं से रूबरू होने का लक्ष्य बनाएं
विविधा मरना कठिन है, पर जीवित रहना उससे अधिक कठिन होता है May 19, 2015 by गंगानन्द झा | 4 Comments on मरना कठिन है, पर जीवित रहना उससे अधिक कठिन होता है -प्रो. गंगानन्द झा- मूल्य-बोध धारण किए रहने वालों को इसकी कीमत चुकानी पड़ती रहती है, इसलिए उनका जीना और भी अधिक कठिन हो जाया करता है। हमारे पिता के जीवन में कठिनाइयों का अभाव कभी भी नहीं रहा ; मरना भी सहज और यन्त्रणा-रहित नहीं रहा । कठिनाइयाँ तो औसत आदमी के जीवन में […] Read more » Featured जिंदगी जीवन मरना कठिन है पर जीवित रहना उससे अधिक कठिन होता है
विविधा व्यंग्य गड़बड़ चौथ April 27, 2015 by विजय कुमार | Leave a Comment –विजय कुमार- पिछले रविवार को शर्मा जी ने अपने घर यज्ञ का आयोजन किया। यज्ञ के बाद कुछ खानपान का भी प्रबन्ध था। इसलिए हम सभी मित्र समय से पहुंच गये। यज्ञ में तो मैं सैकड़ों बार गया हूं; पर यह यज्ञ कुछ अलग प्रकार का था। इसमें हवन सामग्री के साथ ही ढेर सारी […] Read more » Featured गड़बड़ चौथ जीवन जीवन व्यंग्य
चिंतन विविधा आओ चलें, जीवन के प्रश्नों का डटकर सामना करें April 22, 2015 / April 22, 2015 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- एक सफल और सार्थक जिंदगी जीने के लिए मनुष्य के पास उन रास्तों का ज्ञान होना बहुत जरूरी है जो उसे अपने लक्ष्य तक पहुंचाते हैं। इन्हीं रास्तों पर आगे बढ़ते हुए हर मनुष्य की ‘सर्व भवन्तु सुखिनः’-सब सुखी हों- यह भावना होनी चाहिए। हम अपने कर्म और वाणी से ऐसा एक भी […] Read more » Featured आओ चलें जीवन जीवन के प्रश्नों का डटकर सामना करें जीवन प्रश्न जीवन संघर्ष
चिंतन यह अपनापन ही तो है ! April 20, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -सुनील एक्सरे- दुनिया में अच्छी घटना बुरी घटना हर पल घटती रहती है ,लेकिन बुरी घटना में ग्रस्त व्यक्ति जब हमारे परिचय का होता है तब हमें दुख होता है किसी क्षेत्र विशेष में जब हमारा कोई अपना सफलता प्राप्त करता है तो हम खुशी से उछल पड़ते हैं। जब किसी अपने की मौत हो […] Read more » Featured जीवन जीवन की घटनाएं यह अपनापन ही तो है !
जन-जागरण सफल जीवन की एक नई राह बनाएं April 19, 2015 / April 19, 2015 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- व्यक्ति अपने जीवन को सफल और सार्थक बनाने के लिये समाज से जुड़कर जीता है, इसलिए समाज की आंखों से वह अपने आप को देखता है। साथ ही उसमें यह विवेक बोध भी जागृत रहता है ‘मैं जो भी हूं, जैसा भी हूं’ इसका मैं स्वयं जिम्मेदार हूं। उसके अच्छे बुरे चरित्र का […] Read more » Featured जीवन सफल जीवन सफल जीवन की एक नई राह बनाएं
कविता ये जीवन का कौन सा मोड़ है August 19, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 2 Comments on ये जीवन का कौन सा मोड़ है -राघवेंद्र कुमार- जहां मार्ग में ही ठहराव है। दिखते कुछ हैं करते कुछ हैं, यहाँ तो हर दिल में ही दुराव है। किस पर ऐतबार करें किसे अपना कहें, हर अपने पराए हृदय में जहरीला भाव है। अपना ही अपने से ईर्ष्या रखता है, हर जगह अहम् का टकराव है । अरे “राघव” तू यहाँ […] Read more » जीवन जीवन के मोड़ ये जीवन का कौन सा मोड़ है
प्रवक्ता न्यूज़ दुआ है कि ये जीवन सहल हो जाए सबके लिए June 16, 2014 by जावेद उस्मानी | Leave a Comment -जावेद उस्मानी- ख्वाबों के तिजारती आज पीरे शाह तख्त है देखेंगे तमाशा अभी तो हम सदाए बेवक्त है अंदाजे बागवां वही, रिवाजे गुलसितां वही गर्दिशे ज़मी भी वही हैं रंगे आसमां भी वही गहरी धुंध को भी, सियासत में चांदनी कहें जिंदगी सिसके तो उसे भी खुश रागिनी कहें सड़क पानी हवा सब जबसे उनकी […] Read more » जीवन जीवन पर कविता हिन्दी कविता
प्रवक्ता न्यूज़ … अल्लाह की लाठी में आवाज नहीें होती May 19, 2014 / May 19, 2014 by नरेंद्र भारती | 1 Comment on … अल्लाह की लाठी में आवाज नहीें होती -नरेंद्र भारती- आधुनिक समाज का मानव आज दानवों से भी घिनौने कर्म कर रहा है। ऐसे कर्म करते कई बार वह न तो दुनिया से डरता है और न ही भगवान से डरता है। मगर कहते हैं- जब अल्लाह की लाठी पड़ती है तो उसमें आवाज नहीं होती। मानव को उसके बुरे कर्मों की सजा […] Read more » ईश्वर से डरो जिंदगी में परोपकार जीवन जीवन का सच
पर्यावरण पृथ्वी रहेगी तो जीवन बचेगा April 20, 2012 by नवनीत कुमार गुप्ता | Leave a Comment पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल 1970 नवनीत कुमार गुप्ता पृथ्वी पर कल-कल बहती नदियां, माटी की सोंधी महक, विशाल महासागर, ऊंचे-ऊंचे पर्वत, तपते रेगिस्तान सभी जीवन के असंख्य रूपों को अपने में समाए हुए हैं। वास्तव में अन्य ग्रहों की अपेक्षा पृथ्वी पर उपस्थित जीवन इसकी अनोखी संरचना, सूर्य से दूरी एवं अन्य भौतिक कारणों के […] Read more » Earth जीवन