विधि-कानून भारतीय संविधान –आम जनता के साथ एक सुनियोजित और संगठित धोखाधड़ी January 12, 2015 / January 12, 2015 by एडवोकेट मनीराम शर्मा | 3 Comments on भारतीय संविधान –आम जनता के साथ एक सुनियोजित और संगठित धोखाधड़ी हमारा नेतृत्व भारतीय संविधान की भूरी-भूरी प्रशंसा करता है और जनता को अक्सर यह कहकर गुमराह करता रहता है कि हमारा संविधान विश्व के विशाल एवं विस्तृत संविधानों में से एक होने से यह एक श्रेष्ठ संविधान है| दूसरी ओर इसके निर्माण के समय ही इसे शंका की दृष्टि से देखा गया था| डॉ राजेंद्र […] Read more » भारतीय संविधान
महत्वपूर्ण लेख संविधान में अपरिभाषित है, धर्मनिरपेक्षता August 13, 2014 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment -प्रमोद भार्गव- गीता या रामायण के नैतिक मूल्यों और चारित्रिक शुचिता से जुड़े अंशों को जब भी पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात आती है तो वामपंथी दल व बुद्धिजीवी इन पहलों को लोकतंत्र के मूलभूत संवैधानिक धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के विरूद्ध बताने लगते हैं। यह सही है कि भारत का धर्मरिपेक्षस्वरूप भारतीय संविधान का बुनियादी […] Read more » धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान संविधान संविधान में अपरिभाषित है धर्मनिरपेक्षता
टॉप स्टोरी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 का सच July 23, 2014 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | 1 Comment on भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 का सच -डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री- भारत के संघीय संविधान के अनुच्छेद 370 को लेकर बहस कभी समाप्त नहीं होती । बहस के मोटे तौर पर दो मुद्दे रहते हैं । १. जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह द्वारा २७ अक्तूबर १९४७ को अधिमिलन पत्र पर हस्ताक्षर करने के कारण जम्मू कश्मीर रियासत भारत में शामिल हुई […] Read more » अनुच्छेद 370 का सच भारतीय संविधान
कला-संस्कृति विधि-कानून वेद, महर्षि दयानंद और भारतीय संविधान September 1, 2012 / September 1, 2012 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य भारतीय संविधान में मूल कर्तव्य और वेद का राष्ट्र संगठन वेद मानवजाति के लिए सृष्टि के आदि में ईश्वरप्रदत्त संविधान हैं। अत: ऐसा नही हो सकता कि हमारा आज का मानव कृत संविधान तो नागरिकों के मूल कत्र्तव्यों का निरूपण करे और वेद इस विषय पर चुप रहे। वेदों में मानव और […] Read more » भारतीय संविधान महर्षि दयानंद वेद
राजनीति हम विश्व के सुदृढ़तम लोकतंत्र बन जाएं May 18, 2012 / May 18, 2012 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment – राकेश कुमार आर्य पंडित जवाहर लाल नेहरू ने संविधान सभा की अंतिम बैठक में कहा था-भारत की सेवा का अर्थ है लाखों करोड़ों पीडि़त लोगों की सेवा करना, इसका अर्थ है गरीबी और अज्ञानता को मिटाना, हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति (महात्मा गांधी) की यही महत्वाकांक्षा रही है कि हर आंख से आंसू […] Read more » Indian Constitutuion Rakesh Kumar Arya भारतीय संविधान राकेश कुमार आर्य
राजनीति भारतीय संविधान और राष्ट्रपति May 16, 2012 / June 10, 2012 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment – राकेश कुमार आर्य 15 अगस्त 1947 को जब हम आजाद हुए तो उस समय हमारे पास कोई संविधान नहीं था। ब्रिटेन से हम तब तक प्रशासनिक आधार पर पूरी तरह जुड़े हुए थे। इसलिए हमने आजादी के बाद ब्रिटिश शासन प्रणाली को ही अपने लिए उपयुक्त माना और उसी के मॉडल पर हमने अपने […] Read more » Indian Constitutuion Indian Constitutuion and President Indian President Rakesh Kumar Arya भारतीय संविधान भारतीय संविधान और राष्ट्रपति राकेश कुमार आर्य राष्ट्रपति
लेख ‘121 करोड़’ के कितने दावेदार? December 19, 2011 / December 19, 2011 by निर्मल रानी | 2 Comments on ‘121 करोड़’ के कितने दावेदार? निर्मल रानी भारतीय संविधान में देश की सत्ता के संचालन के लिए संसदीय व्यवस्था को इसी मक़सद से समाहित किया गया ताकि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में सत्ता का संचालन आम जनता के हाथों से सुनिश्चित हो सके। इसी उद्देश्य से पूरे देश में चुनाव व्यवस्था राष्ट्रीय,राज्यस्तरीय,स्थानीय निकाय स्तर व पंचायत स्तर तक लागू […] Read more » ‘121 करोड़ Indian constitution population of india भारतीय संविधान
विधि-कानून शरीयत बड़ी या भारतीय संविधान! January 15, 2010 / December 25, 2011 by राकेश उपाध्याय | 8 Comments on शरीयत बड़ी या भारतीय संविधान! कोलकाता उच्च न्यायालय के एक विवादास्पद फैसले से खड़ा हुआ संवैधानिक संकट कोलकाता उच्च न्यायालय ने एक अजीबोगरीब फैसले में एक नाबालिग हिंदू लड़की के मतांतरण और निकाह को मुस्लिम शरीयाई कानून की तुला पर तौलते हुए विधिमन्य करार दिया है। निर्णय पर विवाद खड़ा हो गया है। जानकारों के अनुसार, निर्णय ने भारतीय संविधान […] Read more » Indian constitution भारतीय संविधान
राजनीति भारतीय संविधान और राष्ट्रीय एकता November 26, 2008 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 4 Comments on भारतीय संविधान और राष्ट्रीय एकता लेखक- लालकृष्ण आडवाणी भारत अगस्त 1947 में स्वतंत्र हुआ था। यह देश के इतिहास का महान क्षण था। दुर्भाग्य से स्वतंत्रता के साथ ही देश का विभाजन भी हुआ। इससे भी अधिक दुख की बात यह थी कि द्वि-राष्ट्र सिध्दांत के समर्थकों के कारण देश को विभाजन का मुंह देखना पड़ा। भारत के नेतागण पाकिस्तान […] Read more » Indian constitution भारतीय संविधान