कविता जो भाषा आसेतु हिमालय के बीच सेतु February 17, 2021 / February 17, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकजो भाषा आसेतु हिमालय के बीच सेतु,काम आती परिचित-अपरिचित,आम-खास, लोग-बाग के बोलचाल हेतु! जिस भाषा में सूर तुलसी जैसे धूमकेतुविश्व साहित्य के ग्रह नक्षत्रों के मध्य उभरे! जिनकी ऊंचाई अंग्रेजी के शेक्सपियर मिल्टन तो क्यासमस्त विश्व साहित्य के कोई भी पलटन छू ना सके! जिस भाषा की लिपि देवनागरी की वर्तनी कीवैज्ञानिकता, संवहनीयता,संप्रेषणीयता […] Read more » भाषा
राजनीति मध्य प्रदेश में बड़े मतदान का निष्कर्ष ? December 3, 2018 / December 3, 2018 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव मध्य प्रदेश में मतदान के बड़े प्रतिषत ने इस बार अब तक के सारे मापदण्ड ध्वस्त कर दिए हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव की तुलना में 6 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ है। इसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान की उदार कार्य शैली का परिणाम कहा जाए या उनकी सरकार के विरुद्ध एंटी-इन्कंबेंसी, इसकी […] Read more » किसान अंदोलन जाति धर्म नीतीश कुमार बुद्धदेव भट्रटाचार्य भाषा मध्य प्रदेश में बड़े मतदान का निष्कर्ष ? मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
राजनीति चुनाव एक संवैधानिक अथवा धार्मिक प्रक्रिया? November 23, 2018 / November 23, 2018 by अनिता महेचा | 1 Comment on चुनाव एक संवैधानिक अथवा धार्मिक प्रक्रिया? अनिल अनूप मध्यप्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का जो वीडियो बेनकाब हुआ है, उसके मद्देनजर यह सवाल स्वाभाविक है कि चुनाव एक संवैधानिक या मजहबी प्रक्रिया है? क्या सार्वजनिक तौर पर हिंदू-मुसलमान समुदायों के नाम पर वोट मांगे जा सकते हैं और यह संवैधानिक भी होगा? एक ओर कमलनाथ का दावा है कि हिंदुओं के […] Read more » गाय चुनाव एक संवैधानिक अथवा धार्मिक प्रक्रिया? जाति नर्मदा नस्ल बलात्कार बेरोजगारी भाषा राम वन गमन लिंग व्यापम समुदाय हिंदू-मुसलमान
राजनीति देखें हैं रंग हजार October 31, 2018 / October 31, 2018 by मनोज कुमार | Leave a Comment मध्यप्रदेश स्थापना दिवस 1 नवम्बर पर मनोज कुमार एक बार फिर मध्यप्रदेश अपनी स्थापना दिवस मनाने की तैयारी में है. पांच साल में एक बार चुनाव आचार संहिता के दायरे में मध्यप्रदेश को अपना जन्मदिन मनाना पड़ता है. इस बार भी मध्यप्रदेश के जन्मदिन पर चुनाव आचार संहिता का कड़ा पहरा है. आयोजन तो होगा […] Read more » अमरकंटक कांग्रेस देखें हैं रंग हजार भाषा मां नर्मदा संस्कृति
विश्ववार्ता चीन में मुसलमानों की दुर्दशा August 13, 2018 / August 13, 2018 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment डॉ. वेदप्रताप वैदिक संयुक्तराष्ट्र संघ की मानव अधिकार समिति ने चीन के मुसलमानों पर होनेवाले अत्याचारों के विरुद्ध जोरदार आवाज उठाई है। चीन के उइगर और हुइ मुसलमानों पर जिस तरह के अत्याचार हो रहे हैं, यदि उनकी सच्ची कहानी प्रकट हो जाए तो भारत के मुसलमानों को पता चलेगा कि चीन के मुसलमान गुलामों […] Read more » Featured कम्युनिस्ट पार्टी चीन के बौद्ध चीन में मुसलमानों की दुर्दशा भाषा भूषा भोजन मुसलमान मुसलमानों रत संयुक्तराष्ट्र संघ
राजनीति समाज भारत में आदिवासी उपेक्षित क्यों है? August 7, 2018 / August 7, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment गणि राजेन्द्र विजय अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस सिर्फ उत्सव मनाने के लिए नहीं, बल्कि आदिवासी अस्तित्व, संघर्ष, हक-अधिकारों और इतिहास को याद करने के साथ-साथ जिम्मेदारियों और कर्तव्यों की समीक्षा करने का भी दिन है। आदिवासियों को उनके अधिकार दिलाने और उनकी समस्याओं का निराकरण, भाषा संस्कृति, इतिहास आदि के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ […] Read more » Featured अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस आदिवासी कनाडा कल्याण कांग्रेसी एवं भाजपा बिरसा मुंडा भारत में आदिवासी उपेक्षित क्यों है? भाषा मेक्सिको और रूस विकास शिक्षा संसाधनों संस्कृति स्वरोजगार एवं विकास स्वास्थ्य
राजनीति समाज स्वतंत्रता को सार्थक दिशाएं देनी होगी August 4, 2018 / August 4, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग- स्वतंत्रता के बुनियादी पत्थर पर नव-निर्माण का सुनहला भविष्य लिखा गया था। इस लिखावट का हार्द था कि हमारा भारत एक ऐसा राष्ट्र होगा जहां न शोषक होगा, न कोई शोषित, न मालिक होगा, न कोई मजदूर, न अमीर होगा, न कोई गरीब। सबके लिए शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा और उन्नति के समान […] Read more » Featured आतंकवाद क्षेत्रीयवाद तथा धर्म जातिवाद न अमीर होगा न कोई गरीब न कोई मजदूर न कोई शोषित न मालिक होगा नक्सलवाद भारत भाषा राष्ट्र शोषक होगा स्वतंत्रता को सार्थक दिशाएं देनी होगी हिंसा
धर्म-अध्यात्म “माता-पिता की नित्य सेवा करना सन्तान का धर्म वा पितृ-यज्ञ है” July 12, 2018 / July 12, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य के जीवन में ईश्वर के बाद माता-पिता का सबसे अधिक महत्व है। इसके बाद जिन लोगों का महत्व है उनमें हमारे आचार्य, गुरु व उपाध्याय आते हैं जिनसे हम ज्ञान, विज्ञान व अनेक विद्याओं का अध्ययन करते व सीखते हैं। यदि दुर्भाग्य से कोई मनुष्य अपने माता-पिता आदि देवताओं के […] Read more » Featured ईश्वर ऋषि दयानन्द ज्ञान भाषा मनुष्य माता पिता विज्ञान व्याकरण सत्यार्थप्रकाश
राजनीति राजनीतिक दलों की मतभिन्नता देश के लिए एक अभिशाप June 15, 2018 / June 15, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य लोकतंत्र मतभिन्नता की अनुमति इसलिए देता है कि अंत में सब पक्षों में मतैक्यता हो जाये। किसी भी विषय में गुणावगुण पर सब पक्ष खुलकर बहस करें और फिर किसी एक सर्वमान्य निष्कर्ष पर पहुंच कर एक मत हो जाएं। भारतवर्ष के संविधान ने लोगों को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इसलिए […] Read more » Featured कांग्रेस क्षेत्र जाति देश के लिए एक अभिशाप भाजपा भाषा राजनीतिक दलों की मतभिन्नता लिंग संप्रदाय
विविधा हिंदी के नाम पर पाखंड April 13, 2018 / April 13, 2018 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | 4 Comments on हिंदी के नाम पर पाखंड डॉ. वेदप्रताप वैदिक ताजा खबर यह है कि विश्व हिंदी सम्मेलन का 11 वां अधिवेशन अब मोरिशस में होगा। मोरिशस की शिक्षा मंत्री लीलादेवी दोखुन ने सम्मेलन की वेबसाइट का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि ‘आज हिंदी की हालत पानी में जूझते हुए जहाज की तरह हो गई है।’ अच्छा हुआ कि […] Read more » 11 वां अधिवेशन Featured भाषा मोरिशस लीलादेवी दोखुन विश्व हिंदी सम्मेलन शिक्षा मंत्री संयुक्तराष्ट्र स्वतंत्र भारत
धर्म-अध्यात्म तीन चेतन देवता माता, पिता और आचार्य April 13, 2018 / May 19, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य वेदों में देव और देवता शब्द का प्रयोग हुआ है। देव दिव्य गुणों से युक्त मनुष्यों व जड़ पदार्थों को कहते हैं। परमात्मा अर्थात् ईश्वर परमदेव कहलाता है। देव शब्द से ही देवता शब्द बना है। देवता का अर्थ होता है जिसके पास कोई दिव्य गुण हो और वह उसे दूसरों को […] Read more » Featured आचरण आदरणीय गुरुकुलों पिता भाषा मनुष्य माता वैदिक साहित्य शब्द सम्मानीय सामाजिक व राजनैतिक
धर्म-अध्यात्म भाषा, ज्ञान और धर्म का आदि स्रोत वेद November 25, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आज संसार में अनेक भाषायें और अनेक मत-मतान्तर प्रचलित हैं। मत-मतान्तरों को ही लोग धर्म मानने लगे हैं जबकि इन दोनों में अन्तर है। मत-मतान्तर इतिहास के किसी काल विशेष में किसी मनुष्य विशेष द्वारा वा उसके बाद उसके अनुयायियों द्वारा उसके नाम पर उनकी मान्यताओं के आधार पर चलाया जाता है […] Read more » ज्ञान धर्म का आदि स्रोत वेद भाषा वेद