समाज मुस्लिम महिलाओं पर ‘विवादित’ फतवे क्यों? November 21, 2017 by आशीष रावत | Leave a Comment – आशीष रावत देश में कट्टपंथी मुसलमानों द्वारा एक माहौल बनाया जा रहा है जो देश के लोकतंत्र के लिए हानिकारक है। हम देश में महिलाओं की भागदारी को प्राथमिकता देने की बात करते हैं। अगर मुट्ठीभर कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा दिए गए मुस्लिम महिलाओं पर विवादित फतवों की परवाह करेंगे तो कहीं हमारे देश का […] Read more » controversial fatwas on muslim women Featured दारूम उलूम देवबंद मुफ्ती तारिक कासमी मुस्लिम महिलाओं के श्रंृगार करने पर प्रतिबंध राफिया नाज़ विवादित’ फतवे
विविधा मुस्लिम तीर्थ सऊदी में योग की जय जय November 18, 2017 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment इस्लाम को जन्म देनें वाली भूमि, मुसलमानों की उद्गम भूमि सऊदी अरब ने शुद्ध वैदिक, सनातनी व हिंदू अवधारणा (कंसेप्ट) “योग” को एक खेल के रूप में मान्यता दे दी है.प्राचीन व प्रागेतिहासिक विश्वगुरु रहे भारत व हिंदूत्व हेतु यह एक छोटी सी घटना है किंतु वर्तमान परिप्रेक्ष्य के भारतीय सामजिक ताने बाने हेतु यह एक अनुकरणीय दृष्टांत है.एक आधिकारिक शासकीय घोषणा में सऊदी अरब ने न केवल योग को एक खेल के रूप में मान्यता दी है बल्कि योग को शरीर विज्ञान का अद्भूत ज्ञान पूंज बताते हुए इसकीमहिमा भी वर्णित की है. सऊदी के इस आदेश के तहत अब सऊदी अरब में योग के शिक्षण प्रशिक्षण, प्रचार, योग शिविर लगाने व इसके मेडिकल व्यावसायिक स्वरूप को भीमान्यता दे दी है. जब उधर इस्लाम के तीर्थ में योग के प्रसंशा गीत और स्वीकार्यता के आदेश लिखे जा रहे थे तब इधर भारत में भारतीय मुस्लिम झारखंड में योग की लानतमलामत कर रहे थे. झारखंड की राजधानी रांची में मुस्लिम समुदाय के लोग एक मुस्लिम लड़की राफिया नाज और उसकी मासूम बेटी के खून के प्यासे हो गए थे क्योंकि वहयोग सीखा रही थी. राफिया के योग करने और बच्चों को योग सिखाने से चिढ़े मुस्लिम युवाओं के एक समूह ने राफिया नाज और उसकी बेटी को बलात्कार और क़त्ल की धमकीदेते हुए योग बंद करने का फतवा दे दिया. विशुद्ध इस्लामिक देश सऊदी अरब में योग को एक खेल के तौर पर आधिकारिक मान्यता दे दी है, और अब वहां लाइसेंस लेकर योग सिखाया जा सकेगा. नोफ मारवाईनामक एक महिला ने ही सऊदी अरब में अभियान चलाकर योग को मान्यता दिलाई है. नोफ मरवाई को ही सऊदी अरब की पहली योग प्रशिक्षक का दर्जा भी मिल गया है. प्रश्नयह है कि जब इस्लाम के जन्म की धरती सऊदी अरब सहित कई मुस्लिम देश योग को अपना रहें हैं तो फिर भारतीय मुल्ला, मौलवियों और फतवेबाजों को योग से क्या आपत्तिहै?! स्पष्ट है कि यह आपत्ति योग से नहीं बल्कि भारतीयता से है. यह भी स्पष्ट है कि भारतीय मुस्लिम समाज के तथाकथित नेता भारत के इस्लाम को तनिक सा भी प्रगतिशील,शिक्षित व सुसंस्कृत होते हुये नहीं देखना चाहता. तभी तो सऊदी अरब में योग की स्वीकार्यता के सच को झूठलाते हुए, सच से मूंह छुपाते हुए और कुतर्क करते हुए देवबंद केउलेमा का कहना है कि सऊदी हुकूमत ने स्कूलों में वर्जिश को अनिवार्य किया है. योग तो शिर्क (गलत) है, इसलिए वहां की हुकूमत उसे कभी लागू नहीं कर सकती. फतवाऑनलाइन के चेयरमैन मौलाना मुफ्ती अरशद फारूकी भी भारत में अनावश्यक वितंडा फैला रहें है और बेसुरी जहरीली व साम्प्रदायिक राग आलाप रहें है कि सऊदी अरब केस्कूलों में किसी चीज को अनिवार्य किया गया है वो योग नहीं बल्कि वर्जिश है और शरीयत के लिहाज से योग शिर्क (वर्जित) है और सऊदी अरब अपने यहां शिर्क को कभी लागूनहीं कर सकता. और आगे बढ़ते हुए और सऊदी अरब के ज्वलंत सच को झूठलाते हुए उन्होंने कहा कि वर्जिश सही है, लेकिन योग इस्लामी नुकते नजर से गलत है, दुनिया केनक्शे में वो जो तब्दीलियां कर रहे हैं जरूरी नहीं की हम भी उन्हें माने. हम सिर्फ शरीयत को मानते और उसी पर चलते हैं, और शरीयत में योग की कोई गुंजाइश नहीं है. भारतमें कट्टरपंथी मुस्लिमों द्वारा भारतीय मूल्यों से हद दर्जे की घृणा करने और समाज में धार्मिक उन्माद का जहर फैलाने का यह कोई प्रथम अवसर नहीं है. कट्टरपंथी, धर्मान्थ औरघोर हिंदू विरोधी मुस्लिम तत्व ऐसा अक्सर करते रहते हैं. ऐसा हर बार होता है कि भारतीय मुस्लिमों द्वारा, भारत की प्राचीनता, संस्कृति, धर्म व परम्पराओं से उपजी किसीभी बात को, कुतर्कों के आधार पर अनावश्यक ही शरियत विरोधी सिद्ध कर दिया जाता है. आज परम आवश्यकता इस बात की हो गई है कि भारत का पढ़ा लिखा, सभ्य,प्रगतिशील मुस्लिम वर्ग इस बात को समझें व इन कट्टरपंथी, तर्कहीन, अशिक्षित, लट्ठमार मुसलमानों से स्वयं को अलग करके भारत में एक नई इबारत लिखने हेतु आगे बढ़े.भारतीय मुस्लिमों के शिक्षित वर्ग को योग ही नहीं बल्कि हर विषय में, इन कट्टरपंथियों से यह बात पूछना चाहिए कि उन्हें योग से घृणा या भारतीय संस्कृति से? आज सऊदीअरब ने विशुद्ध वैदिक विचार, योग को स्वीकार्यता देकर भारतीय मुस्लिमों के समक्ष एक सकारात्मक पहल प्रस्तुत कर दी है. अब भारतीय मुस्लिम कट्टरपंथियों के फतवों वउन्मादित बातों में न आयें व योग को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार कर प्रेम, सौहाद्र व सद्भाव का एक उदाहरण प्रस्तुत करे. आज जब योग को सम्पूर्ण विश्व स्वीकार कर चुका है.संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा धरती के सबसे लम्बे व दीर्घ दिन 21 जून को “विश्व योग दिवस” की मान्यता मिल चुकी है, तब भारतीय मुस्लिमों द्वारा योग का विरोध करना कूए केमेंढक बने रहने जैसा ही कहलायेगा और उनके घोर धर्मांध होनें व धर्म के नाम पर अनावश्यक ही हर भारतीय विचार के विरोधी होने की एक ज्वलंत प्रतीक घटना भी बनजायेगी. अमेरिकी नागरिक डेविड फ्राली ने सऊदी अरब द्वारा योग को स्वीकार किये जाने के संदर्भ में भारत के मुस्लिम समुदाय व ईसाई समुदाय से बड़ा ही सटीक प्रश्न किया हैकि जब समूचा विश्व योग को एक आयुर्विज्ञान विषय मान रहा है तब केवल भारत के मुस्लिम ही इसका विरोध करते क्यों दिखलाई पड़ रहे हैं?! भारतीय मुस्लिम जगत में योग को लेकर तब ही विरोध के स्वर सामने आ गये थे जब पहली बार विश्व भर मे 21 जून 2015 को योग दिवस प्रतिष्ठा पूर्वक मनायागया था. भारतीय मुस्लिम योग के धार्मिक न होने के तथ्य को नरेन्द्र मोदी के उस कथन से भी समझ सकते हैं जो उन्होंने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपनेभाषण में कहा था कि – “योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है; मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है;विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है. यह योग केवल व्यायाम के बारे में नहीं है,अपितु अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है. हमारी बदलती जीवन शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मददकर सकता है”. मोदी के इस कथन के बाद 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र में 193 सदस्यों द्वारा 21 जून को “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिलीथी. भारत के इस योग के प्रस्ताव को विश्व समुदाय ने मात्र 90 दिन के अंदर पूर्ण बहुमत से पारित किया, जो कि संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी दिवस प्रस्ताव के लिए सबसे कमसमय है. आज विश्व के 177 देशों में योग को वैधानिक मान्यता मिली हुई है. आशा है योग की अन्तराष्ट्रीय मान्यता, योग के आयुर्वैज्ञानिक महत्त्व, इसकी सहज, निःशुल्क उपब्धता व महातम्य को देखते हुए भारतीय मुस्लिमों में से ही शिक्षितमुस्लिमों का एक बड़ा वर्ग योग को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार करके इस्लाम को प्रगतिवाद के मार्ग पर अग्रसर करेगा. Read more » Featured yoga as a play in Saudi Arabia yoga as a sports ईसाई समुदाय मुस्लिम समुदाय योग को एक खेल सऊदी अरब में योग
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-4 November 18, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment वैदिक गीता-सार सत्य डा. देसाई को अपने लक्ष्य की खोज थी और वह अपने लक्ष्य पर पहुंच भी गये थे, परन्तु अभी वास्तविक लक्ष्य (पण्डा और राजा से मिलना) कुछ दूर था। उन्होंने अपने साथ एक मुसलमान पथप्रदर्शक रख लिया था। यह पथप्रदर्शक वहां के लोगों को यह भी बताता जा रहा था कि देखो […] Read more » Featured karmayoga of geeta आज का विश्व कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग
विविधा जानिए दान के लाभ एवं हानि — November 18, 2017 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment (दान से भी हो सकते नुकसान)—- प्रिय पाठकों/मित्रों,हमारे हिन्दू धर्म में दान का अत्यधिक महत्व माना गया है, यह सिर्फ केवल हमारा रिवाज एवं परम्परा मात्र नहीं है बल्कि दान करने के पीछे हमारे धर्मिक ग्रंथो एवं शास्त्रों में महत्वपूर्ण उद्देश्य बताए गए है. ग्रंथो के अनुसार जब कोई व्यक्ति दान करता है तो उसके […] Read more » benefits of donation Featured what to donate दान के लाभ एवं हानि दान से भी हो सकते नुकसान
धर्म-अध्यात्म भारतवर्ष की आत्मा धर्ममय November 18, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी स्वयं के लिए जीवन जीना पशुता है और दूसरों को भी जीने देना ही मानव धर्म है। धर्म-परायण, सभ्य मानवों ने दूसरों को भी ‘जीने दो’ का लक्ष्य रख कर स्वेच्छा से कुछ नियम और प्रतिबन्ध अपने ऊपर लागू कर लिये हैं। मानव भोजन के लिये किसी जीव की हत्या करने के […] Read more » Bharat Featured India आत्मा धर्ममय भारतवर्ष
विविधा कुरान, इस्लाम और मुसलमान November 18, 2017 by शालिनी तिवारी | Leave a Comment वर्ष 2010 के एक अध्ययन के मुताबिक, दुनियाँ के दूसरे सबसे बड़े धार्मिक सम्प्रदाय इस्लाम के तकरीबन 1.6 अरब अनुयायी हैं. जोकि विश्व की आबादी की लगभग 23% हिस्सा हैं, जिसमें 80-90 प्रतिशत सुन्नी और 10-20 प्रतिशत शिया हैं. मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका, अफ्रीका का हार्न, सहारा, मध्य एशिया एवं एशिया के अन्य कई हिस्सों […] Read more » Featured Islam muslims quran इस्लाम कुरान मुसलमान
विविधा सिनेमा मैंने देखी पद्मावती: सच्चाई क्या है ? November 18, 2017 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | 2 Comments on मैंने देखी पद्मावती: सच्चाई क्या है ? डॉ. वेदप्रताप वैदिक फिल्म पद्मावती को लेकर आजकल जैसा बवाल मच रहा है, अफवाहों का बाजार जैसे गर्म हुआ है, वैसा पहले किसी भी फिल्म के बारे में सुनने में नहीं आया। बवाल मचने का कारण भी है। पद्मावती या पद्मिनी सिर्फ राजस्थान ही नहीं, सारे भारत में महान वीरांगना के तौर पर जानी जाती […] Read more » Featured पद्मावती
मीडिया पत्रकारिता: संकट में छिपा अवसर November 16, 2017 by राजू पाण्डेय | Leave a Comment पत्रकारिता वर्तमान में साहित्य की सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण, प्रभावकारी एवं संभावनाओं से भरी विधा है। यदि आपमें मानव जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने की अभिलाषा है तो साहित्य की उपलब्ध विधाओं में तो इससे बेहतर कोई विकल्प नहीं दिखता। साहित्य की अन्य विधाओं की संरचना ही इस प्रकार की है कि लाक्षणिकता और संकेतात्मकता उनकी आधारभूत […] Read more » Featured Journalism कॉरपोरेटीकरण कॉर्पोरेट पत्रकारिता टी. आर. पी. पत्रकारिता प्रिंट मीडिया भारतीय पत्रकारिता भारतीय स्वाधीनता संग्राम
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-3 November 16, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment वैदिक गीता-सार सत्य : मानव जीवन की ऊहापोह हमारा सारा जीवन इस ऊहापोह में व्यतीत हो जाता है कि मुझे क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए? मेरे लिए क्या उचित है? और क्या अनुचित है? महाभारत के युद्ध के समय अर्जुन के समक्ष भी यही प्रश्न आ उपस्थित हुआ था। तब उसे कृष्णजी ने […] Read more » Featured गीता गीता का कर्मयोग मानव जीवन की ऊहापोह विश्व वैदिक गीता-सार सत्य
राजनीति फारुक अब्दुल्ला और पाक परस्ती बयान November 16, 2017 by सुरेश हिन्दुस्थानी | Leave a Comment सुरेश हिन्दुस्थानी जम्मू कश्मीर के बारे में अभी तक वास्तविकता से अनभिज्ञ रहे देशवासी अब यह जानने लगे हैं कि कश्मीर के समस्या के मूल कारण क्या थे। अब यह भी कहा जाने लगा है कि राजनीतिक स्वार्थ के चलते ही जम्मू कश्मीर में समस्याएं प्रभावी होती गर्इं। भारत की जनता यह कतई नहीं चाहती […] Read more » Farooq Abdullah Featured POK कश्मीर की स्वायत्तता की मांग नेशनल कांफ्रेंस पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर फारुक अब्दुल्ला
लेख गीता का कर्मयोग और आज का विश्व भाग-2 November 16, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment वैदिक गीता-सार सत्य गीता की उपयोगिता इसलिए भी है कि यह ग्रन्थ हमें अपना कार्य कत्र्तव्य भाव से प्रेरित होकर करते जाने की शिक्षा देती है। गीता का निष्काम-भाव सम्पूर्ण संसार को आज भी दु:खों से मुक्ति दिला सकता है। परन्तु जिन लोगों ने गीता ज्ञान को साम्प्रदायिकता का प्रतीक मान लिया, उनके स्वयं के […] Read more » Featured geeta karmayoga गीता गीता का कर्मयोग विश्व
व्यंग्य साहित्य रसगुल्ला युद्ध का मीठा समाधान November 16, 2017 by विजय कुमार | 1 Comment on रसगुल्ला युद्ध का मीठा समाधान कल सुबह शर्मा जी पार्क में घूमने आये, तो उनके हाथ में कोलकाता के प्रसिद्ध हलवाई के.सी.दास के रसगुल्लों का एक डिब्बा था। उन्होंने सबका मुंह मीठा कराया और बता दिया कि सरदी बढ़ गयी है। अतः फरवरी के अंत तक सुबह घूमना बंद। इसलिए ये रसगुल्ला सुबह की सैर से विदाई की मिठाई है। […] Read more » Featured रसगुल्ला