Tag: गांधी

राजनीति

गांधी की विरासत कहाँ तक होगी मददगार

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गाँधी जी और उनके सहयोगियों तथा वहाँ के किसानों की सक्रियता के कारण तत्कालीन बिहार सरकार ने उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जिसके मनोनीत सदस्य गाँधी जी भी थे। इस कमेटी की रिपोर्ट को सभी पक्षों द्वारा स्वीकार किया गया और तीन कठ्ठा प्रथा समाप्त कर दी गई। इसके अलावा किसानों के हित में अनेक सुविधायें दी गईं। इस प्रकार निहलों के विरुद्ध ये आन्दोलन सफलता पूवर्क समाप्त हुआ। इससे चंपारण के किसानों में आत्मविश्वास जगा और अन्याय के प्रति लङने के लिये उनमें एक नई शक्ति का संचार हुआ। चंपारण सत्याग्रह भारत का प्रथम अहिंसात्मक सफल आन्दोलन था। गाँधी जी द्वारा भारत में पहले सत्याग्रह आन्दोलन का शंखनाद चंपारण से शुरु हुआ। यहाँ किसानों के बच्चों को शिक्षित करने के लिए ग्रामीण विद्यालय खोले गये। लोगों को साफ-सफाई से रहने का तरीका सिखाया गया। सारी गतिविधियाँ गांधीजी के आचरण से मेल खाती थीं। स्वयंसेवकों ले मैला ढोने, धुलाई, झाडू-बुहारी तक का काम किया। इसके साथ ही गांधीजी का राजनीतिक कद और बढ़ा।

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विविधा

गांधीवाद की परिकल्पना-8

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हमारी सरकारों ने गांधीवाद का चोला पहनकर सूचना पाने वाले को उस व्यक्ति का मौलिक अधिकार माना है। यह कैसी घोर विडंबना है कि सूचना पाने का अधिकार देकर भी उसे सही सूचना (इतिहास की सही जानकारी) से वंचित रखा जा रहा है। इस भयंकर और अक्षम्य षडय़ंत्र पर से पर्दा उठना चाहिए कि वे कौन लोग हैं जो हमारे सूचना पाने के मौलिक और संवैधानिक अधिकार में बाधक हैं? ऐसा नाटक अब बंद होना चाहिए, जिससे पर्दे के पीछे से सत्य, अहिंसा और बंधुत्व के कोरे आदर्शों की भी हत्या की जा रही है। किंतु फिर भी देश पर गांधीवाद के आदर्शों को लपेटा जा रहा हो और उसे बलात् थोपा जा रहा हो।

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