लेख सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की छाया में गणतंत्र January 25, 2022 / January 25, 2022 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भः गणतंत्र दिवस 26 जनवरी पर विशेष आलेख-प्रमोद भार्गवभारतीय गणतंत्र स्वतंत्रता के 75वें अमृत महोत्सव में सांस्कृतिक-आध्यात्मिक राष्ट्रवाद की छाया में आगे बढ़ता दिखाई दे रहा है। सनातन हिंदू संस्कृति ही अखंड भारत की सरंचना का वह मूल गुण-धर्म है, जो इसे हजारों साल से एक रूप में पिरोये हुए है। इस एकरूपता को मजबूत […] Read more » Republic under the shadow of cultural nationalism सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
लेख ऐसे हुई श्रीराम जन्मभूमि की मुक्ति July 22, 2020 / July 22, 2020 by विनोद बंसल | Leave a Comment – विनोद बंसल ईस्वी सन् 1528 से लेकर आज तक भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद ने असंख्य उतार-चढ़ाव देखे हैं। एक ओर उसने वह असहनीय दर्द सहा जब भव्य तथा विशाल मंदिर को धूल धूसरित कर अपने सत्ता मद में चूर एक विदेशी आक्रान्ता ने भारत की आस्था को कुचलकर देश के स्वाभिमान की नृशंस ह्त्या […] Read more » श्रीराम जन्मभूमि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
राजनीति आग लगाने में ‘प्रवीण’ तोगडिय़ा June 20, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment भारतीय राजनीति जिस समय राम मंदिर निर्माण पर मौन थी और मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते हिंदू विरोध की राजनीति को अपना मौलिक संस्कार माने बैठी थी -उस समय राम जन्मभूमि के मुददे को गर्माना और हिन्ंदू के भीतर आत्मस्वाभिमान पैदा करने के लिए उसे राजनीतिक रूप से चेतनित करना आवश्यक हो सकता है, परंतु हिन्दू को मुसलमान के विरूद्घ आक्रामक बनाकर वर्गीय संघर्ष को जन्म देना उचित नहीं हो सकता। Read more » Featured किसानों का नरसंहार प्रवीण तोगडिय़ा भारत भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद सांस्कृतिक राष्ट्रवाद हिन्दुत्वनिष्ठ राजनीति
मीडिया राष्ट्रवादी पत्रकारिता का दौर June 7, 2017 / June 23, 2017 by राजीव प्रताप सिंह | Leave a Comment भारत की अवधारणा एक ऐसे राष्ट्र की अवधारणा है जिसके लिए संघर्ष को निर्माण का आधार रूप में कभी स्वीकार नहीं किया गया. यहाँ आदि काल से ही चिंतन को प्राथमिकता दी गई और अनेकों भाषा, समुदाय, जाति इत्यादि के मष्तिष्क और शरीर यहाँ आएं और यहीं के होकर रह गए. ऐसे में सम्पूर्ण विश्वजगत […] Read more » Featured पत्रकरिता पत्रकरिता का मूल धर्म क्या राष्ट्रवादी पत्रकारिता सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
राजनीति प्रबंधन कौशल के तीन वर्ष May 24, 2017 / May 24, 2017 by राजू पाण्डेय | Leave a Comment अनेक अनोखे तर्क विमर्श में हैं जिनमें एक यह भी है कि अविवाहित और परिवार त्यागी व्यक्ति आखिर किस लिए भ्रष्टाचार करेंगे। अथवा देश में पहली बार हिन्दू धर्म की विजय पताका फहराने वाला सशक्त नेता सत्ता में है,उसका विरोध किया तो आजीवन बहुसंख्यक होने के बावजूद अल्पसंख्यक की भांति रहना होगा। नोट बंदी और डिजिटल इकॉनॉमी आम नागरिक के लिए भ्रष्टाचार के अवसर कम करने के उपाय हैं किंतु नॉन परफार्मिंग एसेट्स की रीस्ट्रक्चरिंग तो वह अनूठी सूझ है जो कॉर्पोरेट्स की सहूलियत के लिए गढ़ी गई है। Read more » Featured राष्ट्रवादी शासकीय नियंत्रण सांस्कृतिक राष्ट्रवाद सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा
परिचर्चा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की आधारशिला पर खड़ा होता भारत May 31, 2015 by डॉ. सौरभ मालवीय | Leave a Comment -डा.सौरभ मालवीय- “राष्ट्र सर्वोपरि” यह कहते नहीं बल्कि उसे जीते है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। पिछले कुछ दशकों में भारतीय जनमानस का मनोबल जिस प्रकार से टूटा था और अब मानों उसमें उड़ान का एक नया पंख लग गया है और अपने देश ही नहीं दुनिया भर में भारत का सीना चौड़ा […] Read more » Featured आजादी भारत सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
चुनाव न राष्ट्रवाद, न ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ यूपी ने चुना समाजवाद March 14, 2012 / March 14, 2012 by तनवीर जाफरी | 2 Comments on न राष्ट्रवाद, न ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ यूपी ने चुना समाजवाद तनवीर जाफरी उत्तरप्रदेश के मतदाताओं ने चुनावी पंडितों के सभी पूर्वानुमानों को झुठलाते हुए प्रदेश में पूर्ण बहुमत से समाजवादी पार्टी की सरकार को चुन लिया है। इस बात की उम्मीद तो की जा रही थी कि सपा ही प्रदेश में सबसे बड़े राजनैतिक दल के रूप में उभरेगी। परंतु प्रदेश की 224 विधानसभा सीटों […] Read more » samawaji party UP यूपी समाजवाद सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
हिंद स्वराज हिंद स्वराज की प्रासंगिकता पर विमर्श का आयोजन October 12, 2009 / December 26, 2011 by जयराम 'विप्लव' | 3 Comments on हिंद स्वराज की प्रासंगिकता पर विमर्श का आयोजन १० अक्तूबर को भारत नीति संस्थान के द्वारा दीनदयाल शोध संस्थान, नई दिल्ली में ” वर्तमान सन्दर्भ में हिंद स्वराज की प्रासंगिकता ” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया . इस संगोष्ठी में वरिष्ठ गांधीवादी चिन्तक और पूर्व सांसद राम जी सिंह , जेएनयु के प्राध्यापक अमित शर्मा , पांचजन्य के सम्पादक बलदेव […] Read more » Jayram Viplav जयराम "विप्लव" लोकतंत्र सांस्कृतिक राष्ट्रवाद हिंद स्वराज हिंद स्वराज
हिंद स्वराज गाँधी और हिन्दुत्व-2 October 9, 2009 / December 26, 2011 by जयराम 'विप्लव' | 1 Comment on गाँधी और हिन्दुत्व-2 हम महात्मा गांधी को राष्ट्र पिता कहते हैं, किंतु उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर भाषणबाजी और कुछ समारोहों के आयोजन के अलावा इस बात की जरा भी परवाह नहीं करते कि उन्होंने अपने अद्भुत नेतृत्व के दौरान क्या किया और क्या संदेश दिया? हिंदुत्व पर उनके गहन विचारों के बारे में तो हमारा बिल्कुल ही […] Read more » Gandhi hind swaraj Hinduism गाँधी जयराम "विप्लव" सांस्कृतिक राष्ट्रवाद हिंद स्वराज हिन्दुत्व
हिंद स्वराज गाँधी और हिन्दुत्व-1 October 9, 2009 / December 26, 2011 by जयराम 'विप्लव' | 4 Comments on गाँधी और हिन्दुत्व-1 गाँधी का जन्म हिंदू धर्म में हुआ, उनके पुरे जीवन में अधिकतर सिधान्तों की उत्पति हिंदुत्व से हुआ. साधारण हिंदू कि तरह वे सारे धर्मों को समान रूप से मानते थे, और सारे प्रयासों जो उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए कोशिश किए जा रहे थे उसे अस्वीकार किया. Read more » Gandhi Hinduism गाँधी जयराम "विप्लव" सांस्कृतिक राष्ट्रवाद हिंद स्वराज हिन्दुत्व
राजनीति सांस्कृतिक राष्ट्रवाद : भारत के भविष्य का आधार September 29, 2009 / December 26, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 3 Comments on सांस्कृतिक राष्ट्रवाद : भारत के भविष्य का आधार भारतीयता का अर्थ है भारत की समग्र परम्परा, भारत-वर्ष का सामाजिक, सांस्कृतिक इतिहास, भारत-वर्ष की पुरातन, अधुनातन पृष्ठभूमि, भारत-वर्ष की संवेदना, भारत वर्ष की कला, भारत-वर्ष का साहित्य। इन सबमें एक ही भाव है जो भारत-वर्ष के प्राचीन दर्शन व भारत के अध्यात्म को जीवन से जोड़ता है। मेरी दृष्टि में भारतीयता पूरे इतिहास का […] Read more » cultural nationalism सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
राजनीति सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का अर्थ April 28, 2009 / December 27, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment शाब्दिक तौर पर राष्ट्रवाद एक आधुनिक 'पद' है। ऐसा माना जाता है कि आधुनिक राष्ट्र-राज्य की अवधारणा फ्रांस की क्रांति (1789) के बाद विकसित हुई। सामाजिक विकास या राजनैतिक सिध्दांत के तौर पर राष्ट्रवाद की संकल्पना... Read more » cultural nationalism सांस्कृतिक राष्ट्रवाद