Category: धर्म-अध्यात्म

धर्म-अध्यात्म

ऋषिभक्त आर्यों, नेताओं व विद्वानों का राग-द्वेष से मुक्त होना आवश्यक

| Leave a Comment

सत्यार्थप्रकाश को ऋषि दयानन्द सरस्वती जी का सबसे महत्वपूर्ण ग्रन्थ कह सकते हैं। इसके उत्तरार्ध के चार समुल्लासों में अन्तर्देशीय व दूर विदेशों में उत्पन्न मतों की समालोचना की गई है। ऋषि ने इन सभी चार समुल्लासों की पृथक भूमिका लिखी है। चतुर्दश समुल्लास की भूमिका में उन्होंने लिखा है कि उनका यह लेख हठ, दुराग्रह, ईष्र्या, द्वेष, वाद-विवाद और विरोध घटाने के लिये किया गया है, न कि इनको बढ़ाने के अर्थ क्योंकि एक दूसरे की हानि करने से पृथक् रह, परस्पर को लाभ पहुंचाना हमारा मुख्य कर्म है। अब यह विवेच्य मत विषय सब सज्जनों के सामने निवेदन करता हूं। विचार कर, इष्ट का ग्रहण, अनिष्ट का परित्याग कीजिये। हमारे विद्वानों को इसी भावना से ही अन्य विद्वानों की आलोचना करनी चाहिये। हमारी आलोचना पढ़कर कोई विद्वान हमसे क्षमा याचना ही करे, इसकी अपेक्षा करना उचित नहीं है।

Read more »

कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म

अपनी राशि अनुसार ज्योर्तिलिंग की पूजा का महात्‍म, तथ्‍ाा फल प्राप्‍‍‍त होने का महात्‍म पढे—-

/ | Leave a Comment

जानिए किस राशि के व्यक्ति को किस ज्योर्तिलिंग पर पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है— देवाधिदेव भगवान् महादेव सर्वशक्तिमान हैं\ भगवान भोलेनाथ ऐसे देव हैं जो थोड़ी सी पूजा से भी प्रसन्न हो जाते हैं |संहारक के तौर पर पूज्य भगवान शंकर बड़े दयालु हैं. उनके अभिषेक से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी […]

Read more »

कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म

नारद पत्रकार ही नहीं, जनउद्धारक थे

/ | Leave a Comment

२६वें श्लोक में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने इनकी महत्ता को स्वीकार करते हुए कहा है देवर्षियों में मैं नारद हूं। वायुपुराण में देवर्षि के पद और लक्षण का वर्णन है- देवलोक में प्रतिष्ठा प्राप्त करनेवाले ऋषिगण देवर्षि नाम से जाने जाते हैं। भूत, वर्तमान एवं भविष्य-तीनों कालों के ज्ञाता, सत्यभाषी, स्वयं का साक्षात्कार करके स्वयं में सम्बद्ध, कठोर तपस्या से लोकविख्यात, गर्भावस्था में ही अज्ञान रूपी अंधकार के नष्ट हो जाने से जिनमें ज्ञान का प्रकाश हो चुका है, ऐसे मंत्रवेत्ता तथा अपने ऐश्वर्य (सिद्धियों) के बल से सब लोकों में सर्वत्र पहुँचने में सक्षम, मंत्रणा हेतु मनीषियों से घिरे हुए देवता, द्विज और नृपदेवर्षि कहे जाते हैं।

Read more »