निर्मल रानी
इसमें कोई दो राय नहीं कि संचार क्रांति के वर्तमान दौर में मनुष्य को तमाम प्रकार की सूचनाएं मनचाहे समय व स्थान पर प्राप्त होने लगी हैं। वर्तमान युग को कंप्यूटर युग कहा जा रहा है। इस युग में कंप्यूटर से संबद्ध तमाम प्रकार की सुविधाएं आम लोगों को प्राप्त हो रही हैं। ऐसी ही एक नायाब सुविधा का नाम है मोबाईल अथवा सेल्यूलर फोन सेवा। इस सेवा के माध्यम से दुनिया का कोई भी व्यक्ति किसी भी दूसरे व्यक्ति से जिस क्षण चाहे उसी क्षण न केवल बात कर सकता है बल्कि उसे संदेश भी भेज सकता है, उसे देख भी सकता है, उसे अपनी फोटो तथा किसी प्रकार की वीडियो आदि भी भेज सकता है। इसके द्वारा ई-मेल भी किया जा सकता है। एक ही छोटे से मोबाईल सेट के अंदर हमारे चमत्कारिक वैज्ञानिकों ने घड़ी, टार्च, केलकुलेटर, गेस, कैलंडर, संगीत, ऑडियो-वीडियो, इंटरनेट, फोन, फोन बुक, अलार्म घड़ी, स्टॉप वॉच, रिमांईडर तथा संदेश भेजने जैसी और भी न जाने कितनी सुविधाओं को समाहित कर दिया है। आज धीरे-धीरे यही मोबाईल फोन प्रत्येक खास-ो-आम व्यक्ति की ज़रूरत की खास चीज़ों में शामिल हो चुका है। परिणामस्वरूप न केवल शहरी लोगों बल्कि दूर-दराज़ के गांवों तक में मोबाईल फोन पहुंच चुका है। परंतु जिस प्रकार लगभग प्रत्येक वैज्ञानिक उपलब्धि के साथ यह होता आ रहा है कि जहां कोई उपलब्धि आम लोगों के लिए एक वरदान साबित होती है वहीं तमाम लोगों के लिए यह वरदान के साथ-साथ अभिशाप भी बन जाती है। शायद कुछ ऐसा ही मोबाईल फोन धारकों के साथ भी घटित हो रहा है।
एक दशक पूर्व जब भारत में मोबाईल फोन सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों ने कदम रखा उस समय भारतीय उपभोक्ताओं को यह सेवा किसी चमत्कार से कम नहीं लगी। शुरु-शुरु में मोबाईल फोन सेट बेचने वाली कंपनियों ने जहां अपने पुराने मॉडल के भारी-भरकम मोबाईल सेट मंहगे व मुंह मांगे दामों पर भारतीय उपभोक्ताओं के हाथों बेच डाले वहीं मोबाईल फोन सेवा प्रदान करने वाली संचार कंपनियों ने भी आऊट गोइंग व इन कमिंग कॉल्स के अलग-अलग मोटे पैसे वसूल कर भारतीय उपभोक्ताओं की जेबे खूब खाली कीं। किसी कंपनी ने उस समय पांच और छ: रुपये प्रति मिनट के हिसाब से कॉल रेट वसूले तो किसी कंपनी ने तीन और चार रुपये प्रति मिनट के दर से इन कमिंग कॉल्स की कीमत भी वसूली। इनके अतिरिक्त राज्य के बाहर गए हुए मोबाईल उपभोक्ताओं से रोमिंग शुल्क के नाम पर भी खूब पैसे लिए गए। अब इन दस वर्षों में चूंकि संचार क्षेत्र में अत्यधिक प्रतिस्पर्धा देखी जा रही है तथा एक से बढ़ कर एक स्वदेशी तथा विदेशी कंपनियां भारत जैसे दुनिया के सबसे बड़े उपभोक्ता बाज़ार में अपने व्यापार का जाल फैला रही हैं इसलिए जनता को इस प्रतिस्पर्धा का लाभ ज़रूर प्राप्त हो रहा है। अब मोबाईल सुविधा उपलब्ध कराने वाली कंपनियों में शुल्क घटाने को लेकर प्रतिस्पर्धा मची देखी जा सकती है। मोबाईल फोन सेट भी पहले की तुलना में कहां अधिक सस्ते हो गए हैं।
परंतु मोबाईल सेवाएं उपलब्ध कराने वाली इन निजी संचार कंपनियों को शायद उपभोक्ताओं को मिलने वाली यह रियायत अच्छी नहीं लग रही है। तमाम निजी कंपनियां मोबाईल उपभोक्ताओं की जेबें खाली करने के नाना प्रकार के हथकंडे अपनाने से बाज़ नहीं आ रही हैं। तमाम निजी संचार कंपनियों ने अपने कार्यालय में ऐसे ‘बुद्धिमान योजनाकारों’ की नियुक्ति की हुई है जो कंपनियों को यह सलाह देते हैं कि किन-किन हथकंडों के द्वारा ग्राहकों की जेबों पर डाका डाला जाए। इस बारे में काफी समय से तमाम उपभोक्ता इन निजी संचार कंपनियों द्वारा उन्हें ठगे जाने के तमाम तरीके अक्सर बताते रहे हैं। पिछले दिनों भी एक उपभोक्ता निजी मोबाईल सेवा प्रदान करने वाली एयरटेल कंपनी द्वारा की जाने वाली ठगी का शिकार हुआ। सर्वप्रथम तो एयरटेल के कनेक्शन वाले उसके मोबाईल फोन से प्रतिदिन कभी एक रुपया, कभी दो तो कभी-कभी तीन रुपये कटने लगे। जब उसने इस प्रकार पैसों की अकारण कटौती पर गौर किया तब तक उसके प्रीपेड मोबाईल खाते से काफी पैसे कट चुके थे। तंग आकर उसने एयरटेल के कस्टमर केयर सेंटर से संपर्क किया। पूछने पर यह पता चला कि ‘आपने जॉब अलर्ट लगा रखा है इसीलिए आपके पैसे काटे जा रहे हैं। उसने जवाब दिया कि ‘न तो मैंने कोई ऐसा जॉब अलर्ट लगाया है, न ही मुझे इसकी ज़रूरत है। और सबसे बड़ी बात तो यह कि आज तक मुझे जॉब संबंधी कोई सूचना या एस एम एस भी कंपनी ने नहीं भेजा, फिर पैसा क्यों और किस बात के लिए काटा जा रहा है’। इस पर भी कस्टमर केयर सेंटर का ‘तोता रटंत’ कर्मी अपनी ही बात पर कहता रहा ‘नहीं’ जी आपने जॉब अलर्ट लगाया है और आपको जॉब अलर्ट भेजा जा रहा है। मेरे मना करने के बाद जॉब अलर्ट के नाम पर पैसे कटने का सिलसिला बंद हुआ।
अभी यह सिलसिला बंद ही हुआ था कि उसके इसी मोबाईल खाते से पुन: पैसे कटने शुरु हो गए। फिर उसी तरह कभी दो तो कभी तीन रुपये। वह उपभोक्ता फिर विचलित हुआ। क्योंकि वह कोई व्यापारी या धनाढ्य व्यक्ति नहीं जोकि 1-2 रुपये की कोई कीमत ही न समझे। उसने पुन: कस्टमर केयर से संपर्क साधा। इस बार तो उसे बड़ा आश्चर्यचकित करने वाला जवाब सुनने का मिला। उसे बताया गया कि आपने ‘करीना कपूर अलर्ट’ लगा रखा है। अब ज़रा आप ही बताईए कि देश-दुनिया की उथल-पुथल की चिंताओं को छोड़कर आज के ज़माने में कोई हर पल क्यों यह जानना चाहेगा कि करीना कपूर कब, क्या कर रही है? करीना अलर्ट के नाम पर भी उसके काफी पैसे काट लिए गए। यह उपभोक्ता करीब 7-8 वर्षों से एयरटेल कंपनी की ग्राहक है। इस घटना से उसका मन खट्टा हो गया। अब उसने पहली बार यह सोचा कि नंबर पोर्टेब्लिटी सेवा का लाभ उठा कर किसी अन्य कंपनी की सेवाएं ली जाएं। जब उसने इस संबंध में कार्रवाई शुरु की फिर एयरटेल कस्टमर केयर सेंटर से फोन आया कि आप क्यों कंपनी छोड़ रहे हैं। उसने कारण बताए, फिर उसे समझाने की कोशिश की गई। अब आप ज़रा गौर कीजिए कि नंबर पोर्टेब्लिटी का आवेदन करने के बाद भी कई दिनों तक एयरटेल कंपनी द्वारा उसे यूपीसी अर्थात् पोर्टेब्लिटी कोड नहीं भेजा गया। जबकि उसे यह बताया गया था कि पोर्टिंग आवेदन के बाद कुछ ही क्षणों में आपको पहली कंपनी द्वारा कोड नंबर उपलब्ध करा दिया जाएगा। गोया एयरटेल जैसी कंपनियां हमारे व आप जैसे साधारण उपभोक्ताओं से जबरन पैसे भी ठग रही हैं और दूसरी कंपनी में जाने भी नहीं दे रही हैं। इसे आप सरेआम डाका डालना या राहज़नी करना नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे?
इसी एयरटेल कंपनी के कुछ और ठगी के कारनामे सुनिए। हमारे मोबाईल फोन पर कई बार इस प्रकार के संदेश आए कि बताएं-करनाल कहां है, ए-हरियाणा में या बी-बंगाल में। इसी के साथ लिखा होता था कि उत्तर दें -ए-हरियाणा। और जीतिए सेंट्रो कार या जीतिए सोने का सिक्का। अब ज़रा उपरोक्त क्विज़ व उसके बारे में दिए जा रहे हिंट पर गौर कीजिए। कितना घटिया प्रश्र व कितना घटिया हिंट देने का तरीका और इनाम में ‘कार’? शिवरात्रि है तो भजनों की टोन इनसे लीजिए, वेलेन्टाईन डे पर आशिक़ी-माशूकी के तरीके इनसे पता कीजिए, टिप्स व गाने इनसे खरीदिए। ज्योतिषी यह लिए बैठे हैं, एक घंटे पुराने क्रिकेट स्कोर बताने के पैसे यह वसूलते हैं, उल्टे-सीधे सवाल-जवाब क्विज़ के बहाने यह पूछते हैं। गोया ऐसा लगता है कि इन कंपनियों ने अपभोक्ता के समक्ष लालच परोसने की दुकान सजा रखी हो। और अफसोस की बात तो यह है कि यदि कोई उपभोक्ता इनके द्वारा सुझाई गई योजनाओं के झांसे में नहीं भी आता तो कंपनियां उपरोक्त उपभोक्ता की तरह अपनी योजनाएं ग्राहक के गले स्वयं मढ़ देती हैं।
इसी प्रकार यदि आप दूसरे राज्यों में घूम रहे हैं तो दिन में दो-तीन बार आप के नंबर पर रोमिंग कॉल की चपत भी पड़ सकती है। यह कॉल आपके किसी मित्र, संबंधी या व्यवसाय से संबंधित नहीं बल्कि कंपनी की ओर से अलग-अलग नंबरों से की जाती है। मोबाईल फोन रिसीव करते ही कभी आपको सुनने को मिलेगा कि हैलो, मैं राजू श्रीवास्तव बोल रहा हूं तो कभी कोई अन्य हीरो या हीरोईन की आवाज़ आपको सुनने को मिलेगी। भले ही इन की आवाज़ सुनकर आपकी व्यस्तताओं में विघ्र पड़ रहा हो। परंतु इन कंपनियों को तो अपनी रोमिंग के नाम पर की जाने वाली एक या दो रुपये की ठगी से ही वास्ता है। कमोबेश आज सभी मोबाईल कंपनियों के तमाम उपभोक्ता अपनी-अपनी मोबाईल फ़ोन कंपनी द्वारा की जाने वाली इस प्रकार की नाजायज़ वसूली तथा लालच परोसने के तरीकों से अत्यंत दु:खी हैं। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी अर्थात् ट्राई को चाहिए कि वह ग्राहकों के साथ निजी मोबाईल कंपनियों द्वारा मचाई जाने वाली इस प्रकार की लूट-खसोट पर यथाशीघ्र अंकुश लगाए तथा पोर्टिंग के नियमों को सती से लागू करने की व्यवस्था करे। इसी के साथ-साथ ज़रूरत इस बात की भी है कि मोबाईल उपभोक्ताओं की दिनों-दिन बढ़ती संख्या तथा उनके साथ कंपनियों द्वारा ठगी के अपनाए जाने वाले नित नए तरीकों के चलते इस समस्या के समाधान हेतु प्रत्येक शहर में एक मोबाईल फोन उपभोक्ता अदालत का विशेष गठन भी किया जाए जहां उपभोक्ता को तत्काल राहत दिए जाने की व्यवस्था हो।