धर्म-अध्यात्म धर्म सत्कर्तव्यों के ज्ञान व पालन और असत् कर्मों के त्याग को कहते हैं January 2, 2021 / January 2, 2021 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यधर्म के विषय में तरह तरह की बातें की जाती हैं परन्तु धर्म सत्याचरण वा सत्य कर्तव्यों के धारण व पालन का नाम है। यह विचार व सिद्धान्त हमें वेदाध्ययन करने पर प्राप्त होते हंै। महाराज मनु ने कहा है कि धर्म की जिज्ञासा होने पर उनका वेदों से जो उत्तर व समाधान […] Read more » Religion is called knowledge and observance of truth and renunciation of untoward deeds. धर्म
लेख धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष- पुरुषार्थचतुष्टय साधक नवनिधियाँ October 27, 2020 / October 27, 2020 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment –अशोक “प्रवृद्ध” आसान व सुलभ ढंग से जीवन -यापन के लिए प्रत्येक व्यक्ति को धन-सम्पदा से सम्पन्न और धन- संपदा के लिए सदैव प्रयत्नशील होना ही चाहिए, और इसमें कोई संदेह नहीं कि निष्ठापूर्वक परिश्रम अथवा साधना करने से मनुष्य को सफलता अर्थात कुछ निधियां अवश्य ही प्राप्त होती हैं। पौराणिक मान्यतानुसार अष्ट सिद्धियों की […] Read more » Meaning Religion Work and Moksha - Purusharthchatushta Sadhak Navnidhi अर्थ काम व मोक्ष धर्म पुरुषार्थचतुष्टय साधक नवनिधियाँ
राजनीति मध्य प्रदेश में बड़े मतदान का निष्कर्ष ? December 3, 2018 / December 3, 2018 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव मध्य प्रदेश में मतदान के बड़े प्रतिषत ने इस बार अब तक के सारे मापदण्ड ध्वस्त कर दिए हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव की तुलना में 6 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ है। इसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान की उदार कार्य शैली का परिणाम कहा जाए या उनकी सरकार के विरुद्ध एंटी-इन्कंबेंसी, इसकी […] Read more » किसान अंदोलन जाति धर्म नीतीश कुमार बुद्धदेव भट्रटाचार्य भाषा मध्य प्रदेश में बड़े मतदान का निष्कर्ष ? मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द ने अवैदिक मतों की समीक्षा व खण्डन क्यों किया?” November 30, 2018 / November 30, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, आर्यसमाज के संस्थापक ऋषि दयानन्द ने योगेश्वर श्री कृष्ण की जन्म भूमि मथुरा में स्वामी विरजानन्द सरस्वती जी से विद्या प्राप्त की थी। विद्या पूरी होने पर गुरु दक्षिणा के अवसर पर गुरु विरजानन्द जी ने स्वामी दयानन्द को वेद एवं ऋषियों के बनाये सद्ग्रन्थों का प्रचार और सद्ज्ञान विरुद्ध मिथ्या मतों, […] Read more » “ऋषि दयानन्द ने अवैदिक मतों की समीक्षा व खण्डन क्यों किया?” अर्थ धर्म बुद्धि मनुष्यों
समाज राष्ट्र की अवचेतना का संरक्षक कौन ? November 30, 2018 / November 30, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य एक लोकतांत्रिक देश में न्यायपालिका , कार्यपालिका और विधायिका इन तीनों को राष्ट्र की अवचेतना का संरक्षक माना जाता है। इसके साथ – साथ जब इनमें से कोई भी अपने दायित्व और कर्तव्य के निर्वहन में कहीं चूक करता है तो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ प्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका भी सामने आती […] Read more » अतार्किक अवैज्ञानिक कार्यपालिका जाति धर्म न्यायपालिका राष्ट्र की अवचेतना का संरक्षक कौन ? लिंग विधायिका
महिला-जगत समाज महिलाओं की हिंसा और उत्पीड़न से जुड़े प्रश्न November 24, 2018 / November 24, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग – दुुनियाभर में महिलाओं के प्रति हिंसा, शोषण एवं उत्पीड़न की बढ़ती घटनाएं संयुक्त राष्ट्र संघ के लिए गंभीर चिन्ता का विषय बना है, इस तरह की जाने वाली हिंसा के उन्मूलन के लिए 25 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में विश्वभर में मनाया जाता। इस दिन महिलाओं के विरुद्ध हिंसा […] Read more » आदतों गैंगरेप जाति धर्म नारी उत्पीड़न नारी-हिंसा निबंध प्रतियोगिता पोस्टर प्रतियोगिता बलात्कार महत्वाकांक्षाओं महिलाओं की हिंसा और उत्पीड़न से जुड़े प्रश्न रैली वृत्तियों सामूहिक भोज सेमिनार
कविता मोदी जी को जन्म दिवस की बधाई September 17, 2018 by आर के रस्तोगी | 1 Comment on मोदी जी को जन्म दिवस की बधाई ते है बधाई हम सब भारतवासी मोदी जी जन्म दिवस की तुमको उन्नीस में जीत मिलेगी तुमको तब ख़ुशी मिलेगी हम सब को करते दुआ तुम जियो ह्जारो साल लिखे भारत का एक नया इतिहास जिससे जन जन हो अब विकास विश्व में भारत का फैले प्रकाश कैसे दे जन्म दिवस की बधाई ये भारत […] Read more » जाति धर्म मोदी जी को जन्म दिवस की बधाई
प्रवक्ता न्यूज़ ‘‘हितकारी प्रकाशन समिति, हिण्डोन सिटी द्वारा सम्मान के लिये हार्दिक धन्यवाद’’ September 6, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, ऋषि-भक्त आर्य-श्रेष्ठ श्री प्रभाकरदेव आर्य जी विगत लगभग 25 वर्षों से दुलर्भ, हितकारी एवं जीवनोन्नति के आधार आर्य साहित्य के प्रकाशन का प्रशंसनीय कार्य कर रहे हैं। आप अब तक लगभग 200 मूल्यवान ग्रन्थों का प्रकाशन कर चुके हैं जिसमें ऋषि दयानन्द के ग्रन्थों सहित पं. हरिशरण सिद्धान्तालंकार कृत चारों वेदों का […] Read more » आत्मा आभूषण ईश्वर एवं नगद धनराशि धर्म माला वस्त्र समाज विषयक ज्ञान
धर्म-अध्यात्म समाज कृष्ण जन्माष्टमी की देश में मची धूम September 3, 2018 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा- राधेश्याम द्विवेदी श्रीकृष्ण भक्ति में रासलीला एक लोकप्रिय साधन डा. राधेश्याम द्विवेदी श्रीकृष्ण भारत की पुण्य भूमि में अवतरित हुये थे। वे भगवान विष्णु के 8वें अवतार और हिन्दू धर्म के ईष्ट ईश्वर हैं। कन्हैया, श्याम, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता हैं। वह निष्काम कर्मयोगी, एक आदर्श […] Read more » Featured कन्हैया करुणा केशव गोपियों जन्माष्टमी ज्ञान त्याग द्वारकेश या द्वारकाधीश धर्म निम्बार्क प्रेम बल्लभ मटकी फोड़ना माखन चुराना राधाबल्लभ वासुदेव श्याम श्रीकृष्ण साहस हरिदासी
धर्म-अध्यात्म ‘सत्यार्थ-प्रकाश लिखकर ऋषि दयानन्द ने मानव जाति का उपकार किया है’ August 17, 2018 / August 17, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, महर्षि दयानन्द वेद, इतिहास एवं संस्कृति के मूर्धन्य विद्वान व प्रचारक थे। उन्होंने सहस्रों की संख्या में संस्कृत भाषा के प्राचीन शास्त्रीय व इतर ग्रन्थों का अध्ययन किया था और लगभग तीन सहस्र ग्रन्थों को प्रामाणिक माना था। वेद सहित ऋषि दयानन्द अष्टाध्यायी-महाभाष्य व्याकरण, निरुक्त, ब्राह्मण ग्रन्थ, दर्शन, उपनिषद, रामायण, महाभारत, चरक, […] Read more » Featured अर्थ उपनिषद ऋषि दयानन्द काम व मोक्ष गुरुमन्त्र व्याख्या दर्शन धर्म पठन-पाठन ब्रह्मचर्योपदेश ब्राह्मण मनुस्मृति रामायण सन्ध्या अग्निहोत्र उपदेश
धर्म-अध्यात्म “देश में जन्मना जाति व्यवस्था 1350 वर्ष पूर्व आरम्भ हुई” August 3, 2018 / August 3, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, वेद मनुष्य के गुण, कर्म व स्वभाव को महत्व देते हैं। जो मनुष्य श्रेष्ठ गुण, कर्म व स्वभाव वाला है वह द्विज और जो गुण रहित है उसे शूद्र कहा जाता है। द्विज ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य को कहते हैं जो गुण, कर्म व स्वभाव की उत्तमता से होते हैं। […] Read more » 1350 वर्ष पूर्व आरम्भ हुई” Featured आचार्य ईश्वर ऋषि दयानन्द चाणक्य देश में जन्मना जाति व्यवस्था धर्म पिता पूर्व परजन्म ब्राह्मण माता मुक्ति विद्या वेद सत्संग
महिला-जगत समाज विलम्ब से विवाह वरदान या अभिशाप ? July 25, 2018 / July 25, 2018 by शालिनी तिवारी | Leave a Comment शालिनी तिवारी विवाह की अवधारणा: वि+वाह; यानी विशेष उत्तरदायित्व का निर्वहन करना. सनातन धर्म में विवाह को सोलह संस्कारों में से एक अहम् संस्कार माना गया है. पाणिग्रहण संस्कार को ही हम आम बोलचाल की भाषा में विवाह संस्कार के नाम से जानते हैं. वैदिक मान्यताओं के अनुसार, व्यक्ति के समस्त कालखंडों को चार भागों […] Read more » Featured दैव विवाह धर्म पैशाच विवाह: प्रजापत्य विवाह ब्रह्म विवाह मातृभाषा विलम्ब से विवाह वरदान या अभिशाप ? विवाह सभ्यता संस्कार संस्कारों संस्कृति स्त्री या पुरुष