धर्म-अध्यात्म लेख विश्वरूप धरती ओर मिट्टी के दीये October 21, 2024 / October 21, 2024 | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव मिट्टी तो मिट्टी है, हमें इसी तात्विक ज्ञान का परिचय है लेकिन परमात्म विषयक चिंतन की मान्यता है कि मिट्टी के कण-कण में परमतत्व प्राण व्याप्त है। मिट्टी जो पृथ्वी तत्व है ओर पृथ्वी में स्थित सर्वन्त्यामी है। पृथ्वी अखिल विश्व की सृष्टि को धारण करती है अर्थात अपने वक्षस्थल […] Read more » मिट्टी के दीये
व्यंग्य पंच में परमेश्वर की आत्मा कहीं खो गई ? May 22, 2024 / May 22, 2024 | Leave a Comment भारत की आत्मा गांवों में बसी है इसलिए देश के सभी गांवों में सर्वसमाज पृथक या सार्वजनिक रूप से अपने यहां के सभी प्रकार के विवादों को पंच परमेश्वर की न्यायिक व्यवस्था पर विश्वास कर पंचायत के द्वारा दिये गए निर्णय को स्वीकार कर पंच परमेश्वर की जयकारा के नारे लगाता था, पर यह व्यवस्था अनेक […] Read more » Is the Spirit of God lost somewhere in Punch पंच में परमेश्वर की आत्मा
लेख खपरैल मकानों से कंक्रीट भवनो में गुम होता इंसान! May 17, 2024 / May 17, 2024 | Leave a Comment – आत्माराम यादव पीव खपरैल शब्द आते ही एक ऐसे कमरे-मकान का स्वरूप हमारे सामने आ जाता है जो हमारी मोलिक सांस्कृतिक धरोहर है जिसे देश के ग्रामों ओर शहरों से उजाड़ा जा रहा है ओर पर्यटन स्थलों पर हमारी मूल विरासत कि दुहाई देकर इन खपरैल मकानों को सहेजा जा रहा है। दो दशक पूर्व से […] Read more » Man getting lost in concrete buildings from tile houses!
व्यंग्य अस्त्र के रूप में लात का चिंतन ! May 16, 2024 / May 16, 2024 | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव आज लात मारना आम बात हो गई है ओर लात का प्रयोग एक अस्त्र की तरह हो रहा है ओर चारों युगों कि बात कि जाए तो सबसे पहले भृगु जी द्वारा विष्णु की छाती पर लात मारने का प्रसंग हो या लंकाधिपति रावण द्वारा अपने भाई विभीषण को लात मारने का, ये […] Read more » Contemplation of the kick as a weapon!
व्यंग्य वकालत की शुरुआत ओर वकील की पैदाइश कब हुई ? May 16, 2024 / May 16, 2024 | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव जगत के सभी धर्म शास्त्र, पुराण ओर वेद उपनिषद आदि में कही भी लेशमात्र अधिवक्ता,वकील, एडवोकट, बैरिस्टरनाम नाम के किसी भी प्राणी का उल्लेख नहीं है। देववाणी संस्कृत, देवनागरी लिपि हिन्दी व उनकी वर्णमाला के स्वरों-व्यंजनों ओर व्याकरण में भी इस विचित्र प्राणी का […] Read more » When did advocacy begin and the birth of a lawyer?
लेख धृतराष्ट्र उवाच से भगवतगीता की शुरुआत क्यो? April 29, 2024 / April 29, 2024 | Leave a Comment सनातन धर्म और संस्कृति में श्रीमदभगवत गीता का अत्यन्त विशिष्ट महत्त्व है, कारण गीता एक मात्र साक्ष्य है जो महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण के मुखारबिन्द से मोहग्रसित हुये अर्जुन के सभी संदेहों से मुक्त करने हेतु उदभूत हुई है। श्रीमदभगवतगीता का महत्व इसलिए सबसे ज्यादा है क्योकि गीता का पहला ही शब्द है धृष्टराष्ट्र उवाच अर्थात हस्तिनापुर साम्राज्य के […] Read more » Why does Bhagavad Gita begin with Dhritarashtra Uvaach?
व्यंग्य मक्खी मरी नही, तो गई कहाँ? April 24, 2024 / April 24, 2024 | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव नन्हें-नन्हें पंखों वाली नन्ही सी सुंदर काया वाली मक्खी ओर मक्खा यत्र तत्र सर्वत्र निवास करते है। सबसे ज्यादा नटखट, फुर्तीली यह मक्खी सभी जगह घट-घट में मिल जाएगी, दुनिया का ऐसा कोई स्थान नहीं जो मक्खी से अछूता हो। दिन हो या रात मक्खी बिना आलस किए काम करती है। […] Read more »
लेख तुलसीदास रचित रामचरित मानस में नारी पात्र April 10, 2024 / April 10, 2024 | Leave a Comment गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरित मानस में नारी पात्रों को हम सामान्यया पढने के बाद अपने मन में उन पात्रों की महत्वपूर्ण भूमिकाएं पर चिंतन कर इनसे मिलने वाली सीख पर विचार नहीं कर पाते हैं। इन नारियों ने किन-किन परिस्थितियों में क्या-क्या चरित्र जीया और उनके जीवन में बनने वाली विभिन्न स्थितियां तथा उनके क्या परिणाम […] Read more » तुलसीदास रचित रामचरित मानस में नारी पात्र
व्यंग्य सबकी अपनी-अपनी खूंटी April 8, 2024 / April 8, 2024 | Leave a Comment – आत्माराम यादव पीव हर मनुष्य का अपना-अपना व्यक्तित्व है और वही उसकी पहचान भी है। करोड़ों की भीड़ में हरेक मनुष्य अपने निराले व्यक्तित्व के कारण पहचान लिया जाता है, यही उसकी विशेषता भी है। जैसे प्रकृति का नियम है कि वह पूरे जगत में एक भी वृक्ष,पौधा,बेल आदि सभी प्रकार की वनस्पति हो […] Read more »
व्यंग्य दूध और पानी की मैत्री April 7, 2024 / April 7, 2024 | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव दूध और पानी आपस में गहरे मित्र है। ग्वालों के घर पैदा हुआ हॅू इसलिए गायों की प्रकृति को समझता हॅू, वहीं गाय जो हमें अमृत रूपी दूध देती है उस दूध और पानी की मित्रता तथा आपसी प्रेम को लेकर अनेक बार नानी जी उनकी प्रेम कहानी बताती रही […] Read more »
लेख माखनलाल चतुर्वेदी के बचपन की होली March 19, 2024 / March 19, 2024 | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव रंगों का पर्व होली आपसी झगडे, फॅसाद, आपसी वैमनस्यता समाप्त कर एक दूसरे पर रंग गुलाल डालकर गले मिलने का अनूठा त्यौहार है। ब्रजमण्डल ही नहीं अपितु उत्तर मध्य भारत में प्राय: सभी वर्ग एवं संप्रदाय के लोग होली उत्सव को धूमधाम से मनाते है तथा एक विशेष वर्ग भी है […] Read more » माखनलाल चतुर्वेदी के बचपन की होली
लेख स्वेच्छाचारिणी मायावी सूर्पणखा की जीवन मीमांसा March 18, 2024 / March 18, 2024 | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव सूर्पणखा का असली नाम बज्रमणि था। सूप की भाँति बड़े-बड़े नाखूनों के कारण इसे लोग सूर्पणखा कहते ये (वयंरक्षामः, सूर्पणखा खण्ड-54 देखें)। इसका विवाह कालखंजवंशी विद्युज्जित नामक राक्षस से हुआ था। (देखें अध्याय रा. 7/2/38-39)। ब्रह्माचक्र के अनुसार यह अपनी दो पुत्रियों के साथ लंका व किष्किन्धापुरी की सीमाओं की रक्षा करती थी। […] Read more » मायावी सूर्पणखा की जीवन मीमांसा