आर्थिकी समाज भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन का नेतृत्व और उसके विरोधाभास June 20, 2012 / June 20, 2012 | 3 Comments on भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन का नेतृत्व और उसके विरोधाभास वीरेन्द्र जैन देश में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है और यही कारण है कि जब भी कोई भ्रष्टाचार के खिलाफ उठ खड़ा होता हुआ दिखता है तो उसके पीछे बहुत सारे लोग यह सोचे बिना ही आ जाते हैं कि जब तक यह समर्थन किसी सार्थक परिवर्तनकारी राजनीति और राष्ट्रव्यापी संगठन के साथ नहीं जुड़ता […] Read more » anti corruption movement contradictions of anti corruption movement भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन
राजनीति रीढ़विहीन होती जाती भाजपा June 15, 2012 / June 15, 2012 | 7 Comments on रीढ़विहीन होती जाती भाजपा वीरेन्द्र जैन जैसे कि सुब्रमण्यम स्वामी उस जनता पार्टी के प्रमुख हैं जिस नाम की पार्टी ने कभी इमरजैन्सी लगाये जाने से आक्रोशित जनता का समर्थन हासिल करते हुए केन्द्र में पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनायी थी, पर सुब्रमण्यम स्वामी की यह जनता पार्टी, आज वही जनता पार्टी नहीं है केवल उसका साइनबोर्ड भर है। […] Read more » कमल भाजपा
मीडिया पाँचजन्य और आर्गनाइजर, मुख पत्र या मुखौटा पत्र June 8, 2012 / June 10, 2012 | Leave a Comment वीरेन्द्र जैन गत दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सम्पर्क प्रमुख राम माधव ने भोपाल में कहा कि पांचजन्य और आर्गनाइजर का संचालन स्वयंसेवक करते हैं लेकिन उनमें प्रकाशित लेखों में व्यक्त विचार संघ के विचारों से मेल खाएं यह जरूरी नहीं है। वे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में आरएसएस के […] Read more » organizer panchjanya आर्गनाइजर पाँचजन्य
राजनीति अडवाणीजी अब तो सच्चाई स्वीकारिये June 1, 2012 / June 1, 2012 | 4 Comments on अडवाणीजी अब तो सच्चाई स्वीकारिये वीरेन्द्र जैन दर्शन शास्त्र के एक प्रोफेसर को साधारण भौतिक वस्तुएं भूल जाने की बीमारी थी। बरसात की एक शाम जब वे भीगे हुए अपने घर के दरवाजे पर पहुँचे तो घर में प्रवेश से पहले ही तेज याददाश्त वाली उनकी पत्नी ने पूछा “छाता कहाँ है?” “वह तो कहीं खो गया” प्रोफेसर ने बताया […] Read more »
मीडिया समाज सत्यमेव जयते May 25, 2012 / May 25, 2012 | 5 Comments on सत्यमेव जयते वीरेन्द्र जैन सत्यमेव जयते सम्वेदनात्मक ज्ञान की भेदक क्षमता और मीडिया के सदुपयोग का उदाहरण जयप्रकाश आन्दोलन और इमरजैंसी के दौरान अपनी गज़लों के माध्यम से पूरे समाज को झकझोर देने वाले शायर दुष्यंत कुमार का एक शे’र है- वे मुतमईन हैं पत्थर पिघल नहीं सकता मैं बेकरार हूं आवाज़ में असर के लिए […] Read more » aamir klhan show satyamev jayate increasing popularity of satyamev jayate satyamev jayate सत्यमेव जयते
लेख लोकतंत्र का स्वरूप बदलने की जरूरत तो है पर अवसर नहीं December 8, 2011 / December 8, 2011 | 3 Comments on लोकतंत्र का स्वरूप बदलने की जरूरत तो है पर अवसर नहीं वीरेन्द्र जैन केन्द्रीय मंत्री फारुख अब्दुल्ला का कहना है कि अब देश में नियंत्रित लोकतंत्र अपनाने का समय आ गया है। उनका कहना एक ओर तो समस्याओं की ओर उनकी चिंताओं को दर्शाता है किंतु दूसरी ओर ऐसा हल प्रस्तुत करता है जिसकी स्वीकार्यता बनाने के लिए एक तानाशाही शासन स्थापित करना होगा। स्मरणीय है […] Read more » Democracy केन्द्रीय मंत्री फारुख अब्दुल्ला लोकतंत्र का स्वरूप बदलने की जरूरत
मीडिया ब्रांड में बदल गये बच्चन परिवार में बेबी बच्चन की आमद November 23, 2011 / November 28, 2011 | 3 Comments on ब्रांड में बदल गये बच्चन परिवार में बेबी बच्चन की आमद वीरेन्द्र जैन पिछले दिनों फिल्मी अभिनेता अभिषेक- एश्वर्या दम्पत्ति के यहाँ एक पुत्री ने जन्म लिया है। यह परिवार चकाचौंध वाली फिल्मी दुनिया में हिन्दी भाषी क्षेत्र का सबसे बड़ा स्टार परिवार है, जिसकी लोकप्रियता का प्रारम्भ हिन्दी के सुपरिचित कवि डा. हरिवंश राय बच्चन से होता है। किसी समय इलाहाबाद न केवल संयुक्त प्रांत […] Read more » बच्चन परिवार बेबी बच्चन
राजनीति संघी फासिज्म / वीरेन्द्र जैन November 19, 2011 / November 28, 2011 | 9 Comments on संघी फासिज्म / वीरेन्द्र जैन दिग्विजय सिंह के बयान तथ्यात्मक रूप से गलत नहीं होते। संघ प्रमुख ने कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि वे दिग्विजय जैसे नेताओं के बयानों से विचलित न हों और न उनके विरोध में भाषणबाजी करें। अपने काम को आगे बढाएं। यह बयान फासिज्म का संकेत देता है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने संघ […] Read more » RSS दिग्विजय सिंह फासिज्म राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
लेख मीडिया पर जस्टिस मार्कण्डेय के विचार और घालमेल का संकट November 10, 2011 / December 4, 2011 | 5 Comments on मीडिया पर जस्टिस मार्कण्डेय के विचार और घालमेल का संकट वीरेन्द्र जैन एक बार फिर से आम पढा लिखा व्यक्ति दुविधा में है। वह जब जिस कोण से बात सुनता है उसे उसी की बात सही लगती है और वह समझ नहीं पाता कि सच किस तरफ है। दर असल दोष उसका नहीं है अपितु एक ही नाम से दो भिन्न प्रवृत्तियों को पुकारे जाने […] Read more » Views of Justice Katju on Media घालमेल का संकट मीडिया पर जस्टिस मार्कण्डेय के विचार
विधि-कानून न्यायिक सुधारों की दिशा मे जड़ से ही सुधार हो November 9, 2011 / December 4, 2011 वीरेन्द्र जैन अभी सरकारी अधिकारियों, चुनाव लड़ने वालों, मंत्रियों, सांसदों विधायकों आदि जन प्रतिनिधियों के साथ न्यायधीशों की सम्पत्ति की घोषणा से सम्बन्धित बहस शांत ही नहीं हुयी थी कि न्यायिक सुधारों से सम्बन्धित नये विधेयक की सुगबुगाहट सुनाई देने लगी है। इस सम्भावित विधेयक के अनुसार न केवल न्यायधीशों के आचरणों को ही नियंत्रित […] Read more » Judicial Improvement न्यायिक सुधार
राजनीति अडवाणी-मोदी मतभेद का प्रचार कहीं पुरानी चाल तो नहीं October 15, 2011 / December 5, 2011 | 5 Comments on अडवाणी-मोदी मतभेद का प्रचार कहीं पुरानी चाल तो नहीं वीरेन्द्र जैन पिछले दिनों मीडिया द्वारा अगले प्रधानमंत्री पद के लिए भाजपा उम्मीदवार के लिए वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण अडवाणी और नरेन्द्र मोदी के बीच प्रतियोगिता होने की कहानियां बड़े जोर शोर से प्रचारित की जा रही हैं। इस प्रचार से प्रभावित होकर भाजपा की स्वस्थ समीक्षा करने वाला मीडिया भी उनकी पुरानी चाल में […] Read more » Lal krishn Advani Narendra Modi नरेन्द्र मोदी लालकृष्ण आडवाणी
लेख भाजपा में वरिष्ठ नागरिकों की दशा October 9, 2011 / December 5, 2011 | Leave a Comment वीरेन्द्र जैन पिछले दिनों विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस 1 अक्टूबर को नई दिल्ली में आयोजित एक गैर सरकारी संस्था ‘सम्पूर्णा’ की ओर से वरिष्ठ नागरिकों क सम्मान किया गया था। इस सम्मान समारोह में भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा था कि न केवल समाज सेवी संस्थाएं और सरकार अपितु औद्योगिक घरानों […] Read more » Bhajpa old people वरिष्ठ नागरिक