कला-संस्कृति वैदिक युग में विमान January 8, 2015 by प्रमोद भार्गव | 4 Comments on वैदिक युग में विमान प्रमोद भार्गव हमारे देश में एक बड़ी विडंबना है कि जब भी कोई विद्वान प्राचीन भारत अथवा वैदिक युग में विज्ञान की बात करता है तो उस विचार पर नए सिरे सोच की बजाय उसे खारिज करने प्रतिक्रिया ज्यादा सुनाई देने लगती है। भारतीय विज्ञान कांग्रेस के मुबंई में आयोजित 102 वे सम्मेलन में एक […] Read more » वैदिक युग में विमान
कला-संस्कृति समाज गुरूकुल शिक्षा का उद्देश्य वेद प्रचारक वैदिक विद्वान बनाना है January 8, 2015 / January 8, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on गुरूकुल शिक्षा का उद्देश्य वेद प्रचारक वैदिक विद्वान बनाना है सृष्टि के आरम्भ से जो गुरूकुल वा विद्यालयीय शिक्षा आरम्भ हुई और महाभारत काल व उसके अनेक वर्षों बाद तक सफलतापूर्वक चली, वह निश्चित ही गुरूकुलीय शिक्षा प्रणाली थी। आजकल की विद्यालयीय शिक्षा में विद्यार्थी अपने परिवार और विद्यालय के बीच में फंसा रहता है। उसकी सर्वांगीण शारीरिक व आत्मिक उन्नति नहीं हो पाती। उसका […] Read more » गुरूकुल शिक्षा
कला-संस्कृति जन-जागरण क्यूँ करें गोरक्षा ? January 6, 2015 / January 6, 2015 by मानव गर्ग | 7 Comments on क्यूँ करें गोरक्षा ? हृदय में प्रभु की भक्ति की जल रही ज्योति से प्राप्त हुई प्रेरणा से गत वर्षों में गोरक्षा के विषय में मेरे मन में जो विचार उत्पन्न हुए हैं, उन्हें इस लेख के द्वारा मैं सङ्ग्रहीत कर रह हूँ । मेरा मानना है कि ये विचार ज्ञानी पुरुषों व इस विषय में अनुभवी व कार्यरत […] Read more » cow conservation गोरक्षा
कला-संस्कृति जन-जागरण वैदिक युग में थे रिवर्स गेयर वाले विमान December 28, 2014 / December 29, 2014 by अलकनंदा सिंह | 4 Comments on वैदिक युग में थे रिवर्स गेयर वाले विमान वैदिक युग में भारत में ऐसे विमान थे जिनमें रिवर्स गियर था यानी वे उलटे भी उड़ सकते थे। इतना ही नहीं, वे दूसरे ग्रहों पर भी जा सकते थे। सच है या नहीं, कौन जाने। अब एक जाना-माना वैज्ञानिक इंडियन साइंस कांग्रेस जैसे प्रतिष्ठित कार्यक्रम में भाषण के दौरान ऐसी बातें कहेगा तो आप […] Read more » रिवर्स गेयर वाले विमान वैदिक युग
कला-संस्कृति मन्दिर था या मस्जिद ?? December 8, 2014 / December 8, 2014 by आलोक कुमार | Leave a Comment श्रीराम भारतीय राष्ट्रभाव का चरम आनंद हैं, वे मंगल भवन हैं, अमंगलहारी हैं, मर्यादा पुरुषोत्तम हैं । वे भारतीय मानस के सम्राट हैं, पुराण में हैं, काव्य में हैं, इतिहास में भी हैं।श्रीराम जन्मभूमि राष्ट्रीय भावना का प्रतीक है। विवादित स्थल (जिसे राजनीतिक कारणों से विवादित बनाया गया ) पर मन्दिर था या मस्जिद ये […] Read more » मन्दिर मस्जिद
कला-संस्कृति जन-जागरण वीर हरपाल देव का स्वतंत्रता आंदोलन एवं खुसरू खां की ‘हिन्दू क्रान्ति’ December 8, 2014 / December 8, 2014 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment एक का उठना एक का गिरना ये खेल निरंतर चलता है। नीति पथ के अनुयायी को जग में मिलती सच्ची सफलता है।। पथ अनीति का अपनाये जो, वह कागज के सम गलता है। कालचक्र जब घूमकर आये, तब चलती नही चपलता है।। अलाउद्दीन खिलजी ने निश्चित रूप से दिल्ली की सल्तनत को विस्तार दिया था। […] Read more » खुसरू खां की ‘हिन्दू क्रान्ति’ वीर हरपाल देव वीर हरपाल देव का स्वतंत्रता आंदोलन
कला-संस्कृति रहस्य और तिलिस्म के बीच छुपे धरोहर October 26, 2014 by एम. अफसर खां सागर | Leave a Comment शुंग और गुप्त वंश की गुफाओं में है भगवान बुद्ध से जुड़ अनेकों भित्ती चित्रचकिया से नौ किलोमीटर दूर बिहार की सीमा पर घुरहूपुर गाँव के पास स्थित पीठिया पहड़ी पर मानव निर्मित शुंग और गुप्त वंश की गुफाओं में बौद्ध धर्म की महायान शाखा सेे जुड़े भगवान बुद्ध की भित्ती चित्र मिले हैं। जमीन […] Read more » रहस्य और तिलिस्म के बीच छुपे धरोहर
कला-संस्कृति जन-जागरण पशु बलि ,संस्कृति और न्यायालय – डा० कुलदीप चन्द अग्निहोत्री October 19, 2014 / November 15, 2014 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | Leave a Comment संस्कृति दरअसल मानव प्रगति की यात्रा का ही दूसरा नाम है । जीव जीव का भोजन है , यह आदिम प्रवृति की सब से बड़ी पहचान है । आदिम प्रवृत्तियों पर नियंत्रण ही सांस्कृतिक उत्थान की पहचान है । सभी जीवों में से मानव को ही सबसे ज़्यादा बुद्धिमान माना जाता है । अब देखना […] Read more » पशु बलि
कला-संस्कृति वर्त-त्यौहार दीपावली का रामकथा से संबंध – एक भ्रम October 13, 2014 by डा. रवीन्द्र अग्निहोत्री | Leave a Comment डा, रवीन्द्र अग्निहोत्री, प्रतिवर्ष हम आश्विन शुक्ल दशमी को दशहरा मनाते हैं . इस अवसर पर रामलीला में श्री राम के द्वारा रावणवध का कार्यक्रम प्रमुखता से आयोजित किया जाता है. इसके लगभग बीस दिन बाद कार्तिक अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है. यह प्रसिद्ध है कि इसी दिन श्री राम अपना वनवास पूरा करके […] Read more » दीपावली का रामकथा से संबंध
कला-संस्कृति विजय का पर्व दशहरा October 2, 2014 / October 4, 2014 by सुरेश हिन्दुस्थानी | Leave a Comment नवरात्रि और दशहरा यानि विजयादशमी एक दूसरे गुंथित त्यौहार हैं। दोनों में सत्य की विजय की प्रधानता है। कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने अपनी पुस्तक ”राम की शक्ति पूजाÓÓ के माध्यम से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और शक्ति स्वरूपा दुर्गा के संबंध को अभिव्यक्त किया है- होगी जय होगी जय हे पुरुषोत्तम नवीन। यह कह महाशक्ति […] Read more » विजय का पर्व दशहरा
कला-संस्कृति जन-जागरण “भाषा, भाषा से बनती है और आदि व मूल भाषा ईश्वर से प्राप्त होती है” October 1, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment आज संसार में जितनी भी भाषायें हैं इनका अस्तित्व अपनी पूर्व भाषा में अपभ्रंशों, विकारों, सुधारों व भौगोलिक कारणों से हुआ है। हम बचपन में जो भाषा बोलते थे उसमें और हमारे द्वारा वर्तमान में बोली जाने वाली भाषा में शब्दों के प्रयोग व उच्चारण की दृष्टि से काफी अन्तर आया है। कुछ भाषायें हमने […] Read more » मूल भाषा ईश्वर से प्राप्त होती है
कला-संस्कृति ‘बौद्ध-जैनमत, स्वामी शंकराचार्य और महर्षि दयानन्द के कार्य’ September 29, 2014 by मनमोहन आर्य | 15 Comments on ‘बौद्ध-जैनमत, स्वामी शंकराचार्य और महर्षि दयानन्द के कार्य’ ओ३म् -मनमोहन कुमार आर्य महाभारत काल के बाद देश-विदेश में सर्वत्र अज्ञान फैल गया था। शुद्ध वैदिक धर्म शुद्ध न रह सका और उसमें अज्ञान, अन्धविश्वास, पाखण्ड, कुरीतियां आदि अनेक हानिकारक मत व बातें सम्मिलित हो गयीं। वेद के अनुसार प्रत्येक मनुष्य को पंच-महायज्ञों का करना अनिवार्य था जिसमें प्रथम ईश्वरोपासना तथा उसके पश्चात दैनिक […] Read more » ‘बौद्ध-जैनमत स्वामी शंकराचार्य और महर्षि दयानन्द के कार्य’