कला-संस्कृति क्रिकेट महायुद्ध के बहाने March 27, 2011 / December 14, 2011 by प्रदीप चन्द्र पाण्डेय | 2 Comments on क्रिकेट महायुद्ध के बहाने समूचे देश में विद्यालय और विश्वविद्यालयों की परीक्षायें चल रही है। विद्यालयों में प्रवेश का क्रम भी शुरू हो चुका है और इस बीच विश्व कप का जुनून सिर चकर बोल रहा है। क्रिकेट के चलते अनेक छात्र पाई की जगह क्रिकेट के ही जय पराजय में गोते लगा रहे हैं बिना यह सोचे समझे […] Read more » Cricket
कला-संस्कृति बैसाखी पर दौडा दौडी March 21, 2011 / December 14, 2011 by डॉ. मधुसूदन | 21 Comments on बैसाखी पर दौडा दौडी आज एक पत्थर मारकर आवागमन में विघ्न डालने जा रहा हूं। बिना पत्थर मारे कोई मेरी बात सुनेगा ही नहीं। कोई ध्यान देगा ही नहीं। संसार के आठवें आश्चर्य के विषय में लिखने की सोची है। जानते हो, कि, संसार भर में एक देश ऐसा भी है, जो बैसाखी पर दौड रहा है। सारे के […] Read more » Baisakhi
कला-संस्कृति भारतीय संस्कृति पर अश्लीलता का खतरा March 17, 2011 / December 14, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 14 Comments on भारतीय संस्कृति पर अश्लीलता का खतरा कुछ समय पूर्व भारत के टीवी चैनल्स पर एक नामी सीमेंट कम्पनी का विज्ञापन प्रसारित किया जा रहा था जिसमें एक लड़की के कुछ अंगों को उभारकर दिखाया जाता था। यहां सोचने वाली बात यह है कि सीमेंट से लड़की का ताल्लुक क्या था? क्या वह लड़की सीमेंट खाती थी या वह सीमेंट से बनी […] Read more » Indian Culture
कला-संस्कृति आखिर कब तक चलेगा यह सब? October 30, 2010 / December 20, 2011 by दिवस दिनेश गौड़ | 18 Comments on आखिर कब तक चलेगा यह सब? -दिवस दिनेश गौड़ मित्रों शीर्षक आपको बाद में समझाऊंगा किन्तु लेख से पहले आपको एक सच्ची कहानी सुनाना चाहता हूँ। हमारे देश में एक महान वैज्ञानिक हुए हैं प्रो. श्री जगदीश चन्द्र बोस। भारत को और हम भारत वासियों को उन पर बहुत गर्व है। इन्होने सबसे पहले अपने शोध से यह निष्कर्ष निकाला कि […] Read more »
कला-संस्कृति संस्कृति उद्योग नीति के अभाव में गुलामी का रास्ता September 12, 2010 / December 22, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 3 Comments on संस्कृति उद्योग नीति के अभाव में गुलामी का रास्ता -जगदीश्वर चतुर्वेदी भारत में मौजूदा हालात काफी चिन्ताजनक हैं। हमारे यहां विकासमूलक मीडिया के बारे में तकरीबन चर्चाएं ही बंद हो गई हैं। समूचे मीडिया परिदृश्य देशी इजारेदार मीडिया कंपनियों , बहुराष्ट्रीय मीडिया कंपनियों और विज्ञापन कंपनियों ने वर्चस्व स्थापित कर लिया है। विभिन्न मीडिया मालों की बिक्री के माध्यम से ये कंपनियां दस हजार […] Read more » culture संस्कृति
कला-संस्कृति दिल लुभाती रमज़ान की रौनक़ September 8, 2010 / December 22, 2011 by फ़िरदौस ख़ान | 6 Comments on दिल लुभाती रमज़ान की रौनक़ -फ़िरदौस ख़ान मरहबा सद मरहबा आमदे-रमज़ान है खिल उठे मुरझाए दिल, ताज़ा हुआ ईमान है हम गुनाहगारों पे ये कितना बड़ा अहसान है या ख़ुदा तूने अता फिर कर दिया रमज़ान है… माहे-रमज़ान इबादत, नेकियों और रौनक़ का महीना है। यह हिजरी कैलेंडर का नौवां महीना होता है। इस्लाम के मुताबिक़ अल्लाह ने अपने बंदों […] Read more » Ramjan रमज़ान
कला-संस्कृति भारतीय संस्कृति और डॉ. राम मनोहर लोहिया August 14, 2010 / November 25, 2010 by डॉ. मनोज चतुर्वेदी | 3 Comments on भारतीय संस्कृति और डॉ. राम मनोहर लोहिया – डॉ. मनोज चतुर्वेदी भारतीय संस्कृति का नाम लेते ही हमारे मन में एक ऐसे राष्ट्र का चित्र सामने आता है जो विश्व का सबसे प्राचीनतम राष्ट्र है। जिसके संबंध में महाकवि जयशंकर प्रसाद ने कहा – ”अरूण यह मधुमय देश हमारा। जहां पहुंच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।” ‘अर्थात् मानव जाति ने जब […] Read more » भारतीय संस्कृति राममनोहर लोहिया
कला-संस्कृति लुप्त होती कठपुतली कला May 11, 2010 / December 23, 2011 by फ़िरदौस ख़ान | 4 Comments on लुप्त होती कठपुतली कला -फ़िरदौस ख़ान भारतीय संस्कृति का प्रतिबिंब लोककलाओं में झलकता है। इन्हीं लोककलाओं में कठपुतली कला भी शामिल है। यह देश की सांस्कृतिक धरोहर होने के साथ-साथ प्रचार-प्रसार का सशक्त माध्यम भी है, लेकिन आधुनिक सभ्यता के चलते मनोरंजन के नित नए साधन आने से सदियों पुरानी यह कला अब लुप्त होने के कगार पर है। […] Read more » Puppetry Arts कठपुतली कला
कला-संस्कृति पेटू की संस्कृति है मासकल्चर May 5, 2010 / December 23, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment -जगदीश्वर चतुर्वेदी लोक संस्कृति और लोक कलाओं का उत्तर-आधुनिक अवस्था में स्वरुप बुनियादी तौर पर बदल जाता है। इन कला रुपों में दैनन्दिन जीवन की गहरी छाप होती है। उत्तर-आधुनिक स्थिति इनका औद्योगिकीकरण कर देती है। उन्हें संस्कृति उद्योग का माल बना देती है। मानकीकरण करती है। उनमें व्याप्त स्थानीयता का एथनिक संस्कृति के नाम […] Read more » culture मासकल्चर संस्कृति
कला-संस्कृति भारतीय संस्कृति और भोगवाद April 27, 2010 / December 24, 2011 by विश्वमोहन तिवारी | 22 Comments on भारतीय संस्कृति और भोगवाद क्या भोगवाद उन्नति का नाप है और क्या भारतीय संस्कृति आउट आफ़ डेट है? (मानव व्यवहार इतना जटिल है कि उसके विषय में कोई भी कथन यदि 60 प्रतिशत भी सही हो तो उसे सही माना जाना चाहिये।) मुझे लगता है कि भोगवाद का विषय आज तर्क के तथा समझने समझाने के परे हो गया […] Read more » Indian Culture भारतीय संस्कृति भोगवाद
कला-संस्कृति संस्कृति में रीतिवाद के खतरे April 5, 2010 / December 24, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment जैसे विज्ञापन में रीतिवाद का महत्व होता है, प्रचार मूल्य होता है। विनिमय मूल्य होता है। उसी तरह लेखक संगठनों के द्वारा आयोजित कार्यक्रम भी होते हैं। उनका विज्ञापनमूल्य से अधिक मूल्य आंकना बेवकूफी है। जिस तरह मध्यकाल में आए बदलावों से संस्कृत के लेखक अनभिज्ञ थे उसी तरह आधुनिकाल में आए बदलावों को लेकर […] Read more » culture संस्कृति
कला-संस्कृति विश्व मंच पर पहचान बना रही हैं भारतीय ललित कलाएं April 1, 2010 / December 24, 2011 by संजय द्विवेदी | Leave a Comment देर से ही सही भारतीय ललित कलाएं विश्व की कला दुनिया में अपनी जगह बना रही हैं। शास्त्रीय संगीत और नृत्य से शुरुआत तो हुई पर अब चित्रकला की दुनिया में भी भारत की पहल को स्वागतभाव से देखा जा रहा है। सतत जिद और जिजीविषा के चलते भारतीय कलाकारों की यह सफलता हमारे गर्व […] Read more » Lalit Kala ललित कला