धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द और आर्यसमाज ने विश्व के करोड़ों लोगों को वैदिक धर्म द्वारा सच्चे आध्यात्मिक एवं सांसारिक जीवन जीने का मार्गदर्शन दिया May 9, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य सभी प्राणियों में सबसे श्रेष्ठ प्राणी व योनि है। मनुष्य के पास जो मन है वह अन्य प्राणियों की तुलना में विशिष्ट गुणों व शक्तियों से सम्पन्न है। मनुष्य अपने मन से मनन, विचार व चिन्तन कर सकता है जबकि अन्य पशु, पक्षी आदि प्राणी ऐसा नहीं कर सकते। मनुष्य किसी […] Read more » आर्यसमाज ऋषि दयानन्द
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म बुद्ध (वैशाख) पूर्णिमा 10 मई 2017 पर 297 साल बाद बनेगा बुधादित्य महासंयोग— May 9, 2017 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment हमारी सनातन या वैदिक संस्कृति में वैशाख मास को बहुत ही पवित्र माह माना जाता है इस माह में आने वाले त्यौहार भी इस मायने में खास हैं। वैशाख मास की एकादशियां हों या अमावस्या सभी तिथियां पावन हैं लेकिन वैशाख पूर्णिमा का अपना महत्व माना जाता है। वैशाख पूर्णिमा को महात्मा बुद्ध की जयंती […] Read more » buddha pornima Featured बुद्ध (वैशाख) पूर्णिमा बुद्ध पूर्णिमा
धर्म-अध्यात्म वेद ही मनुष्य मात्र के परम आदरणीय व माननीय धर्म ग्रन्थ क्यों? May 8, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment वेदों की उत्पत्ति और उनके विषय में कुछ तथ्यों पर भी दृष्टिपात कर लेते हैं। सृष्टि के आरम्भ काल में ईश्वर ने मनुष्य आदि प्राणियों को अमैथुनी सृष्टि अर्थात् बिना माता-पिता के संसर्ग हुए उत्पन्न किया था। यह सभी स्त्री व पुरुष युवावस्था में उत्पन्न किये गये थे। यदि ईश्वर इन्हें शैशवास्था में उत्पन्न करता तो इनके पालन करने के लिए माता-पिता की आवश्यकता होती और यदि इन्हें वृद्ध बनाता तो इनसे मैथुनी सृष्टि न चल पाती और वहीं समाप्त हो जाती। अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न इन युवा स्त्री पुरुषों को बोलने के लिए भाषा और पदार्थों के नाम व क्रिया पद आदि का ज्ञान चाहिये था। Read more » प्राचीन भाषा वेद वेद वेद अर्वाचीन ग्रन्थों में सबसे उन्नत वेद का ज्ञान
धर्म-अध्यात्म पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-12 May 8, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य छोड़ देवें छल-कपट को मानसिक बल दीजिए गतांक से आगे…. यहीं जाग्रत साधक को अत्यानुभूति होती है, स्वानुभूति होती है, इसे ही आत्मदर्शन कहा जाता है। इस अत्यानुभूति के क्षणों में मन बहुत तुच्छ सा दीखने लगता है। वह जड़ जगत में रमाने वाला ही जान पड़ता है। इसलिए मानसिक बल आत्मिक […] Read more » पूजनीय प्रभो हमारे
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म नृसिंह जयंती, 09 मई 2017 May 8, 2017 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment भक्तों की रक्षा के लिए प्रभु धरती पर अवतरित होते हैं। भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान ने नृसिंह अवतार लिया था। सभी विध्नों का नाश करने वाली नृसिंह जयंती का व्रत इस बार (मंगलवार) 09 मई 2017 को नृसिंह जयंती को है। भगवान को अपने भक्त सदा प्रिय लगते हैं तथा जो लोग […] Read more » narsingh jayanti नरसिंह जयंती भक्त प्रह्लाद भगवान नरसिंह
धर्म-अध्यात्म ईश्वरोपासना व ईश्वरपूजा की सही वैदिक विधि May 7, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य कोई भी काम करे, यदि वह उसे सही विधि से करता है तो अच्छे परिणाम सामने आते हैं और यदि विधि में कहीं त्रुटि वा न्यून ता रह जाती है तो अच्छे परिणाम नहीं आते। संसार में तीन सत्तायें ईश्वर, जीव व प्रकृति हैं। ईश्वर वह है जिसने अपनी शाश्वत प्रजा […] Read more » ईश्वरपूजा ईश्वरोपासना
धर्म-अध्यात्म मनुष्य जीवन का उद्देश्य May 5, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनुष्य जीवन का उद्देश्य संसारस्थ ईश्वर, जीव व प्रकृति के स्वरूप को यथार्थतः जानना है। ईश्वर को जानकर ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना व उपासना करनी है। भौतिक सुखों का त्यागपूर्वक उपभोग करना है। परसेवा, परोपकार, सत्पात्रों को दान, ब्रह्म ज्ञान वा वेदप्रचार, यज्ञ व अग्निहोत्र कर्मों को करना कर्तव्य है। दान के लिए सत्पात्रों का चयन अति कठिन व दुष्कर कार्य है। ऋषियों ने जो पंचमहायज्ञों का विधान किया है उसे जानकर सब मनुष्यों को श्रद्धापूर्वक करना है। यह सब करने के लिए वेदाध्ययन व विद्वानों की संगति आवश्यक है। यदि करेंगे तो मिथ्या आचरण से बच सकते हैं अन्यथा काम, क्रोध व लोभ आदि से ग्रस्त व त्रस्त हो सकते हैं। इन पर नियंत्रण पाने के लिए सन्ध्या व यज्ञ सहित सभी वैदिक विधानों को करना है। तभी हम सभी बुराईयों से बच सकते हैं। महर्षि दयानन्द व उनके बाद के प्रमुख आर्य विद्वान नेताओं के जीवनों का अनुकरण कर भी हम अपने जीवन को श्रेय मार्ग पर चला सकते हैं। Read more » मनुष्य जीवन का उद्देश्य
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द जी का संन्यासियों को उनके कर्तव्यबोध विषयक उपदेश May 5, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment जो वेदान्त अर्थात् परमेश्वर प्रतिपादक वेदमन्त्रों के अर्थज्ञान और आचार में अच्छे प्रकार निश्चित संन्यासयोग से शुद्धान्तःकरणयुक्त संन्यासी होते हैं, वे परमेश्वर में मुक्ति सुख को प्राप्त होके भोग के पश्चात्, जब मुक्ति में सुख की अवधि पूरी हो जाती है, तब वहां से छूट कर संसार में आते हैं। मुक्ति के बिना दुःख का नाश नहीं होता। जो देहधारी हैं वह सुख दुःख की प्राप्ति से पृथक् कभी नहीं रह सकता और जो शरीररहित जीवात्मा मुक्ति में सर्वव्यापक परमेश्वर के साथ शुद्ध होकर रहता है, तब उसको सांसारिक सुख दुःख प्राप्त नहीं होता। इसलिए लोक में प्रतिष्ठा वा लाभ, धन से भोग वा मान्य तथा पुत्रादि के मोह से अलग होके संन्यासी लोग भिक्षुक होकर रात दिन मोक्ष के साधनों में तत्पर रहते हैं। प्रजापति अर्थात् परमेश्वर की प्राप्ति के अर्थ इष्टि अर्थात् यज्ञ करके उसमें यज्ञोपवीत शिक्षादि चिन्हों को छोड़ आह्वनीयादि पांच अग्नियों को प्राण, अपान, व्यान, उदान और समान इन पांच प्राणों में आरोपण करके ब्राह्मण ब्रह्मवित् घर से निकल कर संन्यासी हो जावे। जो सब भूत प्राणिमात्र को अभयदान देकर धर्मादि विद्याओं का उपदेश करने वाला संन्यासी होता है उसे प्रकाशमय अर्थात् मुक्ति का आनन्दस्वरूप लोक प्राप्त होता है। Read more » सत्यार्थप्रकाश
धर्म-अध्यात्म एक नये अध्याय की शुरुआत May 4, 2017 by ललित गर्ग | Leave a Comment मुनि श्री ऋषभ के आचार्य पदारोहण दिवस ( 7 मई, 2017 )पर विशेष – ललित गर्ग – भारत अपनी अध्यात्म प्रधान संस्कृति से विश्रुत था किन्तु आज उसने ‘जगद्गुरु’ होने की पहचान खो दी है। खोयी हुई पहचान को पुनः प्राप्त करने एवं अध्यात्म केे तेजस्वी स्वरूप को पाने के लिये अनेक संत-मनीषी अपनी साधना, […] Read more » मुनि श्री ऋषभ
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म माता बगलामुखी जयंती May 4, 2017 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment आज माता बगलामुखी व्रत 3 मई 2017 को है। बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है दुलहन है अत: मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है। देवी बगलामुखी तंत्र की देवी है. तंत्र साधना में सिद्धि प्राप्त करने के लिए पहले […] Read more » माता बगलामुखी जयंती
धर्म-अध्यात्म पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-11 May 3, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  छोड़ देवें छल-कपट को मानसिक बल दीजिए गतांक से आगे…. वास्तव में जब हम व्यक्ति को मानसिक बल की प्रार्थना में लीन पाते हैं या स्वयं ईश्वर से अपने लिए मानसिक बल मांगते हैं तो इसका अभिप्राय होता है दृढ़ इच्छाशक्ति की प्रार्थना करना या विचारशक्ति को प्रबल करने की ईश्वर […] Read more » पूजनीय प्रभो हमारे
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म शिव अवतार में महायोगी गोरखनाथ May 3, 2017 / May 3, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment गुरु गोरखनाथ जी ने पूरे भारत का भ्रमण किया और अनेकों ग्रन्थों की रचना की। गोरखनाथ जी का मन्दिर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर नगर मे स्थित है। गोरखनाथ के नाम पर इस जिले का नाम गोरखपुर पड़ा है। गुरु गोरखनाथ जी के नाम से ही नेपाल के गोरखाओं ने नाम पाया। नेपाल में एक जिला है गोरखा, का नाम गोरखा भी इन्हीं के नाम से पड़ा। माना जाता है कि गुरु गोरखनाथ सबसे पहले यही दिखे थें। गोरखा जिला में एक गुफा है जहाँ गोरखनाथ का पग चिन्ह है और उनकी एक मूर्ति भी है। यहाँ हर साल वैशाख पूर्णिमा को एक उत्सव मनाया जाता है जिसे रोट महोत्सव कहते है और यहाँ मेला भी लगता है। Read more » Featured गुरु गोरक्षनाथ गुरु गोरक्षनाथ भैरव प्रसंग गोरखनाथ ज्वाला देवी