धर्म-अध्यात्म मूर्तिपूजा और ओ३म् जय जगदीश हरे आरती April 20, 2015 / April 21, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on मूर्तिपूजा और ओ३म् जय जगदीश हरे आरती –मनमोहन कुमार आर्य– महर्षि दयानन्द ने वेदों के आधार पर विद्या की नगरी काशी के सभी पण्डित समुदाय को चुनाती दी थी कि मूर्तिपूजा अवैदिक है। वेदों में मूर्ति पूजा नहीं है। अतः मूर्तिपूजा वेदविहित न होने से कर्तव्य नहीं है। काशी के सभी पण्डित मूर्तिपूजा करते व कराते थे और भक्तों से दान […] Read more » Featured महर्षि दयानन्द मूर्तिपूजा मूर्तिपूजा और ओ३म् जय जगदीश हरे आरती वैदिक
चिंतन यह अपनापन ही तो है ! April 20, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -सुनील एक्सरे- दुनिया में अच्छी घटना बुरी घटना हर पल घटती रहती है ,लेकिन बुरी घटना में ग्रस्त व्यक्ति जब हमारे परिचय का होता है तब हमें दुख होता है किसी क्षेत्र विशेष में जब हमारा कोई अपना सफलता प्राप्त करता है तो हम खुशी से उछल पड़ते हैं। जब किसी अपने की मौत हो […] Read more » Featured जीवन जीवन की घटनाएं यह अपनापन ही तो है !
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-४८ April 20, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment -विपिन किशोर सिन्हा- श्रीकृष्ण ने मुस्कुरा कर अपनी सहमति दे दी। सुदामा ने भांति-भांति के पुष्पों से दो अति सुन्दर मालायें बनाईं और श्रीकृष्ण-बलराम को अपने हाथों से सजाया। उसके घर में जितने पुष्प थे, उसने सबका उपयोग कर ग्वालबालों को पुष्प-हार पहनाये। दोनों भ्राता अत्यन्त प्रसन्न हुए। सुदामा ने प्रभु के चरणों में अविचल […] Read more » Featured कृष्णा गीता यशोदानंदन-४८ श्रीकृष्ण
धर्म-अध्यात्म शूद्रों को ब्राह्मण बनाने वाले परशुराम April 20, 2015 / April 21, 2015 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment -प्रमोद भार्गव- -भगवान परशुराम जयंती 21 अप्रैल के अवसर पर- हमारे धर्म ग्रंथ और कथावाचक ब्राह्मण भारत के प्राचीन पराक्रमी नायकों की संहार से परिपूर्ण हिंसक घटनाओं के आख्यान तो खूब सुनाते हैं, लेकिन उनके समाज सुधार से जुड़े जो क्रांतिकारी सरोकार थे, उन्हें लगभग नजरअंदाज कर जाते हैं। विष्णु के दशावतारों में से एक […] Read more » Featured परशुराम परशुराम जयंती ब्राह्मण शूद्र शूद्रों को ब्राह्मण बनाने वाले परशुराम
धर्म-अध्यात्म ‘वैदिक धर्म बनाम् आधुनिक जीवन’ April 20, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य– वैदिक धर्म एक जीवन पद्धति है जो कि आघुनिक जीवन पद्धति से कुछ समानता रखने के साथ कुछ व कई बातों में इसके विपरीत भी है। अतः इन दोनों जीवन पद्धतियों में कौन सी पद्धति मनुष्यों के लिए श्रेयस्कर और श्रेष्ठ है और कौन सी नहीं है, इस पर विचार करना इस […] Read more » ‘वैदिक धर्म बनाम् आधुनिक जीवन’ Featured आधुनिक जीवन वैदिक धर्म
धर्म-अध्यात्म दक्षिण भारत के संत (6 ) संत पुरन्दर दास April 20, 2015 by बी एन गोयल | 1 Comment on दक्षिण भारत के संत (6 ) संत पुरन्दर दास बी एन गोयल युवावस्था में मैं अज्ञानी और अभिमानी था। मेरी इच्छाओं की कोई सीमा नहीं हैं, स्त्रियों के प्रति मेरी इच्छाएं अतृप्त हैं। मेरे प्रभु, मैंने एक बार भी तुम्हें याद नहीं किया मुझे अपना अनुचर बना ले, प्रभु। मुझे मानसिक शांति प्रदान करें मेरे पापों को उसी प्रकार क्षमा करें जैसे […] Read more » दक्षिण भारत के संत संत पुरन्दर दास
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-४७ April 20, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment श्रीकृष्ण, बलराम और मित्रों के साथ मंद स्मित बिखेरते हुए मंथर गति से राजपथ पर अग्रसर हो रहे थे। वे गजराज की भांति चल रहे थे। मथुरावासियों ने श्रीकृष्ण के अद्भुत लक्षणों की ढेर सारी चर्चायें सुन रखी थीं। जब प्रत्यक्ष रूप से राजपथ पर आगे बढ़ते हुए भ्राताद्वय के दर्शन प्राप्त हुए, तो भावातिरेक […] Read more » यशोदानंदन
चिंतन पंचायत जगाने निकले कुछ कदमों का संदेश April 19, 2015 / April 19, 2015 by अरुण तिवारी | Leave a Comment -अरुण तिवारी- इलाहाबाद से वाराणसी जाते समय सड़क किनारे एक जगह है – राजा के तालाब। बीते तीन अप्रैल को राजा के तालाब से एक यात्रा चली – तीसरी सरकार संवाद एवम् सम्पर्क यात्रा। राजतंत्र में राजा, पहली सत्ता होता है, प्रजा अंतिम। लोकतंत्र में संसद तीसरी सरकार होती है, विधानसभा दूसरी और ग्रामसभा पहली […] Read more » Featured पंचायत पंचायत जगाने निकले कुछ कदमों का संदेश
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-४६ April 18, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment अतीत कि स्मृतियों को याद करते-करते रथ कब मथुरा के राजपथ पर दौड़ने लगा, कुछ पता ही नहीं चला। शीघ्र ही यादवों की राजधानी मथुरा दृष्टिपथ में आ गई। अयोध्या के सूर्यवंशी सम्राट श्री रामचन्द्र के भ्राता शत्रुघ्न ने इसे बसाया था और नाम दिया था – मधुपुरी। चन्द्रवंशी यादवों ने इसे जीतकर इसका नाम […] Read more » यशोदानंद यशोदानंदन-४६
धर्म-अध्यात्म दक्षिण भारत के सन्त (4) तिरुज्ञान संभदार April 17, 2015 by बी एन गोयल | Leave a Comment बी एन गोयल दक्षिण भारत के शैवमताचार्यों में इनका नाम प्रमुख है। आदि शंकराचार्य ने ३२ वर्ष की आयु में ही देश को अध्यात्म की एक नई दिशा दी, उसी कार्य को संभदार ने अपनी १६ वर्ष की अल्पायु में आगे बढ़ाया। इनका जन्म तमिलनाडु में चिदम्बरम के पास सिरकाज़ी नाम के स्थान पर हुआ […] Read more » तिरुज्ञान संभदार दक्षिण भारत के सन्त संभदार
धर्म-अध्यात्म विविधा रेल यात्रा और स्वामी दयानन्द April 17, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on रेल यात्रा और स्वामी दयानन्द महर्षि दयानन्द ने सन् 1863 में वैदिक धर्म के प्रचार प्रसार के क्षेत्र में कदम रखा था। इसके बाद उन्होने अक्तूबर, 1883 तक सारे देश का भ्रमण कर प्रचार किया। देश के एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में वह सड़़क मार्ग के अतिरिक्त रेल यात्रा का भी प्रयोग करते थे। यात्रा में उनके […] Read more » Featured रेल यात्रा स्वामी दयानन्द
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-४५ April 17, 2015 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment सूरज अपना गुण-धर्म कब भूलता है! प्राची के क्षितिज पर अरुणिमा ने अपनी उपस्थिति का आभास करा दिया। व्रज की सीमा में आकर पवन भी ठहर गया। पेड़-पौधे और अन्य वनस्पति ठगे से खड़े थे। पत्ता भी नहीं हिल रहा था। गौवों ने नाद से मुंह फेर लिया। दूध पीने के लिए मचलने वाले बछड़े […] Read more » यशोदानंदन