धर्म-अध्यात्म प्रेम के पुंज -गुरु अर्जुन देव जी September 2, 2013 / September 2, 2013 by परमजीत कौर कलेर | Leave a Comment ( गुरुता गद्दी दिवस) परमजीत कौर कलेर तेरा कीआ मीठा लागै…हरि नाम पदारथ नानक मांगे…गुरबाणी के इन शब्द को सुनकर आपने अंदाजा लगा लिया होगा कि हम ईश्वर की रज़ा की बात कर रहे हैं…आपने बिल्कुल सही अंदाजा लगाया…ईश्वर की मर्जी के में गुरू का प्यारा ही रह सकता है…जो उसके हुक्म को सिर […] Read more » प्रेम के पुंज -गुरु अर्जुन देव जी
धर्म-अध्यात्म संसार के मार्गदर्षक हैं श्रीकृष्ण August 28, 2013 by अरविंद जयतिलक | 2 Comments on संसार के मार्गदर्षक हैं श्रीकृष्ण अरविंद जयतिलक वैदिक साहित्य में उदघृत है कि बह्रा या परम सत्य वह है जिससे प्रत्येक वस्तु उदभूत है। श्रीकृष्ण साक्षात परब्रह्रा हैं। ईश्वर हैं। समस्त पदार्थों के बीज हैं। नित्यों के नित्य हैं और जगत के नियंता हैं। शास्त्रों में ब्रह्रा को निर्विषेश कहा गया है। किंतु श्रीकृष्ण साकार हैं। कुरुक्षेत्र में उन्होंने मोहग्रस्त […] Read more » संसार के मार्गदर्षक हैं श्रीकृष्ण
धर्म-अध्यात्म जय कन्हैया लाल की…. August 28, 2013 by परमजीत कौर कलेर | Leave a Comment (28 अगस्त जन्माष्टमी विशेष) परमजीत कौर कलेर जब-जब अन्याय और पाप बढ़ा है तब-तब भगवान किसी न किसी रूप में अवतार धारण करके इस धरती पर आते हैं… विष्णु ने भी अधर्म को रोकने और अधर्मी के संहार के लिए धरती पर अवतार लिया…इसी क्रम में भगवान विष्णु ने आठवां अवतार लिया श्रीकृष्ण जी के […] Read more » जय कन्हैया लाल की....
चिंतन आज की सबसे बड़ी समस्या मूर्ख और नादान लोग August 16, 2013 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on आज की सबसे बड़ी समस्या मूर्ख और नादान लोग डॉ. दीपक आचार्य जो लोग समझदार हैं, जिन्हें ईश्वर ने पर्याप्त बुद्धि से नवाजा है उन सभी प्रकार के लोगों में से अधिकांश लोगों के सामने जीवन की कोई और समस्या या पीड़ा हो न हो, मूर्ख और नासमझ लोग उनके लिए पूरी जिन्दगी समस्या बने रहते हैं। समझदार लोग चाहे कहीं रहें, उनका हर […] Read more »
चिंतन जश्न ही न मनाएँ देश के लिए कुछ करें भी August 14, 2013 / August 14, 2013 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य पिछले 66 साल से हम आजादी के पर्व का जश्न मनाते आ रहे हैं। इस दिन हम स्वतंत्रता सेनानियों और संग्राम में भागीदारी निभाने वाले लोगों को सिर्फ याद कर लिया करते हैं, उनके नामों की फेहरिश्त पढ़ लिया करते हैं और राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता की रक्षा के नाम पर […] Read more »
धर्म-अध्यात्म जहां आरती के वक्त आती थी कामधेनु August 12, 2013 / August 12, 2013 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment शंकर जालान भारत में आदि काल से वृक्षों की पूजा की जाती है। लोगों में आस्था रहती है कि वृक्षों की पूजा करने मात्र से ही मनुष्य सुख को प्राप्त करता है। प्राचीन काल में वृक्षों की पूजा के लिए राजस्थान में आंदोलन भी चलाया गया था, जिसको दबाने पर लोगों ने अपने प्राणों की […] Read more » जहां आरती के वक्त आती थी कामधेनु
चिंतन निडर होकर करें बेबाक अभिव्यक्ति फिर देखें इसका चमत्कार August 7, 2013 / August 7, 2013 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य मन-मस्तिष्क और चेतन-अवचेतन को शुद्ध-बुद्ध बनाए रखने और संकल्प को बलवान बनाने के लिए यह जरूरी है कि अपने दिमाग में जो भी बात आए, उसे यथोचित स्थान पर पहुंचाने में तनिक भी विलंब नहीं करें और तत्काल सम्प्रेषित करें। बाहरी दुनिया के लिए तैयार और अपने मन-मस्तिष्क से बाहर निकल कर […] Read more » बेबाक अभिव्यक्ति
चिंतन प्रोत्साहन भले न दें प्रतिभाओं की हत्या तो न करें July 30, 2013 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य दुनिया में हर क्षेत्र में प्रतिभाओं का जन्म होता रहा है और उनकी वजह से विश्व समुदाय को कुछ न कुछ प्राप्त होता ही है। भगवान ने मनुष्य को सभी प्राणियाें में सबसे ज्यादा बुद्धि, कौशल और मौलिक प्रतिभाओं के साथ भेजा है और इस मामले में कोई किसी से कम नहीं […] Read more » प्रतिभाओं की हत्या तो न करें
धर्म-अध्यात्म क्या बन्दर थे हनुमान July 22, 2013 / July 22, 2013 by डा.राज सक्सेना | 10 Comments on क्या बन्दर थे हनुमान – डा.राज सक्सेना आम मान्यता है और जगह-जगह मन्दिरों में स्थापित हनुमान जी की मूर्तियों को देख कर 99.999 प्रतिशत […] Read more » क्या बन्दर थे हनुमान
चिंतन यक्ष-प्रश्न- अन्तिम समापन कड़ी / बिपिन किशोर सिन्हा July 18, 2013 / July 19, 2013 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment यक्ष-प्रश्न (३१) – मधुर वचन बोलनेवाले को क्या मिलता है? सोच-विचारकर काम करनेवाला क्या पा लेता है? जो बहुत-से मित्र बना लेता है, उसे क्या लाभ होता है? और जो धर्मनिष्ठ है, उसे क्या मिलता है? युधिष्ठिर – मधुर वचन बोलनेवाला सबको प्रिय होता है। सोच-विचारकर काम करनेवाले को अधिकतर सफलता मिलती है। जो बहुत […] Read more »
चिंतन “सेकुलर” अर्थात् धर्मनिरपेक्षता: राक्षसी भावना अथवा संवैधानिक मूल्य July 14, 2013 / July 19, 2013 by प्रोफेसर महावीर सरन जैन | 63 Comments on “सेकुलर” अर्थात् धर्मनिरपेक्षता: राक्षसी भावना अथवा संवैधानिक मूल्य प्रोफेसर महावीर सरन जैन टॉइम्स ऑफ इंडिया समाचार पत्र में समाचार प्रकाशित हुआ है कि नरेंद्र मोदी ने “डॉटकॉम पोस्टर बॉय्ज़” राजेश जैन एवं बी. जी. महेश को यह दायित्व सौंपा है कि वे इंटरनेट पर ऐसा अभियान चलावें जिससे सन् 2014 के लोक सभा के होने वाले आम चुनावों में भाजपा को 275 सीटें […] Read more » “सेकुलर” अर्थात् धर्मनिरपेक्षता: राक्षसी भावना अथवा संवैधानिक मूल्य राक्षसी भावना अथवा संवैधानिक मूल्य
धर्म-अध्यात्म यक्ष -प्रश्न – तीसरी कड़ी July 13, 2013 / July 16, 2013 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment यक्ष-प्रश्न (१६) – किस वस्तु के त्यागने से मनुष्य प्रिय होता है? किसे त्यागने पर शोक नहीं करता? किसे त्यागने पर वह अर्थवान होता है? और किसे त्यागकर वह सुखी होता है? युधिष्ठिर – मान (अहंकार) को त्यागने से मनुष्य प्रिय होता है। क्रोध को त्यागने पर शोक नहीं करता। काम […] Read more » यक्ष प्रश्न