धर्म-अध्यात्म लेख शख्सियत समाज अहिल्यादेवी होलकर: दूरदर्शी एवं साहसी महिला शासक May 27, 2025 / May 27, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment अहिल्याबाई होलकर: 31 मई 2025 तीन सौवीं जन्म जयन्ती– ललित गर्ग –भारतीय संस्कृति के उज्ज्वल इतिहास के सुवर्ण पृष्ठों पर अनेक शील, शौर्य, शक्ति एवं पराक्रम संपन्न नारियों के नाम अंकित हुए हैं। शील, भक्ति, आस्था, शौर्य, शक्ति एवं धर्मनिष्ठा के अद्वितीय प्रभाव के कारण ही वे प्रणम्य हैं। ऐसी ही श्रृंखला में एक नाम है राजमाता […] Read more » Ahilyadevi Holkar: A visionary and courageous female ruler अहिल्यादेवी होलकर: दूरदर्शी एवं साहसी महिला शासक
ज्योतिष धर्म-अध्यात्म राशिफल राहु-केतु बदलेंगे राशि , सभी राशियाँ होगी प्रभावित। May 21, 2025 / May 21, 2025 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment ज्योतिर्विद मनीष भाटिया वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मायावी ग्रह राहु और केतु ने लगभग 18 महीने के बाद,18 मई 2025 से अपना स्थान परिवर्तन किया है । राहु ग्रह मीन राशि से निकलकर कुंभ राशि में गोचर करेंगे और केतु ग्रह कन्या राशि से निकलकर सिंह राशि में गोचर करेंगे। राहु केतु की इस उल्टी चाल से लगभग सभी राशियां प्रभावित होंगीं। राहु केतु का यह राशि परिवर्तन कुछ राशियों के लिए तो बहुत ही शुभ रहेगा, औऱ कुछ राशि वालों के लिए बहुत ही सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी। अलग-अलग राशियों पर राहु केतु के इस राशि परिवर्तन का क्या प्रभाव पड़ेगा।मेष राशि :- मेष राशि वाले जातकों के लिए राहु का राशि परिवर्तन लाभ स्थान से होगा । राहु का लाभ स्थान में गोचर बहुत ही शुभ माना जाता है। राहु के इस अच्छी परिवर्तन से मेष राशि वाले जातकों को कई स्रोतों से धन लाभ होने का योग बनेगा। वही केतु का गोचर मेष राशि वालों के पंचम भाव से होगा जो पेट संबंधित समस्याएं दे सकता है तथा विद्या अध्ययन में बाधा उत्पन्न करेगा। मेष राशि वालों के लिए शनि की साडेसाती भी चल रही है और धन का काफी व्यय और नुकसान होने के योग बन रहे हैं। राहु के गोचर से लाभ और शनि के गोचर से नुकसान, व्यय का योग बन रहा है। क्योंकि मेष राशि वालों की धनी की साडेसाती भी लगी हुई है अतः इनका बहुत ही सावधानी से चलना चाहिए। नौकरी और पारिवारिक जीवन में भी विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। मेष राशि वालों को हनुमान चालीसा पढ़ते रहने से तथा हनुमान मंदिर में जाकर दर्शन करने से काफी राहत महसूस होगी।वृष राशि :- वृषभ राशि वालों के लिए राहु का गोचर दसवें भाव से होगा तथा केतु का गोचर चौथे भाव से होगा।नौकरी में लाभ, स्थान परिवर्तन के योग तथा घरेलू सुख में बाधा उत्पन्न होने के योग हैं।माता की सेहत भी प्रभावित हो सकती है तथा माता के सुख में कुछ कमी आ सकती। वाहन सुख में भी कमी आएगी। वृषभ राशि वालों को अभी कोई भी जमीन ज्यादाद से संबंधित निवेश नहीं करना चाहिए। मां दुर्गा की पूजा करते रहने से लाभ के रास्ते खुलेंगे।मिथुन राशि :- मिथुन राशि वालों के लिए राहु का गोचर भाग्य भाव से होगा तथा केतु का गोचर तीसरे भाव से होगा।भाग्य में वृद्धि किंतु भाई बहनों से तनाव की स्थिति उत्पन्न होती है। मिथुन राशि वालों को जो घरेलू परेशानियों चल रही थी उनसे काफी रात महसूस होगी। नई जमीन ज्यादाद एवं वाहन खरीदने के योग बनेंगे। मिथुन राशि वालों को गणेश भगवान जी की पूजा करते रहना चाहिए ।कर्क राशि :- राहु का गोचर अष्टम भाव तथा केतु का गोचर द्वितीय भाव में होगा। कर्क राशि वालों को आपकी चाहत का बहुत ध्यान रखना चाहिए तथा चोट चपेट से बचें, वाहन सावधानी से चलाएं। वाणी पर नियंत्रण रखें तथा पारिवारिक विवादों से बचें । कर्क राशि वालों को ससुराल पक्ष से तनाव होने के योग बनेंगे। विवादों से बचने का प्रयास करें। भगवान कृष्ण की शरण में रहे।सिंह राशि :- सिंह राशि वालों के लग्न में केतु और सप्तम भाव में राहु का गोचर होगा। बहुत ज्यादा गुस्सा आएगा। छोटी-छोटी बातों पर भी बहुत तनाव हो जाएगा और गुस्सा आ जाएगा। जीवनसाथी से भी तनाव की स्थिति उत्पन्न होगी। अपने गुस्से पर काबू करें । जीवनसाथी की सेहत भी प्रभावित होगी। अभी पार्टनरशिप के किसी भी कार्य में हाथ ना डालें। आपका शनि का अष्टम भाव भी चल रहा है। वर्तमान समय में सूर्य का गोचर दसवां भाग से चल रहा है। सूर्य के इस गोचर के प्रभाव से आपकी नौकरी में पिछले कई महीनो से जो समस्याएं चली आ रही थी वह पिछले एक महीने से काफी कम हो गई है और आप काफी राहत महसूस कर रहा है। किंतु 14 अगस्त के बाद जब सूर्य का गोचर आपके 12 वें भाव से होगा तो नौकरी में फिर से समस्याएं उठने लगेंगी । आपके लिए राहु, केतु, मंगल और शनि का गोचर अभी शुभ नहीं चल रहा और कर्क राशि के मंगल भी बारहवे भाव में चल रहा है। नौकरी में स्थानांतरण के योग बन रहे हैं। मंगल के गोचर से आपको नौकरी में कोई बड़ी समस्या आने के योग हैं किंतु सूर्य के गोचर राहत मिल रही है। रविवार का व्रत रखें एवं सूर्य भगवान को रोज जल देते रहे।मंगलवार को लाल मसूर की दाल का दान करें।कन्या राशि :- राहु केतु के एक गोचर से कन्या राशि वालों को काफी राहत महसूस होगी क्योंकि केतु आप ही की राशि में चल रहे थे और अब आपकी राशि से निकलकर सिंह राशि में चले जाएंगे। राहु का गोचर आपकी छठे भाव में होगा। राहु केतु का या गोचर कन्या राशि वालों के लिए काफी शुभ साबित होगा। पिछले कई वर्षों से चली आ रही मानसिक समस्याएं खत्म होगी। आपके विरोधी परास्त होंगे। नौकरी व्यवसाय में लाभ की स्थिति बनेगी।धार्मिक यात्राओं के योग बनेंगे। देवी माता की पूजा करना आपके लिए बहुत शुभ रहेगा।तुला राशि :- तुला राशि वालों के लिए राहु केतु का यह गोचर सामान्य रहेगा। पेट संबंधित कुछ परेशानियां बनी रहेगी। आय वृद्धि के योग बनेंगे।वृश्चिक राशि :- वृश्चिक राशि वालों के लिए राहु केतु का गोचर, घरेलू सुख में कमी करेगा। नौकरी व्यवसाय में बहुत ही संभल कर चलने की आवश्यकता है, स्थानांतरण के योग बनेंगे। माता के सुख में कमी महसूस होगी एवं माता के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होगा। हनुमान जी की पूजा करना आपके लिए बहुत ही शुभ रहेगा।धनु राशि :- धनु राशि वाले जातकों के लिए राहु केतु का यह गोचर शुभ रहेगा। अभी तक आपके चौथे भाव में राहु और शनि का पिशाच योग बना हुआ था, अब राहु के वहां से निकल जाने से पिशाच योग भंग होगा। मानसिक तनाव में कमी आएगी परंतु मानसिक तनाव बना रहेगा क्योंकि आपका शनि का ढैया चल रहा है। घरेलू परेशानियों भी कुछ कम होगी। क्योंकि गुरु की दृष्टि आपकी लगन पर पड़ रही है इसलिए आपको मान सम्मान यश में वृद्धि होगी और गुरु के गोचर के प्रभाव से आपको काफी राहत मिलेगी।पीले चंदन का तिलक हर रोज अपने माथे पर लगाएं।मकर राशि :- राहु का गोचर आपके परिवार भाव में होगा और केतु का गोचर आपकी अष्टम भाव में होगा। अपनी सेहत का ध्यान रखें।अगर रीड की हड्डी से संबंधित कोई परेशानी है तो लापरवाही ना करें। पारिवारिक विवादों से बचने का प्रयास करें। अचानक से धन लाभ के योग भी बनेंगे। बिना कमाया हुआ धन मिलने का योग है। क्योंकि आपकी शनि की साडेसाती खत्म हो गई है और शनि का गोचर आपकी तृतीय भाव में है इसलिए शनि का लाभ आपको मिलता रहेगा। हनुमान जी की पूजा करते रहे एवं हनुमान चालीसा का जाप रोज करें।कुंभ राशि :- राहु का गोचर आप ही की राशि में होने जा रहा है। मानसिक तनाव से बचना होगा। छोटी-छोटी बातों को दिल से ना लगाएं। जीवनसाथी से विवाद बिल्कुल भी ना करें एवं उनकी चाहत का ध्यान रखें। अपने माथे पर रोज पीले चंदन का तिलक लगाए एवं भगवान विष्णु अथवा उनके किसी भी अवतार की पूजा करते रहें।मीन राशि :- मीन राशि वालों का शनि की साडेसाती का दूसरा चरण चल रहा है। अभी वर्तमान समय में शनि और राहु का पिशाच योग आप ही की राशि में बना हुआ था। राहु के इस राशि परिवर्तन से शनि राहु का पिशाच योग खत्म हो जाएगा, जिससे आपकी मानसिक तनाव में काफी कमी आएगी परंतु राहु का गोचर आपका व्यय भाव में होने से आपके खर्चों में निरंतर वृद्धि होगी। अभी 14 जून तक सूर्य भगवान का गोचर आपकी तृतीय भाव में रहेगा जिससे आपका धन भाव और परिवार पाप कर्तवी योग में रहेगा। राहु की पांचवी दृष्टि आपके घरेलू सुख पर पड़ेगी। अभी 15 जून तक कहीं भी किसी भी प्रकार का निवेश करने से बचे हैं क्योंकि आपका धन भाव पाप कर्तवी योग में चल रहा है। मीन राशि वाले जातकों की परेशानियां कुछ कम तो होगी लेकिन अभी खत्म नहीं होंगीं । हां गुरु बृहस्पति का गोचर आपके लिए शुभ रहेगा।अपने माथे पर रोज हल्दी का या पीले चंदन का तिलक लगाए।। ज्योतिर्विद मनीष भाटिया Read more » all zodiac signs will be affected. Rahu-Ketu will change the zodiac sign राहु-केतु बदलेंगे राशि
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म शख्सियत समाज साक्षात्कार तमस से ज्योति की ओर एक सुधारवादी यात्रा May 20, 2025 / May 20, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment राजा राममोहन राय जन्म जयन्ती- 22 मई, 2025– ललित गर्ग यह वह समय था जब हिन्दुस्तान एक तरफ विदेशी दासता की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था वहीं दूसरी तरफ रूढ़िवाद, धार्मिक संकीर्णता, सामाजिक कुरीतियों और दमघोंटू प्रथाओं के बोझ तले दबा हुआ था। तभी एक मसीहा, समाज-सुधारक एवं क्रांतिकारी महामानव अवतरित हुआ जिसने तमाम बुराइयों […] Read more » राजा राममोहन राय जन्म जयन्ती
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म सनातन हिंदू धर्म एवं भारत में उत्पन्न समस्त मत पंथ विश्व में शांति चाहते हैं May 13, 2025 / May 13, 2025 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment भारत में सनातन हिंदू धर्म तो अनादि एवं अनंत काल से चला आ रहा है परंतु बाद के खंडकाल में भारत में कई अन्य प्रकार के मत पंथ भी विकसित हुए हैं जैसे बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म आदि। भारत में विकसित विभिन्न मत पंथ मूलतः सनातन हिंदू संस्कृति का ही अनुपालन करते हुए […] Read more » Sanatan Hindu religion and all the religions originated in India want peace in the world सनातन हिंदू धर्म एवं भारत में उत्पन्न समस्त मत पंथ
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म जारों लड़ाइयां जीतने से अच्छा है, स्वयं पर विजय प्राप्त करना May 11, 2025 / May 11, 2025 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment वैशाख पूर्णिमा इस बार 12 मई 2025 को है।इस दिन बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान गौतम बुद्ध का जन्मोत्सव मनाया जाता है।इसे ‘बुद्ध पूर्णिमा’, ‘पीपल पूर्णिमा’ और ‘बुद्ध जयंती’ के नाम से भी जाना जाता है। उल्लेखनीय है कि इस दिन का संबंध न केवल भगवान बुद्ध से है, बल्कि यह दिन भगवान विष्णु को […] Read more » 12 मई वैशाख पूर्णिमा
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म तीर्थ भारतवर्ष की आत्मा हैं May 3, 2025 / May 3, 2025 by डॉ.वेदप्रकाश | Leave a Comment चार धाम यात्रा शुरू डॉ.वेदप्रकाश तीर्थ भारतवर्ष की आत्मा हैं। प्रयागराज महाकुंभ के बाद चार धाम यात्रा शुरू हो चुकी है। भारतवर्ष के आत्म तत्व, जीवन तत्व, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक तत्व एवं समग्रता में यदि भारत को जानना है तो तीर्थ एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं। भारतभूमि समग्रता में देवभूमि है। यहां के कण […] Read more » Pilgrimages are the soul of India
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म आदि शंकराचार्य ने हिन्दू संस्कृति को पुनर्जीवित किया May 1, 2025 / May 1, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment आदि शंकराचार्य जयन्ती – 2 मई, 2025 – ललित गर्ग- महापुरुषों की कीर्ति युग-युगों तक स्थापित रहती। उनका लोकहितकारी चिंतन, दर्शन एवं कर्तृत्व कालजयी होता है, सार्वभौमिक, सार्वदैशिक एवं सार्वकालिक होता है और युगों-युगों तक समाज का मार्गदर्शन करता हैं। आदि शंकराचार्य हमारे ऐेसे ही एक प्रकाशस्तंभ हैं जिन्होंने एक महान हिंदू धर्माचार्य, दार्शनिक, गुरु, योगी, […] Read more » fearless and transparent आदि शंकराचार्य जयन्ती - 2 मई
धर्म-अध्यात्म श्रीकृष्ण-भक्ति के दिव्य एवं अलौकिक प्रतीक हैं सूरदास April 30, 2025 / April 30, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment सूरदास जयन्ती- 2 मई, 2025– ललित गर्ग-इस संसार में यदि सबसे बड़ा कोई संगीतकार है तो वो हैं श्रीकृष्ण। जिस प्रकार से तत्व, रज और तम-इन तीनों गुणों के समन्वय को प्रकृति कहा गया है, उसी प्रकार से गायन, वादन और भक्ति इन तीनों में जो रमा हो, जो पारंगत हो उसे श्रीकृष्ण-भक्त गया गया […] Read more » Surdas is a divine and supernatural symbol of devotion towards Lord Krishna श्रीकृष्ण-भक्ति के दिव्य एवं अलौकिक प्रतीक सूरदास
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म अक्षय तृतीया: समृद्धि, पुण्य और शुभारंभ का पर्व April 29, 2025 / April 29, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment अक्षय तृतीया, जिसे ‘आखा तीज’ भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला एक अत्यंत पावन पर्व है। ‘अक्षय’ का अर्थ होता है—जो कभी क्षय (नाश) न हो। यही कारण है कि यह दिन शुभ कार्यों, दान-पुण्य, निवेश और नए आरंभ के लिए […] Read more » Akshaya Tritiya: A festival of prosperity virtue and beginnings अक्षय तृतीया: समृद्धि पुण्य और शुभारंभ का पर्व
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म शोकाकुल अर्जुन को गीता वाणी से मिली मुक्ति April 29, 2025 / April 29, 2025 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव वरिष्ठ पत्रकार युद्ध क्षेत्र कुरुक्षेत्र में एकत्रित सेना के मध्य सभी सगे सम्बंधियो को महाभारत युद्ध में शामिल देख अर्जुन शोक से ग्रसित हो गया तब श्रीभगवान श्रीकृष्ण उन्हें गीता के ज्ञान द्वारा युद्ध के लिए प्रेरित करते है किन्तु अर्जुन को भगवान् की वाणी सुनायी नहीं पड़ती; किन्तु कृष्ण ने देखा […] Read more » Grief-stricken Arjuna found relief from the words of the Gita गीता वाणी से मिली मुक्ति
धर्म-अध्यात्म अक्षय तृतीया: जीवन को समृद्ध और सार्थक बनाने का पर्व April 29, 2025 / April 29, 2025 by संदीप सृजन | Leave a Comment –संदीप सृजन वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि जिसे अक्षय तृतीया या आखा तीज कहा जाता है, भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है। यह अक्षय तृतीया का नाम ‘अक्षय’ शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘जो कभी नष्ट न हो’ या ‘शाश्वत’। इस दिन किए गए शुभ कार्य, दान, पूजा-पाठ और अन्य धार्मिक कृत्यों को अक्षय फलदायी माना जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक परम्पराओं में भी इसका विशेष स्थान है। भारत की विभिन्न धार्मिक और सामाजिक परम्पराओं में अक्षय तृतीया का बहुत महत्व है। हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया का दिन कई पौराणिक और धार्मिक घटनाओं से जुड़ा हुआ है। इस दिन को सतयुग और त्रेतायुग के प्रारंभ का दिन भी माना जाता है। इसके अतिरिक्त, इस तिथि से जुड़े कई कथानक और मान्यताएँ इसे और भी पवित्र बनाती हैं। अक्षय तृतीया को भगवान विष्णु के छठे अवतार, परशुराम जी के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है। परशुराम, जो अपने पराक्रम और धर्म की रक्षा के लिए जाने जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु के नर-नारायण अवतार की तपस्या भी अक्षय तृतीया के दिन से जुड़ी है। इस दिन बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलते हैं, जो हिन्दुओं के चार धामों में से एक है। यह घटना इस पर्व को और भी महत्वपूर्ण बनाती है। ऐसा माना जाता है कि महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना अक्षय तृतीया के दिन से शुरू की थी। इसके साथ ही, इस दिन गंगा नदी का पृथ्वी पर अवतरण भी हुआ था। इसलिए, इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है। एक अन्य कथा के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मित्र सुदामा का आतिथ्य स्वीकार किया था। सुदामा ने श्रीकृष्ण को साधारण चावल (अक्षत) भेंट किए, जिसे भगवान ने बड़े प्रेम से ग्रहण किया और सुदामा को अपार धन-समृद्धि प्रदान की। इस कथा के कारण, अक्षय तृतीया को दान और आतिथ्य का विशेष महत्व दिया जाता है। जैन धर्म में अक्षय तृतीया जैन धर्म में अक्षय तृतीया का दिन प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव से जुड़ा हुआ है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान ऋषभदेव ने एक वर्ष तक कठोर तपस्या की और इस दिन हस्तिनापुर में राजा श्रेयांस ने उन्हें इक्षु रस (गन्ने का रस) पिलाकर उनका पारणा (उपवास खोलना) कराया। यह घटना जैन समुदाय में ‘वर्षी तप’ के रूप में जानी जाती है। इस दिन जैन तीर्थ पालिताणा (गुजरात) और हस्तिनापुर (मेरठ) में विशेष आयोजन होते है। जैन धर्म के अनुयायी उपवास, दान, और पूजा करते हैं। कई जैन मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं, और भक्त इक्षु रस का दान करते हैं। सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व अक्षय तृतीया का दिन शुभ कार्यों के लिए अत्यंत मंगलकारी माना जाता है। इस दिन बिना किसी मुहूर्त के विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, नए व्यवसाय की शुरुआत, और अन्य महत्वपूर्ण कार्य किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन शुरू किए गए कार्यों का फल स्थायी और शुभ होता है। भारत के कई हिस्सों में, विशेषकर राजस्थान, गुजरात, और उत्तर प्रदेश में, अक्षय तृतीया को विवाह के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस दिन हजारों जोड़े विवाह बंधन में बंधते हैं। सामाजिक स्तर पर, यह दिन परिवारों और समुदायों को एकजुट करने का अवसर प्रदान करता है। व्यापारी वर्ग के लिए अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है। इस दिन नए व्यवसाय की शुरुआत, दुकान का उद्घाटन, और निवेश जैसे कार्य किए जाते हैं। सोने और चाँदी की खरीदारी भी इस दिन बहुत लोकप्रिय है, क्योंकि यह धन-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। अक्षय तृतीया को दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस दिन जल, अन्न, वस्त्र, और धन का दान करने की परम्परा है। सामाजिक दृष्टिकोण से, यह दिन समाज में समानता और सहायता की भावना को बढ़ावा देता है। गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुएँ दान की जाती हैं। कृषि और ग्रामीण परम्पराएँ भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में, अक्षय तृतीया का संबंध कृषि और प्रकृति से है। इस दिन किसान अपने खेतों में पूजा करते हैं और अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करते हैं। उत्तर भारत में, विशेषकर राजस्थान और मध्य प्रदेश में, इस दिन ‘आखा तीज’ के रूप में खेतों में सामूहिक उत्सव मनाए जाते हैं। किसान अपने बैलों और कृषि उपकरणों की पूजा करते हैं, और सामुदायिक भोज का आयोजन करते हैं। अक्षय तृतीया सामाजिक एकता और उत्सव का प्रतीक भी है। इस दिन लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर उत्सव मनाते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में मेले और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, राजस्थान के कुछ हिस्सों में लोक नृत्य और गीतों के साथ उत्सव मनाया जाता है। भारत की विविध सांस्कृतिक और धार्मिक परम्पराओं के कारण, अक्षय तृतीया को अलग-अलग क्षेत्रों में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। अक्षय तृतीया भारतीय संस्कृति का एक ऐसा पर्व है, जो धार्मिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह दिन न केवल भक्ति और पूजा का अवसर प्रदान करता है, बल्कि सामाजिक एकता, परोपकार, और शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक भी है। हिन्दू, जैन, और अन्य समुदायों में इस पर्व का अलग-अलग रूपों में उत्सव मनाया जाता है, जो भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है। चाहे वह भगवान परशुराम की पूजा हो, सुदामा-कृष्ण की मित्रता का स्मरण हो, या जैन धर्म में वर्षी तप का आयोजन, अक्षय तृतीया हर रूप में अक्षय फलदायी है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि सच्चे मन से किए गए कार्य और दान कभी नष्ट नहीं होते बल्कि वे हमारे जीवन को समृद्ध और सार्थक बनाते हैं। संदीप सृजन Read more »
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म समरसतावादी समाज के निर्माता थे भगवान परशुराम April 29, 2025 / April 29, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment भगवान परशुराम जयंती अक्षय तृतीया ३० अप्रैल के अवसर पर:- प्रमोद भार्गव समरसतावादी समाज निर्माण का दायित्व उन लोगों के हाथ होता है, जिनकी मुट्ठी में सत्ता के तंत्र होते हैं। अतएव जब परषुराम के हाथ सत्ता के सूत्र आए तो उन्होंने समाजिक […] Read more » भगवान परशुराम