आर्थिकी जन-जागरण टॉप स्टोरी आम बजट में आम आदमी के लिये क्या है ? March 1, 2015 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 1 Comment on आम बजट में आम आदमी के लिये क्या है ? इक़बाल हिंदुस्तानी किसानों के बाद मीडियम क्लास भी ठगा से महसूस कर रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था में जीडीपी के हिसाब से देखा जाये तो सर्विस सैक्टर से 57 प्रतिशत योगदान के साथ 27 प्रतिशत रोज़गार आता है। मैन्युफैक्चरिंग का सकल घरेलू उत्पाद में 18-4 प्रतिशत का योगदान है जबकि रोज़गार में उसका हिस्सा 24-3 […] Read more » आम बजट में आम आदमी
आर्थिकी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी): टैक्स सुधारों के माध्यम से विकास का एक इंजन February 23, 2015 / February 23, 2015 by सत्यव्रत त्रिपाठी | 1 Comment on वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी): टैक्स सुधारों के माध्यम से विकास का एक इंजन सत्यव्रत त्रिपाठी भारत में सबसे बडे कराधान सुधारों में से एक – वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) – सभी राज्य अर्थव्यवस्थाओं को एकीकृत और समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए तैयार है। जीएसटी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए एक एकल, एकीकृत भारतीय बाजार बनाएगा। जीएसटी 2016/01/04 से लागू किया जाना निर्धारित है। केंद्र […] Read more » Goods and Sales tax gst जीएसटी
आर्थिकी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बढ़ता कर्ज का बोझ February 18, 2015 / February 18, 2015 by अंकुर विजयवर्गीय | Leave a Comment जनवरी के आखिरी सप्ताह में ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम’ की दावोस में बैठक हुई और जनवरी के आखिरी सप्ताह में ही, इस बैठक से ठीक पहले ‘ऑक्सफेम’ रिपोर्ट जारी हुई। ‘फोर्ब्स’ ने भी दुनिया में 1,645 बिलेनियरों के होने की जानकारी दी। ‘ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स’ के आंकड़ों के अनुसार, ‘दुनिया के 400 सबसे धनवान लोगों की […] Read more » वैश्विक अर्थव्यवस्था
आर्थिकी जापानी कंपनियों के जरिए दुनिया में जाता भारत राग January 17, 2015 / January 17, 2015 by मयंक चतुर्वेदी | Leave a Comment डॉ. मयंक चतुर्वेदी भारत का आर्थिक मोर्चे पर सफलता का राग अब विदेशी धरती पर जोर-शोर क साथ सुनाई देने लगा है। इस दिशा में जापान में जो प्रयोग हुआ और उसके जो निष्कर्ष आए हैं। आज वे भारत के लिए कई मायने रखते हैं। इन निष्कर्षों ने बता दिया है कि भारत की स्वीकार्यता […] Read more » जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बैंक जेबीआईसी
आर्थिकी हिंद स्वराज भारत को लेकर विश्वबैंक की भविष्यवाणी को समझने का दौर January 15, 2015 / January 15, 2015 by मयंक चतुर्वेदी | Leave a Comment डॉ. मयंक चतुर्वेदी भारत जाग उठा है, भारत दौड़ रहा है, भारत इस वक्त वह सभी कुछ करता नजर आ रहा है, जो कि कल तक एक सपना लगता था। जिस आबादी को लेकर तरह-तरह के तंज कसे जाते थे आज वही आबादी और उसकी श्रमशक्ति भारत की ताकत बन चुकी है। कल तक जिस […] Read more » विश्वबैंक की भविष्यवाणी
आर्थिकी बेजबरुआ समिति की सिफारिशों पर केंद्र की पहल सराहनीय January 6, 2015 by मयंक चतुर्वेदी | 3 Comments on बेजबरुआ समिति की सिफारिशों पर केंद्र की पहल सराहनीय डॉ. मयंक चतुर्वेदी देश में केंद्र या राज्यों में सरकारें बदलती हैं तो प्रशासन और आम जनता की उसे देखने की दृष्टि भी बदल ही जाती है। किसी भी नई सरकार में जनप्रतिनिधि का व्यवहार इसे जितना प्रभावित करता है, उससे कहीं अधिक लोकतंत्रात्मक व्यवस्था में उस जनप्रतिनिधि की राजनैतिक पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र […] Read more » बेजबरुआ समिति बेजबरुआ समिति की सिफारिश
आर्थिकी जन-जागरण नीति आयोग पर बेवजह प्रलाप क्यों? January 4, 2015 / January 4, 2015 by सुरेश हिन्दुस्थानी | 3 Comments on नीति आयोग पर बेवजह प्रलाप क्यों? सुरेश हिन्दुस्थानी वर्तमान मोदी सरकार ने भारत को विकास की राह पर ले जाने के लिए अभूतपूर्व काम करना प्रारंभ कर दिए हैं। मोदी सरकार का जोर है कि देश के विकास के लिए सारे काम सांघिक भाव से किए जाएं तो सफलता निश्चित ही प्राप्त होगी। इसी सामूहिक भाव को निहितार्थ करता हुआ नवगठित […] Read more » नीति आयोग
आर्थिकी जन-जागरण अर्थ की चमक में खोते मूल्यपरक व्यवसाय December 22, 2014 by डा. अरविन्द कुमार सिंह | Leave a Comment डा. अरविन्द कुमार सिंह अध्यापन और सेना की नौकरी को आज भी मूल्यपरक व्यवसाय के रूप में देखा जाता है। क्या आज के दौर में युवा वर्ग अपने आप को नैतिक मूल्यो के निर्वहन में असर्मथ पा रहा है? या अर्थ के आर्कषण ने उसे नैतिक मूल्यो के व्यवसाय के प्रति विमुख कर रख्खा […] Read more » व्यवसाय
आर्थिकी आरबीआई गवर्नर की चिंताएं वाजिब December 15, 2014 by मयंक चतुर्वेदी | 1 Comment on आरबीआई गवर्नर की चिंताएं वाजिब केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आ जाने के बाद से देश का संपूर्ण परिदृश्य बदला हुआ है। पूरा देश केंद्र में आज स्थायी सरकार होने का लाभ उठा रहा है। देश के आम नागरिक को भी लगता है कि अब जरूर अच्छे दिन आ गए हैं। विदेश नीति, आंतरिक मोर्चे तथा अन्य मुद्दों […] Read more » raghuram rajan concirn RBI Governor legitimate concerns आरबीआई गवर्नर की चिंताएं रघुराम राजन
आर्थिकी विकास परियोजनाओं में बैंकों की सीधी भागीदारी का वक्त December 13, 2014 / December 13, 2014 by मयंक चतुर्वेदी | Leave a Comment डॉ. मयंक चतुर्वेदी केंद्र में नई सरकार बने छह माह बीत चुके हैं, इन गुजरे महिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम ने देश के विकास के लिए ऐसा बहुत कुछ नया किया है जिसे बताया जाए तो संभवत: शब्द भी कम होंगे, किंतु इसके बाद भी विपक्ष द्वारा सरकार को कई मुद्दों पर […] Read more » direct involvement of banks in development projects बैंकों की सीधी भागीदारी विकास परियोजनाओं में बैंकों की सीधी भागीदारी
आर्थिकी कालाधन December 10, 2014 / December 10, 2014 by फखरे आलम | 1 Comment on कालाधन कालेधन पर बहुत बात हो चुकी है। हमारे देश और समाज में गजब की असमानता और संतुलन का अभाव है। किसी के पास इतने धन है कि वह अपने, अपनों और सरकार से छुपाये छुपाये विदेशी बैंकों के शरण में पहुँच गया है। देश में कई कर्मचारी धन्ना सेठ निकल रहे हैं। कहीं अनाज […] Read more » कालाधन
आर्थिकी आम आदमी के हक में रिजर्व बैंक की नीतियां December 5, 2014 by मयंक चतुर्वेदी | Leave a Comment डॉ. मयंक चतुर्वेदी भारत में वित्तीय समावेश को लेकर केंद्र सरकार जो कार्य कर रही है, आज उसकी जितनी तारीफ की जाए, वह कम ही कहलाऐगी। वस्तुत: ऐसा कहने के पीछे कई वाजिब तर्क हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में बैठने के बाद से लगातार देश में वैसे तो कई क्षेत्रों में अच्छा काम […] Read more » policies of reserve bank poloicies of reserve bank in the interest of common man रिजर्व बैंक की नीतियां