आर्थिकी धरातल पर आया खाध सुरक्षा कानून September 2, 2013 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव लंबे इंतजार के बाद लोकसभा में पारित होने के बाद सबकी भूख मिटाने का कानून धरातल पर आ गया है। आगे आने वाली अड़चने भी दूर हो जाएगीं। लेकिन अब कांग्रेस के लिए इस महत्वाकांक्षी विधेयक को ठीक से अमल में लाना बड़ी जिम्मेबारी है। अन्यथा इसका हश्र भी शिक्षा अधिकार कानून […] Read more » धरातल पर आया खाध सुरक्षा कानून
आर्थिकी रुपये के अवमूल्यन के पीछे लूट और कूनीति की कहानी August 26, 2013 by विकास कुमार गुप्ता | 2 Comments on रुपये के अवमूल्यन के पीछे लूट और कूनीति की कहानी मौर्य काल के लिए दुःख व्यक्त करते हुए ग्रीक इतिहासकार प्लिनी ने कहा था, ”ऐसा कोई वर्ष नहीं बीतता था जिसमें भारत रोमन राजकोष से दस करोण सेसोस्टियर (रोमन सिक्का) न खींच लेता हो। ऐसा नहीं है कि भारत सिर्फ रोमन से ही मुद्रा कमाता रहा हो, विश्व के अन्य हिस्सों से भी भारत कमाता […] Read more »
आर्थिकी ऋण कृत्वा घृतं पीबेत । August 12, 2013 / August 12, 2013 by जावेद उस्मानी | Leave a Comment जावेद उस्मानी ‘यावज्जजीवेत सुखं जीवेत ऋण कृत्वा घृतं पीबेत । भस्मी भूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुत:”। ‘जब तक जियो सुख से जियो कर्ज लेकर घी पियो शरीर भस्म हो जाने के बाद वापस नही आता है।‘– चार्वाक कर्ज लेकर घी पीने की उकित मशहूर है। सदियो पुराना भोगवादी चार्वाक दर्शन आज आर्थिक नीतियो की […] Read more » ऋण कृत्वा घृतं पीबेत
आर्थिकी महंगाई की चक्की में पीस रहा गरीब August 2, 2013 / August 2, 2013 by विकास कुमार गुप्ता | 1 Comment on महंगाई की चक्की में पीस रहा गरीब विकास कुमार गुप्ता महंगाई दिन-दुनी रात-चैगुनी बढ़ रही है। दूकानों पर एकाएक महंगाई देवता पधार गये। महंगाई अपने नये-नये आयामों को लांघ रहा है। पहले खाद्य तेलें महंगी हुई थी। परती जमीन, फ्लैट, मोबाईल इंटरनेट पर बात करना महंगा हुआ। आये दिन महंगाई बढ़ती ही जा रही है। आजादी पश्चात 90 के दशक से शुरु हुये […] Read more » महंगाई की चक्की में पीस रहा गरीब
आर्थिकी आंकड़ों की जुबानी आंकड़ों का सच July 31, 2013 / July 31, 2013 by राजेश कश्यप | Leave a Comment राजेश कश्यप भारत सरकार ने एक बार फिर गरीबी के नये अप्रत्याशित आंकड़े पेश किए हैं और दावा किया है कि गरीबी 15 फीसदी कम हो गई है और अब गरीब घटकर मात्र 22 प्रतिशत रह गये हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 1973-74 में कुल 54.4 प्रतिशत, वर्ष 1977-78 में 51.3 प्रतिशत, वर्ष 1983 […] Read more » आंकड़ों की जुबानी आंकड़ों का सच
आर्थिकी गरीबी को चिढ़ाते आंकड़े July 31, 2013 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भ -योजना आयोग का दावा – प्रमोद भार्गव यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सप्रंग सरकार बीते साढ़े नौ साल में भी गरीबी की रेखा तय नहीं कर पार्इ। इसके विपरीत वह आंकड़ों की बाजीगरी दिखाकर गरीबी घटाकर गरीबों का उपहास जरूर करने में लगी है। योजना आयोग ने दावा किया है कि शहरी गरीब 33.33 और […] Read more » गरीबी को चिढ़ाते आंकड़े
आर्थिकी पूंजी निवेश का उतरता ज्वार July 29, 2013 / July 29, 2013 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव भारत में प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी निवेश का ज्वार उतार पर है। इस स्थिति को इस अर्थ में ले सकते है कि प्राकृतिक संपदा के अंधाधुंध दोहन बनाम लूट पर आधारित उदारवादी अर्थव्यस्था का मांडल लड़खड़ाने लगा है और अब इसमें पूंजी निवेश जैसे झटका उपचारों से सिथरता आने वाली नहीं है। क्योंकि निजीकरण […] Read more » पूंजी निवेश का उतरता ज्वार
आर्थिकी कर्नाटक से पास्को की वापिसी July 25, 2013 / July 25, 2013 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव यह एक सुखद खबर है कि दक्षिण कोरियार्इ पोहांग स्टील कंपनी ;पास्को ने कार्नाटक में अपनी परियोजना बंद करने का फैसला लिया है। यह इस्पात परियोजना 30 हजार करोड़ रुपए की लागत से कर्नाटक के गड़ग जिले के मुंडारगर्इ क्षेत्र में स्थापित की जा रही थी। लौह अयस्क खनन के लिए मशहूर क्षेत्र […] Read more » पास्को
आर्थिकी टॉप स्टोरी मौत का भोजन July 23, 2013 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव वैसे तो यह एक दयनीय स्थिति है कि दुनिया में महाशक्ति बनने का ढिंढोरा पीट रहे भारत की 12 लाख पाठशालाओं के 12 करोड़ बच्चों को मुफ्त में पोषाहार दिया जाता है। यह स्थिति तब और बदतर तस्वीर पेश कर जाती है, जब विशाक्त भोजन खाने के कारण बाल भगवानों के मरने की […] Read more » मौत का भोजन
आर्थिकी भ्रष्टाचार का भय और चीन July 20, 2013 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on भ्रष्टाचार का भय और चीन प्रमोद भार्गव अंतरराष्ट्रीय पारदर्शिता संस्थान के ताजा सर्वे से खुलासा हुआ है कि देश भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा हुआ है। राजनीतिक दलों और नौकरशाहों को यह एक चेतावनी है कि उनके प्रति लोगों में जबरदस्त नकारात्मक रुख है, इससे निपटने के यदि चीन की तरह कारगर उपाय नहीं तलाशे गए तो देश अराजकता के हवाले […] Read more »
आर्थिकी आहार-गरीबी से मुक्ति देगा खाद्य सुरक्षा कानून? July 7, 2013 / July 7, 2013 by संजय पराते | Leave a Comment संजय पराते भूख और कुपोषण इस दुनिया की सबसे बड़ी बीमारी है, जो प्रकृति के कोप के कारण नहीं, बल्कि सरकारों की उन नीतियों से पैदा होती है, जो गरीबों की जरूरतों की उपेक्षा कर अमीरों की तिजोरियों को भरने के लिए बनायी जाती हैं। यही कारण है कि पूरी दुनिया में कृषि से कई गुना ज्यादा हथियारों […] Read more » आहार-गरीबी से मुक्ति खाद्य सुरक्षा कानून
आर्थिकी मौन पीएम, विदेशी कर्ज और रुपयें की गिरती कीमत July 5, 2013 / July 5, 2013 by विकास कुमार गुप्ता | 4 Comments on मौन पीएम, विदेशी कर्ज और रुपयें की गिरती कीमत मौन पीएम, विदेशी कर्ज और रुपयें की गिरती कीमत आजादी पश्चात् हमारे ऊपर न तो कर्जा था न हमारी मुद्रा डॉलर से कमतर थी। हां एक चीज थी वह अंग्रेजी चारण भाटों की मौजूदगी। फिर क्या इन्हीं चारण भाटों की बदौलत विदेशी ताकतें अपनी नीतियों, लूट के दुष्चक्र को दुबारा यहां फैलाने में सफल हुईं।… […] Read more » मौन पीएम विदेशी कर्ज और रुपयें की गिरती कीमत