आलोचना किकू शारदा ने अनजाने में उस दाढ़ी में हाथ दाल दिया ,जिसमें असंख्य साँप -बिच्छू पल रहे हैं। January 15, 2016 by श्रीराम तिवारी | 3 Comments on किकू शारदा ने अनजाने में उस दाढ़ी में हाथ दाल दिया ,जिसमें असंख्य साँप -बिच्छू पल रहे हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी कह गए हैं कि “प्रीत विरोध समान सन ,,,,,”अर्थात दोस्ती -दुश्मनी तो बराबरी वाले से ही ठीक है। ज्यादा ताकतवर से रार ठानना या असमान दर्जे की दोस्ती हो दोनों ही स्थति में कमजोर की दुर्गति होना सुनिश्चित है। वैसे यह ज्ञान आम तौर पर सभी को है। लेकिन लगता है कि […] Read more » Featured kiku sharda arrested in ram rahim mimicri case किकू शारदा
आलोचना राजनीति ‘आप’ का तुगलकी फरमान December 7, 2015 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | 3 Comments on ‘आप’ का तुगलकी फरमान अदालत के यह कहने पर कि दिल्ली में रहना ऐसा है, जैसे ‘गैस चेम्बर’ में रहना, दिल्ली सरकार द्वारा की जा रही तुरंत कार्रवाई पर हमें उसे शाबाशी देनी होगी लेकिन उसने जैसी कार्रवाई सुझाई है, उस पर उसे सबसे ज्यादा शाबाशी कार कंपनियों के मालिक देंगे। यदि दिल्ली सरकार का तुगलकी फरमान स्थायी तौर […] Read more » ‘आप’ का तुगलकी फरमान Featured
आलोचना विविधा साहित्य आमिर, जानते हो देशभक्ति क्या होती है? December 2, 2015 / December 2, 2015 by अश्वनी कुमार, पटना | 5 Comments on आमिर, जानते हो देशभक्ति क्या होती है? आमिर, तुने देश के लिए क्या किया? क्या अपने किसी बेटे को सीमा पर भेजा? कभी किसी आपदाओं में जाकर मदद की? देश के लिए अपना क्या खोया? तुम्हारी बेगम जो अब तुम्हें ये देश छोड़कर जाने को कहती है उससे जरा जाकर पूछो तो की असहिष्णुता का इतिहास किसकी रगों में है? ‘अतुल्य भारत’ […] Read more » Featured आमिर
आलोचना साहित्य आलोचना की हद ! November 16, 2015 / November 18, 2015 by अवन्तिका चन्द्रा | Leave a Comment दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्त्रिक देश भारत की सबसे अच्छी खूबी यह है की यहाँ बड़े से बड़ा और सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी अपने देश की सरकार से सवाल पूछने और उसकी कमी बताने के लिए स्वतंत्र है . आज विश्व के बहुत से देशों के लोग जहा अपनी ही सरकार की तानाशाही सहने […] Read more » Featured आलोचना की हद !
आलोचना साहित्य साहित्य,स्वहित के बीच पुरस्कार वापसी पर प्रश्न… November 8, 2015 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on साहित्य,स्वहित के बीच पुरस्कार वापसी पर प्रश्न… अक्षय दुबे ‘साथी’ कहा जाता है कि साहित्य समाज का दर्पण होता है,साहित्य कालचक्र का साक्षी होता है.समाज में अच्छाइयों की रचना और बुराइयों की भर्त्सना करते हुए एक लोकतांत्रिक समाज को रचता है यही कारण है कि साहित्य अर्थात ‘सबका हित’ की परंपरा के निर्वहन करने वालों अर्थात साहित्यकारों को समाज बड़े सम्मान […] Read more » samman wapsi पुरस्कार वापसी
आलोचना समाज छोटा राजन को देश और दलितों का आदर्श मत बनाइये November 7, 2015 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on छोटा राजन को देश और दलितों का आदर्श मत बनाइये “ अपराध का रंग हरा है तो वह आतंकवाद और अगर गैरुआ है तो वह राष्ट्रवाद ,एक मुल्क के रूप में आखिर कहां जा रहे है हम ? “ ………………………………………………………………………………………………………………………………………….. अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन की इंडोनेशिया के बाली शहर में नाटकीय गिरफ्तारी तथा उसका आनन फानन में भारत लाया जाना किसी पूर्व निर्धारित पटकथा जैसा […] Read more » Featured छोटा राजन देश और दलितों का आदर्श मत बनाइये
आलोचना टॉप स्टोरी राजनीति झूठी लोकप्रियता के माफिक November 6, 2015 by प्रवक्ता ब्यूरो | 3 Comments on झूठी लोकप्रियता के माफिक आज जिस तरह से असहिष्णुता का राग आलाप करते हुये हमारे तथाकथित कुछ बुद्धिजीवी साहित्यकार,कलाकार,वैज्ञानिक और इतिहासकार एक झूठी मनसा तथा सस्ती लोकप्रियता पाने के चलते जिस तरह से सरकार को घेरने की कोशिश मे लगे है इससे एक बात तो साफ जाहिर होती है कि इन बुद्धिजीवियों का मकसद सीधे सीधे सरकार का दमन […] Read more » असहिष्णुता का राग आलाप झूठी लोकप्रियता झूठी लोकप्रियता के माफिक सस्ती लोकप्रियता हासिल करना
आलोचना ये बाबा नाव डूबा कर रहेंगे नमो की November 6, 2015 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment असहिष्णुता के मुद्दे पर प्रधानमंत्री की चुप्पी और उनके समर्थक साधुओं और योगियों की तल्खी से लगता है कि ये आग फिलहाल बुझने वाली नहीं है.पद्मश्री के लिए केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के पहले से शीर्षासन कर रहे बाबा रामदेव की मांग है कि ‘अगर शाहरुख सच्चे देशभक्त हैं तो उन्हें पद्मश्री सम्मान […] Read more » नमो
आलोचना राजनीति साहित्य कौन सी पुरस्कार वापसी? November 3, 2015 by प्रवक्ता ब्यूरो | 3 Comments on कौन सी पुरस्कार वापसी? कौनसी पुरस्कार वापसी? कौनसी साहित्यिक प्रतिभा? कौन से देश और समाज के हमदर्द? कौनसी मानवता के हितेशी? कौनसी प्रजाति के कलमकार? कौनसी सरकारो के “भांड “? लगता है देश मे पहली बार कोई घटना हुई है ? देश मे १९५४ की ग़लतिया जिसके कारण देश को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने स्वार्थ सिद्धि […] Read more » Featured पुरस्कार वापसी
आलोचना मुझे खेद है कि आप जिस व्यवस्था को बदलने आये थे उस व्यवस्था का अंग बन चुके हैं। June 25, 2015 by बीनू भटनागर | 3 Comments on मुझे खेद है कि आप जिस व्यवस्था को बदलने आये थे उस व्यवस्था का अंग बन चुके हैं। एक पत्र प्रिय अरविंद, जब से आम आदमी पार्टी बनी थी, एक उम्मीद थी कि ये राजनीति देश मे परिवर्तन लायेगी, भले ही समय लगे। 2013 मे ‘’आप’’ ने 28 सीटें जीती तो लगा कि जनता ये परिवर्तन चाहती है, फिर आप ने बहुत सोच समझने के बाद जनता से पूछकर सरकार बनाई तो आप […] Read more » Featured letter to Arvind Kejriwal
आलोचना विविधा धनकड़ के ये कैसे बोल? May 1, 2015 by रवि श्रीवास्तव | Leave a Comment किसान दिन-रात मेहनत कर अपनी फसल को उगाता है। लेकिन जब उसपर कुदरत मेहरबान नही होती तो इक पल में सारी मेहनत बर्बाद हो जाती है। देश की मजबूत अर्थव्यवस्था में खेती सबसे अहम है। सरकार को किसानों पर अधिक ध्यान देना चाहिए। देश की रीढ़ बने ये किसान आखिर कब तक इसका दंश […] Read more » Featured किसान खुदकुशी हरियाणा के कृषि मंत्री ओ पी धनकड़
आलोचना जरूर पढ़ें महत्वपूर्ण लेख मीडिया विधि-कानून विविधा व्यंग्य वाकई, मॉल के पास तक ही रहता है संविधान का राज March 17, 2015 / March 17, 2015 by बी.पी. गौतम | Leave a Comment फिल्में सिर्फ मनोरंजन भर का साधन नहीं हैं। आंदोलन का भी माध्यम हैं फिल्में। देश और समाज की दशा प्रदर्शित कर सामाजिक परिवर्तन में बड़ी सहायक रही हैं फिल्में। दलितों और महिलाओं के साथ पिछड़े वर्ग की सोच बदलने में फिल्मों की भूमिका अहम रही है। हाल-फिलहाल एनएच- 10 नाम की फिल्म चर्चा में है। […] Read more » comments against woman dangerous delhi eve teasing law Mall मॉल मॉल के पास तक ही रहता है संविधान का राज वाकई संविधान का राज