कहानी खूबसूरत अंजलि उर्फ़ बदसूरत लड़की की कहानी May 12, 2015 / May 12, 2015 by सुधीर मौर्य | Leave a Comment -सुधीर मौर्य- बहुत खूबसूरत थी वो लड़कपन में। लड़कपन में तो सभी खूबसूरत होते हैं। क्या लड़के, क्या लड़कियां। पर वो कुछ ज्यादा ही खूबसूरत थी। वो लड़की जो थी। लड़कियां हर हाल में लड़कों से ज्यादा खूबसूरत होती है। ये मैंने सुना था। लोगोंं से, कई लोगों से। कुछ माना, कुछ नहीं माना। फिर […] Read more » Featured अंजलि कहानी खूबसूरत अंजलि उर्फ़ बदसूरत लड़की की कहानी स्टोरी
कहानी विविधा रुमाल खो गया April 29, 2015 by रवि कुमार छवि | Leave a Comment -रवि कुमार छवि- शनिवार का दिन था। शाम के 5 बज चुके थे। दफ्तर के ज्यादातर कमरे बंद होने शुरु हो गए थे। रवि अपना बचा हुआ निपटाने में लगा हुआ था। इतने में पीछे से आवाज़ आती है अरे दोस्त चलना नहीं है क्या, कुछ देर अपनी उंगुलियों को थामते हुए ने कहा बस […] Read more » Featured कहानी रुमाल खो गया
कहानी मकान मालिक March 6, 2015 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment क़ैस जौनपुरी खिद्दीर अंकल के मां-बाप बचपन में ही खतम हो गए थे. बहराइच में उनके चाचा ने उन्हें पाला-पोसा, बड़ा किया. ये अगूंठा छाप थे. और पन्द्रह साल की उमर से ही रोजी-रोटी की कोशिश में लग गए थे. अपना पेट खुद पालते थे. मजदूरी की. ठेला चलाया. सब्जी बेची. पैसे के लिए […] Read more » मकान मालिक
कहानी मर्डर इन गीतांजलि एक्सप्रेस February 25, 2015 by विजय कुमार सप्पाती | 6 Comments on मर्डर इन गीतांजलि एक्सप्रेस ||| सुबह 8:30 ||| मैंने टैक्सी ड्राईवर से पुछा- “और कितनी देर लगेंगी।” उसने कहा – “साहब बस 30 मिनट में पहुंचा देता हूँ।” मैंने घडी देखी 8:40 हो रहे थे। मैंने कहा – “यार 9 बजे की गाडी है।” थोडा जल्दी करो यार। उसने स्पीड बढ़ा दी. मैं नासिक की सडको को देखने लगा। मैं अपनी कंपनी के काम से आया हुआ था. […] Read more » मर्डर इन गीतांजलि एक्सप्रेस
कहानी होली बाद नमाज़ February 19, 2015 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अहद एक मुसलमान है। मुसलमान इसिलए क्योंकि वो एक मुस्लिम परिवार में पैदा हुआ है। हां ये बात अलग है कि “वो कभी इस बात पर जोर नहीं देता है कि वो मुसलमान है। वो मुसलमान है तो है। क्या फर्क पड़ता है? और क्या जरुरत है ढि़ंढ़ोरा पीटने की?“ वो कभी इन बातों पर […] Read more » होली बाद नमाज़
कहानी फ़रिश्ता February 2, 2015 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment बहुत साल पहले की ये बात है. मुझे कुछ काम से मुंबई से सूरत जाना था. मैं मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर ट्रेन का इन्तजार कर रहा था. सुबह के करीब ६ बजे थे. मैं स्टेशन में मौजूद बुक्स शॉप के खुलने का इन्तजार कर रहा था ताकि सफ़र के लिए कुछ किताबे और पेपर खरीद […] Read more » फ़रिश्ता
कहानी भावनाओं का स्वरूप January 12, 2015 / January 12, 2015 by शिवदेव आर्य | Leave a Comment शिवदेव आर्य भावनाएं बड़ी विशाल होती हैं। भावनाओं के आधार पर ही हम प्राणी परस्पर व्यवहार करते हैं। जो भावनाओं के महत्त्व को समझ गया वह समझो इस बन्धरूपी संसार से मुक्त हो गया। इसलिए हम समझने का प्रयास करेंगे कि भावनाओं में आखिर क्या शक्ति है, जो इस संसार में हमें किसी का प्रिय […] Read more » भावनाओं का स्वरूप
कहानी वरदान December 26, 2014 by रामानुज मिश्र | Leave a Comment रामानुज मिश्र चलते-चलते रात जब थककर निढाल हो गयी तो उसने भोर की दहलीज पर बैठ अपने पाँव फैला दिये। गाँव के पूरबी आकाश में उगा टहकार शुकवा मीठी मुस्कान के साथ थकी हुई रात के कन्धे सहलाने लगा। मन्द-मन्द डोलती हवा ने गाँव को जगाना शुरु कर दिया। पेडों की पत्तियों भी धीरे-धीरे गुनगुनाती […] Read more » वरदान
कहानी प्राण November 27, 2014 by राम सिंह यादव | Leave a Comment दो ऊर्जाओं का संसर्ग और उससे उत्पन्न होता प्राण ,,,, कितनी अद्भुत संरचना है, ब्रह्मांड की !!!!!! मानव परे – रहस्य ,,,, आखिर कैसे मांस और मज्जा का स्थूल आवरण ओढ़ लेता है ???? चल–अचल काया किस तरह दृढ़ रहती है और कैसे इसके विलुप्त होते ही जर्जर होकर,,, आकार ढह जाते हैं??? विलक्षण है प्रकृति !!!! कभी ग्रहों को समेटे अनंत आकाश ,,,, कभी […] Read more » प्राण
कहानी चापलूसी November 13, 2014 / November 15, 2014 by रवि श्रीवास्तव | Leave a Comment अशोक अपनी मेहनत और हुनर के बल पर आज उस मुकाम पर है जिसकी दूसरे लोग कल्पना भी नही कर सकते है। सुबह के करीब दस बज रहे थे। अशोक अभी अपने कमरे में सो रहा था। टेलीफोन की घण्टी काफी देर से बज रही थी। अशोक के नौकर मोहन ने फोन उठाया। दूसरी तरफ […] Read more » चापलूसी
कहानी एक शहर की मौत November 9, 2014 / November 15, 2014 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment पर्दा उठता है मंच पर अँधेरे के बीच एक स्पॉट लाइट पड़ती है. उस स्पॉट लाइट के केंद्र में सूत्रधार आता है और दर्शको की ओर देखते हुए सबसे कहता है : “ दोस्तों, ये नाटक मात्र एक नाटक नहीं है, बल्कि हमारे देश के इतिहास का एक काला पन्ना है, इस पन्ने […] Read more » death of one city
कहानी एक आफिस ऐसा भी November 3, 2014 / November 15, 2014 by रवि श्रीवास्तव | Leave a Comment आफिस जाना है इसका ख्याल मन में आते ही लोगों को मन में कुछ अजीब सा ऐहसास होने लगता है। बहुत सारा काम करना पड़ेगा, बॉस की डॉट सुननी पड़ेगी, अच्छा काम किया तो थोड़ी सी सराहना मिलती है। पर इस कहानी में एक ऐसा आफिस है जो आप को थोड़ा हैरान कर देगा। सुबह […] Read more » एक आफिस ऐसा भी