कहानी अमृत वृद्धाश्रम October 16, 2014 by विजय कुमार सप्पाती | 7 Comments on अमृत वृद्धाश्रम विजय कुमार सप्पत्ति ||| एक नयी शुरुवात ||| मैंने धीरे से आँखे खोली, एम्बुलेंस शहर के एक बड़े हार्ट हॉस्पिटल की ओर जा रही थी। मेरी बगल में भारद्वाज जी, गौतम और सूरज बैठे थे। मुझे देखकर सूरज ने मेरा हाथ थपथपाया और कहा, “ईश्वर अंकल, आप चिंता न करे, मैंने हॉस्पिटल में डॉक्टर्स से […] Read more » अमृत वृद्धाश्रम
कहानी यौन कर्मी October 13, 2014 by अश्वनी कुमार | Leave a Comment अश्वनी कुमार दिल्ली का चांदनी चौक रोज की तरह आज भी कुछ सनसनीखेज करने के चाह अपने अंतस में छिपाए अनिल कुमार निकल बड़े अपने दफ्तर की राह पर… दफ्तर उनके घर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर था. तो रोजाना पैदल ही वहां तक का सफ़र तय किया करते थे. इसी दौरान अपने […] Read more » यौन कर्मी
कहानी शार्ट कट October 8, 2014 by प्रवक्ता ब्यूरो | 2 Comments on शार्ट कट प्रतिमा दत्ता संदीप पेशे से मेडीकल रिप्रजेंटेटिव | जॉब करते पांच साल बीत गये पर माली हालत सुधरने का नाम नही ले रही | चिंटू को साइकिल चाहिए तो बीबी के नये कपड़ों की फरमाइश |बीमार माता –पिता,बीबी बच्चे ,मकान किराया ,महीने के अंत तक हाथ खाली | डॉक्टरों को लुभाने के लिए कई दवा […] Read more » शार्ट कट
कहानी गिरवी September 25, 2014 by अश्वनी कुमार | 8 Comments on गिरवी -अश्वनी कुमार कॉलेज ख़त्म होने का आखिरी दिन, सभी लोग एक दूसरे से विदा ले रहे हैं. गले मिल रहे हैं. अपना फ़ोन नंबर बदल रहे हैं. एक दूसरे को भविष्य में न भूल जाने का प्रण ले रहे हैं. कहीं खुशियों के मारे लोग उछल कूद कर रहे हैं, तो कहीं आखों से आंसूं […] Read more » गिरवी
कहानी अधर्मी September 16, 2014 / September 16, 2014 by राम सिंह यादव | 2 Comments on अधर्मी भाई, चल जरा, उस किले की मुंडेर पर बैठते हैं……… काल चक्र के पहिये पर वापस कुछ सौ साल पहले घूमते हैं !!!!!! भाई वो देख कितनी धूल सी उड़ रही है पश्चिम से….. लगता है काले स्याह बादल घिर आये हैं……… वो अपना ही गाँव है न ????? ओह, काले कपड़ों […] Read more » अधर्मी
कहानी दिमागी उपज…या कुछ और…!! September 6, 2014 by अश्वनी कुमार | Leave a Comment अश्वनी कुमार बंगलौर… सुबह के लगभग 8 बज रहे होंगे… शर्मा जी रोज़ की ही तरह आज भी अपने बैंक की ओर अपनी गाडी लेकर चल पड़े… शर्मा जी एक सरकारी बैंक में मैनेजर के तौर पर कार्यरत हैं. बैंक 9 बजे के आसपास खुलना था आम लोगों के लिए, तो वह बैठकर अपने साथ […] Read more » दिमागी उपज
कहानी आत्महत्या September 2, 2014 / September 3, 2014 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment मुख्य कलाकार : कांस्टेबल रामसिंह सब इंस्पेक्टर काम्बले सूबेदार मेजर रावत डिप्टी कमांडेंट सिंह कमांडेंट देवेन्द्र सेकंड इन कमांडेंट यादव डॉक्टर कृष्णकुमार – साय्कोलोजिस्ट प्रारम्भ स्टेज पर पर्दा उठना सीन एक : [ स्टेज पर लाइट जलता है ] स्थान : ऑफिस का कोरिडोर स्टेज पर कांस्टेबल रामसिंह आता है और अपने एक साथी से […] Read more » आत्महत्या
कहानी उतर जा…! August 2, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -क़ैस जौनपुरी- मुंबई की लोकल ट्रेन प्लेटफ़ॉर्म पे रूकी. फ़र्स्ट क्लास के डिब्बे में फ़र्स्ट क्लास वाले आदमी चढ़ गए. फ़र्स्ट क्लास वाली औरतें अपने डिब्बे में चढ़ गईं. तभी एक नंग-धड़ंग आदमी फ़र्स्ट क्लास लेडीज़ डिब्बे में चढ़ गया. वो शकल से खुश दिख रहा है. उसके दांत और आंखें अन्धेरे में चमक रही […] Read more » उतर जा लघु कथा
कहानी हर कदम पर बंदिशें August 2, 2014 by अश्वनी कुमार | Leave a Comment -अश्वनी कुमार- जाड़ों का समय है सूरज के किरणों ने समुद्र की कोख में जाने का मन बना लिया है. धीरे-धीरे वह अगले दिन फिर से आने का संकेत करती हुई चमक (रोशनी) निरंतर कम होती हुई, संतरी और नीले आसमान से गायब हो रही है. हरियाणा के गांव सुकना के प्रधान के घर आज […] Read more » हर कदम पर बंदिशें हिन्दी कहानी
कहानी लघुकथा : मंदिर का पुजारी April 15, 2014 by आर. सिंह | 2 Comments on लघुकथा : मंदिर का पुजारी आर. सिंह एक समृद्ध मंदिर में पुजारी की आवश्यकता थी. राजाज्ञा से प्रधान पुजारी को अपने मंदिर के लिए पुजारी के चुनाव की जिम्मेवारी दी गयी थी..ढिंढोरा पिटवा कर दूर दूर तक इस सन्देश को प्रसारित गया था,जिससे अधिक से अधिक लोग इसमे भाग ले सकें.सबको उचित समय पर मंदिर के प्रांगण में पहुचना था. […] Read more »
कहानी अनसुलझे सवाल! January 13, 2014 / January 13, 2014 by अश्वनी कुमार | Leave a Comment -अश्वनी कुमार- कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी। पैरों से चढ़ती ठण्ड हाथों के कम्पन से होती हुई, दांतों की कड़कड़ाहट तक जा रही थी। घर से निकला तो देखा कोहरे की सफ़ेद चादर ने सारे आसमान पर अपना अस्तित्व जमा रखा है। कदम आगे की ओर बढ़ने से मना कर रहे थे, पर […] Read more » Story अनसुलझे सवाल
कहानी लघुकथा : जल्दी करो November 18, 2013 / November 18, 2013 by सुधीर मौर्य | 1 Comment on लघुकथा : जल्दी करो सुधीर मौर्य जल्दबाजी में इकरा बचते-बचाते गैर मजहब इलाके में आ गयी। धार्मिक नारे लगते लोग उसकी तरफ बढे, इकरा सूखे पत्ते की तरह कांपने लगी। किसी तरह आरती उसे उन्मादियों से बचा कर अपने घर लायी और कुछ दिन अपने मजहब की तरह कपड़े पहनने को कहा। दूसरे मजहब के लोग अल्लाह हो अकबर […] Read more »