कविता
पांच साल केजरीवाल
/ by रवि श्रीवास्तव
जो कहते थे मोफलर, खांसी साथ नही दिया, कोई साथी जोर आजमाइस की थी कितनी, तड़पे पानी बिन, मछली जितनी, सोच में पड़ गए, आज वो देखों, जो कहते थे सुनों ओ मित्रों जनता ने दे दिया हिसाब , दिल्ली में फिर जीती आप न चला मैजिक, न चली लहर आम आदमी का था कहर […]
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