कविता नजर झुकाये बेटियाँ January 25, 2021 / January 25, 2021 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment कभी बने है छाँव तो, कभी बने हैं धूप !सौरभ जीती बेटियाँ, जाने कितने रूप !! जीती है सब बेटियाँ, कुछ ऐसे अनुबंध !दर्दों में निभते जहां, प्यार भरे संबंध !! रही बढाती मायके, बाबुल का सम्मान !रखती हरदम बेटियाँ, लाज शर्म का ध्यान !! दुनिया सारी छोड़कर, दे साजन का साथ !बनती दुल्हन बेटियाँ, […] Read more » नजर झुकाये बेटियाँ
कविता सम्मान तिरंगा January 25, 2021 / January 25, 2021 by प्रभात पाण्डेय | Leave a Comment तिरंगा तो ,हमारी आन बान हैयह दुनिया में रखता ,अजब शान हैयह राष्ट्र का ईमान है ,गर्व और सम्मान हैस्वतन्त्रता और अस्मिता की ,यह एक पहचान हैक्रान्तिकारियों की गर्जन हुंकार हैविभिन्नता में एकता की मिसाल हैएकता सम्प्रभुता का कराता ज्ञान हैधर्म है निरपेक्ष इसका ,जाति एक समान हैयह तिरंगा तो ,हमारी आन बान हैयह दुनिया […] Read more » poem on republic day republic day सम्मान तिरंगा
कविता दादाजी January 24, 2021 / January 24, 2021 by आलोक कौशिक | Leave a Comment मुझे अपने पुत्र से इतना प्रेम नहींजितना अपने पोते से हैऐसा मेरे दादाजी कहते थे माँगते थे वो किसी से कुछ नहीं कभीदेकर सर्वस्व सबकोस्वयं अभावों में जीते थे यदा-कदा पिताजी की जिन बातों परनाराज़ होते थे दादाजीमेरी उन्हीं बातों पर मुस्कुराते थे दादाजी की हर बात सच हो जाती थीक्योंकि हर बात दादाजीअपने तजुर्बे […] Read more » poem on grandfather दादाजी
कविता सुभाष कटक के बेटे उड़िसा की शान January 24, 2021 / January 24, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकसुभाष कटक के बेटे उड़िसा की शान,भारत के बलिदानी सपूत तुम महान! तुम गए बर्लिन, जर्मनी और जापान,देश की आजादी के लिए दे दी जान! हिन्दी राष्ट्रभाषा हो ये तुम्हारे पैगाम,पर क्षेत्रीय भाषियों ने किए गुमनाम! तुम अति प्रतिभाशाली जननायक थे,गुलाम देश के सरकार-ए-हिन्दुस्तान! तुमसे चले मुद्रा-डाक-तार-रेडियो सेवा,दर्जनों देशों के दर्जा से गोरे […] Read more » poem on subhash chandra bose सुभाष कटक के बेटे
कविता कायर, धोखेबाज जने, जने नहीं क्यों बोस !! January 23, 2021 / January 23, 2021 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment कैसे भूले बोस को, सौरभ हिन्दुस्तान !कतरा-कतरा खून का, उनका यहाँ कुर्बान !! बच्चा-बच्चा बोस का, ऐसा हुआ मुरीद !शामिल होकर फ़ौज में, होने चला शहीद !! भारत के उस बोस की, गाथा बड़ी महान !अपनी मिट्टी के लिए, छोड़ा सकल जहान !! कब दुश्मन से थे झुके, जीए बोस प्रचंड !नहीं गुलामी को सहा, […] Read more » poem on subash chandra bose बोस
कविता कविता जन्म लेती सहृदय अंत:करण में January 23, 2021 / January 23, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकरोज-रोज न जानेकितनी कविताएं मर जाती! तुम वैनतेय बनकरउड़ेल दो दसियों अमृत कलशपर दूर्वा बन लहलहा नहीं पाती कविताएं! ढेर अंकुरित हो चुके होते बीज जेहन मेंजो तुम्हारी वजह से हीनिकाल नहीं पाती कोंपले! जरा सोचो क्या बिना हरी-भरी पतियों केकभी फला-फूला है कोई पौधा? कविता कोई चीज नहीं होती ऐसीजिसे उपजा लें […] Read more » कविता जन्म लेती सहृदय अंत:करण में
कविता सुभाष चन्द्र बोस जयंती January 23, 2021 / January 23, 2021 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment तुम मुझको दो खून अपना ,मै तुमको दे दूंगा आजादी |यही सुनकर देश वासियों ने,अपनी जान की बाजी लगा दी || यही सुभाष का नारा था ,जिसने धूम मच दी थी |इसी विश्वास के कारण हीउसने हिन्द फ़ौज बना दी थी || याद करो 23 जनवरी 1897 कोजब सुभाष कटक में जन्मे थे |स्वर इन्कलाब […] Read more » सुभाष चन्द्र बोस जयंती
कविता सुभाष चंद्र बोस January 23, 2021 / January 23, 2021 by मनीषा कुमारी आर्जवाम्बिका | Leave a Comment अटल था स्वदेश प्रेमइरादे थे उनके ठोसनेताजी कहते थे सबनाम था सुभाष चंद्र बोस विलक्षण बुद्धि के थे वोअद्वितीय था पराक्रमदेश की आज़ादी के लिएकिए उन्होंने सारे श्रम स्वाधीनता के बदलेवीरों से माँगते थे रक्तकरता है राष्ट्र नमनवो थे सच्चे देशभक्त ✍️ मनीषा कुमारी आर्जवाम्बिका Read more » सुभाष चंद्र बोस
कविता जन को-रोना से उबार दे January 22, 2021 / January 22, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —–विनय कुमार विनायकना राजा काना रानी काईश वंदना करता हूंनेता, अफसर, चपरासी काहक उपर से नीचे आएबीच में ना लटक जाएभ्रष्टाचार संहार दे! ना सस्ती काना महंगी काईश वंदना करता हूंमाल गोदाम तलाशी काखेत में पानी,जन को रोटीनकद में, उधार मेंअपना एक बाजार दे! ना तुलसी छंदना मुक्तक काईश वंदना करता हूंकबीरा की उलटबासी कानिराला […] Read more » जन को-रोना से उबार दे
कविता हे हंसवाहिनी माँ January 22, 2021 / January 22, 2021 by आलोक कौशिक | Leave a Comment हे हंसवाहिनी माँहे वरदायिनी माँ अज्ञान तम से हूँ घिराअवगुणों से हूँ मैं भरासुमार्ग भी ना दिख रहाजीवन जटिल हो रहा ज्योति ज्ञान की जलाकरगुणों की गागर पिलाकरसत्पथ की दिशा दिखाकरजीवन सफल बना दो माँ हे हंसवाहिनी माँहे वरदायिनी माँ तू ही संगीत तू ही भाषातुम ही विद्या की परिभाषातेरी शरण में जो भी आताबुद्धि […] Read more » हे हंसवाहिनी माँ
कविता करो न गम की बाते January 22, 2021 / January 22, 2021 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment करो न गम की बाते,आंखो को यू नम न करो |रखो दिल मे तसल्ली ,यू दिल मे गम न करो || पास बैठा हूँ मै तुम्हारे,जरा मुड़ कर तो देखो |प्यार करती हो मुझको बस उसे कम न करो || अभी दम है मेरे प्यार मे,उसे मरा न समझो |दम मे दम रखो तुम,उसे जरा […] Read more » करो न गम की बाते
कविता भीष्म:प्रतिभा अमर होती मिटती नहीं भौतिक प्रहार से January 21, 2021 / January 21, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment विनय कुमार विनायकभीष्म;प्रतिभा अमर होतीनाश हो सकती नहींकिसी घातक वार से जैसे कि ऊर्जा मिटती नहींकिसी भौतिक प्रहार से बदल जाती परिस्थितिनुसार असंभव था भीष्म को मारनानाकाफी थी अठारह अक्षौहिणी सेना किन्तु काफी था एक शिखण्डीभीष्म की जिजीविषा कोचिता भष्मी में बदलने के लिए शिखण्डी नाम नहींकिसी वीर्यवान पौरुष काया नारी की शक्ति का! शिखण्डी […] Read more » Bhishma: Pratibha immortal does not fade with physical hit भीष्म