कविता ये अपना नववर्ष नहीं है January 2, 2021 / January 2, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायक ये अपना नववर्ष नहीं है, अबतक कोई हर्ष नहीं है! कोविड19 से उबरे नहीं है, जीवन में उत्कर्ष नहीं है! सूर्य उत्तरायण में नहीं है, कमी ठिठुरन में नहीं है! जबके बसंती बयार नहीं, तब तक हम तैयार नहीं! जब चैत्र प्रतिपदा आएगा, तब ही बसंतऋतु छाएगा! अमुवां की डाली महकेगी, तबके […] Read more » ये अपना नववर्ष नहीं है
कविता नव उल्लास लिए नववर्ष के रंग.. January 2, 2021 / January 2, 2021 by सुशील कुमार नवीन | Leave a Comment भावनाओं का समुंद्र आकांक्षाओं की नाव, मस्ती के हिचकोले प्रेम की पाठशाला। उम्मीदों के लहराते पंख, बिजली की चमक, विश्वास का समर्पण, चाहत का उजियारा। फूलों की डगर, भंवरों की हंसी ठिठोली, खिलखिलाती कलियां, सूदूर जगमगाता अंबर| हंसती गाती रहे यारों की टोली, भरी रहे खुशियों की झोली, नव उल्लास लिए नववर्ष के रंग, नाचें […] Read more » नव उल्लास लिए नववर्ष के रंग
कविता मैं भगतसिंह बोल रहा हूं, मैं नास्तिक क्यों हूं? December 31, 2020 / December 31, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकमैं भगतसिंह बोल रहा हूंमैं नास्तिक क्यों हूं?मुझे नास्तिक कहनेवालेतुम आस्तिक कितने हो?किसी खास किस्म की लिबास पहने,किसी खास दिशा के ईश में आस्था,यदि आस्तिकता की परिभाषा हैतब तो मेरा नास्तिक है बसंती चोला!मेरा ईश्वर मेरे अंदर, सबके अंदरमेरा ईश्वर सभी दिशा में, सभी वेश में,मंदिर, गुरुद्वारा, मस्जिद, गिरजाघर में,धरती के जर्रा-जर्रा, हर […] Read more » I am speaking Bhagat Singh why bhagat singh an atheist मैं भगतसिंह बोल रहा हूं
कविता बुरे समय की आंधियां ! December 30, 2020 / December 30, 2020 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment तेज प्रभाकर का ढले, जब आती है शाम !रहा सिकन्दर का कहाँ, सदा एक सा नाम !! उगते सूरज को करे, दुनिया सदा सलाम !नया कलेंडर साल का, लगता जैसे राम !! तिनका-तिनका उड़ चले, छप्पर का अभिमान !बुरे समय की आंधियां, तोड़े सभी गुमान !! तिथियां बदले पल बदले, बदलेंगे सब ढंग !खो जायेगा […] Read more » बुरे समय की आंधियां
कविता नारी नहीं बंटेगी December 30, 2020 / December 30, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकसृष्टिकर्ता ब्रह्मा या खुदाबिना पचड़े में पड़े नारीगीता-बाइबल-कुरान मेंपढ़ती रही एक ही बात संतान की सुरक्षा, करुणा,दया, ममता प्रेम, अहिंसाऔर सृष्टि की हिफाजत! जल प्रलय से पहलेऔर जल प्रलय के बादनारी रही सिर्फ नारी! एक सी कथा-व्यथाएक सा उभार-धसांन-सिकनएक ही नारी जाति! किन्तु बदलता रहा नरसर्वदा मुखौटा लगा करकभी वक्ष पर रखकर पत्थरबना […] Read more »
कविता आओ सब मिलकर नव वर्ष मनाएं December 29, 2020 / December 29, 2020 by प्रभात पाण्डेय | Leave a Comment आओ सब मिलकर नव वर्ष मनाएंसुखद हो जीवन हम सबकाक्लेश पीड़ा दूर हो जाएस्वप्न हों साकार सभी केहर्ष से भरपूर हो जाएंमिलन के सुरों से बजे बांसुरीये धरती हरी भरी हो जाएहों प्रेम से रंजीत सभीऐसा कुछ करके दिखलायेंआओ सब मिलकर नव वर्ष मनाएं ||हम उठें व उठावें जगत कोसृजन का सुर ताल होहम सजग […] Read more » Let us all celebrate new year आओ सब मिलकर नव वर्ष मनाएं सेलिब्रेट न्यू इयर
कविता नारी तुम नारायणी नर है तुम्हारा अंश December 29, 2020 / December 29, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकनारी तुम्हारी सुंदरता है स्वर्ग से सुन्दर,नारी तुम्हारी आस्था है सृष्टि के ऊपर! नारी तुम्हारी इच्छा से ही उपजा अक्षर,कवि की लेखनी औ’ योद्धा की तलवार! नारी की प्रेरणा से सब करते चमत्कार,नारी तुम्हारे प्रेम से ही फैला ये संसार! नारी की उपेक्षा हीं है यमराज का द्वार,नारी की करुणा ही है बुद्ध […] Read more » नारी तुम नारायणी
कविता साहित्य नारी पुत्री ही नही वो माता है पिता का भी December 28, 2020 / December 28, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकनारी तुम्हारी बांहों में सोता है शिशु नर,नारी तुम्हारी बांहों में बंधा आकाशी नर! नारी तुम्हारी बांहों में रोता है मुमुक्षु नर,नारी तुम्हारी बांहों में शांति से मरता नर! नारी के प्यार में नर आता पुनः देह धर,नारी तुम्हारी गहराई को क्या नापेगा नर? नारी तुम्हारी सीमा को क्या बांधेगा नर?नारी तुम्हारा पग […] Read more » Not only a female daughter she is also a mother of a father नारी पुत्री ही नही वो माता है पिता का भी
कविता बन सौरभ तू बुद्ध !! December 27, 2020 / December 27, 2020 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment मतलबी संसार का, कैसा मुख विकराल !अपने पाँवों मारते, सौरभ आज कुदाल !! सिमटा धागा हो सही, अच्छे है कम बोल !सौरभ दोनों उलझते, अगर रखे ना तोल !! काँप रहे रिश्ते बहुत, सौरभ हैं बेचैन !बेरूखी की मार को, झेल रहें दिन-रैन !! जहर आज भी पी रहा, बनता जो सुकरात !कौन कहे है […] Read more » बन सौरभ तू बुद्ध
कविता इन दिनों।। December 27, 2020 / December 27, 2020 by अजय एहसास | Leave a Comment सुनते हैं आ गया है नया साल इन दिनोंकुछ की बदल गयी है देखो चाल इन दिनोंजो हाथ मिलाते थे अदब से करें आदाबअब पूछते नहीं हमारा हाल इन दिनोंसुनते हैं आ गया है नया साल इन दिनों।। क्या बात है मचा है क्यो बवाल इन दिनोंपूंजीपती ही देखो मालामाल इन दिनोंसड़कों पे उतरते हैं […] Read more » इन दिनों
कविता नारी तुम नारायणी हो नर का सृजनहार December 27, 2020 / December 27, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —–विनय कुमार विनायकनारी के ह्रदय में अमृत, मन में प्यार,नारी तुम्हारे सामने,बौना है ये संसार! तुम असीम,अतुलनीय ईश्वरीय शक्ति,तुलना तुम्हारी नर से करना है बेकार! तुम्हीं सरस्वती-भगवती-भवानी-मानवी,तुम अक्षर-जर-शक्ति-संस्कृति आधार! तुम्हारे सिवा ईश्वर को देखा है किसने,ईश्वर-अल्ला-भगवान होते हैं निराकार! राम-कृष्ण-बुद्ध-जिन-ईसा-गुरु-पैगम्बर,पाए हैं सबने तुम्हारी कोख में आकार! हिमगिरि सा उतुंग, तुम सागर सी गहरीतुम दया-माया-ममता-करुणा की […] Read more » female Creator of male Woman you are Narayani नारी तुम नारायणी
कविता मां नाम है उस देवी की जो जन्म हमें देती है December 26, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकमां नाम है उस देवी की, जो जन्म हमें देती है,मां सृष्टि में इकलौती है, जो सिर्फ हमें देती है! माता की ममता ऐसी है,जिसमें मन्नत होती है,मां ईश्वरीय सृष्टि में जीते जी जन्नत होती है! मां का गुणगान केवल मां शारदे कर सकती है,सारे देवी-देवता मूरत, मां देवी साक्षात होती है! सूर्य-चंद्र-तारे-धरती […] Read more » Mother is the name of the goddess who gives birth to us poem on mother पोयम ऑन मदर