कविता मगध साम्राज्य पाटलीपुत्र के राजवंश October 11, 2020 / October 11, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकमहाभारत कालीन बृहद्रथ पुत्र जरासंध केवंशजों की राजधानी गिरिव्रज थी मगध कीपांच सौ चौवालीस ई.पू.हर्यकवंशी भट्टी नेअपने पुत्र बिम्बिसार को गिरिव्रज की गद्दी दीगिरिव्रज को बिम्बिसार ने राजगृह का नाम दियाबिम्बिसार के पौत्र, अजातशत्रु के पुत्र उदायिन नेराजगृह से पाटलीपुत्र राजधानी को बदल दी थीअंतिम हर्यक नागदशक से शिशुनाग ने सत्ता ली! कहते […] Read more » Magadha Empire Pataliputra dynasty पाटलीपुत्र के राजवंश
कविता एक ही ईश्वर-रब-खुदा-भगवान राम है! October 11, 2020 / October 11, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —–विनय कुमार विनायकनुक़ता के हेर-फेर से जब खुदा जुदा हो जाता,ऐसे में एक ही ईश्वर-रब-खुदा-राम-भगवान है!राम कहो, रहमान कहो,आदम की संतान कहो! राम हीं हैं सत्य-सनातन आदि ईश्वर!राम को भजते महादेव अर्द्धनारीश्वर!राम अंशी हैं भगवान श्रीकृष्ण यदुवंशी! रामवंशी हैं बौद्ध धर्म के प्रवर्तक शाक्य मुनि!जैनियों के महावीर, सिखों के दस गुरु महान!राम सबके रोम-रोम में,भारत […] Read more » भगवान राम
कविता ज्येष्ठ पुत्र October 10, 2020 / October 10, 2020 by आलोक कौशिक | Leave a Comment पुत्र ज्येष्ठ है यदि तू अपने कुल कातो संघर्षों और विपत्तियों से मत डरचाहता है अनुज हो तेरा लक्ष्मण जैसापहले तू स्वयं राम-सा कर्म तो कर अपने पिता के वचन की लाज निभानेज्येष्ठ जटिल जीवन पथ अपनाते हैंहो प्राप्त विजय अनुजों को इसलिएसहर्ष वो स्वयं पराजित हो जाते हैं लाँघते नहीं मर्यादा कभी अपने कर्मों […] Read more » elder brother
कविता संस्कृत है संस्कृति की भाषा October 10, 2020 / October 10, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकजब बोली जाती भाषा, होता सम्भाषण!जब लिपीवद्ध नही की जातीभाषा होती है बोली!भाषा होती है भाष्य, जब बांध दिया जाताव्याकरण की रुढ़ी मेंभाषा हो जाती रुढ़ और गूढ़ भी संस्कृत जैसीजिसे बोली नहीं जातीउद्धरण और उदाहरण हो जातीसमेटे रखती है संस्कृति को!संस्कृति को जानना हैतो बचाए रखना होगा संस्कृत को!मनोकामना है कुछतो बचाए […] Read more » Sanskrit is the language of culture संस्कृत है संस्कृति की भाषा
कविता मुझे तुम बहुत याद आये October 9, 2020 / October 9, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment ज़ब जब वर्षा ऋतु आईनभ मे काली घटा छाईदिन मे अँधेरी छा जायेमनवा मेरा बहुत घबरायेबिजली बहुत चमक रही थीमन मन मे मैं डर रही थीमुझे तुम बहुत याद आयेमुझे तुम बहुत याद आये ज़ब ज़ब श्रंगार करने को चलीअपने पिया की होने मैं चलीतुमने ही मुझे दिया सहाराऔर दर्पण को मैंने निहारामुझे तुम उसमे […] Read more »
कविता मैं हिन्दू तू मुसलमान।। October 8, 2020 / October 8, 2020 by अजय एहसास | Leave a Comment मैं हिन्दू तू मुसलमान, हैं दोनों एक समानतू पढ़ लें मेरी गीता, मैं पढ़ लूं तेरी क़ुरान।। ईश्वर अल्लाह सबका है वो करता दुआ क़ुबूलईश जिसे मैं कहता हूं तू कहता उसे रसूलतेरी रूह आत्मा मेरी दोनों एक ही मानमैं हिन्दू तू मुसलमान, हैं दोनों एक समानतू पढ़ लें मेरी गीता, मैं पढ़ लूं तेरी […] Read more » मैं हिन्दू तू मुसलमान
कविता जैन तीर्थंकर वर्धमान महावीर October 8, 2020 / October 8, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकज्ञातृक गण प्रमुख सिद्धार्थ और वज्जिसंघ लिच्छवि केशिरोमणि चेटक कन्या त्रिशला के पुत्र वर्धमान महावीर!कश्यपगोत्री ज्ञातृक व्रात्य क्षत्रिय सिद्धार्थ पिता राजा सर्वार्थऔर माता श्रीमती देवी अनुयायी थे पार्श्वनाथ के निर्ग्रन्थी!मगधराज बिंबिसार पत्नी चेल्लना थी वर्धमान की मौसी!वैशाली के राजपुत्र वर्धमान महावीर अजातशत्रु का मौसेरा भाई! पांच सौ चालीस ई,पू.में वैशाली के पास कुंडग्राम […] Read more » Jain Tirthankara Vardhaman Mahaveer जैन तीर्थंकर वर्धमान महावीर
कविता धन धरती का चीज बेटी कोख में उगती October 8, 2020 / October 8, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकबेटा पतोहू ठुकराए तो बेटी काम आती,बेटा गेहूं की बाली है तो बेटी धान होती! वह मौत भी क्या जो आंखें नम न हो,कोई रोए ना रोए जनाजे पर बेटी रोती! बेटा है कि सबकुछ बांट लेता, डांट देता,बेटी खामोश हो के मन मसोस के रहती! बेटी को बेदखलकर नाम मिटा देते घर […] Read more » धरती का चीज बेटी
कविता परिवर्तन October 7, 2020 / October 7, 2020 by डॉ. ज्योति सिडाना | Leave a Comment अचानक कैसे बदल जाता है सब कुछराह चलते चलते आदमी तक बदल जाता है।गांव से शहर जाने वाले का पता बदल जाता हैऔर तो और चेहरे का नकाब बदलता है हर पल।मुझे लगता है सिर्फ नहीं बदलता तो जनवादमूर का ‘यूटोपिया’ और समाजवाद का वह स्वप्न‘प्रत्येक से उसकी योग्यता अनुसार, प्रत्येक को उसकी आवशयकतानुसार’।पिछले 73 […] Read more » परिवर्तन
कविता रिश्तों का भ्रम October 7, 2020 / October 7, 2020 by डॉ. ज्योति सिडाना | Leave a Comment हर रिश्ते की बुनियाद में स्वार्थ छिपा है,हर बात के पीछे कुछ न कुछ भावार्थ छिपा है,पैसों की इस दुनिया में भावनाओं का क्या काम,खोखले हैं रिश्ते सारे रख लो चाहे कोई भी नाम।जिसने खामोशी को बोलते, उदासी को चहकते नहीं देखा,धूप को ठिठुरते, आकाश को छटपटाते नहीं देखा,सागर को तरसते और आंसू को हंसते […] Read more » the illusion of relations रिश्तों का भ्रम
कविता नारी October 7, 2020 / October 7, 2020 by डॉ. ज्योति सिडाना | Leave a Comment उठो, जागो और लड़ोखुद के आत्मसम्मान के लिएखुद के अस्तित्व के लिए।सुना है न, भगवान भीउनकी मदद करता हैजो अपनी मदद खुद करते है।तो फिर इंतजार क्योंकिसी और से उम्मीद क्योंबहुत बनी तू सीता, द्रोपदीनिरीह बना तुझे लाज सौप दीजब चाहा प्यार कर लियाजब चाहा तलवार घोंप दी।कठुआ, दिल्ली, उन्नाव, हाथरसबहुत हुआ ये चीत्कार बसरूक […] Read more » poem on women नारी
कविता आर्य कौन, कहां से आए October 7, 2020 / October 7, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकआर्य कौन है?आर्य कहां से आए?यह आज भी पहेली हैकोई नही बुझा पाए हैंयह गुत्थी खुलती नहीकोई खोल नही पाए हैंसभी धारणा भटकाए! आर्य कौन थे?आर्य कहां से आए?आर्य यहां उग आए थेयहीं आर्यावर्त बसाए थेपूरी वसुधा में छाए थेधरा में स्वर्ग बसाएआर्य भारतवर्ष के! आर्य यही के थेआर्य नही बाहर केआर्य नही […] Read more » who are arya and from where do they came आर्य कौन