कविता मालिक एक।। July 9, 2020 / July 9, 2020 by अजय एहसास | Leave a Comment कोई गीता समझता है कोई कुरआन पढ़ता हैमगर ईश्वर की महिमा को नहीं नादाँ समझता है।वो तेरे पास ऐसे है, हृदय में श्वास जैसे हैजो उनका बन ही जाता है, ये बस वो ही समझता है।कोई गीता समझता है कोई कुरआन पढता है,मगर ईश्वर की महिमा को नहीं नादाँ समझता है।धर्म मजहब के नामों पर […] Read more » मालिक एक
कविता महाकाल मंदिर में विकास का सरेंडर July 9, 2020 / July 9, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment किया सरेंडर विकास ने,महाकाल के मंदिर में।काल न बचा सका,जब महाकाल था अन्दर में।। बुलाया था महाकाल ने उसको,केवल पकड़वाने को।महाकाल बना है केवल,ऐसे दरिंदो को मरवाने को।। महाकाल ने ही किया न्याय,जो कर सके न न्यायलय।इसलिए महाकाल कहलाता है,न्याय का शिवालय।। जो करता है सच्चे मन से पूजा,उसकी रक्षा वह करता।।जो होता है दुराचारी,उसकी […] Read more » Mahakal temple Surrender of vikas dubey Surrender of vikas dubey in Mahakal temple महाकाल मंदिर में विकास का सरेंडर
कविता मिथिला July 8, 2020 / July 8, 2020 by आलोक कौशिक | Leave a Comment हम प्रेमी पान मखान और आम केभगवती भी जहाँ अवतरित हुईंहम वासी हैं उस मिथिला धाम के संतानों को जगाने मिथिला की माएँसूर्योदय से पूर्व गाती हैं प्रभातीसुनाकर कहानियाँ ज्ञानवर्धकमिथिला की दादी बच्चों को सुलाती प्रतिभा जन्म लेती है यहाँ परकला और सौंदर्य का संसार हैदिखती यहाँ प्रेम की पराकाष्ठाविश्व प्रसिद्ध हर त्योहार है संस्कारों […] Read more » poem on mithila मिथिला
कविता कानपुर कांड July 8, 2020 / July 8, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment जब थाने ही कानपुर में बिक जायेगे,फिर कैसे अपराधी पकड़े जाएंगे।जब पूछे जाएंगे ये प्रश्न प्रशासन सेतब प्रशासक भी मूक हो जाएंगे।। जब थाने में मर्डर हो जाता है,सारा थाना मूक हो जाता है।फिर कैसे मिलेगी सजा अपराधी को,न्यायधीश भी कुछ नहीं कर पाता है।। जब पुलिस ही मुखबिर बन जाती है,खबर अपराधी तक पहुंच […] Read more »
कविता रोटी July 7, 2020 / July 7, 2020 by आत्माराम यादव पीव | 1 Comment on रोटी रोटी ब्रम्ह है रोटी आत्मारोटी प्रकृति है रोटी परमात्मारोटी जीवन है सबकी आसरोटी अन्न है सबकी सांसरोटी उंत्सव है मिले भरपेट खानारोटी बंधन है सबकुछ होकर न पानारोटी दिन है उम्मीद का सफररोटी तारीख है बच्चे का घररोटी महिना है नवयौवन के सपनेरोटी मकसद है निर्धन भी अपनेरोटी है मेहनतकश का पसीनारोटी है तो हर […] Read more » रोटी
कविता तस्वीर July 6, 2020 / July 6, 2020 by आलोक कौशिक | Leave a Comment मेरे जीवन मेंजब तक माँ मेरे साथ थीमैं कभी भीउस तरह से उसे नहीं देख सकाजिस तरह सेमुझे जन्म देकर उसने देखा था ना ही कभीसुन सका मैं उसकी तरहक्योंकि वहहृदय से श्रवण करती थीऔर मैंश्रुतिपटों से सुनता था अब रोज़नौकरानी आती है करने वो कामजिन कार्यों कोघर में माँ किया करती थीमूढ़मति था मैंमाँ […] Read more »
कविता शिव अराधना July 6, 2020 / July 6, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मिलता है सच्चा सुख केवल,शिव जी तुम्हारे ही चरणों में।रहे कृपा सदा तुम्हारी हम पर,और ध्यान रहे तुम्हारे चरणों में।। चाहे मौत गले का हार बने,चाहे बैरी सारा संसार बने।हम डिगे नहीं सच्चे पथ से,ये जीवन का संस्कार बने।। करे नित्य नियम से तेरी पूजा,कर्तव्यों को समझे तेरी पूजा।करे नहीं किसी का तिरस्कार,तभी सफल होगी […] Read more »
कविता ईट का ज़बाब,पत्थर से देना जानते है July 4, 2020 / July 4, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment ईट का ज़बाब,पत्थर से देना जानते है,चीन तेरे घर में,घुस कर मारना जानते है।मत दिखा अपनी हैंकड़ी,चीन अब तू हमें,तेरी हैकडी भी हम निकालना जानते हैं।।++++++++++++++++++++ शौर्य देख चीन दांतो तले,उंगलियां चबा बैठा,पाक भी डरकर,चीन की गोद में जा बैठा।सुन कर गर्जना,छप्पन इंची सीने वाले की, चीन सारी गलवान घाटी खाली कर बैठा।। चीन ज्यादा […] Read more » ईट का ज़बाब पत्थर से देना जानते है
कविता गलवान घाटी July 2, 2020 / July 2, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment चीन अनेकों चाल चल रहा है,गलवान घाटी को कब्जाने को।कोई बात न करो उससे अबछोड़ो उसे अब समझाने को।। दो कदम पीछे हटता है वहचार कदम आगे बढ़ जाता हैउसकी नीयत में खोट भरा हैजो चाहता है वह करता है।। बचाव नीति अब छोड़ो तुम,आक्रमक नीति अपनाओ तुम।अगर चार कदम बढ़ता है वोआठ कदम बढ़ […] Read more » Galvan Valley गलवान घाटी
कविता ख़यालों के स्वेटर June 29, 2020 / June 29, 2020 by अभिषेक कुमार अम्बर | Leave a Comment कवि अभिषेक कुमार अम्बर घटाएं आज बढ़ती जा रही हैंदिखाने पर्बतों को रोब अपनाहवाओं को भी साथ अपने लिया है।खड़े हैं तान कर सीने को पर्वतएक दूसरे का हाथ थामेकि अब घेराव पूरा हो गया हैगरजने लग गई है काली बदलीसुनहरे पर्वतों के रंग फीके पढ़ गये हैंमटमैली हुई जाती है उजली उजली पिंडरवही कुछ […] Read more » ख़यालों के स्वेटर
कविता मेरा भारत महान June 29, 2020 / June 29, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मिल जाए लिखी अच्छी बाते,उस पर अम्ल होना चाहिए।भले ही मेरा भारत महान नहीं,उसे हमेशा महान कहना चाहिए।। करना चाहती है वे देह व्यापार,पर उसे वैश्या कहना न चाहिए।अच्छा है उनको फिल्म इंडस्ट्री में,अच्छी हीरोइन बन जाना चाहिए। बोलता रहे झूठ भरी अदालत में,पर उसे सजा न मिलनी चाहिए।अच्छा है किसी शहर में जाकर,बड़ा वकील […] Read more » ”मेरा भारत महान्“
कविता भारत व चीन की फौज June 27, 2020 / June 27, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment भारत की फौज देखकर,चीन अब LAC से हटने लगा है।अभी तो रूस से जहाज आए नहीं,पहले से ही डरने लगा है।। भारत ने अभी कुछ कहा नहीं,चीन अभी से घुटने टेकने लगा है।अभी तो तोपो का मुंह खोला नहीं,अभी से वह डरने लगा है।। भारत ने अभी तोप दागी नहीं,चीन पहले से ही मिम्याने लगा […] Read more » भारत व चीन की फौज