कविता मां बाप और औलाद June 26, 2020 / June 26, 2020 by आर के रस्तोगी | 2 Comments on मां बाप और औलाद धूप में बाप और चूल्हे पर मां,औलाद के लिए है जलती ।तब कहीं जाकर औलाद मां बाप से है पलती ।। निकाल देती है औलाद जब मां बाप को घर से बाहर।यहीं औलाद बुढ़ापे में मां बाप को है खलती।। औलाद की तरक्की देख कर दुनिया है जलती।मां बाप की दुआए औलाद को हमेशा है […] Read more » मां बाप और औलाद
कविता जर जमीन जोरू ना होते June 24, 2020 / June 24, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment जर जमीन जोरू ना होते,इतने लड़ाई झगड़े ना होते।भगवान इनको बनाकर पछतायादुनिया में इतने मसले ना होते।। जरूरत न होती तो इजाद ना होतेइजाद पर इतने खर्च ना होते।अगर दुनिया में दोनों ना होते,हम सब इतने दुखी ना होते।। शादी न होती बच्चे ना होते,बीवी से लड़ाई झगड़े ना होते।बंदा शादी करके है पछताया,शादी के […] Read more » जर जमीन जोरू ना होते
कविता चीन न होता तो कोरोना न होता June 23, 2020 / June 23, 2020 by आर के रस्तोगी | 1 Comment on चीन न होता तो कोरोना न होता पेट न होता तो ये भूख ना होती,आंखे न होती तो ये शर्म ना होती।अगर ये भगवान ना बनाए होते,किसी से किसी की बात ना होती।। आंखे न होती तो ये आंसू ना होते,दिल न होता तो ये दर्द ना होता।अगर ये भगवान ना बनाए होतेकोई भी किसी का आज ना होता इंसान न होता […] Read more »
कविता पिता दिवस June 21, 2020 / June 21, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment पिता परमेश्वर तो नहीं,पर परिवार का तो पालक है।करता है दिन रात परिश्रम,वहीं घर का चालक है।। पिता ही पत्नी का पति है,उससे ही सारे रिश्ते बनते है।चाचा ताऊ नाना मामा,परिवार के रिश्ते इससे बनते है।। पिता ही मां का श्रंगार है,बच्चो का वह संसार कहलाता है।पिता ही घर की छत दीवार है,वह ही सबको […] Read more » पिता दिवस
कविता खेलने खाने दो उनको ! June 21, 2020 / June 21, 2020 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment खेलने खाने दो उनको,टहल कर आने दो उनको;ज़रा गुम जाने दो उनको,ढूँढ ख़ुद आने दो उनको ! नहीं कोई कहीं जाता,बना इस विश्व में रहता;स्वार्थ में रम कभी जाता,तभी परमार्थ चख पाता ! प्रयोगी प्रभु उसे करते,जगत बिच स्वयं ले जाते;हनन संस्कार करवाते,ध्यान तब उनका लगवाते ! बाल वत विचर सब चलते,प्रौढ़ होते समय लेते;प्रकृति […] Read more » खेलने खाने दो उनको
कविता बाबूजी का थैला June 20, 2020 / June 20, 2020 by डॉ. सदानंद पॉल | Leave a Comment ■ डॉ. सदानंद पॉल होश सँभालने से अबतक,थैले ढो रहे हैं बाबूजी;बचपन में स्लेट व पोथी लिएथैले ढोये थे बाबूजी;कुछ बड़े हुए, तो उसी थैले मेंटिकोले चुनते थे बाबूजी;उमर बढ़े, उसी थैले में मिट्टी खिलौने भरबेचने, मेले जाते थे बाबूजी;कुम्हारगिरी से गुजारे नहीं, तो दर्ज़ीगिरी लिएउसी थैले में कपड़े लाते थे बाबूजी;फिर टेलीफून भरकर उसी […] Read more » बाबूजी का थैला
कविता बहिष्कार करो चीनी माल का June 19, 2020 / June 19, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment बहिष्कार करो चीनी माल का,अगर देश को तुम्हे बचाना है।प्रण करो देशवासियों आज सभीभारत को आत्मनिर्भर बनाना है।। बन्द करो चीनी आयात को,निर्यात को तेजी से बढ़ाना है।भारत को आर्थिक दृष्टिकोण सेअब खूब माला माल बनाना है।। आत्मनिर्भर जब होगा भारत,तभी हर जंग लड़ पाएगा।चीन पाक जैसे मुल्कों को,तभी भारत धूल चटा पाएगा।। सेना सीमा […] Read more » बहिष्कार करो चीनी माल का
कविता शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने देंगे। June 18, 2020 / June 18, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment बलिदान अपने शहीदों का व्यर्थ नहीं जाने देंगे।चीन कर ले तू जितनी तैयारी,तुझे धूल चटा देगे।। लेंगे हर शहीद का बदला,तुझे जिंदा ही दफना देंगे।अगर आंखे उठाई इधर तूने,तेरी आंखें निकाल देंगे।। समझता क्या तू अपने को,तेरी हैकड़ी निकाल देंगे।घिरा है तू चौदह देशों से,उनसे भी आक्रमण करा देंगे।। करता है घमंड सस्ते माल पर,उसे […] Read more » The sacrifice of martyrs will not be allowed to go in vain. शहीदों का बलिदान
कविता किस्सा वो प्यार का । June 17, 2020 / June 17, 2020 by अजय एहसास | Leave a Comment अब तो पुराना हो गया वो किस्सा प्यार काकोई यार दूसरा हुआ अब मेरे यार काचलती थी जो बिखेरते राहों में खुशबुएंकोई पता बता दे मेरे उस बहार काअब तो पुराना हो गया वो किस्सा प्यार का ।। बस्ता लिये जो घर से पढ़ाई को निकलतेहो दोस्तों से दूर उनके पीछे थे चलतेवो सिर मुड़ा […] Read more » poem on love किस्सा वो प्यार का
कविता मौत से काहे को डरता बन्दे June 17, 2020 / June 17, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मौत से काहे को डरता बन्दे,मौत तो एक दिन आयेगी।सब कुछ रह जाएगा यहां,कुछ चीज नहीं तेरे संग जायेगी धन और दौलत कोठी बंगले,यही सब रह जाएंगे।खाली हाथ आया तू,खाली हाथ सब ही जाएंगे।। भज ले प्रभु का नाम तू,फिर समय नहीं मिल पायेगा।कब तेरा बुलावा आ जाए,पता नहीं तुझे चल पायेगा।। करता क्यू घमंड […] Read more » मौत से काहे को डरता बन्दे
कविता फिल्मी सितारे का अस्त होना June 15, 2020 / June 15, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment जाते जाते कुछ कह गए सुशांत,सुशांत होकर करा अपने को शान्त।था तनाव में करी क्यो खुदकशी ?मन में नहीं थी शायद कोई खुशी।। दुख है हमे तुम अपने शौक पूरे न कर पाए।अपनी आखरी मंजिल तक न पहुंच पाए।।सूना सूना सा लगता है ये सारा फिल्मी संसार।रो रहे सभी आज तुम्हारे फिल्मी नाते रिश्तेदार ।। […] Read more » suicide of sushant singh rajpoot
कविता यह कैसा बुरा वक़्त आया है। June 13, 2020 / June 13, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment जिंदा थे जब अस्तपताल नहीं,मरने के बाद अब श्मशान नहीं।यह कैसा बुरा वक़्त आया है,मरने के बाद भी आराम नहीं।। जब काम था आराम नहीं,अब आराम है काम नहीं।यह कैसा बुरा वक़्त आया हैहर हाथ को अब काम नहीं।। शव को जलाने को स्थान नहीं,दफनाने को अब कब्रिस्तान नहीं। यह कैसा बुरा वक़्त आया है,मुर्दे […] Read more »