मनोरंजन लेख विलुप्त होती कला को बचाने की चुनौती December 1, 2020 / December 1, 2020 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment अमरेन्द्र सुमनदुमका, झारखंड बड़े पैमाने पर आर्टिफिशियल (प्लास्टिक, फाइबर व अन्य मिश्रित धातुओं से निर्मित) वस्तुओं का उत्पादन और घर घर तक इनकी पहुँच से जहाँ एक ओर कुम्हार (प्रजापति) समुदाय के पुश्तैनी कारोबार को पिछले कुछ वर्षों से भारी क्षति का सामना करना पड़ा है, वहीं दूसरी ओर चीन निर्मित वस्तुओं का आयात और बड़े […] Read more » potters work on the verge of extinction vocal for local कुम्हार वोकल फॉर लोकल
आर्थिकी लेख सारे पूर्वानुमानों को नकारते हुए कहीं तेज़ी से आगे बढ़ रही है भारतीय अर्थव्यवस्था November 29, 2020 / November 29, 2020 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment देश में कोरोना महामारी के चलते दिनांक 27 नवम्बर 2020 को वर्ष 2020-21 की द्वितीय तिमाही में, सकल घरेलू उत्पाद में, वृद्धि सम्बंधी आंकड़े जारी कर दिए गए हैं। विभिन्न वित्तीय एवं शोध संस्थानों के पूर्वानुमानों को पीछे छोड़ते हुए भारत में सकल घरेलू उत्पाद में तेज़ गति से वृद्धि दर्ज की गई है। जहां […] Read more » Ignoring all forecasts Indian economy is growing at a fast pace तेज़ी से आगे बढ़ रही है भारतीय अर्थव्यवस्था भारतीय अर्थव्यवस्था
लेख हिंद स्वराज आर्थिक मजबूती से बढ़ेगा हिन्दी का साम्राज्य November 28, 2020 / November 28, 2020 by अर्पण जैन "अविचल" | Leave a Comment डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल‘ भाषा और भारत के प्रतिनिधित्व के सिद्धांत में हिन्दी के योगदान को सदा से सम्मिलित किया जा रहा है और आगे भी किया जाएगा, किन्तु वर्तमान समय उस योगदान को बाजार अथवा पेट से जोड़ने का है। सनातन सत्य है कि विस्तार और विकास की पहली सीढ़ी व्यक्ति की क्षुधा पूर्ति से जुडी होती है, अनादि […] Read more » Hindi empire will grow with economic strength आर्थिक मजबूती नई शिक्षा नीति हिन्दी का साम्राज्य
लेख हिंद स्वराज ब्रह्मोस बनी तीनों सशस्त्र बलों का बेहद शक्तिशाली हथियार November 28, 2020 / November 28, 2020 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment ब्रह्मोस: दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइल योगेश कुमार गोयल भारत पिछले करीब तीन माह के दौरान एंटी रेडिएशन मिसाइल ‘रूद्रम-1’, परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम मिसाइल ‘शौर्य’ सहित कई मिसाइलों का सफल परीक्षण कर चुका है। दरअसल भारत अपने दुष्ट पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान को ईंट का जवाब पत्थर से देने की […] Read more » एंटी रेडिएशन मिसाइल ‘रूद्रम-1 ब्रह्मोस मिसाइल शौर्य
लेख समाज गुरुनानक देव जी की सीखें हर काल में प्रासंगिक रहेंगी। November 27, 2020 / November 27, 2020 by डॉ नीलम महेन्द्रा | Leave a Comment ੴ ਸਤਿ ਨਾਮੁ ਕਰਤਾ ਪੁਰਖੁ ਨਿਰਭਉ ਨਿਰਵੈਰੁ ਅਕਾਲ ਮੂਰਤਿ ਅਜੂਨੀ ਸੈਭੰ ਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥ ॥ ਜਪੁ ॥ ਆਦਿ ਸਚੁ ਜੁਗਾਦਿ ਸਚੁ ॥ ਹੈ ਭੀ ਸਚੁ ਨਾਨਕ ਹੋਸੀ ਭੀ ਸਚੁ ॥1॥ एक ओंकार सतनाम, कर्तापुरख, निर्माह निर्वैर, अकाल मूरत, अजूनी सभं. गुरु परसाद ॥ ॥ जप ॥ आद सच, जुगाद सच, है भी सच, नानक होसे […] Read more » Learning of Guru Nanak Dev ji अकाल मूरत अजूनी सभं. गुरु परसाद आद सच एक ओंकार सतनाम कर्तापुरख गुरुनानक देव जी की सीखें जुगाद सच नानक होसे भी सच निर्माह निर्वैर है भी सच
लेख समाज सभ्य समाज का नासूर है नारी हिंसा और उत्पीड़न November 27, 2020 / November 27, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस ( 25 नवम्बर, 2020 ) परललित गर्ग भारत ही नहीं, दुुनियाभर की महिलाओं पर बढ़ती हिंसा, शोषण, असुरक्षा एवं उत्पीड़न की घटनाएं एक गंभीर समस्या है। संयुक्त राष्ट्र संघ महिलाओं पर की जा रही इस तरह हिंसा के उन्मूलन के लिए 25 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा एवं उन्मूलन दिवस के […] Read more » अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस नारी हिंसा नारी हिंसा और उत्पीड़न सभ्य समाज का नासूर
पर्व - त्यौहार लेख वर्त-त्यौहार मांगलिक कार्य आरम्भ होने का दिन है ‘‘देवोत्थान एकादशी’’ November 25, 2020 / November 25, 2020 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment देवोत्थान एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहते हैं। दीपावली के ग्यारह दिन बाद आने वाली एकादशी को ही प्रबोधिनी एकादशी अथवा देवोत्थान एकादशी या देव-उठनी एकादशी कहा जाता है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव चार मास के लिए शयन करते हैं। इस बीच हिन्दू धर्म में कोई भी मांगलिक कार्य शादी, विवाह आदि नहीं होते। देव चार महीने शयन करने के बाद कार्तिक, शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन उठते हैं। इसीलिए इसे देवोत्थान (देव-उठनी) एकादशी कहा जाता है। देवोत्थान एकादशी तुलसी विवाह एवं भीष्म पंचक एकादशी के रूप में भी मनाई जाती है। इस दिन लोग तुलसी और सालिग्राम का विवाह कराते हैं और मांगलिक कार्यों की शुरुआत करते हैं। हिन्दू धर्म में प्रबोधिनी एकादशी अथवा देवोत्थान एकादशी का अपना ही महत्त्व है। इस दिन जो व्यक्ति व्रत करता है उसको दिव्य फल प्राप्त होता है। उत्तर भारत में कुंवारी और विवाहित स्त्रियां एक परम्परा के रूप में कार्तिक मास में स्नान करती हैं। ऐसा करने से भगवान् विष्णु उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। जब कार्तिक मास में देवोत्थान एकादशी आती है, तब कार्तिक स्नान करने वाली स्त्रियाँ शालिग्राम और तुलसी का विवाह रचाती है। पूरे विधि विधान पूर्वक गाजे बाजे के साथ एक सुन्दर मण्डप के नीचे यह कार्य सम्पन्न होता है। विवाह के समय स्त्रियाँ मंगल गीत तथा भजन गाती है। कहा जाता है कि ऐसा करने से भगवान् विष्णु प्रसन्न होते हैं और कार्तिक स्नान करने वाली स्त्रियों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। हिन्दू धर्म के शास्त्रों में कहा गया है कि जिन दंपत्तियों के संतान नहीं होती, वे जीवन में एक बार तुलसी का विवाह करके कन्यादान का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। अर्थात जिन लोगों के कन्या नहीं होती उनकी देहरी सूनी रह जाती है। क्योंकि देहरी पर कन्या का विवाह होना अत्यधिक शुभ होता है। इसलिए लोग तुलसी को बेटी मानकर उसका विवाह सालिगराम के साथ करते हैं और अपनी देहरी का सूनापन दूर करते हैं। प्रबोधिनी एकादशी अथवा देवोत्थान एकादशी के दिन भीष्म पंचक व्रत भी शुरू होता है, जो कि देवोत्थान एकादशी से शुरू होकर पांचवें दिन पूर्णिमा तक चलता है। इसलिए इसे इसे भीष्म पंचक कहा जाता है। कार्तिक स्नान करने वाली स्त्रियाँ या पुरूष बिना आहार के रहकर यह व्रत पूरे विधि विधान से करते हैं। इस व्रत के पीछे मान्यता है कि युधिष्ठर के कहने पर भीष्म पितामह ने पाँच दिनो तक (देवोत्थान एकादशी से लेकर पांचवें दिन पूर्णिमा तक) राज धर्म, वर्णधर्म मोक्षधर्म आदि पर उपदेश दिया था। इसकी स्मृति में भगवान् श्रीकृष्ण ने भीष्म पितामह के नाम पर भीष्म पंचक व्रत स्थापित किया था। मान्यता है कि जो लोग इस व्रत को करते हैं वो जीवन भर विविध सुख भोगकर अन्त में मोक्ष को प्राप्त करते हैं। देवोत्थान एकादशी की कथा एक समय भगवान विष्णु से लक्ष्मी जी ने कहा- हे प्रभु ! अब आप दिन-रात जागा करते हैं और सोते हैं तो लाखों-करोड़ों वर्ष तक को सो जाते हैं तथा उस समय समस्त चराचर का नाश भी कर डालते हैं। अत: आप नियम से प्रतिवर्ष निद्रा लिया करें। […] Read more » Devotthan Ekadashi देवोत्थान एकादशी
लेख मांसाहार से पर्यावरण ही नहीं, अर्थ-व्यवस्था खतरे में November 24, 2020 / November 24, 2020 by ललित गर्ग | 1 Comment on मांसाहार से पर्यावरण ही नहीं, अर्थ-व्यवस्था खतरे में विश्व मांसाहार निषेध दिवस- 25 नवम्बर 2020– ललित गर्ग- प्रत्येक वर्ष 25 नवंबर को विश्व मांसाहार निषेध दिवस मनाया जाता है, इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि जानवरों के प्रति हिंसा के बर्ताव के प्रति संवेदनशीलता लाना और शाकाहार के प्रति लोगों को प्रेरित करना, जिससे एक सभ्य, अहिंसक और बेहतर समाज का […] Read more » The environment is in danger due to non-vegetarian consumption मांसाहार से अर्थ-व्यवस्था खतरे में विश्व मांसाहार निषेध दिवस- 25 नवम्बर
लेख आयुर्वेद और एलोपेथी का मिलन November 23, 2020 / November 23, 2020 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment डॉ. वेदप्रताप वैदिक भारत सरकार ने देश की चिकित्सा-पद्धति में अब एक एतिहासिक पहल की है। इस एतिहासिक पहल का एलोपेथिक डाॅक्टर कड़ा विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि देश के वैद्यों को शल्य-चिकित्सा करने का बाकायदा अधिकार दे दिया गया तो देश में इलाज की अराजकता फैल जाएगी। वैसे तो देश […] Read more »
लेख व्यंग्य सोसल साइट्स और वसुधैव कुटुबंकम की अवधारणा November 22, 2020 / November 22, 2020 by डा. प्रदीप श्याम रंजन | Leave a Comment विज्ञान और तकनीकी विकास के इस युग में कई आविष्कारों ने हमारे दैनिक जीवन में आवष्यक या अनावश्यक ढंग से घुसपैठ की है । कुछ ने लाभ पहुंचाए हैं तो कुछ ने नुकसान । कुछ के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता (रिसर्च चल रही है) । सोसल साइटस को हम ससम्मान ‘कुछ नहीं […] Read more » concept of Vasudhaiva Kutubankam Social sites सोसल साइट्स सोसल साइट्स और वसुधैव कुटुबंकम
लेख मैन्युअल स्केवेंजिंग : अमानवीय प्रथा खत्म हो पाएंगे? November 22, 2020 / November 22, 2020 by अब्दुल रशीद | Leave a Comment भारत में “मैनुअल स्केवेंजर्स का रोज़गार और शुष्क शौचालय का निर्माण (निषेध) अधिनियम, 1993” के तहत हाथ से मैला ढोने की प्रथा को 2013 में एक कानून के जरिए प्रतिबंधित कर दिया गया है। बावजूद इसके देश में आज भी लाखों लोग सीवरों और सेप्टिक टैंकों में उतरकर सफाई लिए मजबूर हैं। यह प्रथा अमानवीय […] Read more » manual scavenging Will Inhuman Practice of manual scavenging Be Over मैन्युअल स्केवेंजिंग
बच्चों का पन्ना लेख बचपन की उपेक्षा आखिर कब तक? November 19, 2020 / November 19, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment ‘सार्वभौमिक बाल दिवस’ 20 नवंबर, 2020 पर विशेष-ललित गर्ग-संपूर्ण विश्व में ‘सार्वभौमिक बाल दिवस’ 20 नवंबर, को मनाया जाता है। इस दिवस की स्थापना वर्ष 1954 में हुई थी। इस दिवस को “अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस” भी कहा जाता है। बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूकता, अंतर्राष्ट्रीय बाल संवेदना तथा बच्चों के कल्याण, शिक्षा एवं […] Read more » childhood is ignored How long until childhood is ignored बचपन की उपेक्षा सार्वभौमिक बाल दिवस