लेख साहित्य राष्ट्रवाद के महानायक मालवीय जी December 26, 2018 / December 26, 2018 by अरविंद जयतिलक | Leave a Comment पंडित मदनमोहन मालवीय जी का संपूर्ण सामाजिक-राजनीतिक जीवन स्वदेश के खोए गौरव को स्थापित करने के लिए प्रयासरत रहा। जीवन-युद्ध में उतरने से पहले ही उन्होंने तय कर लिया था कि देश को आजाद कराना और सनातन संस्कृति की पुर्नस्थापना उनकी प्राथमिकता होगी। 1893 में कानून की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे इलाहाबाद उच्च […] Read more »
लेख असुरक्षा का भाव : पलायन का एक प्रमुख कारण April 10, 2018 / June 10, 2022 by अरूण कुमार जैन | Leave a Comment ईस्ट इंडिया कंपनी के आने के बाद जिस प्रकार अंग्रेजों एवं अंग्रेजियत ने हिन्दुस्तान को जकड़ लिया था, उससे ऐसा प्रतीत होने लगा था कि हिन्दुस्तान अब गुलामी की जंजीरों में जकड़ा ही रहेगा किंतु देशभक्त क्रांतिकारियों या यूं कहिए कि देशभक्ति से ओत-प्रोत देशवासियों ने अहिंसक एवं बाद में हिंसक तरीकों से अंग्रेजी सरकार […] Read more » a major reason for migration Feeling of insecurity असुरक्षा का भाव पलायन का एक प्रमुख कारण
लेख गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-86 April 9, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का सत्रहवां अध्याय मनुष्य के पतन का कारण कामवासना होती है। बड़े-बड़े सन्त महात्मा और सम्राटों का आत्मिक पतन इसी कामवासना के कारण हो गया। जिसने काम को जीत लिया वह ‘जगजीत’ हो जाता है। सारा जग उसके चरणों में आ जाता है। ऐसे उदाहरण भी हमारे इतिहास में […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का सत्रहवां अध्याय
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-85 April 9, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का सोलहवां अध्याय काम, क्रोध और लोभ इन तीनों को गीता नरक के द्वार रहती है। आज के संसार को गीता से यह शिक्षा लेनी चाहिए कि वह जिन तीन विकारों (काम, क्रोध और लोभ) में जल रहा है-इनसे शीघ्र मुक्ति पाएगा। आज के संससार में गीता से दूरी […] Read more » Featured karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का सोलहवां अध्याय
लेख गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-84 April 7, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का सोलहवां अध्याय श्रीकृष्णजी की यह सोच वर्तमान विश्व के लिए हजारों वर्ष पूर्व की गयी उनकी भविष्यवाणी कही जा सकती है जो कि आज अक्षरश: चरितार्थ हो रही है। स्वार्थपूर्ण मनोवृत्ति के लोगों ने जगत के शत्रु बनकर इसके सारे सम्बन्धों को ही विनाशकारी और विषयुक्त बना दिया […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का सोलहवां अध्याय
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-83 April 7, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का सोलहवां अध्याय माना कि अर्जुन तू और तेरे अन्य चार भाई दुर्योधन और उसके भाइयों के रक्त के प्यासे नहीं हो, पर तुम्हारा यह कत्र्तव्य है कि संसार में ‘दैवीय सम्पद’ लोगों की सुरक्षा की जाए और ‘आसुरी सम्पद’ लोगों की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए उनके […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का सोलहवां अध्याय
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-82 April 3, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य    गीता का सोलहवां अध्याय गीता के 15वें अध्याय में प्रकृति, जीव तथा परमेश्वर का वर्णन किया गया है तो 16वें अध्याय में अब श्रीकृष्णजी मनुष्यों में पाई जाने वाली दैवी और आसुरी प्रकृतियों का वर्णन करने लगे हैं। इन प्रकृतियों के आधार पर मानव समाज को दैवीय मानव समाज […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-81 April 3, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  गीता का पन्द्रहवां अध्याय गीता में ईश्वर का वर्णन गीता का मत है कि सूर्य में जो हमें तेज दिखायी देता है वह ईश्वर का ही तेज है। ‘गीताकार’ का कथन है कि जो तेज चन्द्रमा में और अग्नि में विद्यमान है, वह मेरा ही तेज है, ऐसा जान। किसी कवि […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग
लेख गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-80 March 31, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का पंद्रहवां अध्याय और विश्व समाज जो लोग अपनी ज्ञान रूपी खडग़ से या तलवार से संसार वृक्ष की जड़ों को काट लेते हैं और विषयों के विशाल भ्रमचक्र से मुक्त हो जाते हैं- उनके लिए गीता कहती है कि ऐसे लोग अभिमान और मोह से मुक्त हो गये […] Read more » Featured karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का पंद्रहवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-79 March 31, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का पंद्रहवां अध्याय और विश्व समाज यह जो प्रकृति निर्मित भौतिक संसार हमें दिखायी देता है-यह नाशवान है। इसका नाश होना निश्चित है। यही कारण है कि गीता के पन्द्रहवें अध्याय में प्रकृति को ‘क्षर’ कहा गया है। इससे जो कुछ बनता है वह क्षरण को प्राप्त होता है। […] Read more » Featured आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का पंद्रहवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-78 March 29, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का चौदहवां अध्याय और विश्व समाज क्या है त्रिगुणातीत? जब श्रीकृष्णजी ने त्रिगुणों की चर्चा की और लगभग त्रिगुणातीत बनकर आत्म विजय के मार्ग को अपनाकर जीवन को उन्नत बनाने का प्रस्ताव अर्जुन के सामने रखा तो अर्जुन की जिज्ञासा मुखरित हो उठी। उसने अन्त:प्रेरणा से प्रेरित होकर श्रीकृष्णजी […] Read more » Featured आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का कर्मयोग और आज का विश्व त्रिगुणातीत विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-77 March 29, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का चौदहवां अध्याय और विश्व समाज मलीन बस्तियों में रहने वाले लोगों को हमें उनके भाग्य भरोसे भी नहीं छोडऩा चाहिए। उनके उत्थान व कल्याण के लिए सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर कार्य होते रहने चाहिएं। उनके विषय में हमने जो कुछ कहा है वह उनकी दयनीय अवस्था को ज्यों […] Read more » Featured आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का चौदहवां अध्याय विश्व समाज