लेख नैतिक मूल्य मानवता की पहचान होते हैं August 8, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी असंतोष, अलगाव, उपद्रव, आंदोलन, असमानता, असामंजस्य, अराजकता, आदर्श विहीनता, अन्याय, अत्याचार, अपमान, असफलता अवसाद, अस्थिरता, अनिश्चितता, संघर्ष, हिंसा यही सब घेरे हुए है आज हमारे जीवन को.व्यक्ति में एवं समाज में साम्प्रदायिकता, जातीयता, भाषावाद, क्षेत्रीयतावाद, हिंसा की संकीर्ण कुत्सित भावनाओं व समस्याओं के मूल में उत्तरदायी कारण है मनुष्य का नैतिक और […] Read more » नैतिक मूल्य मानवता की पहचान
लेख नये सपने बुनकर स्वतंत्रता को सार्थक दिशा दें August 6, 2016 / August 6, 2016 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग पन्द्रह अगस्त हमारे राष्ट्र का गौरवशाली दिन है, इसी दिन स्वतंत्रता के बुनियादी पत्थर पर नव-निर्माण का सुनहला भविष्य लिखा गया था। इस लिखावट का हार्द था कि हमारा भारत एक ऐसा राष्ट्र होगा जहां न शोषक होगा, न कोई शोषित, न मालिक होगा, न कोई मजदूर, न अमीर होगा, न कोई गरीब। […] Read more » independence आजादी के 69 वर्ष स्वतंत्रता
लेख शख्सियत साहित्य राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती ‘कवि दिवस’ August 2, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी जीवन परिचय:- मैथिलीशरण गुप्त का जन्म ३ अगस्त सन १८८६ ई. में पिता सेठ रामचरण कनकने और माता कौशिल्या बाई की तीसरी संतान के रुप में उत्तर प्रदेश में झांसी के पास चिरगांव में हुआ। माता और पिता दोनों ही वैष्णव थे। वे “कनकलता” नाम से कविता करते थे। इनके पिता सेठ […] Read more » ‘कवि दिवस’ मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त
लेख विविधा साहित्य महाराणा प्रतापसिंह का पवित्र स्मारक स्थल है कुम्भलगढ़ August 1, 2016 / August 1, 2016 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य महाराणा का व्यक्तित्व चित्रण महाराणा प्रताप भारतीय स्वातंत्रय समर के इतिहास के एक दैदीप्यमान नक्षत्र हैं। प्रताप एक ऐसा नाम है जिसको सुनकर हर व्यक्ति संसार के ताप-संताप, प्रलाप और विलाप छोडक़र केवल प्रताप से भर जाना चाहता है, एक ऐसा नाम जो राष्ट्र का ‘प्रताप’ भी है और ‘सिंह’ भी है। […] Read more » Featured Kumbhalgarh Maharana Pratap Singh कुम्भलगढ़ पवित्र स्मारक स्थल कुम्भलगढ़ महाराणा प्रतापसिंह
लेख दिल्ली विधानसभा चुनाव ‘आप’ की सफलता या ‘भाजपा’ की विफलता ? July 16, 2016 / July 17, 2022 by अरूण कुमार जैन | Leave a Comment दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम अप्रत्याशित तो रहे ही, साथ ही अनेक प्रश्न भी उत्पन्न हो गये। इस चुनाव से तमाम तरह की परंपराएं टूटीं। चुनावी पंडितों, भाजपा एवं कांग्रेस को भी बिल्कुल अहसास नहीं था कि उनका यह हाल होगा? हालांकि, कांग्रेस पार्टी को ऐसी भी उम्मीद नहीं थी कि वह सत्ता में पहुंचने के […] Read more »
लेख साहित्य संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा Part 11 July 15, 2016 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment अकबर की बहुत सी विजयों के उपरांत भी महाराणा प्रताप महान हैं राकेश कुमार आर्य , अकबर का महिमामंडन उचित नही अब हम अकबर पर पुन: चर्चा करते हैं। अकबर चित्तौड़ को लेने में सफल हो गया और हमारे इतिहासकारों द्वारा उसे महान होने का गौरव भी दे दिया गया। हम उसे प्रचलित इतिहास में […] Read more » Featured अकबर खान बाबा का अंत बैरम खां महाराणा प्रताप महान संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा : छल प्रपंचों की कथा
जन-जागरण लेख समाज साहित्य भाषा-विज्ञान में साम्राज्यवादी षड्यंत्रों से सावधान ! July 12, 2016 / July 12, 2016 by मनोज ज्वाला | 1 Comment on भाषा-विज्ञान में साम्राज्यवादी षड्यंत्रों से सावधान ! मनोज ज्वाला यूरोप के रंग-भेदकारी औपनिवेशिक साम्राज्यवादियों ने सम्पूर्ण विश्व, विशेष कर भारत पर अपना दबदबा कायम रखने और जबरिया उसका औचित्य सिद्ध करने तथा स्वयं को सर्वोपरी स्थापित करने के लिए एक ओर उपनिवेशित देशों की ऐतिहासिक सच्चाइयों व सांस्कृतिक विरासतों एवं सामाजिक संरचनाओं को तदनुरुप तोड-मरोड कर विकृत कर दिया , वहीं दूसरी […] Read more » Featured भाषा विज्ञान साम्राज्यवादी षड्यंत्रों से सावधान !
लेख साहित्य राणा उदयसिंह, जयमल और फत्ता की वीरता और मुगल बादशाह अकबर July 12, 2016 / July 12, 2016 by राकेश कुमार आर्य | 1 Comment on राणा उदयसिंह, जयमल और फत्ता की वीरता और मुगल बादशाह अकबर राकेश कुमार आर्य अकबर के शासनकाल को इतिहास में 1556 से 1605 ई. के मध्य माना गया है। इस काल में दिल्ली और चित्तौड़ की वीरता और हमारे वीर योद्घा महाराणा प्रताप का बार-बार उल्लेख होता है। अकबर के काल में चित्तौड़ का किला ही हमारे शौर्य और प्रताप का वह दुर्ग बन गया था, […] Read more » Featured जयमल और फत्ता की वीरता मुगल बादशाह अकबर राणा उदयसिंह
लेख 11 जुलाई : विश्व जनसंख्या दिवस July 11, 2016 / July 11, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी दुनिया में हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का महत्त्व तेजी से बढ़ती जनसंख्या से सम्बन्धित बिन्दुओं , चिन्ताओं तथा सम्भावनाओं पर सारी दुनिया के विकसित तथा विकासशील देशों के लोगों का ध्यान आकर्षित करना है। पहली बार यह कार्यक्रम सन् 1987 में मनाया गया […] Read more » 11 जुलाई : विश्व जनसंख्या दिवस Featured World Population Day जनसंख्या नियंत्रण
कला-संस्कृति लेख साहित्य संस्कृति पर हमला हो चुका है July 7, 2016 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य इस्लाम और ईसाइयत इन दोनों ने भारत में आकर इस देश की संस्कृति को मिटाने का हर संभव प्रयास किया। यदि यह क्रम बीते कल की बात हो गयी तो हम भी इसे ‘गड़े मुर्दे उखाडऩे’ की नीति मानकर छोड़ देते। किंतु दुर्भाग्य से यह क्रम आज भी थमा नही है। जो […] Read more » Featured इस्लाम और ईसाइयत राष्ट्रीय संस्कृति पर घातक प्रहार शिक्षा पर विदेशी प्रभाव संस्कृति पर हमला
लेख साहित्य दक्खिन का दर्द July 2, 2016 by संजय चाणक्य | Leave a Comment संजय चाणक्य ‘‘ तेरा मिजाज तो अनपढ़ के हाथों का खत है! नजर तो आता है मतलब कहां निकलता है!!’’ मेरी नानी बचपन में कहती थी कि दक्खिन की ओर मुह करके खाना मत खाओं,दक्खिन की ओर पांव करके मत सोओं। गांव में बड़े-बुजुर्ग कहते थे कि गांव के दक्खिन टोला में मत जाना। हमेशा […] Read more » दक्खिन का दर्द
लेख शख्सियत साहित्य नागार्जुन की कविता का भावबोध July 1, 2016 by शैलेन्द्र चौहान | Leave a Comment शैलेन्द्र चौहान बाबा नागार्जुन को भावबोध और कविता के मिज़ाज के स्तर पर सबसे अधिक निराला और कबीर के साथ जोड़कर देखा गया है। वैसे, यदि जरा और व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो नागार्जुन के काव्य में अब तक की पूरी भारतीय काव्य-परंपरा ही जीवंत रूप में उपस्थित देखी जा सकती है। उनका कवि-व्यक्तित्व […] Read more » Featured Poet Nagarjun काव्य-संसार नागार्जुन नागार्जुन का संपूर्ण काव्य-संसार बाबा नागार्जुन