लेख सनातन की अच्छाई धारण कर मानवता बचाई जा सकती November 8, 2024 / November 8, 2024 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकसनातन धर्म के सारे पंथ मत की अच्छाई को धारण करकेमानवता बचाई जा सकती विश्व में सच्चाई लाई जा सकतीहिन्दू धर्म की खासियत है नारी को देवी माता समझी जातीछोटी कन्याओं का पूजन कर नारी को मातृ रुप मानी जातीसनातनी होके नारी को बलात्कार हत्या से बचाई जा सकती! भगवान बुद्ध महावीर की […] Read more » सनातन की अच्छाई सनातन की अच्छाई धारण कर मानवता बचाई जा सकती
आर्थिकी लेख जनजाति समाज के लिए चलाई जा रही आर्थिक विकास की योजनाएं November 8, 2024 / November 8, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment जनजाति समाज बहुत ही कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए देश में दूर दराज इलाकों के सघन जंगलो के बीच वनों में रहता है। जनजाति समाज के सदस्य बहुत ही कठिन जीवन व्यतीत करते रहे हैं एवं देश के वनों की सुरक्षा में इस समाज का योगदान अतुलनीय रहा है। चूंकि यह समाज भारत के सुदूर इलाकों में रहता है अतः देश के आर्थिक विकास का लाभ इस समाज के सदस्यों को कम ही मिलता रहा है। इसी संदर्भ में केंद्र सरकार एवं कई राज्य सरकारों ने विशेष रूप से जनजाति समाज के लिए कई योजनाएं इस उद्देश्य से प्रारम्भ की हैं कि इस समाज के सदस्यों को राष्ट्र विकास की मुख्य धारा में शामिल किया जा सके एवं इस समाज की कठिन जीवनशैली को कुछ हद्द तक आसान बनाया जा सके। भारत में सम्पन्न हुई वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार अनुसूचित जनजातियों की कुल जनसंख्या 10.43 करोड़ है, जो भारत की कुल जनसंख्या का 8.6 प्रतिशत है। जनजाति समाज के सदस्यों को भारतीय राजनीति की मुख्यधारा में शामिल किए जाने के प्रयास भी किए जाते रहे हैं एवं इस समाज के कई प्रतिभाशाली सदस्य तो कई बार केंद्र सरकार के मंत्री, राज्यपाल एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री के पदों तक भी पहुंचे हैं। आज भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू भी आदिवासी समाज से ही आती हैं। केंद्र सरकार द्वारा जनजाति समाज को केंद्र में रखकर उनके लाभार्थ चलाई जा रही विभिन योजनाओं की विस्तृत जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से एक विशेष पोर्टल का निर्माण किया है। जिसकी लिंक है – भारत सरकार का राष्ट्रीय पोर्टल https://www.इंडिया.सरकार.भारत/ – इस लिंक को क्लिक करने के बाद “खोजें” के बॉक्स में जनजाति समाज को दी जाने वाली सुविधाएं टाइप करने से, भारत सरकार द्वारा प्रदान की जा रही विभिन्न सुविधाओं की सूची निकल आएगी एवं इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए उपयोग किए जाने वाले प्रपत्रों की सूची भी डाउनलोड की जा सकती है। जनजाति समाज के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं को दो प्रकार से चलाया जा रहा है। कई योजनाओं का सीधा लाभ जनजाति समाज के सदस्यों को प्रदान किया जाता है। साथ ही, कुछ योजनाओं के अंतर्गत राज्य सरकारों को विशेष केंद्रीय सहायता एवं अनुदान प्रदान किया जाता है और इन योजनाओं को राज्य सरकारों द्वारा क्रियान्वित किया जाता है। जैसे, जनजातीय उप-योजना के माध्यम से राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को जनजातीय विकास हेतु किए गए प्रयासों को पूरा करने के लिए विशेष केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है। इस सहायता का मूल प्रयोजन पारिवारिक आय सृजन की निम्न योजनाओं जैसे कृषि, बागवानी, लघु सिंचाई, मृदा संरक्षण, पशुपालन, वन, शिक्षा, सहकारिता, मत्स्य पालन, गांव, लघु उद्योगों तथा न्यूनतम आवश्यकता संबंधी कार्यक्रमों से है। इसी प्रकार, जनजातीय विकास हेतु परियोजनाओं की लागत को पूरा करने तथा अनुसूचित क्षेत्र के प्रशासन स्तर को राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों के बराबर लाने के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को भी अनुदान दिया जाता है। जनजातीय समाज के विद्यार्थियों को गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान करने के लिए आवासीय विद्यालय स्थापित करने हेतु भी उक्त निधियों के कुछ हिस्से का प्रयोग किया जाता है। राज्य सरकारों को वित्त उपलब्ध कराने सम्बंधी उक्त दो योजनाओं का केवल उदाहरण के लिए वर्णन किया गया है, अन्यथा इसी प्रकार की कई योजनाएं केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही हैं। इसी कड़ी में जनजाति समाज के सदस्यों को सीधे ही लाभ प्रदान करने के उद्देश्य से भी केंद्र सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। जिनमे मुख्य रूप से शामिल हैं – (1) आदिवासी उत्पादों और उत्पादन विपणन विकास की योजना; (2) एमएसपी योजना की मूल्य श्रृंखला के विकास के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से लघु वनोपज के विपणन हेतु योजना; (3) आदिवासी उत्पादों या निर्माण योजना के विकास और विपणन के लिए संस्थागत सहयोग की योजना; (4) आदिवासी क्षेत्रों में व्यावसायिक प्रशिक्षण योजना के अंतर्गत वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने की योजना; (5) जनजातीय क्षेत्रों में व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना की योजना; (6) जनजातीय अनुसंधान संस्थानों के लिए अनुदान योजना; (7) उत्कृष्ट केन्द्रों के समर्थन के लिए वित्तीय सहायता योजना जिसका लाभ जनजातीय विकास और अनुसंधान क्षेत्र में काम कर रहे विश्वविद्यालयों और संस्थानों को दिया जाता है। इस योजना का उद्देश्य विभिन्न गैर सरकारी संगठनों की संस्थागत संसाधन क्षमताओं को बढ़ाना और मजबूत बनाना है ताकि इन अनुसंधान संस्थानों और विश्वविद्यालय के विभागों द्वारा आदिवासी समुदायों पर गुणात्मक, क्रिया उन्मुख और नीति अनुसंधान का संचालन किया जा सके; (8) राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम (एनएसटीएफडीसी) और राज्य अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम (एसटीएफडीसी) को न्यायसम्य (इक्विटी) सहायता प्रदान करने की योजना। यह योजना केन्द्र सरकार द्वारा वित्त पोषित है और आदिवासी मामले मंत्रालय द्वारा शुरू की गई है; (9) आदिवासी आवासीय विद्यालयों की स्थापना सम्बंधी योजना; (10) अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए केन्द्रीय क्षेत्र की छात्रवृत्ति योजना; (11) अनुसूचित जनजाति के छात्रों की योग्यता उन्नयन संबंधी योजना; (12) अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति योजना। उक्त समस्त योजनाओं की विस्तृत जानकारी उक्त वर्णित पोर्टल पर उपलब्ध है। इसी प्रकार केंद्र सरकार के साथ साथ कई राज्य सरकारें भी जनजाति समाज के लाभार्थ स्वतंत्र रूप से कुछ योजनाओं का संचालन करती है। मध्यप्रदेश, भारत के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में गिना जाता है एवं मध्यप्रदेश में विविध, समृद्ध एवं गौरवशाली जनजातीय विरासत है जिसका कि मध्यप्रदेश में न केवल संरक्षण एवं संवर्धन किया जा रहा है, अपितु जनजातीय क्षेत्रों के समग्र विकास तथा जनजातीय वर्ग के कल्याण के लिए निरंतर कई प्रकार के कार्य भी किए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश में भारत की कुल जनजातीय जनसंख्या की 14.64% जनसंख्या निवास करती है। भारत में 10 करोड़ 45 लाख जनजाति जनसंख्या है, वहीं मध्यप्रदेश में 01 करोड़ 53 लाख जनजाति जनसंख्या है। भारत की कुल जनसंख्या में जनजातीय जनसंख्या का प्रतिशत 8.63 है और मध्यप्रदेश में कुल जनसंख्या में जनजाति जनसंख्या का प्रतिशत 21.09 है। मध्यप्रदेश में जनजाति उपयोजना क्षेत्रफल, कुल क्षेत्रफल का 30.19% है। प्रदेश में 26 वृहद, 5 मध्यम एवं 6 लघु जनजाति विकास परियोजनाएं संचालित हैं तथा 30 माडा पॉकेट हैं। मध्यप्रदेश में कुल 52 जिलों में 21 आदिवासी जिले हैं, जिनमें 6 पूर्ण रूप से जनजाति बहुल जिले तथा 15 आंशिक जनजाति बहुल जिले हैं। मध्यप्रदेश में 89 जनजाति विकास खंड हैं। मध्यप्रदेश के 15 जिलों में विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा, भारिया एवं सहरिया के 11 विशेष पिछड़ी जाति समूह अभिकरण संचालित हैं। मध्यप्रदेश सरकार जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक विकास के साथ ही उनके स्वास्थ्य एवं जनजाति बहुल क्षेत्रों के विकास के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं संचालित कर रही हैं। (1) मध्यप्रदेश के विशेष पिछड़ी जनजाति बहुल 15 जिलों में आहार अनुदान योजना संचालित की जा रही है, जिसके अंतर्गत विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा, भारिया और सहरिया परिवारों की महिला मुखिया के बैंक खाते में प्रतिमाह रू. 1000 की राशि जमा की जाती रही है। (2) आकांक्षा योजना के अंतर्गत अनुसूचित जनजाति वर्ग के 11वीं एवं 12वीं कक्षा के प्रतिभावान विद्यार्थियों को राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे जईई, नीट, क्लेट की तैयारी के लिए नि:शुल्क कोचिंग एवं छात्रावास की सुविधा प्रदान की जाती है। (3) प्रतिभा योजना के अंतर्गत जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को उच्च शासकीय शैक्षिक संस्थाओं में प्रवेश के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है। (4) आईआईटी, एम्स, क्लेट तथा एनडीए की परीक्षा उत्तीर्ण कर उच्च शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश पर रू. 50 हजार रूपये की राशि तथा अन्य परीक्षाओं जेईई, नीट, एनआईआईटी, एफडीडीआई, एनआईएफटी, आईएचएम के माध्यम से प्रवेश लेने पर रू. 25 हजार रूपये की राशि प्रदान की जाती रही है। (5) महाविद्यालय में अध्ययन करने वाले अनुसूचित जनजाति के जो विद्यार्थी गृह नगर से बाहर अन्य शहरों में अध्ययन कर रहे हैं, उन्हें वहां आवास के लिए संभाग स्तर पर 2000 रूपये, जिला स्तर पर 1250 रूपये तथा विकास खंड एवं तहसील स्तर पर 1000 रूपये प्रतिमाह की वित्तीय सहायता, आवास सहायता योजना के अंतर्गत प्रदान की जाती रही है। (6) इसी प्रकार की सहायता अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को विदेश स्थित उच्च शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययन के लिए भी प्रदान की जाती है।(7) अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के शैक्षणिक विकास के लिए प्रदेश के 89 जनजाति विकास खंडों में प्राथमिक शालाओं से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्तर की शालाएं संचालित की जा रही हैं जिनमें विद्यार्थियों को प्री-मेट्रिक तथा पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति दी जा रही है। (8) मध्यप्रदेश के अनुसूचित जनजाति के ऐसे विद्यार्थियों, जो सिविल सेवा परीक्षा में निजी संस्थाओं द्वारा कोचिंग प्राप्त कर रहे हैं, को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है। साथ ही अनसूचित जनजाति के प्रदेश के ऐसे विद्यार्थी, जो सिविल सेवा परीक्षा की प्राथमिक परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं, उन्हें 40 हजार रूपये, जो मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं उन्हें 60 हजार रूपये तथा साक्षात्कार सफल होने पर 50 हजार रुपए की राशि दी जाती रही है। (9) मध्यप्रदेश में जनजातीय लोक कलाकृतियों एवं उत्पादों को लोकप्रिय करने तथा उनसे जनजाति वर्ग को लाभ दिलाए जाने के उद्देश्य से उनकी जी आई टैगिंग कराई जा रही है। प्रथम चरण में 10 जनजाति लोक कलाकृतियों एवं उत्पादों की जीआई ट्रैगिंग कराए जाने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। इस प्रकार, केंद्र सरकार एवं विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा जनजाति समाज के लाभार्थ अन्य कई प्रकार की विशेष योजनाएं सफलता पूर्वक चलाई जा रही हैं ताकि जनजाति समाज की कठिन जीवन शैली को कुछ आसान बनाया जा सके एवं जनजाति समाज को देश की मुख्य धारा में शामिल किया जा सके। प्रहलाद सबनानी Read more » जनजाति समाज
पर्यावरण लेख डोनाल्ड ट्रम्प की दोबारा नियुक्ति डालेगी एनर्जी ट्रांज़िशन पर असर November 8, 2024 / November 8, 2024 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment इस सप्ताह अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर डोनाल्ड जे. ट्रम्प की दोबारा नियुक्ति के बाद, जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय की “नेट जीरो इंडस्ट्रियल पॉलिसी लैब” ने खुलासा किया है कि अमेरिका के क्लीन एनर्जी से पीछे हटने से वैश्विक बाजारों में करीब $80 बिलियन के नए अवसर पैदा हो सकते हैं, जबकि अमेरिकी कंपनियों को लगभग $50 बिलियन के निर्यात राजस्व का […] Read more » Bipartisan Infrastructure Law (BIL) CHIPS Act Donald Trump's re-appointment will impact energy transition Inflation Reduction Act (IRA) एनर्जी ट्रांज़िशन पर असर
लेख समाज अपराध और अपराधियों को बचाने में अधिकारियों की संलिप्तता November 8, 2024 / November 8, 2024 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment इन दिनों हम देखते है कि देश भर में उच्च पदों पर बैठे कुछ अफसरों के भ्र्ष्टाचार और यौन अपराधों में ख़ुद के शामिल होने और अपराधियों को बचाने में उनकी सलिंप्तता के मामले बढ़ते जा रहे हैं जो देश और समाज के लिए सही संकेत नहीं हैं। आख़िर कौन-सी वज़ह हैं कि उच्च पद […] Read more » अपराध और अपराधियों
बच्चों का पन्ना लेख बच्चों में स्क्रीन की बढ़ती लत एक गंभीर समस्या November 6, 2024 / November 6, 2024 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment स्कूल जाने वाले बच्चों के माता-पिता के लिए यह महत्त्वपूर्ण है कि वे तकनीक के इस्तेमाल के मामले में सीमाएँ तय करें। यहाँ एक विशेषज्ञ गाइड है जो आपको बताती है कि कैसे स्क्रीन की लत, मादक पदार्थों की लत की तरह, डोपामाइन के स्तर में वृद्धि पैदा करने के लिए जानी जाती है। स्क्रीन […] Read more » बच्चों में स्क्रीन की बढ़ती लत
लेख कपोत ए खत November 6, 2024 / November 6, 2024 by श्लोक कुमार | Leave a Comment ये दिन अब रंज सा लग रहा हैअहोरात्र तुम्हारी नालिश कर रहा हैमेरे भेजे कपोत का खत तुम्हे मिला क्या ?तुम मुझसे खफा क्यों होअब उसपे ए’तिबार भी करोनही इलावा कोई और तुम्हारेमेरे उर को अब इल्तिफ़ात करोसुन रही हो न तुम !कही तुमने उसे गरल तो नही दियाहर घूंट को उदक समझ पीयामुझे बिन […] Read more » कपोत ए खत
लेख विश्व के प्रथम जुते हुए खेत का साक्ष्य स्थल है ‘कालीबंगा’। November 5, 2024 / November 5, 2024 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment सुनील कुमार महला वैसे तो राजस्थान में बहुत से स्थान हैं जो पर्यटन व घूमने की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक दृष्टि से एक बहुत ही सुन्दर स्थान है -‘कालीबंगा’। हड़प्पा सभ्यता के बहुत ही दिलचस्प और महत्वपूर्ण अवशेष अपने में समाहित किए एक छोटा सा नगर […] Read more » 'Kalibanga' is the evidence site of the world's first plowed field. कालीबंगा
परिचर्चा लेख विविधा समाज समृद्धि के उजालों के बावजूद धनाढ्यों का पलायन क्यों? November 5, 2024 / November 5, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्ग:- भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थ-व्यवस्था बनने के साथ समृद्धि और संपन्नता के नये शिखरों पर आरोहण कर रहा है। भारत की आर्थिक प्रगति सकारात्मक दिशा में बढ़ रही है। हालिया आंकड़ों के अनुसार, देश में सोने का भंडार नई ऊंचाई पर पहुंच गया है, दूसरी तरफ डीमैट खातों और स्टार्टअप […] Read more » धनाढ्यों का पलायन क्यों
लेख शख्सियत समाज आम जन के कवि नागार्जुन November 5, 2024 / November 5, 2024 by कुमार कृष्णन | Leave a Comment (पुण्यतिथि 5 नवंबर पर विशेष) कुमार कृष्णन नागार्जुन मेरे लोकप्रिय कवि रहे हैं। उनके गुजरे 26 साल हो गए। उनकी कविताओं की प्रासंगिकता आज भी है। भले ही वे किसी कालखंड में लिखे गए हों। कई बार उनसे मिलने का मौका मिला। पहली बार उनसे भागलपुर के भगवान पुस्तकालय में मिला। उनसे मेरा परिचय हिन्दी […] Read more » Nagarjuna the common man's poet कवि नागार्जुन
पर्यावरण लेख ग्लोबल ट्री असेसमेंट रिपोर्ट के अनुसार खतरे में वृक्ष प्रजातियां। November 5, 2024 / November 5, 2024 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment हाल ही में आईयूसीएन यानी कि अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ द्वारा ग्लोबल ट्री असेसमेंट रिपोर्ट जारी की गई है जो यह बताती है कि तीन में से एक वृक्ष प्रजाति विलुप्त होने के खतरे में है। उल्लेखनीय है कि आईयूसीएन रेड लिस्ट जानवरों, कवक और पौधों की प्रजातियों के बीच विलुप्त होने के जोखिम का […] Read more » Tree species at risk according to the Global Tree Assessment Report. ग्लोबल ट्री असेसमेंट रिपोर्ट
लेख कितना सफल है गांवों में हर घर शौचालय का लक्ष्य? November 5, 2024 / November 5, 2024 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment सुहानीलूणकरणसर, राजस्थान इस माह के शुरू में राष्ट्रीय स्तर के एक समाचारपत्र ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट प्रकाशित करते हुए बताया है कि अब तक देश के 82.5 फीसदी परिवारों के पास शौचालय उपलब्ध है जबकि 2004-05 तक यह आंकड़ा मात्र 45 फीसदी था. इसका अर्थ है कि अब देश भर में ‘खुले […] Read more » How successful is the goal of having toilets in every house in villages गांवों में हर घर शौचालय
लेख राजनैतिक रूप से तठस्थ रहने के लद गये दिन November 5, 2024 / November 5, 2024 by इ. राजेश पाठक | Leave a Comment पिछले दशक दुनिया में जो कुछ विशेष प्रकार के परिवर्तन देखने को मिले। उनमें से एक है दैनिक रूप से चलने वाली गतिवीधीयों का ‘शस्त्र के रूप में उपयोग’। उनमें व्यापार, पर्यटन , कनेक्टिविटी, सप्लाई चैन य वित्तीय कुछ भी हो सकता है। इसीलिए हर चीज़ की ‘हेजिंग’ (घेराबंदी) आवश्यक हो चली है। कहने कि जरूरत नहीं, अब […] Read more » Gone are the days of being politically neutral. राजनैतिक रूप से तठस्थ