कविता साहित्य पुरा अवशेष November 20, 2015 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | 1 Comment on पुरा अवशेष दीखते पुरावशेष निस्तेज ,आज भी करते हैं अट्टहास । नष्ट होते रहते पल पल, गर्व से लेते हैं उच्छवास ।। समाधि में रहे जो लीन, अमर है आज सभी के साथ। शान्त अवशेष सा रहा बैठ, लगाया जादूगर सा आस।। जगी आंखें गई अब खुल, लगी गैंती कुदाल की चोट। पुराना बरसों […] Read more » पुरा अवशेष
कविता राजनीति साहित्य आज की हालत November 20, 2015 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | 1 Comment on आज की हालत डा. राधेश्याम द्विवेदी ’नवीन’ कोई गांधी की दुहाई देता कोई अम्बेडकर की , कोई लोहिया का फालोवर है कोई सरियत की। पर इन्सान में इन्सानिसत ढ़ूढ़े नहीं मिलती , अपने मन की सभी करते न फिकर औरों की।। शायद ही कोई कांग्रेसी गांधी को दिल से माने , शायद ही कोई मुस्लिम नारी को अपने […] Read more » Featured आज की हालत
कला-संस्कृति महत्वपूर्ण लेख लेख साहित्य हिंद स्वराज हिन्दू धर्म ही नहीं जीवन दर्शन है November 18, 2015 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | 3 Comments on हिन्दू धर्म ही नहीं जीवन दर्शन है डा राधेश्याम द्विवेदी हिन्दू राष्ट्र और हिन्दू धर्म को लेकर पूरे देश में कुछ लोगों ने एक मुहिम चला रखी है । अनेक राजनेता एवं धार्मिक जन इसका उल्टा.सीधा अर्थ निकालकर देश की भोली भाली जनता को दिग्भ्रमित कर रहे हैं । वे अपनी पूर्वाग्रहयुक्त बातों को समाज एवं राष्ट्र पर थोपने का प्रयास कर […] Read more » Featured hindu Hinduism हिन्दू धर्म जीवन दर्शन है हिन्दू धर्म है
कविता साहित्य अगर बन November 17, 2015 / November 17, 2015 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | 3 Comments on अगर बन डा. राधेश्याम द्विवेदी ‘नवीन‘ आर्यावर्त के भारतखण्ड में ब्रजमण्डल की धरती है । बारह वन चौबीस उपवन में अगर वन की बस्ती है ।। विन्ध्यांचल अरावली मध्य , भन्दर कौमूर पहाड़ियां हैं । भदरौली रसूल मदनपुरा , चुड़ियाली की चोटियां हैं। जरौती सुनौठी पथसाल , चित्रखुदी पहाड़ियां हैं। बदरौली जजौली में , आदिम युग की […] Read more » Featured अगर बन
लेख साहित्य महुवा डाबर : एक और जलियावालाबाग की अनकही कहानी November 17, 2015 / November 17, 2015 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी 1857 के स्वतंत्रता आन्दोलन में बस्ती मण्डल का योगदान सामान्य ही रहा। जिस समय यह जिला बना था उस समय यह गोरखपुर का भाग था। इसका कोई नागरिक केन्द्र नहीं था। इसके इतिहास को गोरखपुर के इतिहास से अलग करके नहीं देखा जा सकता है साथ ही गोण्डा एवं फैजाबाद से भी […] Read more » Featured एक और जलियालाबाग एक और जलियालाबाग की अनकही कहानी महुवा डाबर
व्यंग्य साहित्य सेल कुंआरी, सब पर भारी November 16, 2015 by अशोक गौतम | Leave a Comment कई दिनों से बाजार में तरह- तरह की फेस्टिव आॅफरों के शोर शराबे ने जीना मुहाल कर रखा था। राम के आने और लक्ष्मी के जाने के बाद अभी भी रहा सहा दिन का चैन, रातों की नींद दोनों गायब है। कम्बखत बाजार ने दिन- रात दौड़ा- दौड़ा कर मार दिया, मैं थक गया पर […] Read more » Featured सब पर भारी सेल कुंआरी
आलोचना साहित्य आलोचना की हद ! November 16, 2015 / November 18, 2015 by अवन्तिका चन्द्रा | Leave a Comment दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्त्रिक देश भारत की सबसे अच्छी खूबी यह है की यहाँ बड़े से बड़ा और सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी अपने देश की सरकार से सवाल पूछने और उसकी कमी बताने के लिए स्वतंत्र है . आज विश्व के बहुत से देशों के लोग जहा अपनी ही सरकार की तानाशाही सहने […] Read more » Featured आलोचना की हद !
व्यंग्य साहित्य सत्ता की सांप – सीढ़ी….!! November 15, 2015 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा बचपन में कागज के गत्ते पर सांप – सीढ़ी का खेल खूब खेला। बड़ा रोमांचक और भाग्य पर निर्भर होता था यह खेल। घिसटते हुए आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन तभी नसीब की सीढ़ी मिल गई और पहुंच गए शिखर पर। वहीं लगा बस अब मंजिल पर पहुंचने ही वाले है, तभी […] Read more » Featured सत्ता की सांप – सीढ़ी....!!
व्यंग्य साहित्य अभिनंदन करो नए राजा का November 15, 2015 by अशोक गौतम | 1 Comment on अभिनंदन करो नए राजा का अभिनंदन करो नए राजा का हे मेरे जंगलवासियो ! आपको यह जानकर खुशी होगी कि असली दांत टूट जाने के बाद चार- चार बार नकली दांत लगवा आपके हिस्से का मर्यादाओं के बीच रह खा -खाकर आनंद करने वाला आज सहर्ष घोषणा करता है कि मैं, आपका राजा, बेहोशी के हालात में अपने खाने -कमाने […] Read more » Featured अभिनंदन करो नए राजा का
साहित्य बर्बर शासक टीपू सुल्तान का महिमा मंडन क्यों? November 10, 2015 by विनोद बंसल | 3 Comments on बर्बर शासक टीपू सुल्तान का महिमा मंडन क्यों? हिंदू मानबिंदुओं पर प्रहार तथा हिंदू धार्मिक आस्था पर चोट करना आज के ‘सेक्यूलरवादियों’ का अधिकार-सा बनता जा रहा है। भारत, जो कि सोने की चिड़िया थी को पहले मुगलों ने, उसके बाद अंग्रेज़ों ने लूटा। उन्होंने न सिर्फ़ आर्थिक बल्कि धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और बौद्धिक रूप से भी हमें कंगाल किया। भारत की […] Read more » टीपू सुल्तान
लेख साहित्य पुरस्कार वापसी – अंर्तराष्ट्रीय साजिश November 8, 2015 / November 8, 2015 by डा. अरविन्द कुमार सिंह | 3 Comments on पुरस्कार वापसी – अंर्तराष्ट्रीय साजिश डा. अरविन्द कुमार सिंह जरा सोचिए, यदि संपूर्ण प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया का प्रकाशन एवं प्रसारण बंद कर दिया जाए तो हम राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य की घटनाओं तथा राजनेताओं के बारे में कितना जान पाते? राहुल गाॅधी, अरविन्द केजरीवाल तथा नरेन्द्र मोदी के बारे में कितना जानते? हमारी विचारधारायें सूचना के आभाव में कितनी धारदार हो […] Read more » Featured अंर्तराष्ट्रीय साजिश पुरस्कार वापसी
आलोचना साहित्य साहित्य,स्वहित के बीच पुरस्कार वापसी पर प्रश्न… November 8, 2015 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on साहित्य,स्वहित के बीच पुरस्कार वापसी पर प्रश्न… अक्षय दुबे ‘साथी’ कहा जाता है कि साहित्य समाज का दर्पण होता है,साहित्य कालचक्र का साक्षी होता है.समाज में अच्छाइयों की रचना और बुराइयों की भर्त्सना करते हुए एक लोकतांत्रिक समाज को रचता है यही कारण है कि साहित्य अर्थात ‘सबका हित’ की परंपरा के निर्वहन करने वालों अर्थात साहित्यकारों को समाज बड़े सम्मान […] Read more » samman wapsi पुरस्कार वापसी