कविता
एक तेज, ओढ तन आया था|
/ by डॉ. मधुसूदन
डॉ. मधुसूदन एक तेज, ओढ तन आया था- पथ आलोकित कर चला गया॥ धृ॥ नहीं चमक दमक; नहीं तडक भडक। पर ब्रह्म तेज की, सौम्य झलक॥ नहीं दाम याचना, नाम चाहना,। अहम्, दंभ; आडम्बर हीना॥ सरल निर्मल, तिलक तिल तिल। जीवन देकर चला गया ॥ एक तेज ओढ…….॥१॥ तरूवर सभीपर, छाया धरते। नदी दूजों की, […]
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