कविता बहनों के लिये शिविर में गाए जाने वाला गीत May 27, 2014 by विमलेश बंसल 'आर्या' | 1 Comment on बहनों के लिये शिविर में गाए जाने वाला गीत -विमलेश बंसल- सुनते आये रोज़ कहानी शौर्य, त्याग, बलिदान की। आओ बहनों बनें वाहिनी आर्य राष्ट्र निर्माण की॥ वंदे मातरम्-4 1. हम हैं शिक्षित हम हैं दीक्षित हाथों में अखबार लिये। हम हैं दुर्गा हम हैं काली कांधों पर हथियार लिये। असुरों को हम मार गिराएं परवाह न कर जान की॥ आओ बहनों… २. हम […] Read more » बहन बहन गीत
कविता अजनबी से मुलाकात May 24, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -लक्ष्मी जयसवाल- अजनबी से मुलाकात, जाने क्या हुआ उस दिन कि, राहों में देखकर कर उनको, दिल ठहर सा गया। जाने वो अजनबी मुझ पर, क्या जादू कर गया। जुबां तो ख़ामोश थी पर, आंखें हाल-ए-दिल उसका, मुझसे बयां कर गया। जाने क्या था उन आंखों में, कि उनकी गहराई में, दिल मेरा उतर गया। […] Read more » अजनबी से मुलाकात कविता हिन्दी कविता
कविता ना जाने क्यों May 24, 2014 by रवि कुमार छवि | Leave a Comment -रवि कुमार छवि- ना जाने क्यों आज-कल खोया-खोया सा रहता हूं, खुद से खफा रहता हूं, बिना हवा के चलने से पेड़ों को हिलते हुए देखता हूं, बिन बारिश के बादलों में इंद्रधनुष को देखता हूं, तो कभी, लहरों की बूंदों को गिनने की कोशिश करता हूं, ना जाने क्यों आज-कल खोया-खोया सा रहता हूं, […] Read more » कविता ना जाने क्यों हिन्दी कविता
गजल कब से भटकता है सफीना May 24, 2014 by जावेद उस्मानी | Leave a Comment -जावेद उस्मानी- साहिलों की जुस्तजू में, कब से भटकता है सफीना जाता है क़रीबे भंवर, कि कहीं नाख़ुदा तो मिल जाए स्याही से खींचते हैं कुछ लोग, सेहर की उम्मीद को उनको भी काश कभी कोई मशाले हुदा तो मिल जाए ढूढ़ते रहते हैं खुद को हर जा, कहीं हम हैं भी कि नहीं हैं […] Read more » गज़ल गज़ल संग्रह हिन्दी गजल
चुनाव व्यंग्य लोक सभा चुनाव की अनूठी उपलब्धि May 23, 2014 by बी एन गोयल | 1 Comment on लोक सभा चुनाव की अनूठी उपलब्धि -बी एन गोयल- हाल ही में संपन्न लोकसभा के चुनाव के बारें में चर्चा हो रही थी। इन चुनाव ने भारत के सामाजिक और आर्थिक पटल पर कुछ नयी उपलब्धियों दर्ज की हैं। कितने प्रत्याशी जीते, कितने हारे- इस पर चर्चा हर नुक्कड़ पर हो रही है लेकिन यह कोई विशेष बात नहीं है। कौन-कौन […] Read more » अमृता राय एनडी तिवारी चुनाव उपलब्धि दिग्विजय सिंह नारायण दत्त तिवारी लोकसभा चुनाव
कविता क्रोध May 23, 2014 by बीनू भटनागर | Leave a Comment -बीनू भटनागर- क्रोध क्या है? फट जाये तो ज्वालामुखी, दब जाये तो भूकंप! गल जाये वो बर्तन, जिसमें उसे रख दो, तेज़ाब की तरह! क्रोध इतना हो कि, वो जोश दिलादे! क्रोध इतना हो कि, न होश उड़ा दे! जो प्रेरणा बन जाये, उतना क्रोध ही भला। इसलिये, क्रोध की जड़ों को, पकड़ के, थोड़ा […] Read more » क्रोध क्रोध कविता क्रोध पर कविता
कविता हम नदी के दो किनारे May 22, 2014 by बीनू भटनागर | Leave a Comment -बीनू भटनागर- नदी के दो किनारों की तरह, मै और तुम साथ साथ हैं। हमारे बीच ये नदी तो, प्रवाह है, जीवन और विश्वास है। हमारे बीच इसका होना, हमें साथ रखता है, जोड़ता है, न कि दूर रखता है। मानो कि ये नदी हो ही नहीं, तो क्या किनारे होंगे! नदी पहाड़ पर हो […] Read more » कविता जीवन कविता
कविता कमल May 21, 2014 by बीनू भटनागर | Leave a Comment -बीनू भटनागर- कमल कुंज सरोवर में जब, ज्योतिपुंज रवि ने लहराया, शीतल समीर ने जल को छूकर, लहरों का इक जाल बिछाया। प्रातः की नौका विहार का, दृष्य ये अनुपम देखके हमने, नौका को कुछ तेज़ चलाया, दूर कमल के फूल खिले थे, उन तक हम न पहुंच सकते थे, दूर से देख कमलों पुष्पों […] Read more » lotus कमल कमल पर कविता
गजल मुझे समझ नहीं आता May 21, 2014 / May 22, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -आजाद दीपक- तुझसे क्या बातें करूं मुझे समझ नहीं आता, इश्क करूं या सवाल! मुझे समझ नहीं आता; मेरी कहानी जब लिखेगा वो ऊपर वाला, मिलन लिखेगा या जुदाई, मुझे समझ नहीं आता; सभी आशिकों के दिल पर इक नाम लिखा होता है, मेरे दिल पर क्या लिखा है, मुझे समझ नहीं आता; परिंदा होता […] Read more » गजल जीवन पर गजल
व्यंग्य वासना, संयम और गांधीजी May 19, 2014 by एल. आर गान्धी | Leave a Comment -एलआर गांधी- बापू की अस्मत फिरंगियों के बाजार में नीलाम होने जा रही है। बापू यूं तो कई बार नीलाम हुए मगर इस बार की बात कुछ ‘निजी’ सी है… राज परिवार के गान्धियों की निज़ता का विशेष ख्याल रखने वाली गांधीवादी सरकार उदासीन सी है। नीलामी में बापू के तीन खत बिकेंगे… एक खत […] Read more » गांधीजी बापू बापू के आरोप महात्मा गांधी महात्मा गांधी के आरोप हरी लाल पर आरोप
कविता धर्म क्या है? May 15, 2014 / May 15, 2014 by बीनू भटनागर | Leave a Comment -बीनू भटनागर- धर्म क्या है? केवल संस्कृति! या फिर एक नज़रिया! या फिर जीने की कला! जो है जन्म से मिला। धर्म जो बांट दे, धर्म जो असहिष्णु हो, तो क्या होगा किसी का भला! व्रत उपवास ना करूं, मंदिरों में ना फिरूं, या पूजा पाठ ना करूं, तो क्या मैं हिंदू नहीं? रोज़ा नमाज़ […] Read more » धर्म धर्म कहता है धर्म पर कविता
कविता हरिद्वार और ऋषिकेश May 14, 2014 by बीनू भटनागर | Leave a Comment -बीनू भटनागर- उत्तराखण्ड का द्वार हरिद्वार, यहां आई गंगा पहाड़ों के पार। पहाड़ों के पार शहर ये सुन्दर। सुन्दर शहर उत्तराखण्ड का मान। मंसादेवी, चंडीदेवी के मन्दिर सुन्दर, मंदिर का रास्ता बन गया है सुगम, केबल कार की यात्रा अति मनोरम। हर की पौड़ी शहर का मान, गंगा की आरती, गंगा की भक्ति, ऊपरी गंगा […] Read more » ऋषिकेश हरिद्वार हरिद्वार ऋषिकेश हरिद्वार कविता