व्यंग्य ‘माल’ से मालामाल सिनेमा की थाली! September 23, 2020 / September 23, 2020 by निरंजन परिहार | 1 Comment on ‘माल’ से मालामाल सिनेमा की थाली! सिनेमावालों की इज्जत की पूंजी चौराहों पर नीलामी के इंतजार में है। क्योंकि उनकी दमित कामनाएं दुर्गंध की नई सड़ांध रच रही है। चेहरों से नकाब उतर रहे हैं। सिनेमा की सारी सच्चाई समझने के बावजूद जया बच्चन सिनेमा को चरित्र प्रमाणपत्र बांट रही हैं। भुक्तभोगियों में भन्नाहट है। गटर की सफाई इसीलिए जरूरी है। […] Read more » thali mein ched माल से मालामाल सिनेमा की थाली सिनेमा की थाली
व्यंग्य सिनेमा बॉलीवुड की नयी थाली नीति September 23, 2020 / September 23, 2020 by नवेन्दु उन्मेष | Leave a Comment नवेन्दु उन्मेष बॉलीवुड विश्वविद्यालय का वेबिनार आयोजित था। विश्वविद्यालय के कुलपति औरसभी विभागाध्यक्ष बॉलीवुड की नयी शिक्षा नीति से लेकर थाली नीति पर अपनेविचार व्यक्त कर रहे थे। वेबिनार में वे बतला रहे थे कि अब विश्वविद्यालयमें थाली नीति को भी शामिल कर लिया गया है। थाली नीति के आने से यहांपढ़ने-वाले सभी अभिनेता-अभिनेत्रियों के […] Read more » बॉलीवुड की नयी थाली नीति
व्यंग्य दिल ने कहा दिल से September 19, 2020 / September 19, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आदमी के दिल को समझ पाना मुश्किल है। मेरे बचपन के मित्र सुनील मालवीय के पास जब भी बैठता हूँ तो वे बचपन की यादों के साथ सुख-दुख की बाते करते हुये आध्यात्म की चर्मोत्कृष्टता तक बात ले जाने का अवसर नही खोते है। गरीबी ओर मुफ़लिसी में बचपन गुजारने के कारण उन्हे ज़िंदगी […] Read more » दिल ने कहा दिल से
व्यंग्य ससुराल हेल्प लाइन September 14, 2020 / September 14, 2020 by नवेन्दु उन्मेष | Leave a Comment नवेन्दु उन्मेष इनदिनों खबर आ रही है कि देश के कई इलाके में लोग घर में बैठे-बैठे पत्नीसे लड़ रहे हैं। इसलिए देश के गृहस्थी मंत्रालय ने पति हित में एक निर्देशजारी किया कि पत्नी से लड़ों, मगर पत्नी वायरस के योद्धाओं से नहीं। पत्नीकी ढाल के लिए उनके मायके वालों को पत्नी योद्धा के […] Read more » sasural help line ससुराल हेल्प लाइन
व्यंग्य ड्रामेबाजी छोड़ें, मन से स्वीकारें हिंदी… September 13, 2020 / September 13, 2020 by सुशील कुमार नवीन | Leave a Comment सुशील कुमार ‘नवीन’ रात से सोच रहा था कि आज क्या लिखूं। कंगना-रिया प्रकरण ‘ पानी के बुलबुले’ ज्यों अब शून्यता की ओर हैं। चीन विवाद ‘ जो होगा सो देखा जाएगा’ की सीमा रेखा के पार होने को है। कोरोना ‘तेरा मुझसे पहले का नाता है कोई’ की तरह माहौल में ऐसा रम सा […] Read more » accept Hindi from your heart मन से स्वीकारें हिंदी
राजनीति व्यंग्य भेड़तंत्र September 13, 2020 / September 13, 2020 by वीरेन्द्र परमार | Leave a Comment प्राचीनकाल में चंपतपुर नामक एक राज्य था I जनता की मांग पर वहाँ भेड़तंत्र की स्थापना की गई I भेड़तंत्र अर्थात भेड़ों के लिए भेड़ियानुमा भेड़ों द्वारा संचालित ऐसी शासन – व्यवस्था जिसे भीड़तंत्र, वोटतंत्र और भेड़ियातंत्र भी कहा जाता है I उस तंत्र में वोट की नदी को पारकर लंपट, लफंगा, अपराधी, भ्रष्ट और […] Read more »
व्यंग्य भ्रष्टाचार अमर रहे ….. September 13, 2020 / September 13, 2020 by वीरेन्द्र परमार | Leave a Comment वीरेंद्र परमार आजकल सभी लोग भ्रष्टाचार का उन्मूलन करने के लिए प्राणपण से जुटे हुए हैं I देश की एक सौ तीस करोड़ जनता भ्रष्टाचार का समूल नाश करना चाहती है, लेकिन इसका नाश ही नहीं हो पा रहा है I जिसे देखो वह भ्रष्टाचार के पीछे पड़ा है, उसे मिटाने पर आमादा है I […] Read more » भ्रष्टाचार अमर रहे
व्यंग्य ‘हरामखोर’ मतलब ‘बेईमान नॉटी गर्ल’ …नोट कर लीजिए जनाब September 9, 2020 by सुशील कुमार नवीन | Leave a Comment आप भी समझ रहे होंगे, यह कैसी शब्दावली है। ‘हरामखोर’ का मतलब ‘ बेईमान नॉटी’ गर्ल कब से होने लगा है। हमें तो सदा यह गाली के प्रतीकात्मक स्वरूप में ही सुनने को मिला है। नालायक, कामचोर, आलसी, निक्कमा, नमकहराम, मुफ्तखोर,आदि आदि। मां का कहा काम नहीं करते तो मां का सीधा सम्बोधन यही होता […] Read more » फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौट
व्यंग्य हे ! कागदेव: नमस्तुभ्यम September 5, 2020 / September 5, 2020 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल हे ! कलयुग के पितृदेव। हम आपकी श्रेष्ठता को नमन करते हैं। हम समदर्शी सृष्टि का भी अभिनंदन करते हैं जिसने आपको पखवारे भर के लिए श्रेष्ठ माना है। लेकिन आपका सम्मान देख इहलोकवासी पिताम्हों को ईष्र्या होती है। कागदेव आप नाराज […] Read more » Kagadeva कागदेव
व्यंग्य भागदौड़ में कमी नहीं,तुम मानो चाहे ना मानो September 4, 2020 / September 4, 2020 by सुशील कुमार नवीन | Leave a Comment सुशील कुमार’ नवीन’ एक पुरानी कहानी सुनाने का मन कर रहा है। कहानी पुरानी जरूर है पर संदर्भ नया है। शेर से परेशान होकर जंगल के अन्य जीव-जंतुओं ने एक बार सभा की। सभा में सदियों से राजा के पद पर आसीन शेर की कार्यप्रणाली पर चर्चा की गई। हिरन- खरगोश बोले-ये कैसा राजा है […] Read more » man ki baat like dislike episode तुम मानो चाहे ना मानो प्रधानसेवक जी भागदौड़ में कमी नहीं लाइक-डिसलाइक प्रकरण
व्यंग्य थप्पड़ न लगे इसकी गारंटी नहीं, रुपये चाहे सौ और ले लो.. September 1, 2020 / September 1, 2020 by सुशील कुमार नवीन | Leave a Comment सुशील कुमार ‘ नवीन’ गांव के मुखिया के लड़के को किसी दूसरे बच्चे ने थप्पड़ मार दिया। दूसरा बच्चा भी खाते-पीते घर का था। सो मुखिया की उसे धमकाने की सीधी हिम्मत नहीं हो पाई। मुखिया ने कारण पता किया तो गलती उसी के लड़के की निकली। मुखिया चुप्पी साध गया। इसी बीच उसके किसी […] Read more » थप्पड़
व्यंग्य रात के व्यापारी रात नै ए जा लिए…. September 1, 2020 / September 1, 2020 by सुशील कुमार नवीन | Leave a Comment सुशील कुमार ‘नवीन’ अफसर तो भई अफसर ही होते हैं। उनके मुख से निकला हर वर्ण पत्थर की लकीर की तरह होता है। अब ये उन पर निर्भर है कि वो अपने मातहतों से चाहे मूसे(चूहे) पकड़वाए या उन पर लार टपकाने वाली बिल्ली। कुत्तों की प्रजातियों की गणना करवाये या गधे-घोड़ों की। सांडों की […] Read more » सुराप्रेमियों को गिनने सम्बन्धी पत्र