व्यंग्य पद, पैसा और पी.आर October 5, 2014 / October 5, 2014 by प्रवक्ता ब्यूरो | 5 Comments on पद, पैसा और पी.आर अर्चना चतुर्वेदी हमारे देश में दो चीजों की सबसे ज्यादा पूछ है यानि इज्जत है | यदि आपके पास उन दोनों में से कोई एक भी है, तो समझ लो आप राजा हैं और आपको आपके सपने पूरे करने से कोई नहीं रोक सकता | वो दो चीजें हैं पद यानि कुर्सी और पैसा | […] Read more » पद पैसा और पी.आर
व्यंग्य थप्पड़शास्त्र October 1, 2014 / October 1, 2014 by अनुज अग्रवाल | 12 Comments on थप्पड़शास्त्र आजकल थप्पड़ वाला फैशन चल रहा है | पहले जूते फेंकने का था | पर अब वो आउटडेटेड हो गया है | जूता वाला फैशन सक्सेसफुल नहीं था | कई पेंच थे उसमे सबसे बड़ा झंझट था निशाना लगाने का | अब हर कोई अभिनव बिंद्रा तो है नहीं जो 4 करोड़ खर्च कर निशाने […] Read more » थप्पड़शास्त्र
व्यंग्य ‘केजरी-बवाल’ देश के प्रधानमंत्री होते तो ? September 27, 2014 / September 28, 2014 by रोहित श्रीवास्तव | 6 Comments on ‘केजरी-बवाल’ देश के प्रधानमंत्री होते तो ? रोहित श्रीवास्तव देश के सबसे ईमानदार, कर्मठ एवं युग पुरुष धरने वाले बाबा भारत के प्रधानमंत्री होते तो शायद देश के हालात कुछ इस तरह होते। * देश मे पहली बार ‘धरने’ वाली सरकार होती। * देश के प्रधानमंत्री का स्वतन्त्रता दिवस पर लाल किले से भाषण कुछ ऐसा होता “हम अपने दुश्मनों से […] Read more » 'केजरी-बवाल' देश के प्रधानमंत्री होते तो
व्यंग्य सौफ़्टवेयर September 24, 2014 by बीनू भटनागर | 2 Comments on सौफ़्टवेयर गणित समझने मे हमे कभी भी दिक़्कत नहीं होती थी, अवधारणाये(concepts) सब समझ मे आ जाती थीं, बस गणना(calculation) ग़लत हो जाती थीं, जोड़, घटा गुणा भाग मे ग़लतियां होने से अंक कम रह जाते थे।उस ज़माने मे कम्प्यूटर क्या कैलकुलेटर भी नहीं होते थे।साँख्यकी(statistics) मे पाई डायग्राम या बार डायग्राम जैसी मामूली चीज़ों के […] Read more » सौफ़्टवेयर
व्यंग्य व्यंग्य बाण : आधार कार्ड वाले हनुमान जी September 14, 2014 by विजय कुमार | 1 Comment on व्यंग्य बाण : आधार कार्ड वाले हनुमान जी लीजिए साहब, सचमुच देश में अच्छे दिन आ गये। अच्छे दिन क्या, रामराज्य कहिए। लोग अपने अगले दिनों की चिन्ता में घुलते रहते हैं; पर हमारे महान देश के अति महान सरकारी कर्मचारियों ने पूर्वजों की देखभाल शुरू कर दी है। दुनिया भर के इतिहासकार और अभिलेखागार वाले सिर पटक लें; कम्प्यूटर से लेकर नैनो […] Read more » आधार कार्ड वाले हनुमान जी
व्यंग्य समाज जोधाएं बचेंगी तब न… September 10, 2014 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on जोधाएं बचेंगी तब न… ऋतू कृष्णा चैटरजी अकबर को जोधा नही दोगे ठीक बात है किन्तु अपने लिए भी नही चुनोगे ये कहां का इंसाफ है, उलटा जहां तक संभव होगा जोधा को धरती पर आने ही नही दोगे। भईया! अकबर को जोधा देने न देने की स्थिति तो तब आएगी न जब जोधाएं बचेंगी। लड़कियां बची ही कहां […] Read more » जोधाएं बचेंगी तब न
व्यंग्य अच्छे दिन ! September 9, 2014 by एल. आर गान्धी | Leave a Comment एल आर गांधी हाथ की दातुन से निपट कर आखिरी फोलक को थू …. कहने ही वाले थे कि चोखी लामा बीच में आ धमके … न दुआ न सलाम सरहद पार की फायरिंग की मानिंद सवाल दागा … बाबू आज का अखबार देखा … अनजान बालक सा चोखी का मुखारविंद तकता रह गया … […] Read more » अच्छे दिन
व्यंग्य भगवान भटकते गली-गली… August 15, 2014 by निर्मल रानी | Leave a Comment -निर्मल रानी- सम्राट अकबर के बारे में कहा जाता है कि वे पुत्र प्राप्ति की खातिर देवी से मन्नत मांगने माता वैष्णो देवी तथा ज्वाली जी के मंदिरों तक पैदल ही गये थे। आज भी यदि हम देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों पर जाएं तो हमें यह दिखाई देगा कि अब भी कई आस्थावान लोग […] Read more » भगवान भगवान भटकते गली-गली
व्यंग्य व्यंग्य बाण : आत्मकथा August 11, 2014 by विजय कुमार | Leave a Comment शर्मा जी कई दिन से बेचैन थे। जब भी मिलते, ऐसा लगता मानो कुछ कहना चाहते हैं; पर बात मुंह से निकल नहीं पा रही थी। मन की बात बाहर न निकले, तो वह भी पेट की गैस की तरह सिर पर चढ़ जाती है। रक्षाबंधन वाले दिन मैं उनके घर गया, तो शर्मानी मैडम […] Read more » व्यंग्य बाण : आत्मकथा
व्यंग्य किसकी आवाज़ बिकाऊ नहीं यहां August 4, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -अंशु शरण- 1. अवसरवाद लोकतन्त्र स्थापना के लिए वो हमेशा से ऐसे लड़ें, कि उखड़े न पाये सामंतवाद की जड़ें, इसलिए तो लोकतंत्र के हर स्तम्भ पर पूंजी के आदमी किये हैं खड़े। किसकी आवाज़ बिकाऊ नहीं यहाँ, संसद से लेकर अख़बार तक, हर जगह दलाल हैं भरे पड़े। तो हम क्यों ना जाये बाहर, […] Read more » किसकी आवाज़ बिकाऊ नहीं यहां व्यंग्य हिन्दी व्यंग्य
व्यंग्य वोट देवता जिन्दाबाद August 2, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -विजय कुमार- दिल्ली में ‘नमो सरकार’ बनने से सामाजिक संस्थाओं का रुख भी बदला है। जिस संस्था ने मुझे कभी श्रोता के रूप में बुलाने लायक नहीं समझा, पिछले दिनों उसके सचिव का फोन आया कि स्वाधीनता दिवस पर ‘संभ्रांत’ लोगों की सभा में मुझे भाषण देना है। यह सुनकर मैं डर गया। सम्भ्रान्त (सम्यक […] Read more » वोट वोट देवता वोट देवता जिन्दाबाद वोट व्यंग्य
व्यंग्य मोदी जी ! मंत्रियों की भी ‘क्लास’ लो July 14, 2014 / July 14, 2014 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment कौटिल्य ने देश को चलाने के लिए किसी मंत्री की योग्यता की एक व्यवस्थित सूची हमें दी है। उनके अनुसार-‘‘एक मंत्री को देशवासी (विदेशी ना हो) उच्चकुलोत्पन्न (संस्कारित और उच्च शिक्षा प्राप्त) प्रभावशाली, कलानिपुण, दूरदर्शी, विवेकशील, (न्यायप्रिय दूध का दूध और पानी का पानी करने वाला-नीर-क्षीर विवेकशक्ति संपन्न) अच्छी स्मृति वाला, जागरूक, अच्छा वक्ता,(समाज में […] Read more » modi teach your ministers also मोदी जी ! मंत्रियों की भी ‘क्लास’ लो