Category: सार्थक पहल

सार्थक पहल, sarthak pahal, new initiative

समाज सार्थक पहल

अनोखा मदरसा ‘मुईन उल इस्लाम’ में सद्भावना का पाठ

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आगरा देवरैठा का मदरसा हिंदू-मुस्लिम एकता की किसी मिसाल से कम नहीं है। यहां धर्म की दीवार तोड़ बच्चे उर्दू और संस्कृत दोनों विषयों की शिक्षा एकसाथ गृहण कर रहे हैं। मुस्लिम बच्चे संस्कृत के श्लोकों का उच्चारण जबकि हिंदू बच्चे कुरान की आयतें पढ़ते हैं। शिक्षक हों या बच्चे, सभी कहते हैं, मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना। कक्षा आठ की छात्रा निशा खान के मुंह से गायत्री मंत्र का उच्चारण सुन लगेगा मानो इस बच्ची की जुबां पर स्वयं सरस्वती मां विराजमान हो गई हैं। मासूम से चेहरे पर न तो किसी धर्म की परछाई दिखाई पढ़ती है और न ही किसी प्रकार का धार्मिक भेदभाव। कक्षा सात के छात्र ऋषभ उर्दू सीखता है और कुरान की आयतें भी पढ़ता है।

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पर्यावरण विविधा सार्थक पहल

यमुना का प्रदूषण और उमा भारती के प्रयास

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उमा भारती के अनुसार उन्होंने यमुना के लिए जो प्लान किया है उसमे दिल्ली से गंदा पानी अब मथुरा में नहीं आ पायेगा। नमामि गंगे प्रोजेक्ट में दिल्ली से आने वाला गंदा पानी ट्रीट होकर मथुरा की यमुना नदी में शुद्ध होकर आयेगा। जिसके लिए दिल्ली में भी कई प्रोजेक्ट्स को पहले ही लांच किया जा चुका है। इसके अलावा उमा भारती ने दिल्ली में यमुना को हाइब्रिड एन्यूटी पर ले जाकर पूरी की पूरी यमुना और उसके घाटों को ठीक करने की बात कही है। अगले चरण में आगरा की यमुना नदी को भी इस योजना का हिस्सा बनाने की बात की गयी है।’’ अब आगे देखने वाली बात होगी कि केंद्रीय मंत्री उमा भारती यमुना का कितना जीर्णोद्धार या कायाकल्प कर पाती हैं।

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विविधा सार्थक पहल

बिहार की ग्राम कचहरी का एक प्रत्यक्ष अनुभव

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बिहार के सन्दर्भ में ग्राम कचहरी में अब तक जो विवाद दाखिल हुए है और जिन पर कार्यवाही हुई है उनके सम्बन्ध में अब तक हुए अध्ययनों से जो तथ्य निकलते है उसमें जमींन सम्बन्धी विवाद 58% तथा घरेलु विवाद 20% है | इसमें से 85% विवाद दलित एवं पिछड़े वर्ग से सम्बंधित है | बिहार में ग्राम कचहरी में आये हुए इन विवादों का 90% हिस्सा समझौते के द्वारा तय हुआ है | अन्य 10% में 100 से 1000 रूपये तक का जुर्माना लगाया गया है | ज्यादातर मामलों में दोषी ने सहज रूप से जुर्माना भरा है | लगभग 03% विवाद ही ऊपर की अदालतों में अपील हेतु गए है |

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जन-जागरण विविधा सार्थक पहल

काले धन के जड-मूल : पाश्चात्य-पद्धति के स्कूल

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काले धन के विष-वृक्ष से समाज व देश को अगर सचमुच ही मुक्त करना है , तो इसकी पत्तियों व डालियों के ‘विमुद्रीकरण’ अथवा लेन-देन की प्रक्रिया के ‘कम्प्युटरीकरण’ से कुछ नहीं होगा ; बल्कि इसके लिए इसके जड-मूल अर्थात दीक्षाहीन पाश्चात्य शिक्षा-पद्धति को उखाड कर धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष-सम्पन्न भारतीय शिक्षण-पद्धति का पुनर्पोषण करना होगा ।

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