विविधा नरेश भारतीय की कविता – संकल्प कर, संकल्प कर August 8, 2013 / August 8, 2013 by नरेश भारतीय | Leave a Comment शूरवीरों की हुंकार भर गांडीव की टंकार कर नरसिंह की दहाड़ सा अपमान के प्रतिशोध का भारत के युवा रक्त संकल्प कर, संकल्प कर. मां भारती पुकारती निज भाग्य को धिक्कारती संतप्त वह संत्रस्त है चीन, पाक पूर्ववत् सतत् षड्यंत्र व्यस्त हैं. पाप का भरता घड़ा फूटने को है मगर अनजान क्यों शासक […] Read more »
विविधा विश्ववार्ता आतंक में शान्ति खोजती भारत सरकार August 8, 2013 by वासुदेव त्रिपाठी | Leave a Comment वासुदेव त्रिपाठी आज जब समूचा भारतीय उपमहाद्वीप बेहद संवेदनशील दौर से गुजर रहा है और नाटो सेनाएँ अफ़ग़ानिस्तान से निकलने की तैयारी में हैं, पाकिस्तान के बदतर हालातों के बींच सफल लोकतान्त्रिक सत्ता हस्तांतरण एशियाई व वैश्विक परिदृश्य में अत्यंत महत्वपूर्ण घटना है। नवाज़ शरीफ के रेकॉर्ड तीसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने हैं और […] Read more »
टॉप स्टोरी विविधा भारतीय राज्य पुनर्गठन –एक दृष्टि August 5, 2013 by डॉ. धनाकर ठाकुर | 9 Comments on भारतीय राज्य पुनर्गठन –एक दृष्टि डा॰ धनाकर ठाकुर भारत – राज्यों का संघ है – राज्य ही मूल इकाई होनी चाहिए जो २.५- ५ % आबादी या और क्षेत्रफल के मानडंडों को पूरा करने वाला हो मैं १९७७ से देश में सांगठनिक प्रवास कर रहा हु प्रान्त की जीविता , भूगोल, जलवायु, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, राष्ट्र की सुरक्षा और भाषा जो […] Read more » भारतीय राज्य पुनर्गठन
विविधा समाज प्रेमचंद या मुंशी प्रेमचंद ? August 4, 2013 / August 4, 2013 by डा. रवीन्द्र अग्निहोत्री | Leave a Comment डा. रवीन्द्र अग्निहोत्री 31 जुलाई । महान साहित्यकार एवं उपन्यास सम्राट प्रेमचंद का जन्मदिवस। इस अवसर पर अनेक लेखकों ने उन्हें याद किया, उनके साहित्य, उनकी विशेषताओं, उनके योगदान की चर्चा की। किसी ने उन्हें प्रेमचंद लिखा तो किसी ने मुंशी प्रेमचंद। यह तथ्य तो प्रायः सर्वज्ञात है कि जिन्हें हम ” प्रेमचंद ” के नाम से […] Read more » प्रेमचंद या मुंशी प्रेमचंद ?
विविधा एक ही थैली के चट्टे बट्टे August 4, 2013 / August 4, 2013 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य जब हम किन्हीं दो या दो से अधिक लोगों के विषय में ये कहते हैं कि वे तो दोनों या वे सब एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं, तो सामान्यत: इसका अर्थ कुछ इस प्रकार लेते हैं, जैसे वे एक ही थैली के बट्टे (तोल में काम आने वाले बाट आदि) है। इस बट्टे के […] Read more » थैली के चट्टे बट्टे
विविधा व्यंग्य जाम-स्तुति August 2, 2013 / August 2, 2013 by डा.राज सक्सेना | Leave a Comment डा.राज सक्सेना वह सुरा – पात्र दो दयानिधे,जब मूड बने तब भर जाए | है आठ लार्ज, कोटा अपना,बिन – मांगे पूरा कर जाए | प्रातः उठते ही हैम – चिकन, फ्राइड फिश से हो ब्रेकफास्ट | हो मट्न लंच में हे स्वामी, मैं बटरचिकन से करूं लास्ट | मिलजाय डिनर बिरयानी का,संग […] Read more » जाम-स्तुति
विविधा भारोपीय परिवार की भारतीय आर्य भाषाएँ August 1, 2013 / August 1, 2013 by प्रोफेसर महावीर सरन जैन | 1 Comment on भारोपीय परिवार की भारतीय आर्य भाषाएँ प्रोफेसर महावीर सरन जैन [ भारत की भाषाओं के अध्ययन की रूपरेखा एवं भाषाओं के विवरण के आधार शीर्षक लेख के अंतर्गत मैंने भारत में बोले जाने वाले चार भाषा-परिवारों तथा उन परिवारों की भाषाओं के अध्ययन के आधारों की चर्चा की थीः https://www.pravakta.com/study-design-of-indian-languages-and-description-of-thelanguages इस लेख के अंतर्गत उक्त लेख में वर्णित चार भाषा-परिवारों […] Read more » भारतीय आर्य भाषाएँ
विविधा सियासत से खंडित होता देश August 1, 2013 / August 1, 2013 by सिद्धार्थ शंकर गौतम | 1 Comment on सियासत से खंडित होता देश सिद्धार्थ शंकर गौतम स्कूल में रोज सुबह होने वाली प्रार्थना में हम सभी भारत की संप्रभुता और अखंडता को प्रणाम करते हुए इसकी सलामती की दुआ मांगा करते थे, पर शायद हमारे ही देश के नेताओं को इसकी अखंडता और संप्रभुता रास नहीं आ रही। तभी चंद स्वार्थी तत्वों ने अपनी राजनीति को चमकाने के […] Read more » सियासत से खंडित होता देश
विविधा तेलंगाना निर्माण और उभरते सवाल July 31, 2013 / July 31, 2013 by अनिल गुप्ता | Leave a Comment अब जबकि तेलंगाना का बनना लगभग निश्चित हो गया है तो ये विचार करना उचित होगा की इसके लिए पिछले नौ साल में सेंकडों लोगों की क़ुरबानी देने की आवश्यकता क्यों हुई?यही स्थिति पंजाब और हरियाणा के निर्माण के समय भी हुआ था.लेकिन कांग्रेस की परंपरा है कि ”फूट डालो और राज करो” का अनुसरण […] Read more » तेलंगाना निर्माण और उभरते सवाल
विविधा तीआं तीज दीआं… July 30, 2013 / July 31, 2013 by परमजीत कौर कलेर | Leave a Comment परमजीत कौर कलेर आज मौसम बड़ा बेईमान है अजी ये हम नही कह रहे ये तो मौसम का बदलता मिज़ाज है । जनाब इस मौसम के भी तो क्या कहने कभी पलभर में घनघोर काली घटाएं चढ़ आती हैं तो कभी पल भर में धूप चढ़ जाती है। मौसम का ये बेईमानपन और आंखमिचौली होती […] Read more » तीआं तीज दीआं...
विविधा हिंदीः अ से ह तक और हिंदी में समाहित अध्यात्म, दिव्यता, दर्शन, योग, ज्ञान और विज्ञान July 29, 2013 / July 29, 2013 by डॉ.मृदुल कीर्ति | 6 Comments on हिंदीः अ से ह तक और हिंदी में समाहित अध्यात्म, दिव्यता, दर्शन, योग, ज्ञान और विज्ञान डॉ. मृदुल कीर्ति आध्यात्मिक और दिव्य पक्ष – संस्कृत देव भाषा है, हिंदी संस्कृत से ही निःसृत दिव्य भाषा है, देव वाणी है । ‘ अक्षरानामकारोस्मि’ गीता १०/३३ वर्णमाला में सर्व प्रथम ‘अकार ‘ आता है। स्वर और व्यंजन के योग से वर्ण माला बनती हैं। इन दोनों में ही ‘अकार’ मुख्य है। ‘अकार’ के […] Read more »
विविधा विश्व-पटल पर भारत,भारतीय,भारती July 29, 2013 by डा.राज सक्सेना | 4 Comments on विश्व-पटल पर भारत,भारतीय,भारती डा.राज सक्सेना विश्व में विडम्बनाएं सर्वत्र उपलब्ध हैं किन्तु सम्भवतः भारत विडम्बनाओं का देश बन कर रह गया है | इससे बड़ी विडम्बना क्या हो सकती है कि एक देश के तीन-तीन प्रचलित नाम हों | क्या विश्व के किसी देश में यह सम्भव हो सकता है कि उसके एक से – एक से अधिक […] Read more » विश्व-पटल पर भारत