विविधा सरकारी अस्पतालों में काम का बोझ तथा अनुचित घटनायें June 20, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कालेजों में डॉक्टरों की भारी कमी के चलते ना केवल आम जनता को अपितु चिकित्सा प्रशासन व उससे जुड़े सारे लागों को बहुत ही असुविधा का सामना करना पड़ता है। डॉक्टरों, मेडिकल संसाधनों और उपकरणों की कमी के चलते इच्छित परिणाम नहीं मिल पाते हैं। जब तक इन […] Read more » shortage of doctors सरकारी अस्पतालों में काम का बोझ
विविधा भारत की विलुप्त होती बोलियां और भाषाएं June 20, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी भाषा समाज की रीढ़:- बोली सिर्फ बोली जाती है भाषा लिखी भी जाती है. बोलने के लिए बोली की ध्वनियों के उच्चारण का अभ्यास पर्याप्त नहीं माना जाता. बोली का अपना एक लहजा भी होता है जिसे बोली बोलने वालों के साथ रहकर ही सीखा जा सकता है. इसी तरह लिखने के […] Read more » Featured the dissapearing languages and dialects of india विलुप्त होती बोलियां
विविधा गोरखा मोर्चे का अलगाववाद June 19, 2017 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment ममता बनर्जी ने यहां तक कह दिया है कि वे पहाड़ी-क्षेत्र के गोरखा बच्चों पर बांग्ला भाषा नहीं थोपेंगी। यह आंदोलन तो इसी बात को लेकर शुरु हुआ है कि बांग्ला भाषा सभी बच्चों के लिए अनिवार्य कर दी गई थी। अब आंदोलन अपने आप खत्म हो जाना चाहिए था लेकिन अब वह पृथक गोरखालेंड की मांग में बदल गया है। Read more » Darjeeling Featured Mamta Banejee गोरखा आंदोलन गोरखा मोर्चे का अलगाववाद दार्जिलिंग
विविधा पश्चिमी सभ्यता और संस्कृति का संवाहक है फादर्स डे June 18, 2017 by मृत्युंजय दीक्षित | Leave a Comment फादर्स डे की शुरूआत 20 वीं सदी से मानी जाती है।मान्यता है कि पिताधर्म तथा पुरूषों द्वारा परवरिश का सम्मान करने के लिए मातृ दिवस के पूरक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह हमारे पूर्वजों और उनके सम्मान की स्मृति में भी मनाया जाता है। फादर्स डे विश्व के सभी देशों में अलग- अलग तारीखों तथा अलग- अलग रूपों से मनाया जाता है। Read more » Father's day father's day not a culture of India Featured फादर्स-डे
मीडिया विविधा वेबसाइट की आड़ में पत्रकार बनाने का गोरखधंधा June 18, 2017 by रवि श्रीवास्तव | Leave a Comment पत्रकार बनने का सुनहरा मौका । आवश्यकता है देश के हर जिले में रिपोर्टर, कैमरामैन और ब्योरो की. दिए गए नम्बर पर जल्द से जल्द सम्पर्क करें। ये मै नहीं कह रहा हूं। आज कल धड़ल्ले से खुल रही न्यूज वेबसाइट कह रही हैं। सोशल मीडिया पर मज़ाक बनाकर रख दिया है। जिधर देखो आवश्यकता […] Read more » become fake journalist become journalist by paying money Featured fraudulent website the golden chance to become journalist पत्रकार पत्रकार बनाने का गोरखधंधा
विविधा कश्मीर घाटी में अलगाववादियों के समर्थक June 17, 2017 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | Leave a Comment लेकिन इन तमाम विपरीत परिस्थितियों में भी न तो आम कश्मीरी ने और न ही सुरक्षा बलों ने हिम्मत हारी । इस लिए अब चौथी पार्टी मैदान में उतरी है । यह पार्टी सोनिया कांग्रेस की है , जिसके 550 की लोक सभा में फ़क़त 44 सदस्य हैं । इस चौथी पार्टी ने बिना लाग लपेट के सीधा सीधा हमला बोला । यह पार्टी जानती है कि यदि अब भी हमला न बोला गया तो घाटी में आम कश्मीरी और सुरक्षा बलों की स्थिति मज़बूत हो जाएगी । यदि ऐसा हो गया तो कांग्रेस के पास मोदी सरकार पर आक्रमण करने के लिए क्या बचेगा ? Read more » Featured अलगाववादियों के समर्थक कश्मीर घाटी कश्मीर घाटी में अलगाववादियों के समर्थक कांग्रेस की कश्मीर नीति
विविधा तम्बाकू के ‘सादे पैकेट’ पर चित्रमय चेतावनी क्यों है अधिक प्रभावकारी? June 17, 2017 / June 17, 2017 by बाबी रमाकांत | Leave a Comment विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, एकाकार गाढ़े भूरे रंग के अनाकर्षक तम्बाकू पैकेट ('प्लेन पैकेजिंग' या सादे पैकेट) पर बड़ी और प्रभावकारी चित्रमय चेतावनी ज्यादा असरकारी होती है. Read more » Featured SDG Sustainable Development Goals तम्बाकू मजबूत प्लेन पैकेजिंग कानून सतत विकास लक्ष्यों सादे पैकेट पर चित्रमय चेतावनी सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम 2003
विविधा जैविक खाद में निहित है किसान की कर्ज मुक्ति का उपाय June 16, 2017 / June 16, 2017 by समर्थ परमार | Leave a Comment मिट्टी की उवर्रकता बढ़ाने के मामले में देश् में जैविक खाद एक पारंपरिक स्रोत रही है। किन्तु यह सरकारी प्रकाशनों में सिर्फ एक उपदेश की तरह शामिल है। जबकि सरकार ने प्रचार—प्रसार की नीतियों में रासायनिक खाद को ही स्थान दिया है। सन् 1977 से लेकर अब तक सरकार यूरिया जैसे रासायनिक खाद पर सब्सिडी देती आ रही है। इस दशा में किसान जैविक खाद छोड़कर रासायनिक खाद को अपनाने हेतु प्रेरित हुए। आज हालात यह है कि सब्सिडी के बावजूद किसान इस खाद को खरीद पाने की स्थिति में नहीं है। Read more » Featured कर्ज मुक्ति कर्ज मुक्ति का उपाय किसान की कर्ज मुक्ति का उपाय जैविक खाद
विविधा महाकिसानों की महा लूटपाट June 16, 2017 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment 2012 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) लगभग 100 लाख करोड़ रु. था याने इन तथाकथित ‘महाकिसानों’ ने जीडीपी से पौने सात गुना काला धन पैदा किया। यदि ताजा आंकड़ा सरकार बताए तो यह काला धन अब और भी ज्यादा होगा। यह कानूनन करमुक्त है। यह खुली लूट-पाट नहीं है तो क्या है ? इसमें कई उद्योगपति, पूंजीपति, नेता और नौकरशाह शामिल हैं। इन्होंने जगह-जगह अपने छोटे-मोटे फार्म-हाउस बना रखे हैं। ये एशो-आराम के अड्डे होते हैं। वहां कुछ खेती और बागवानी का नाटक भी रच लिया जाता है। Read more » महाकिसानों की महा लूटपाट
आर्थिकी विविधा जीएसटी से छोटे व्यापारियों की परेशानी बढ़ेगी June 15, 2017 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव देश के बाजार में विभिन्न प्रकार की कर प्रणाली में एकरूपता लाने के नजरिए से 1 जुलाई 2017 से ‘वस्तु एवं सेवा यानी जीएसटी प्रणाली लागू होने जा रही है। किंतु जीएसटी के जो कर प्रावधान देखने में आ रहे हैं, उन्हें देखने से पता चलता है कि शून्य समेत चार प्रकार की […] Read more » Featured gst GST will influence small traders जीएसटी से छोटे व्यापारियों की परेशानी बढ़ेगी
विधि-कानून विविधा कब मिलेगा न्याय June 12, 2017 by संचित पुरोहित | Leave a Comment संविधान की व्याख्या के अनुसार भारत सरकार के तीन प्रमुख अंगों मंे व्यवस्थापिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के अधीन विभिन्न मंत्रालय और विभाग कार्यरत हैं । चूॅंकि नैसर्गिक न्याय से बढकर कुछ नहीं, अतः न्यायपालिका की कार्यकारी और महती भूमिका का जनतंत्र पर प्रभावी होना बहुत जरूरी है । संविधान के अनुसार भले ही दस गुनाहगार […] Read more » tele law टेली-लाॅ न्याय व्यवस्था में गति और स्वच्छता राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड
विविधा अन्नदाता आखिर कब तक केवल मतदाता बना रहेगा June 12, 2017 by डॉ नीलम महेन्द्रा | Leave a Comment चाहे तमिलनाडु हो आन्ध्रप्रदेश हो महाराष्ट्र हो या फिर अब मध्यप्रदेश पूरे देश की पेट की भूख मिटाने वाला हमारे देश का किसान आज आजादी के 70 साल बाद भी खुद भूख से लाचार क्यों है? इतना बेबस क्यों है कि आत्महत्या करने के लिए मजबूर है? और जब हमारे देश का यही अन्नदाता अपनी […] Read more » Featured अन्नदाता मतदाता