Category: विविधा

विविधा समाज

सार्वभौमिक-समन्वित भारतीय हिन्दू संस्कृति

| 3 Comments on सार्वभौमिक-समन्वित भारतीय हिन्दू संस्कृति

दूसरों को दुख देना सबसे बड़ा अधर्म है एवं दूसरों को सुख देना सबसे बड़ा धर्म है । यही हिन्दू की भी परिभाषा है। कोई व्यक्ति किसी भी भगवान को मानते हुए एवं न मानते हुए हिन्दू बना रह सकता है। हिन्दू की परिभाषा को धर्म से अलग नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि भारत में हिन्दू की परिभाषा में सिख, बौद्ध, जैन, आर्यसमाजी व सनातनी इत्यादि आते हैं। हिन्दू की संताने यदि इनमें से कोई भी अन्य पंथ अपना भी लेती हैं तो उसमें कोई बुराई नहीं समझी जाती एवं इनमें रोटी बेटी का व्यवहार सामान्य माना जाता है।

Read more »

विविधा

सेना की साख में सुराख होना चिन्तनीय

| Leave a Comment

ना की साख में यह पहला सुराख नहीं है। समय-समय पर अनेक सुराख कभी भ्रष्टाचार के नाम पर, कभी सेवाओं में धांधली के नाम पर, कभी घटिया साधन-सामग्री के नाम पर, कभी राजनीतिक स्वार्थों के नाम पर होते रहे हैं। एक बार नहीं कई बार सुराख हो चुके हैं। कभी जीप घोटाला तो कभी घटिया कम्बल खरीदने पर खूब विवाद हुआ था। कभी बोफोर्स तोप खरीद घोटाला तो कभी ताबूत खरीद में हेराफेरी के मामले उछलते रहे हैं। दाल खरीद में घोटाला हुआ तो दूध पाउडर घोटाला, अंडा घोटाला, घटिया जूतों की खरीद घोटाला भी चर्चित हुआ।

Read more »

विविधा

एक हुतात्मा दुला भट्टी जिसकी स्मृति में मनायी जाती है लोहड़ी

| 5 Comments on एक हुतात्मा दुला भट्टी जिसकी स्मृति में मनायी जाती है लोहड़ी

  नवमुस्लिमों  का हिन्दू प्रेम इतिहास में ऐसे अनेकों उदाहरण हैं जब किसी कारण से या किसी परिस्थितिवश कोई व्यक्ति यदि मुसलमान बन भी गया तो भी उसने हिंदू संस्कारों का और हिंदू संस्कृति का हृदय से बहिष्कार नही किया। इसके विपरीत वह अपने पूर्व संस्कारों के अनुसार अपने धर्मबंधुओं के प्रति सहयोगी और सदभावी […]

Read more »