राजनीति शिवाजी द्वीतीय का राज्याभिषेक

शिवाजी द्वीतीय का राज्याभिषेक

राजाराम की मृत्यु के बाद महारानी ने अपने 4 वर्षीय पुत्र शिवाजी द्वीतीय का राज्याभिषेक करवाया और स्वयं मराठा साम्राज्य की संरक्षिका बन गयीं। उस…

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बच्चों का पन्ना जलवायु परिवर्तन के खतरों से बच्चों को बचाएं

जलवायु परिवर्तन के खतरों से बच्चों को बचाएं

– ललित गर्ग – हाल ही में प्रस्तुत हुई यूनिसेफ की रिपोर्ट ‘द फ्यूचर ऑफ चिल्ड्रेन इन चेंजिंग वर्ल्ड’ ने भारत में बच्चों के भविष्य…

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राजनीति धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हमारी सांस्कृतिक प्रथाओं के लिए मारकाट कब थमेगी?

धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हमारी सांस्कृतिक प्रथाओं के लिए मारकाट कब थमेगी?

-डॉ. सत्यवान सौरभ संभल में दायर याचिका वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा के शाही ईदगाह के लिए दायर याचिकाओं की तरह ही है। मुख्य…

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लेख शिवाजी द्वितीय और महारानी ताराबाई

शिवाजी द्वितीय और महारानी ताराबाई

इससे पहले कि हम इस अध्याय के बारे में कुछ लिखें मैथिली शरण गुप्त की इन पंक्तियों रसास्वादन लेना उचित होगा- ‘हाँ! वृद्ध भारतवर्ष ही…

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पर्यावरण बचाइए वन्यजीवों को, आहार-प्रवास के हों पुख्ता प्रयास

बचाइए वन्यजीवों को, आहार-प्रवास के हों पुख्ता प्रयास

हरिओम शर्मा  मरुधरा के नाम से मशहूर राजस्थान के अभयारण्यों में न केवल बाघ बल्कि बघेरों का कुनबा भी तेजी से बढ़ रहा है। पूरे…

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बच्चों का पन्ना नशे का जाल ,बुरा हो रहा है हाल

नशे का जाल ,बुरा हो रहा है हाल

सुनील कुमार महला पाकिस्तान, अफगानिस्तान आतंकवाद के साथ ही देश-दुनिया में नशे का ज़हर घोल रहे हैं। दुबई से नशा तस्कर, ड्रग्स माफिया भी भारत…

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राजनीति राजस्थान -कांग्रेस की हार का कारण नेताओं की आपसी फूट तो नहीं?

राजस्थान -कांग्रेस की हार का कारण नेताओं की आपसी फूट तो नहीं?

                   रामस्वरूप रावतसरे     राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस को बड़ी शिकस्त झेलनी पड़ी। उपचुनाव से पहले कांग्रेस के पास…

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महत्वपूर्ण लेख ‘मंडला मर्डर्स’ से ओटीटी डेब्‍यू कर रही हैं वाणी कपूर

‘मंडला मर्डर्स’ से ओटीटी डेब्‍यू कर रही हैं वाणी कपूर

सुभाष शिरढोनकर  दिवंगत एक्टर सुशांत सिंह राजपूत और परिणीति चोपड़ा के साथ फिल्म ‘शुद्ध देसी रोमांस’ (2013) से एक्टिंग में कदम रखने वाली वाणी कपूर आज हिंदी…

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लेख कृतज्ञता-संस्कृति से संवरती है जिन्दगी

कृतज्ञता-संस्कृति से संवरती है जिन्दगी

धन्यवाद दिवस- 28 नवम्बर, 2024– ललित गर्ग – हर साल नवंबर के चौथे गुरुवार को अमेरिका समेत कई देशों में थैंक्सगिविंग डे यानी धन्यवाद दिवस,…

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कनाडा एवं अमेरिका से भारत में रिवर्स ब्रेन ड्रेन की सम्भावना बढ़ रही है

वैश्विक स्तर पर लगातार कुछ इस प्रकार की परिस्थितियां निर्मित होती दिखाई दे रही हैं, जिससे विशेष रूप से कनाडा एवं अमेरिका से भारत की ओर रिवर्स ब्रेन ड्रेन की सम्भावना बढ़ती जा रही है। कनाडा में खालिस्तानियों द्वारा चलाए जा रहे भारत विरोधी आंदोलन के चलते वहां निवासरत भारतीयों एवं मंदिरों पर लगातार हमले हो रहे हैं एवं भारतीयों एवं मंदिरों पर हो रहे इन हमलों पर लगाम लगाने में कनाडा की वर्तमान सरकार असफल सिद्ध हो रही है एवं इन हमलों को, राजनैतिक कारणों के चलते, रोकने की इच्छा शक्ति का अभाव भी दिखाई दे रहा है। इसके चलते भारत एवं कनाडा के राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक रिश्तों पर अत्यधिक विपरीत प्रभाव पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। स्थिति तो यहां तक पहुंच गई है कि भारत ने कनाडा में अपने दूतावास में प्रतिनिधियों की संख्या को कम कर दिया है तथा भारत ने कनाडा को निर्देशित किया था कि वह भी भारत में अपने दूतावास में प्रतिनिधियों की संख्या को कम करे। भारत एवं कनाडा के बीच आज कूटनीतिक रिश्ते आज तक के सबसे निचले स्तर पर आ गए हैं। साथ ही, कनाडा में आज सुरक्षा की दृष्टि से भी स्थितियां तेजी से बदल रही हैं तथा इसका कनाडा के आर्थिक विकास पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। जिसके चलते भारतीय आज कनाडा में अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और भारत की ओर रूख कर रहे हैं।  दूसरी ओर, अमेरिका में डोनल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के पश्चात वहां पर अवैध रूप से रह रहे अन्य देशों के नागरिकों को अमेरिका से निकाले जाने की सम्भावनाएं बढ़ गई हैं। हालांकि अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीयों की संख्या लगभग नगण्य सी ही है परंतु ट्रम्प प्रशासन द्वारा अब वीजा, एच1बी सहित, जारी करने वाले नियमों को और अधिक कठोर बनाया जा सकता है। अमेरिका में प्रतिवर्ष जारी किए जाने वाले कुल एच1बी वीजा में से 60 प्रतिशत से अधिक वीजा भारतीय मूल के नागरिकों को जारी किए जाते हैं। यदि इस संख्या में भारी कमी दृष्टिगोचर होती है तो अमेरिका में पढ़ रहे भारतीय छात्रों को, उनकी पढ़ाई सम्पन्न करने के पश्चात यदि एच1बी वीजा जारी नहीं होता है तो उन्हें भारत वापिस आने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इस प्रकार अमेरिका से भी भारतीयों का रिवर्स ब्रेन ड्रेन दिखाई पड़ सकता है।  भारत आज पूरे विश्व में सबसे अधिक तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है, अतः भारत में तेज गति से हो रहे आर्थिक विकास के कारण सूचना प्रौद्योगिकी, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, उच्च तकनीकी क्षेत्रों, वाहन विनिर्माण उद्योग, फार्मा उद्योग, चिप विनिर्माण उद्योग, स्टार्ट अप, आदि क्षेत्रों में भारी मात्रा में रोजगार के नए अवसर निर्मित हो रहे हैं और भारत को इन क्षेत्रों में उच्च टेलेंट की आवश्यकता भी है। यदि कनाडा एवं अमेरिका से उच्च शिक्षा प्राप्त एवं उक्त क्षेत्रों में प्रशिक्षित इंजीनीयर्स भारत को प्राप्त होते हैं तो यह स्थिति भारत के लिए बहुत फायदेमंद होने जा रही है।  उक्त कारणों के अतिरिक्त आज अन्य देशों से भारत की ओर रिवर्स ब्रेन ड्रेन इसलिए भी होता दिखाई दे रहा है क्योंकि, भारत में आज मूलभूत सुविधाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। किसी भी दृष्टि से भारत का आधारभूत ढांचा आज किसी भी विकसित देश की तुलना में कम नहीं है। साथ ही, भारत में, विकसित देशों की तुलना में, मुद्रा स्फीति की दर कम होने से, सामान्य रहन सहन की लागत तुलनात्मक रूप से भारत में बहुत कम है। अतः भारत में अमेरिका एवं कनाडा की तुलना में शुद्ध बचत दर भी अधिक है। हाल ही के समय में भारत में स्वास्थ्य सेवाओं में भी पर्याप्त सुधार हुआ है। आज बैंगलोर, मुंबई, हैदराबाद जैसे शहरों में बहुत ही कम लागत पर अमेरिकी अस्पतालों की तुलना में (अमेरका की तुलना में तो 1/10 लागत पर) अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं। भारत के ग्रामीण इलाकों में तो शुद्ध हवा एवं शुद्ध पानी, जो स्वास्थ्य को ठीक बनाए रखने में सहायक होता है, पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। वरना, महानगरीय इलाकों में तो आज सांस लेना भी बहुत मुश्किल हो रहा है। विभिन्न देशों से उच्च शिक्षा प्राप्त एवं टेलेंटेड भारतीय जो भारत वापिस लौटे हैं, उन्होंने अपने नए प्रारम्भ किए गए स्टार्ट अप के कार्यालय दक्षिण भारत के ग्रामीण इलाकों में स्थापित किए हैं।              भारत में बहुत लम्बे समय से मजबूत लोकतंत्र बना हुआ है एवं केंद्र में एक मजबूत सरकार, उद्योग एवं व्यापार को भारत में प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उद्योग एवं व्यापार के मित्रवत आर्थिक नीतियों को सफलतापूर्वक लागू कर रही है। इससे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मात्रा में अपार वृद्धि दृष्टिगोचर हुई है। विकसित देशों में नागरिकों की औसत आयु 50 वर्ष से अधिक हो रही है जिससे श्रमिकों की संख्या इन देशों में लगातार कम हो रही है एवं श्रम लागत में भी भारी मात्रा में वृद्धि हुई है जिसके कारण इन देशों में उत्पादन लागत बहुत अधिक बढ़ गई है। हाल ही के समय में चीन भी इस समस्या से ग्रसित पाया जा रहा है। केवल भारत एवं दक्षिणी अफ्रीकी देशों में ही श्रम लागत तुलनात्मक रूप से बहुत कम है। इसके कारण विश्व की कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियां अपनी विनिर्माण इकाईयों की स्थापना भारत में करना चाहते हैं। भारत में उत्पादों का निर्माण कर इन उत्पादों को विश्व के अन्य देशों को निर्यात किया जा रहा है। भारत में आटोमोबाईल उद्योग, मोबाइल उद्योग एवं फार्मा उद्योग इसके जीते जागते प्रमाण हैं। इन्हीं कारणों से आज भारत से कई उत्पादों का निर्यात बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है एवं भारत का विदेशी व्यापार घाटा लगातार कम हो रहा है। विदेशी व्यापार घाटे में सुधार होने के चलते भारत में विदेशी मुद्रा भंडार में भी वृद्धि दृष्टिगोचर है जो हाल ही के समय में 70,000 अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को भी पार कर गया था। हालांकि, इसके बाद से इसमें कुछ गिरावट देखी गई है। आज विश्व के कई विकसित देशों में सामाजिक तानाबाना छिन्न भिन्न हो गया है एवं इन देशों के नागरिकों में मानसिक असंतोष की भावना लगातार बढ़ रही है एवं इन देशों की आधे से अधिक आबादी आज मानसिक बीमारीयों से ग्रसित है। जबकि इसके ठीक विपरीत भारत में हिंदू सनातन संस्कृति के संस्कारों के अनुपालन से एवं संयुक्त परिवार की जीवनशैली के चलते भारतीय नागरिक मानसिक बीमारियों से लगभग पूर्णत: मुक्त रहे हैं एवं सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। विकसित देशों के नागरिकों ने भौतिक विकास तो अधिक किया है परंतु मानसिक शांति खोई है। जबकि इस धरा पर जन्म लेने का उद्देश्य ही सुखी जीवन व्यतीत करना है न कि अपने आप को मानसिक बीमारियों से ग्रसित कर देना। इन्हीं कारणों के चलते आज विश्व के कई देशों के नागरिक हिंदू सनातन संस्कृति को अपनाने की ओर लालायित दिखाई दे रहे हैं और वे भारत में बसने के बारे में गम्भीरता से विचार कर रहे हैं। अतः विकसित देशों से भारत में रिवर्स ब्रेन ड्रेन आने वाले कल की सच्चाई है।    

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राजनीति गांव- गांव संविधान के निहितार्थ

गांव- गांव संविधान के निहितार्थ

संविधान दिवस के अवसर पर केंद्र सरकार ने गांव-गांव संविधान का संदेश पहुंचने का निर्णय लिया है,यह बहुत महत्वपूर्ण है। भारतवर्ष गांवों का देश है।…

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राजनीति संभल की दुर्भाग्यपूर्ण घटना से उपजे जटिल सवाल

संभल की दुर्भाग्यपूर्ण घटना से उपजे जटिल सवाल

-ललित गर्ग- यह दुर्भाग्यपूर्ण एवं त्रासद है कि उत्तर प्रदेश के संभल में एक बार फिर एक सम्प्रदाय विशेष के लोगों ने जो हिंसा, नफरत…

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