राजनीति देश के नए उपराष्ट्रपति सी0 पी0 राधाकृष्णन की चुनौतियां

देश के नए उपराष्ट्रपति सी0 पी0 राधाकृष्णन की चुनौतियां

चंद्रपुरम पोनुस्वामी राधाकृष्णन देश के 15 वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण कर चुके हैं। श्री राधाकृष्णन की जीत ने भाजपा को नई ऊर्जा…

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राजनीति नेपाल का घटनाक्रम और भारत

नेपाल का घटनाक्रम और भारत

नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के सरकारी निर्णय के विरोध में जिस प्रकार वहां हिंसक घटनाएं हुई हैं और देश के राष्ट्रपति और…

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राजनीति मोदी का चमत्कारिक व्यक्तित्व और जनापेक्षाएं

मोदी का चमत्कारिक व्यक्तित्व और जनापेक्षाएं

यह सत्य है कि इस समय सारे विश्व के राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों में मोदी का आभामंडल सबसे अधिक प्रभावी है। अपने इसी आभामंडल के चलते…

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कविता भजन : श्री राधा कृष्णा प्रेम

भजन : श्री राधा कृष्णा प्रेम

तर्ज: ब्रज रसिया दोहा : मैया को समझाए रहे, प्यारे नन्द कुमार ।राधा संग ब्याह की, कर रहे प्रभु गुहार।। मु: मेरे मन को गई…

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कविता भजन : श्री कृष्णा विरह

भजन : श्री कृष्णा विरह

तर्ज : ओ बाबुल प्यारे दोहा: बंसी बाजी श्याम की, जमुना जी के तीर।गोपियाँ सुध बुध भूलीं, हो गयीं सभी अधीर।। मु: ओ बंसी बारे,…

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राजनीति मणिपुर में विकास और शांति की एक नई भोर

मणिपुर में विकास और शांति की एक नई भोर

मृत्युंजय दीक्षितमई 2023 में मणिपुर हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद मैतेयी और कुकी समुदायों के मध्य भड़की हिंसा से अब तक 260 लोग मारे…

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राजनीति गाँधी मार्ग पर चलते नरेन्द्र मोदी

गाँधी मार्ग पर चलते नरेन्द्र मोदी

प्रो. मनोज कुमार गाँधी के भारत को देखना हो या आज के मोदी के भारत को तो एक साम्य दोनों में मिलेगा वह है आत्मनिर्भरता.…

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राजनीति आधुनिक तकनीक एवं मानवीय करुणा है लोकतंत्र की बुनियाद

आधुनिक तकनीक एवं मानवीय करुणा है लोकतंत्र की बुनियाद

अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस – 15 सितम्बर, 2025– ललित गर्ग –संयुक्त राष्ट्र ने 15 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस के रूप में नामित किया है ताकि…

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राजनीति पूर्वोत्तर मे मोदीः शांति एवं विकास की नई सुबह की आहट

पूर्वोत्तर मे मोदीः शांति एवं विकास की नई सुबह की आहट

– ललित गर्ग – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मिज़ोरम, मणिपुर और असम की यात्रा के दौरान हुई घोषणाएं केवल राजनीतिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि…

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पर्यावरण ओजोन परतः जीवन की ढाल और उसके संरक्षण का संकल्प

ओजोन परतः जीवन की ढाल और उसके संरक्षण का संकल्प

विश्व ओजोन दिवस- 16 सितम्बर, 2025– ललित गर्ग – ओजोन परत पृथ्वी पर मानव जीवन की ढाल है, क्योंकि यह समताप मंडलीय परत पृथ्वी को…

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लेख माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद की बदलती शैली

माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद की बदलती शैली

डॉ वीरेन्द्र भाटी मंगल मानव समाज का आधार परिवार है और परिवार की आत्मा है संवाद। संवाद ही वह सेतु है जिसके माध्यम से माता-पिता…

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कला-संस्कृति हमारे धर्मग्रंथ आधुनिक परिप्रेक्ष्य में

हमारे धर्मग्रंथ आधुनिक परिप्रेक्ष्य में

 शिवानन्द मिश्रा हमारे सारे धर्मग्रंथ राक्षसों के वध से भरे पड़े हैं। राक्षस भी कठिन और जटिल वरदानों से सुरक्षित थे। किसी को वरदान प्राप्त था कि न दिन में मरेगा-न रात में, न आदमी से मरेगा-न जानवर से, न घर में मरेगा-न बाहर, न आकाश में मरेगा- न धरती पर। किसी को वरदान था कि वे भगवान भोलेनाथ और विष्णु के संयोग से उत्पन्न पुत्र से ही मरेगा तो किसी को वरदान था कि उसके खून की जितनी बूंदे जमीन पर गिरेगी,उसकी उतनी प्रतिलिपि पैदा हो जाएगी। कोई अपने नाभि में अमृत कलश छुपाए बैठा था लेकिन सभी राक्षसों का वध हुआ। सभी राक्षसों का वध अलग अलग देवताओं ने अलग अलग कालखंड एवं अलग अलग प्रदेशों में किया लेकिन सभी वध में एक चीज कॉमन रही कि किसी भी राक्षस का वध उसका स्पेशल स्टेटस हटाकर अर्थात उसके वरदान को रिजेक्ट कर के नहीं किया गया। तुम इतना उत्पात मचा रहे हो इसीलिए, हम तुम्हारा वरदान कैंसिल कर रहे हैं। देवताओं को उन राक्षसों को निपटाने के लिए उसी वरदान में से रास्ता निकालना पड़ा कि इस वरदान के मौजूद रहते हम इसे कैसे निपटा सकते हैं। अंततः कोशिश करने पर वो रास्ता निकला भी तथा सभी राक्षस निपटाए भी गए। अर्थात् परिस्थिति कभी भी अनुकूल होती नहीं है बल्कि  पुरुषार्थ  से अनुकूल बनाई जाती है। किसी भी एक राक्षस के बारे में सिर्फ कल्पना कर के देखें कि अगर उसके संदर्भ में अनुकूल परिस्थिति का इंतजार किया जाता तो क्या वो अनुकूल परिस्थिति कभी आती ?? उदाहरण के लिए रावण को ही लीजिए. रावण के बारे में भी ये तर्क दिया जा सकता था कि कैसे मारेंगे भला ? उसे तो अनेकों तीर मारे और उसके सर को काट भी दिए लेकिन उसका सर फिर जुड़ जाता है तो इसमें हम क्या करें ? इसके बाद इस नाकामयाबी का सारा ठीकरा रावण को ऐसा वरदान देने वाले ब्रह्मा पर फोड़ दिया जाता कि उन्होंने ही रावण को ऐसा वरदान दे रखा है कि अब उसे मारना असंभव हो चुका है लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भगवान राम ने उन वरदानों के मौजूद रहते ही रावण का वध किया। यही “सिस्टम” है। पुरातन काल में हम जिसे वरदान कहते हैं ,आधुनिक काल में हम उसे संविधान द्वारा प्रदत्त स्पेशल स्टेटस कह सकते हैं। आज भी हमें राक्षसों को इन वरदानों ( स्पेशल स्टेटस) के मौजूद रहते ही निपटाना होगा। इसके लिए हमें इन्हीं स्पेशल स्टेटस में से लूपहोल खोजकर रास्ता निकालना होगा। ये नहीं लगता कि इनके स्पेशल स्टेटस को हटाया जाएगा। हर युग में एक चीज अवश्य हुआ है राक्षसों का विनाश एवं धर्म की स्थापना। अभी उसी की तैयारी हो रही है। निषादराज, वानर राज सुग्रीव, वीर हनुमान , जामवंत आदि को गले लगाया जा रहा है, माता शबरी को उचित सम्मान दिया जा रहा है। सोचने वाली बात है कि जो रावण पंचवटी में लक्ष्मण के तीर से खींची हुई एक रेखा तक को पार नहीं कर पाया था,भला उसे पंचवटी से ही एक तीर मारकर निपटा देना क्या मुश्किल था। जिस महाभारत को श्रीकृष्ण सुदर्शन चक्र के प्रयोग से महज 5 मिनट में निपटा सकते थे, भला उसके लिए 18 दिन तक युद्ध लड़ने की क्या जरूरत थी लेकिन रणनीति में हर चीज का एक महत्व होता है और जिसके काफी दूरगामी परिणाम होते हैं। इसीलिए कभी भी उतावला नहीं होना चाहिए।  भ्रष्ट, विदेशों में धन अर्जित करने वाला, अनैतिक धन अर्जित करने वाला, विदेशी भूमि पर अपने राष्ट्र की बदनामी, देश में उपद्रव, , तुष्टिकरण करने वाला आदि का विनाश तो निश्चित है तथा यही उनकी नियति है!! धर्मग्रंथ सिर्फ पुण्य कमाने के उद्देश्य से पढ़ने के लिए नहीं होते  बल्कि, हमें ये बताने के लिए लिपिबद्ध है कि आगामी वंशज ये जान सकें कि अगर भविष्य में फिर कभी ऐसी स्थिति उत्पन्न होगी तो उससे कैसे निपटा जाएगा।  शिवानन्द मिश्रा

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