लेख नकली दवाओं से जीवन-रक्षा पर बढ़ते खतरे

नकली दवाओं से जीवन-रक्षा पर बढ़ते खतरे

-ललित गर्ग- दवाओं में मिलावट एवं नकली दवाओं का व्यापार ऐसा कुत्सित एवं अमानवीय कृत है जिससे मानव जीवन खतरे में हैं। विडम्बना है कि…

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राजनीति अंसारी की मौत पर बेवजह प्रलाप क्यों?

अंसारी की मौत पर बेवजह प्रलाप क्यों?

सुरेश हिंदुस्तानी भारत के कुख्यात अपराधी मुख़्तार अंसारी की मौत के मामले को राजनीतिक रंग देने का प्रयास किया जा रहा है। इस प्रकार मौत…

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राजनीति महिला मतदाता निर्णायक भूमिका : मोदी और महिला सशक्तिकरण

महिला मतदाता निर्णायक भूमिका : मोदी और महिला सशक्तिकरण

-डॉ. सौरभ मालवीय  2024 लोकसभा चुनाव सिर पर है। इस बार भी चुनाव में महिला मतदाता निर्णायक भूमिका में रहेंगी। इसलिए  भारतीय जनता पार्टी विकास…

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राजनीति कांग्रेस में मची भगदड़ के बाद भी आखिर क्या कह रहा है मल्लिकार्जुन खड़गे का मौन!

कांग्रेस में मची भगदड़ के बाद भी आखिर क्या कह रहा है मल्लिकार्जुन खड़गे का मौन!

(लिमटी खरे) सर्दी, गर्मी, बरसात के अलावा एक मौसम और आता है साल में, वह है पतझड़ का। बसंत ऋतु के आगमन के कुछ दिनों बाद से ही…

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लेख आखिर वकीलों ने वकीलों के खिलाफ चिट्ठी क्यों लिखी?

आखिर वकीलों ने वकीलों के खिलाफ चिट्ठी क्यों लिखी?

-ललित गर्ग- न्यायिक बिरादरी में गलत को सही ठहराने के लिये एक-दूसरे के पैरों के नीचे से फट्टा खींचने की कोशिशें अक्सर होती रही है।…

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राजनीति भारत को पुनः विश्वगुरु बनाना ही संघ का मुख्य लक्ष्य

भारत को पुनः विश्वगुरु बनाना ही संघ का मुख्य लक्ष्य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक नागपुर में दिनांक 15 से 17 मार्च 2024 को सम्पन्न हुई है। इस बैठक में पूरे देश से 1500 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया और “श्रीराम मंदिर से राष्ट्रीय पुनरुत्थान की ओर” विषय पर एक प्रस्ताव भी पास किया गया।  जैसा कि सर्वविदित ही है कि गौरवशाली हिन्दू सनातन संस्कृति विश्व में सबसे पुरानी संस्कृति मानी जाती है और इसी हिंदू सनातन संस्कृति का अनुपालन करते हुए भारत का इतिहास वैभवशाली रह पाया है तथा हिंदू सनातन संस्कृति का विस्तार इंडोनेशिया तक एवं सुदूर अमेरिका तक रहा है।  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में अक्सर यह कहा जाता है कि संघ एवं इसके स्वयंसेवक करते क्या हैं? इसके उत्तर में अक्सर यह जवाब दिया जाता है कि संघ को यदि समझना है तो आपको संघ की शाखा में आना होगा। संघ, मां भारती को एक बार पुनः विश्व में गौरवशाली स्थान दिलाने के पवित्र लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए गम्भीर प्रयास कर रहा है। इस पवित्र लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लाखों की संख्या में स्वयंसेवक आज संघ के साथ जुड़ चुके हैं। आज भारत के 45,600 स्थानों पर संघ की 73,117 शाखाएं, 27,717 साप्ताहिक मिलन एवं 10,567 संघ मंडली लगाई जा रही हैं। इन शाखाओं, साप्ताहिक मिलनों एवं संघ मंडलियों में स्वयंसेवकों में राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव (राष्ट्र प्रथम) जागृत किया जाता है ताकि वे समाज में जाकर समाज की सज्जन शक्ति को साथ लेकर भारत में समाज परिवर्तन का कार्य दक्षतापूर्वक कर सकें। संघ की शाखा सामान्यतः 60 मिनट की लगती है एवं इसमें शारीरिक व्यायाम, योग, प्राणायाम, खेल, बौद्धिक एवं प्रार्थना शामिल रहती है। बौद्धिक में सनातन संस्कृति एवं भारत के गौरवशाली इतिहास की जानकारी के साथ साथ भारतीय संतो, महात्माओं एवं महापुरुषों की जानकारी प्रदान की जाती है। समय के साथ साथ संघ ने अपनी कार्यप्रणाली में परिवर्तन भी किया है एवं कई नए आयाम एवं कार्य अपने साथ जोड़े हैं। जैसे समाज के किन किन क्षेत्रों में क्या क्या काम करना है यह संघ के स्वयंसेवकों को बहुत स्पष्ट रूप से सिखाया जाता है। संगठन श्रेणी के साथ ही संघ में जागरण श्रेणी भी कार्यरत है। संगठन श्रेणी में शाखाओं के विस्तार, इसे सुचारू रूप से चलाने सम्बंधी कार्य, स्वयसेवकों का प्रशिक्षण एवं गुणवत्ता विकास आदि कार्य शामिल रहते हैं जबकि जागरण श्रेणी में समाज में जाकर किन क्षेत्रों में जागरण करना है, का निर्धारण किया जाकर इस क्षेत्र में स्वयसेवकों द्वारा कार्य किया जाता है। जैसे वर्तमान में जागरण श्रेणी में शामिल कार्य हैं – सेवा, सम्पर्क एवं प्रचार सम्बंधी कार्य। इसके अलावा 6 गतिविधियां भी हैं जो स्वयसेवकों द्वारा समाज के सहयोग से चलाई जाती हैं। इनमे शामिल हैं – धर्म जागरण समन्वय, गौ सेवा, ग्राम विकास, कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता एवं पर्यावरण संरक्षण।      22 जनवरी 2024 को अयोध्या धाम में प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर में श्रीराम लला के श्रीविग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व दिनांक 1 से 15 जनवरी 2024 तक श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र के आह्वान पर संघ के स्वयंसेवकों एवं समाज के विविध संस्थानों तथा संगठनों के कार्यकर्ताओं द्वारा चलाया गया गृह सम्पर्क अभियान अभूतपूर्व सफल रहा था। देश के समस्त प्रांतों के 578,778 गांवों एवं 4727 नगरों के कुल 19.38 करोड़ से अधिक परिवारों से स्वयंसेवकों सहित 44.98 लाख से अधिक व्यक्तियों ने सम्पर्क किया था। यह भारतीय समाज में संघ की गहरी पहुंच और समाज में उसकी स्वीकार्यता को दर्शाता है।  संघ के 40 से अधिक अनुशांगिक संगठन भी भारत में विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं, जो हिंदू सनातन संस्कृति एवं भारतीय परम्पराओं के आधार पर समाज में अपने कार्य को आगे बढ़ाते हैं। विश्व में वामपंथी विचारधारा के आधार पर चल रहे विभिन्न मजदूर संगठन अपने श्रमिक सदस्यों को संस्थान के केवल लाभ में हिस्सा लेने की प्रेरणा देते हैं और अपनी मजदूरी में वृद्धि के लिए अक्सर हड़ताल आदि का सहारा लेते हैं। उद्योग संस्थान में हड़ताल होने से न केवल उस विशेष उद्योग संस्थान का बल्कि देश की अर्थव्यवस्था का भी नुक्सान होता है।जबकि, भारतीय मजदूर संघ, जो कि संघ का ही एक अनुशांगिक संगठन है, अपने श्रमिक सदस्यों को हड़ताल करने के लिए निरुत्साहित करता है और उसका नारा है कि ‘संस्थान के लिए करेंगे पूरा काम और काम के लेंगे पूरे दाम’। यह अंतर है वामपंथी विचारधारा और राष्ट्रीय विचारधारा के संगठनों में। इसी प्रकार संघ के अन्य अनुशांगिक संगठनों में शामिल हैं – (1) सेवा के क्षेत्र में कार्य करने वाले संगठन – आरोग्य भारती, राष्ट्रीय सेवा भारती, भारत विकास परिषद, राष्ट्रीय चिकित्सा संस्थान, आरोग्य भारती,  सक्षम (दिव्यांग नागरिकों के लिए), दीन दयाल शोध संस्थान। (2) सामाजिक संगठन – विश्व हिंदू परिषद, वनवासी कल्याण आश्रम, जनजाति सुरक्षा मंच, क्रीड़ा भारती, राष्ट्रीय सेविका समिति। (3) शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाले संगठन – विद्या भारती, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय शिक्षण मंडल, अखिल भारतीय शेक्षिक महासंघ, संस्कृत भारती, शिक्षा संस्कृत उत्थान न्यास। (4) आर्थिक क्षेत्र में कार्य करने वाले संगठन – भारतीय किसान संघ, लघु उद्योग भारती, भारतीय मजदूर संघ, स्वदेशी जागरण मंच, सहकार भारती, ग्राहक पंचायत। (5) वैचारिक समूह में कार्य करने वाले संगठन – प्रज्ञा प्रवाह, विज्ञान भारती, संस्कार भारती, इतिहास संकलन, साहित्य परिषद, अधिवक्ता परिषद। (6) सुरक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाले संगठन – सीमा जागरण मंच, हिंदू जागरण मंच, अखिल भारतीय रक्षा परिषद। उक्त समस्त संगठनों को पूर्ण स्वायत्तता प्रदत्त है एवं संघ की ओर से किसी भी प्रकार का बंधन इन संगठनों पर नहीं रहता है। हां, इन संगठनों की कार्य प्रणाली को भारतीय संस्कारों के अनुरूप ढालना आवश्यक रहता है।   अपने आचरण, आचार विचार एवं कार्य पद्धति के आधार पर भारतीय मूल के नागरिक हिंदू सनातन संस्कृति के संवाहक के रूप में अन्य कई देशों में कार्यरत हैं एवं वहां निवास कर रहे हैं और इन देशों की अर्थव्यवस्था में अपने योगदान को दिनोदिन मजबूती प्रदान कर रहे हैं। इन देशों के विभिन्न क्षेत्रों यथा सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक आदि में भारतवंशियों के योगदान को इन देशों मूल नागरिकों ने पहचाना एवं स्वीकारा है। इसके चलते लाखों की संख्या में विदेशी मूल के नागरिक हिंदू सनातन संस्कृति की ओर आकर्षित हुए हैं एवं अब ऐसा माना जाने लगा है कि हिंदू सनातन संस्कृति पूरे विश्व में भविष्य का विश्व धर्म होने जा रही है। अतः आज विश्व के 53 देशों में “हिंदू स्वयंसेवक संघ” की स्थापना की जा चुकी है एवं इन देशों में 1480 शाखाएं  एवं 112 मिलन चलाए जा रहे हैं। हाल ही में आस्ट्रेलिया एवं अमेरिका के कई नगरों में संघ शिक्षा वर्ग आयोजित किए गए थे तथा इसी प्रकार विश्व के अन्य देशों को मिलाकर कुल 17 हिंदू हेरिटेज कैम्प भी आयोजित किए गए थे। अमेरिका में सेवा दीवाली बहुत धूमधाम से मनाई जाती है, इस शुभ मौके पर स्थानीय गरीब वर्ग को उपहार प्रदान किए जाते हैं।        पूरे विश्व में आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को विश्व का सबसे बड़ा संगठन माना जाता है जो पिछले 99 वर्षों से सतत रूप से हिंदू सनातन संस्कृति एवं भारतीय परम्पराओं तथा संस्कारों का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए  मां भारती की सेवा में अपने आप को समर्पित किए हुए है। आज समाज की सज्जन शक्ति संघ की विचारधारा के अनुरूप सोचने लगी है अतः विभिन्न श्रेणी विशेष के नागरिक यथा चिकित्सक, शिक्षक, प्रोफेसर, अभिभाषक, श्रमिक, सेवा निवृत्त अधिकारी एवं कर्मचारी, युवा उद्यमी आदि बड़ी संख्या में संघ के साथ जुड़ रहे हैं एवं समाज परिवर्तन में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। आज भारत में विभिन्न मत पंथ को मानने वाले नागरिकों के बीच यदि आपस में भाईचारा स्थापित होता है तो निश्चित ही मां भारती को उसके पुराने वैभव को प्राप्त करने से कोई रोक नहीं सकता है। यही संघ का मुख्य लक्ष्य भी है।   

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लेख RE RTC: भारत के ऊर्जा संकट का स्थायी समाधान?

RE RTC: भारत के ऊर्जा संकट का स्थायी समाधान?

निशान्त विकसित दुनिया भले ही भारत पर जलवायु कार्यवाही को और प्रभावी बनाने की जुगत लगता रहे, लेकिन भारत सरकार की जलवायु परिवर्तन को लेकर संवेदनशीलता…

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राजनीति ग़ाज़ा पट्टी में युद्ध विराम की जरूरत

ग़ाज़ा पट्टी में युद्ध विराम की जरूरत

-ललित गर्ग-संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सोमवार को, ग़ाज़ा पट्टी में युद्ध और मानवीय पीड़ा पर विराम लगाने के लिए, तत्काल युद्धविराम लागू किए जाने…

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कविता आज दर पर आनेवाला हर कोई मेहमान नहीं होता

आज दर पर आनेवाला हर कोई मेहमान नहीं होता

—विनय कुमार विनायकआज दर पर आनेवाला हर कोई मेहमान नहीं होता,अब भोली सूरत दिखनेवाला भी कातिल शैतान होता! आज दोस्त व दुश्मन आसानी से पहचाने…

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मनोरंजन ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर’ को साकार करने में सफल रहे रणदीप हुड्डा

‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर’ को साकार करने में सफल रहे रणदीप हुड्डा

– लोकेंद्र सिंह (लेखक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक हैं।) स्वातंत्र्यवीर सावरकर पर रणदीप हुड्डा ने बेहतरीन फिल्म बनाई है। सच…

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समाज रीति रिवाजों के नाम पर लैंगिक भेदभाव से मुक्त नहीं हुआ समाज

रीति रिवाजों के नाम पर लैंगिक भेदभाव से मुक्त नहीं हुआ समाज

महिमा जोशीउत्तराखंड हमारे समाज में अक्सर ऐसे कई रीति रिवाज देखने को मिलते हैं जिससे लैंगिक भेदभाव स्पष्ट रूप से नज़र आता है. लड़का और लड़की…

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राजनीति क्या कारण है कांग्रेस की मंद होती रोशनी के

क्या कारण है कांग्रेस की मंद होती रोशनी के

-ललित गर्ग- देश की सबसे पुरानी एवं मजबूत कांग्रेस पार्टी बिखर चुकी है, पार्टी के कद्दावर, निष्ठाशील एवं मजबूत जमीनी नेता पार्टी छोड़कर अपनी सबसे…

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