
ये महाघोटालों का मौसम है
Updated: December 15, 2011
डॉ. वेदप्रताप वैदिक अब तक राजा था, अब महाराजा है। ए राजा ने अपनी चहेती कंपनियों को लाइसेंस दिए और देश के पौने दो लाख…
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राष्ट्रहित में बाधक काला धन
Updated: December 15, 2011
अमल कुमार श्रीवास्तव आम जनता काले धन से जितना आर्थिक रूप से चिंतित है उससे कहीं अधिक सफेदपोशों द्वारा विदेशों में जमा किए जा रहें…
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भ्रष्टाचार से जर्जर होता भारत
Updated: December 15, 2011
ए एन शिबली भारत में घपले और घोटाले कोई नई बात नहीं हैं। दुनिया के दूसरे देशों में भी घपले होते हैं मगर भारत में…
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पूंजीवाद से बेहतर है साम्यवाद -रूमानियाई रिफ्रेंडम का सार …
Updated: December 15, 2011
श्रीराम तिवारी वैश्विक आर्थिक संकट के परिणामस्वरूप जनांदोलनों की दावाग्नि वैसे तो सारी धरती को अंदर से धधका रही है. आधुनिकतम सूचना एवं संचार माध्यमों…
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भ्रष्टाचार से कलुषित भारत और गुजरात का उदाहरण
Updated: December 15, 2011
लालकृष्ण आडवाणी प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस पर, राजपथ की परेड को देखने के बाद मैं अपने निवास पर भी झण्डावादन का छोटा कार्यक्रम आयोजित करता…
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सेमेटिक चिंतन का ही विस्तार है इस्लाम, ईसाइयत एवं साम्यवाद
Updated: December 15, 2011
गौतम चौधरी समाजवाद का सिध्दांत रॉवट ओवेन एवं सेंट साईमन ने दिया। मेकाइबर और पेज नामक समाज विज्ञानी ने समाज को परिभाषित किया। पश्चिम में…
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उत्साह और उल्लास का पर्व: वसंत पंचमी
Updated: December 15, 2011
विजय कुमार बसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। हर दिन नयी…
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विनायक सेन : व्यवस्था की उपज………
Updated: December 15, 2011
राजीव बिश्नोई “ईश्वर ने सब मनुष्यों को स्वतन्त्र पैदा किया हैं, लेकिन व्यक्तिगत स्वतंत्रता वहीं तक दी जा सकती हैं, जहाँ दुसरों की आजादी में दखल…
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तीसरी दुनिया बनाम साम्राज्यवाद का चरागाह
Updated: December 15, 2011
श्रीराम तिवारी विगत दिनों मुंबई पोर्ट से दो समाचार एक जैसे आये. एक -विदेशी आयातित प्याज बंदरगाहों पर सड़ रही थी . कोई महकमा या…
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विरोध के बहाने मिशनरी को अपनी जमीन बचाने की चिंता
Updated: December 15, 2011
आर.एल.फ्रांसिस जैसे-जैसे नर्मदा कुंभ का दिन नजदीक आता जा रहा है वैसे ही ईसाई मिशनरी इसके विरोध में खुल कर सामने आने लगे है। उन्हें…
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अपनी जाति के ब्यूरोक्रेट्स से दूरी बनाएं माया
Updated: December 15, 2011
संजय सक्सेना उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में वर्ण भेद हमेशा से ही चर्चा में रहा है। भाजपा को बनिया-ब्राहमण, कांग्रेस को ठाकुर-ब्राहमण और समाजवादी पार्टी…
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यह क्या हो रहा है?
Updated: December 15, 2011
श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’ लोकतंत्रात्मक व्यवस्था में जनता द्वारा शासन को सुचारू चलाने के लिए एक तंत्र का निर्माण किया जाता है और आमजन अपने…
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