
वहां ५० हजार बेरोजगार, यहाँ ५० करोड़ निराहार; ओबामा चिंताग्रस्त – मगर सिंह साहेब मस्त !!!
Updated: December 19, 2011
वहां ५० हजार बेरोजगार,यहाँ ५० करोड़ निराहार ओबामा चिंताग्रस्त – मगर सिंह साहेब मस्त !!! – एल. आर गान्धी दुनिया के सबसे समृद्ध राष्ट्र का…
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इन्द्रेश कुमार : भारत माता का सपूत
Updated: December 19, 2011
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चतुर्थ सरसंघचालक राजेन्द्र सिंह उर्फ रज्जू भैया कहा करते थे कि मुंह में शक्कर, पांव में चक्कर तथा दिल में आग।…
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अमेरिकी निशाने पर दवा उद्योग
Updated: December 19, 2011
आपने एक पुरानी कहावत सुनी होगी बाप बड़ा ना भईया सबसे बड़ा रुपइया यह ओबामा के उपर विल्कुल फिट वैठता है। भारत के दौरे पर…
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संघ की संस्कृति के विरुद्ध बोले सुदर्शन
Updated: December 19, 2011
अपनी स्पष्टवादिता के लिए जाने जाने वाले गोविन्दाचार्य से हमने पूर्व संघ प्रमुख सुदर्शन द्वारा की गयी टिप्पणियों के सम्बंध में बातचीत की ,गोविन्दाचार्य का…
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सत्ताधीशों की कठपुतली बनता हमारा प्रिन्ट और इलेक्ट्रानिक मीडिया
Updated: December 19, 2011
अंग्रेजी गुलामी के कालखण्ड में पत्रकारिता की भूमिका नवचैतन्य का प्रतीक थी। संसाधनों का अभाव, सरकारी जुल्मोसितम, हर समाचार पर सरकार की कड़ी नजर के…
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केदारनाथ अग्रवाल शताब्दी के मौके पर विशेष – लेखक के विश्वदृष्टिकोण की महत्ता
Updated: December 19, 2011
केदारनाथ अग्रवाल शताब्दी के मौके पर विशेष जन्म 1 अप्रैल 1911-मृत्यु 22 जून 2000) केदारनाथ अग्रवाल के बारे में हिन्दी के प्रगतिशील आलोचकों ने खूब…
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हास्य-व्यंग्य : शोकसभा का कुटीर उद्योग
Updated: December 19, 2011
आज सुबह-सुबह शोकसभानंदजी का हमारे मोबाइल पर अचानक हमला हुआ। मैं-तो-मैं, मेरा मोबाइल भी आनेवाली आशंका के भय से कराह उठा। शोकसभानंदजी की हाबी है…
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व्यंग्य : जाले अच्छे हैं!
Updated: December 19, 2011
मां बहुत कहती रही थी कि मरने के लिए मुझे गांव ले चल। पर मैं नहीं ले गया। सोचा कि गांव में तो मां रोज…
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हम भारत के लोग तो हम हैं! – वसीम अकरम
Updated: December 19, 2011
दुनिया का कोई भी राष्ट्र किसी दूसरे राष्ट्र को भौगोलिक रूप से गुलाम बनाना नहीं चाहता, क्योंकि हर एक राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय कानून, मानवाधिकार और राष्ट्राधिकार…
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नागार्जुन जन्मशती पर विशेष – कविता में लोकतंत्र
Updated: December 19, 2011
कविता का नया अर्थ है लोकतंत्र का संचार। अछूते को स्पर्श करना। उन विषयों पर लिखना जो कविता के क्षेत्र में वर्जित थे। प्रतिवादी लोकतंत्र…
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समझिए भारत की त्रासदी
Updated: December 19, 2011
इस समय माफिया राज्य चला रहा है। माफिया बाजार द्वारा संचालित होता है। भारत में जितनी नीतियाँ चल रही हैं, वे बाजारवादी ताकतों द्वारा निर्देशित…
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व्यंग्य: हैसियत नजरबट्टू की अन्यथा सड़के ही सोने की होती
Updated: December 19, 2011
एक बार किसी कारण वश मुझे नगर परिषद जाना पडा । वहां कुछ लोग बैठे थे तभी एक सज्जन आये ,और उन्होने पहले से बैठे…
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