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    वाणिज्यिक बायोटेक फसल उगाई में भारत का चौथा स्थान

    krishiअमेरिका जैसे विकसित देशों की तर्ज पर भारत में भी वाणिज्यिक बायोटेक फसल उगाई जा रही है। कृषि बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम कर रहे एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन का कहना है कि भारत वाणिज्यिक बायोटेक फसलों की खेती करने वाला दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश बन गया है।इंटरनेशनल सर्विस फॉर द एक्वीजिशन ऑफ एग्री-बायोटेक अप्लाइंसेस (आईएसएएए) की ओर से जारी सालाना वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2008 में देश में 76 लाख हेक्टेयर भूमि पर वाणिज्यिक बायोटेक फसल उगाई गई।

    रिपोर्ट के मुताबिक गत वर्ष भारत के किसानों 50 लाख किसानों ने बायोटेक कपास (बीटी कॉटन) की फसल लगाई।

    आईएसएएए के अध्यक्ष क्लाइव जेम्स के अनुसार आने वाले 50 वर्षो में दुनिया की खाद्य जरूरतें बहुत बढ़ने वाली है। इससे निपटने के लिए बायोटेक फसलें बेहतरीन विकल्प हैं। कीटनाशकों की कम आवश्यकता और अधिक उपज के कारण बायोटेक फसलें किसानों में तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं।

    आईएसएएए की ओर से जारी रिपोर्ट में वाणिज्यिक बायोटेक फसल उगाई वाले देशों में अमेरिका का पहला स्थान है। वहां लगभग 6.25 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर बायोटेक फसलें उगाई जाती हैं। अर्जेटीना दूसरे स्थान पर है, ब्राजील का तीसरा स्थान है।

    रिपोर्ट के मुताबिक इस समय दुनिया भर में 25 देशों के लगभग 1.33 करोड़ किसान बायोटेक फसलें उपजाते हैं।

    संसद में बल्लेबाजी की तैयारी में जुटे अजहर

    azharuddinभारतीय क्रिकेट टीम की लंबे समय तक कप्तानी कर चुके मोहम्मद अजहरुद्दीन राजनीति में आ गए हैं। गुरुवार को उनके औपचारिक रूप से कांग्रेस पार्टी में शामिल होने की खबर आई। हालांकि, अभी उनके लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर स्थिति साफ नहीं हुई है।कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि अजहरुद्दीन ने कुछ दिन पहले कांग्रेस में शामिल होने की इच्छा जाहिर की थी। इसके बाद पार्टी अध्यक्ष से चर्चा करने के बाद उन्हें पार्टी की सदस्यता का प्रस्ताव दिया गया है। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी ने फिलहाल यह निर्णय नहीं लिया है वे आगामी लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे या नहीं।

    भारतीय टीम में शामिल रहने के दौरान अजहरुद्दीन पर मैच फिक्सिंग जैसे गंभीर आरोप लगे थे, जिसके बाद उन्हें क्रिकेट खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। हालांकि कांग्रेस पार्टी की नजर में ऐसे मामलों की कोई अहमियत नहीं है। इस विवाद के बारे में मोइली ने कहा कि अजहरुद्दीन के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। उन्होंने तो खुद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के विरुद्ध एक मामला दर्ज करवाया है।

    बीसीसीआई के एक प्रमुख अधिकारी भी कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं और संप्रग सरकार के लोगों की बीसीसीआई में इन दिनों गहरी पैठ है। ऐसे में सही कौन है यह साफ नहीं हो पा रहा है।

    मीडिया में अटकलें लगाई जा रही हैं कि अजहरुद्दीन हैदराबाद से चुनाव लड़ सकते हैं। यदि ऐसा होता है और वे चुनाव जीत जाते हैं तो उन्हें संसद में बल्लेबाजी का अवसर मिल जाएगा। वे मैच फिक्सिंग विवाद के कारण भारतीय टीम से बाहर हो गए थे। लेकिन अब भी उनके चाहने वालों की फेहरिस्त काफी लंबी है।

    स्वात घाटी में पत्रकार ‘मूसा खान’ की हत्या

    Pakistanपाकिस्तान की स्वात घाटी में मूसा खान नाम के एक खेल पत्रकार की हत्या कर दी गई। वे एक टेलीविजन चैनल के पत्रकार थे और सूफ़ी मोहम्मद के काफ़िले की रिपोर्टिंग के लिए वहाँ गए थे।मूसा की आयु 28 वर्ष थी और वे जियो टीवी चैनल के लिए काम करते थे। आ रही खबर के मुताबिक उनकी हत्या स्वात के मट्टा इलाक़े में की गई है। इस इलाके में तालिबान का काफ़ी प्रभाव है। चैनल पर समाचार वाचक ने ख़बर पढ़ते हुए बताया कि हमें ये बताते हुए खेद है कि जियो के संवाददाता मूसा खान की अज्ञात बंदूकधारियों ने हत्या कर दी है।

    ऐसी खबर है कि वे मट्टा में रिपोर्टिंग के लिए गए थे। घटना के बाद मूसा के शव को स्थानीय पत्रकारों ने चौक पर रखकर काफ़ी देर तक धरना दिया। गत तीन वर्षों में यहाँ तीन पत्रकारों की हत्या की जा चुकी है। पाकिस्तान की सूचना मंत्री शेरी रहमान ने भी हत्या की निंदा की है। साथ ही दोषियों को सजा दिए जाने की का भरोसा दिया है।

    हाल ही में पाकिस्तान सरकार और स्वात घाटी में सक्रिय तालिबान ग्रुप के बीच शांति समझौता हुआ है। जिसके बाद अब स्वात घाटी में इस्लामी शरिया क़ानून लागू कर दिया गया है।

    2011 क्रिकेट महाकुंभ का उद्घाटन समारोह बांग्लादेश में

    cricketshotभारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश की सह-मेजबानी में वर्ष 2011 में होने वाले क्रिकेट महाकुंभ का उद्घाटन समारोह बांग्लादेश में होगा। इसकी घोषणा अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी ) ने की। बांग्लादेश के समाचार पत्र डेली स्टारके मुताबिक आईसीसी ने उद्घाटन समारोह के लिए 19 फरवरी, 2011 की तारीख तय की है। 

    साथ ही 2011 विश्व का पहला मैच बांग्लादेश में ही खेला जाएगा। डेली स्टार पत्र ने आईसीसी के एक मुख्य अधिकारी के हवाले से लिखा है कि बांग्लादेश को 2011 विश्व कप के उद्घाटन समारोह और पहले मैच की मेजबानी देने का निर्णय लिया है।

    पाकिस्तान में लादेन के छुपे होने की संभावना

    osama_bin_ladenअमेरिका समेत दुनिया भर को जिस ओसामा बिन लादेन की लंबे समय से तलाश है, उसके पाकिस्तान के सीमा क्षेत्र में छुपे होने की संभावना जताई गई है। वह अल कायदा का प्रमुख है। उपग्रह की मदद से किए गए एक भू विश्लेषण में इस बात का खुलासा हुआ है।

    एक अमेरिकी विश्वविद्यालय की शोध टीम ने भूविज्ञानी थॉमस गिलेस्पी के नेतृत्व में भू विश्लेषण तकनीक का इस्तेमाल किया, जिससे शहरी अपराधियों और विलुप्तप्राय प्रजाति की जानकारी प्राप्त करने में महत्वपूर्ण नतीजे हाथ आए हैं।
    यूएसए टुडे की रिपोर्ट में बताया गया कि उपग्रह से प्राप्त छवियों और अन्य तकनीकों के आधार पर वैज्ञानिकों ने कहा कि ओसामा के पाराचिनार के तीन अहातों में छुपे होने की संभावना है। पाराचिनार अफगानिस्तान की सीमा से मात्र 15 किलोमीटर दूर है और इस्लामाबाद के 290 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है।

    दादा प्रणब के दावे में दम नहीं

    pranab_mukharjee1पचीस साल बाद जब एक बार फिर बजट पेश करने प्रणब मुखर्जी संसद जा रहे होंगे तो उनके दिमाग में आने वाले अप्रैल में मतदाताओं की लंबी कतारें जरूर रही होंगी। उन्हें यह भी याद रहा होगा कि उन लंबी कतारों में लगे लोगों का निर्णय तय करने में उनके बजट की विशेषता कोई भूमिका निभाये या नहीं लेकिन उनकी कोई भी गलती मौजूदा सरकार के खिलाफ माहौल बनाने का काम जरूर कर सकती है। हालांकि, 1984 में उन्होंने आखिरी बार बजट पेश किया था और वह पूर्ण बजट था। पर इस दफा दादा अंतरिम बजट पेश करने जा रहे थे और उन्हें ऐसे समय में वित्त मंत्री बनाया गया था जब उनसे सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह सियासी चतुराई की अपेक्षा कर रहे थे। कहा जा सकता है कि प्रणब दादा ने उनके अपेक्षाओं पर खरा उतरने की भरपूर कोशिश की। अपने बजट भाषण के दौरान उन्होंने बार-बार सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह की तारीफ करते हुए वित्त मंत्रालय से गृह मंत्रालय जा चुके पी चिदंबरम की पीठ थपथपाने का भी कोई मौका नहीं छोड़ा। चुनावों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने आम आदमी, किसान, किसानी और गांवों की भलाई का राग भी जमकर अलापा।
    आंकड़ों के जरिए प्रणब मुखर्जी ने जो गुलाबी तस्वीर खींची उसे सिक्के का एक पहलू ही कहा जा सकता है। विदेश मंत्री के तौर पर अहम जिम्मेदारी निभाने वाले प्रणब मुखर्जी ने मौजूदा यूपीए सरकार का आखिरी बजट पेश करते हुए अपने सियासी कौशल का बखूबी परिचय दिया। कार्यवाहक वित्त मंत्री के रूप में अगले चार माह के लिए अपना अंतरिम बजट पेश करते हुए मुखर्जी ने पिछले चार साल की यूपीए सरकार की उपलब्धियों को गिनाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। उन्होंने बार-बार यह दुहराया कि यूपीए सरकार ने जनता से किए अपने सभी वादे पूरे किए और अर्थव्यवस्था की रफ्तार को बनाए रखा। उन्होंने कहा कि देश में ऐसा पहली बार हुआ कि लगातार तीन साल तक विकास दर 9 फीसदी के आसपास रही। दादा के इस दावे में कितना दम है, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि देश में गैरबराबरी बढ़ती रही। अमीरों और गरीबों के बीच की खाई बढ़ती रही। देश में अरबपतियों की संख्या बढ़ती रही और घर से बेघर होने वालों की संख्या भी उसी तेजी से बढ़ती रही। विकास के नाम पर लोगों को उजाड़ा जाता रहा।
    अपने बजटिया भाषण में प्रणब दादा ने कहा कि यूपीए सरकार ने ग्रामीण शिक्षा और स्वास्थ्य पर जोर दिया  और इस मद में 39 फीसदी निवेश बढ़ा। पर उनके ये दावे भी सिर्फ कागजी ही नजर आते हैं। जहां तक सवाल है ग्रामीण शिक्षा का तो आज भी देश में ऐसे गांवों की भरमार हैं जहां शिक्षा का उजियारा नहीं पहुंचा है। अभी भी देश के प्राथमिक विद्यालयों के पचीस फीसद शिक्षक डयूटी से गायब रहते हैं। यहां प्रणब दादा के दावे को खोखला यह बात  भी साबित करती है कि अभी भी देश के उन्नीस प्रतिशत प्राथमिक विद्यालय सिर्फ एक शिक्षक के सहारे चल रहे हैं। रही बात ग्रामीण स्वास्थ्य की तो इसकी बदहाली की कहानी तो वैसे लोग भलीभांति जानते होंगे जो गांवों मे रहते हैं या जिनका संबंध गांवों से रहा है। अव्वल तो यह कि ज्यादातर गांवों में आज भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं हैं। जहां हैं भी वहां डाॅक्टर को देखना दिन में तारे देखना सरीखा होता है।
    प्रभारी वित्त मंत्री ने कहा कि श्क्षिा में सुधार के लिए सरकार वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि 11वीं पंचवर्षीय योजना में हमने उच्च शिक्षा के लिए आवंटन 900 फीसदी बढ़ाया गया। चालू वर्ष में छह नए आईआईटी शुरू होंगे। इसमें से हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश में दो नए आईआईटी खुलेंगे। शिक्षा कर्ज को मौजूदा सरकार ने चैगुना किया और इसे 3.19 लाख से बढ़ाकर 14.09 लाख करोड़ तक किया गया। 500 आईटीआई को बेहतरीन बनाने की प्रक्रिया शुुरु हुई। दादा के ये आंकडे़ खुशफहमी पालने के लिए कुछ लोगों को बाध्य कर सकते हैं। पर हकीकत इससे अलग है। जितनी संख्या में उच्च शिक्षण संस्थानों की जरूरत इस देश में है उस मात्रा में नए संस्थान नहीं शुरु हो रहे हैं। उच्च शिक्षा की सबसे बड़ी समस्या गुणवत्ता को बरकरार रखने की है। सरकार अपना रिपोर्ट कार्ड सतही तौर पर ठीक बनाने के लिए संस्थानों की संख्या बढ़ा तो रही है लेकिन संस्थानों की गुणवत्ता में लगातार गिरावट आती जा रही है।
    कृषि क्षेत्र को लेकर प्रणब दादा के दावे सबसे ज्यादा खोखले नजर आ रहे हैं। उन्होंने किसानों को भारत का असली नायक बताते हुए यह कहा कि हमने गेंहू और चावल का रिकार्ड उत्पादन किया। इस वजह से कृषि की औसत वार्षिक दर 3.7 फीसदी रही। किसानों को नायक बताते हुए उनके प्रति सरकार की हमदर्दी को बयां करते हुए प्रणब मुखर्जी ने यह भी जोड़ा कि 2003-04 से 2008-09 के बीच सरकार ने किसानी के लिए आवंटित किए जाने वाली रकम को तीन सौ फीसद बढ़ाया है यानी तिगुना कर दिया गया है। पिछली बजट में किसानों के लिए सरकार द्वारा घोषित कर्ज माफी योजना के जरिए सत्ता में बैठे लोगों ने जमकर वाहवाही लूटी थी। इस योजना की बाबत प्रणब दादा ने अंतरिम बजट भाषण में बताया कि पैंसठ हजार तीन सौ करोड़ रुपए की कर्ज माफी हुई। जिसका लाभ तीन करोड़ साठ लाख किसानों को मिला। पर वहीं सरकार यह भी मानती है कि देश के चार करोड़ चैंतीस लाख किसान कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं। अगर प्रणब दादा के दावे को ही सही मान लें तो अभी तकरीबन एक करोड़ किसान उनकी सरकार के कर्जमाफी योजना के लाभ से महरूम हैं। इसके अलावा प्रणब मुखर्जी को यह भी याद रखना चाहिए था कि आज भी भारत के आम किसान को बैंकों के बजाए साहूकार से कर्ज लेने पर ज्यादा निर्भर रहना पड़ता है और इस कर्ज  के बोझ तले दबकर आज भी हजारों किसान हर साल काल कवलित होने को अभिशप्त हैं। प्रणब मुखर्जी ने यह भी जोड़ा कि अनाज के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी उनकी सरकार ने इजाफा किया है।
    किसानों के कल्याण का दावा चाहे मौजूदा सरकार जितनी करती रहे लेकिन वे सच से काफी दूर हैं। सरकारी दावे की पोल एक सरकारी एजंसी की रपट ही खोलती है। किसानों की आत्महत्या की बाबत राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो की रपट के मुताबिक 2007 में पूरे देश में 16,632 किसानों ने आत्महत्या की। इसमें 2,369 महिलाएं शामिल थीं। किसानों की आत्महत्या देश में हुए कुल आत्महत्याओं का साढे़ चैदह फीसद है। हालांकि, यह संख्या 2006 की तुलना में थोडी़ कम जरूर हुई है। 2006 में यह संख्या 17,060 थी। आधिकारिक आंकड़े बता रहे हैं कि 1997 से लेकर अब तक भारत के 1,82,936 किसान आत्महत्या करने को मजबूर हुए हैं। याद रहे कि यहां जिस संख्या का जिक्र किया जा रहा है वे दर्ज मामले हैं। बताते चलें कि ऐसे असंख्य मामले उजागर हो चुके हैं जिनमें पुलिस किसानों के आत्महत्या के मामले ही नहीं दर्ज करती। देश की पुलिस का चरित्र व्यवस्था समर्थक होने के नाते वह हर वैसे मामले की लीपापोती की भरपूर प्रयास करती है जिससे सरकार के लिए समस्या पैदा हो। किसानों की आत्महत्या को पुलिस कुछ अन्य कारणों से हुई मौत बताकर अपने रिकार्ड में दर्ज नहीं करती। मामला दर्ज होने के बाद किसानों के परिजन मुआवजा के हकदार बन जाते हैं। हां, सोचने वाली बात यह भी है कि मुआवजा कितने लोगों को मिल पाता है। अपने परिजन को खोने के बावजूद किसान परिवार को मुआवजे के लिए इस देश में दर-दर की ठोकर खाना आम बात है। ऐसे में किसानों के कल्याण के हवाई घोषणाएं करने का कोई मतलब नहीं रह जाता है।

    हिमांशु शेखर
    09891323387

    राजगीर में मिला गुप्तकालीन स्तूप

    rajgirबिहार के नालंदा जिला में राजगीर की गिरीव्रज पहाड़ी पर पुरातत्ववेताओं ने एक विशाल स्तूप खोज निकाल है। इस खोज को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के इतिहास में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पुरातत्ववेता इसके गुप्तकाल के होने की संभावना व्यक्त कर रहे की है।

    इस स्तूप की लंबाई लगभग 70 फुट है। इसके उपर गुप्तकालीन कला की तरह अलंकृत ईंटों से स्तूप का निर्माण किया गया है। ईंट और पत्थरों से बने इस स्तूप के बीच 40 फुट लम्बा और 40 फुट चौड़ा पानी का सरोवर भी बना है।

    पुरातत्ववेता सुजीत नयन ने पत्रकारों को बताया कि यह संरचना आजातशत्रु द्वारा बनाये गये विश्व प्रसिद्घ साइक्लोपियन वाल के किनारे है। पूर्वी चंपारण के बौद्ध केसरिया स्तूप के बाद मिला यह सबसे बड़ा स्तूप है।

    उन्होंने बताया कि पंचाने नदी के किनारे ताम्रपाषाणकालीन घोड़ाकटोरा एवं गिरीव्रज पहाड़ी पर स्थित इस स्थल को विकसित किया जाए तो यह देश का सबसे बड़ा पर्यटक स्थल बन सकता है। हालांकि उन्होंने बताया कि स्तूप के चारों तरफ बने प्रदक्षिणा पथ रखरखाव के अभाव में बर्बाद होने के कगार पर है।

    नयन का मानना है कि इस स्तूप के समीप प्राप्त अवशेषों से पता चलता है कि यहां गुप्तकाल में भी नगरीय व्यवस्था रही होगी। हालांकि उन्होंने इस पर और अध्ययन की आवश्यकता बतायी है।

    23 साहित्यकार साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित

    राष्ट्रीय राजधानी स्थित रविंद्र भवन में मंगलवार को विभिन्न भाषाओं के 23 साहित्यकारों को साहित्य अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। हिन्दी भाषा में यह पुरस्कार गोविंद मिश्र को प्रदान किया गया।

    सम्मानित किए जाने वालों में जयंत परमार (उर्दू), चिटि प्रलु कृष्णमूर्ति (तेलुगू), मेलंमई पोन्नु सामी (तमिल), शिरो शेवकाणी (सिंधी), बादल हेंब्रम (संथाली), ओम प्रकाश पांडे (संस्कृत), दिनेश पांचाल (राजस्थानी), मित्रसैन मीत (पंजाबी), प्रमोद कुमार मोहंती(उड़िया), हैमन दास राई (पाली), श्याम मनोहर (मराठी), अरामबम ओंबी मेमचौबी (मणिपुरी), स्व.के.पी.अप्पन (मलयालम), मंत्रेश्वर झा (मैथिली), अशोक एस.कामत (कोंकणी), गु.नबी आतश (कश्मीरी), श्रीनिवास बी.वैद्य (कन्नण), सुमन शाह (गुजराती), चंपा शर्मा (डोंगरी), विद्या सागर नाजारी (बोडो), शरद कुमार मुखोपाध्याय (बांडला) जैसे साहित्यकारों के नाम शामिल हैं। असमिया भाषा की साहित्यकार रीता चौधरी को उनके उपन्यास देओ लाड्खुइ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया, जिसे उन्होंने अपने लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया। हिंदी सहित विभिन्न भाषाओं की जानकार चौधरी अपना अगला उपन्यास चीनी भाषा में लिख रही हैं। उनका पहला उपन्यास अविरत यात्रा वर्ष 1981 में प्रकाशित हुआ था।

    माओवादियों ने मनाया मतभेद के साये में 14वीं वर्षगांठ

    nepal-maoistनेपाल की सत्ता पर काबिज माओवादी अपने सशस्त्र विद्रोह की 14 वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। इस मौके पर वे अपनी एकजुटता का इजहार करने की कोशिश कर रहे हैं। यह कोशिश सांगठनिक एकता में आई दरार की सूचक है। क्योंकि, जश्न के इस मौके पर ही संगठन से उसके एक शीर्ष नेता ने नाता तोड़ लिया है।

    इस मौके पर माओवादियों की ओर शक्ति प्रदर्शन भी किया जा रहा है। खबर के मुताबिक माओवादियों के छापामार संगठन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के करीब 2000 सदस्यों ने पश्चिमी नवलपरासी जिले के हट्टीखोर गांव में परेड का आयोजन किया। करीब 10 वर्षो तक इस सशस्त्र संगठन का नेतृत्व करने वाले पुष्प कमल दहाल उर्फ प्रचंड ने एक सप्ताह तक चलने वाले इस समारोह का उद्घाटन किया है।

    14 वीं वर्षगांठ के इस मौके पर पूर्व छापामार नेताओं के भाषण सुनाए जा रहे हैं। साथ ही समारोह को यादगार बनाने की तमाम कोशिशें की जा रही हैं। समारोह स्थल पर तोरण द्वार बनाए गए हैं और इसमें भाग लेने वाले हजारों लोगों के स्वागत की जबर्दस्त तैयारी की गई है।

    उल्लेखनीय है कि 13 फरवरी, 1996 को माओवादियों ने नेपाल के शाह राजवंश के खिलाफ विद्रोह का आगाज किया था और अंतत: इस वंश के पतन के साथ इस विद्रोह की समाप्ति हुई।

    इधर, संगठन के एक प्रमुख नेता ने संगठन से नाता तोड़कर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओइस्ट) को पुनर्जीवित करने का फैसला किया है। उन्होंने असंतुष्ट माओवादी नेताओं और पीएलए सदस्यों से इसमें शामिल होने की अपील की है। वह प्रचंड पर वादा खिलाफी का आरोप लगा रहे हैं।

    अंतरिम बजट की विपक्षी पार्टियों ने की आलोचना

    budgetलोकसभा में विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा पेश किए गए अंतरिम बजट को सत्ता पक्ष ने आम आदमी का बजट बताया है, जबकि विपक्षी पार्टियों ने इसे जन विरोधी करार दिया।

    भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी ने अंतरिम बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के पांच वर्षो के शासनकाल के दौरान आम आदमी की पूरी तरह उपेक्षा की गई है। इस सरकार ने तो सिर्फ संपन्न लोगों का ध्यान रखा है।

    उन्होंने कहा, “शुरू में अर्थव्यवस्था में कुप्रबंधन की वजह से और बाद में वैश्विक मंदी के कारण देश में बेरोजगारी की समस्या तेजी से बढ़ी है। इसके लिए काफी हद तक संप्रग सरकार जिम्मेदार है।

    मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि कार्यकारी वित्त मंत्री आर्थिक मंदी का मुकाबला करने में विफल साबित हुए हैं। अंतरिम बजट ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्विक मंदी के खतरनाक प्रभाव से निपटने के लिए संप्रग सरकार के अपर्याप्त उपायों को बेनकाब किया है।

    जबकि केंद्रीय गृह मंत्री पी.चिदंबरम ने कहा कि यह एक कठिन वर्ष है। फिर भी यह अपने आप में संतोषजनक है कि वैश्विक मंदी का भारत पर उतना प्रभाव नहीं पड़ा हैउन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष (2008-09) में देश की वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत बने रहने की पूरी संभावना है।

    भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता ने इसे चुनावी बजट बताया। गुरुदास गुप्ता ने कहा कि यह सोनिया गांधी का बजट है और इसके लिए लोकसभा जैसे सार्वजनिक मंच का बेजा इस्तेमाल किया गया।

    मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मंदी के इस दौर में देश की अर्थव्यवस्था को दिशा देने के लिए इस बजट में प्रयास किए जाने चाहिए थेलेकिन ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है। इस बजट से मध्य प्रदेश को कुछ भी हासिल नहीं हुआ है।

    मुखर्जी ने पेश किया घाटे वाला अंतरिम बजट

    pranab_mukharjeeप्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की ओर से विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को वर्ष 2009-10 का अंतरिम बजट लोकसभा में पेश किया। पी. चिदंबरम के केंद्रीय गृह मंत्री बनाए जाने के बाद से वे वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे हैं। सत्ता पक्ष ने इसे आम आदमी का बजट करार दिया है, जबकि विपक्ष ने इसे जन-विरोधी बताया।

    लोकसभा में मुखर्जी द्वारा पेश किए गए 9,52,231 करोड़ रुपये के अंतरिम बजट में सामाजिक क्षेत्र की परियोजनाओं पर खर्च में भारी बढ़ोतरी की गई है। लेकिन कर दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज करने और समाज के कमजोर वर्गो को लाभ पहुंचाने के इरादे से बजट में कई जरूरी उपायों की घोषणा की गई है।

    प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अनुपस्थिति में मुखर्जी ने करीब 69 मिनट का अंतरिम बजट भाषण दिया, जिसमें उन्होंने संप्रग सरकार की उपलब्धियां ही गिनाई। भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि नई सरकार की ओर से पेश किए जाने वाले नियमित बजट में अतिरिक्त कदम उठाए जाने की जरूरत होगी। मुखर्जी ने कहा कि देश की विकास की गाड़ी सही दिशा और सही गति के साथ आगे बढ़ रही है। सरकार द्वारा उठाए गए कदम अर्थव्यवस्था पर वैश्विक आर्थिक मंदी के प्रभाव को बेअसर करने में सक्षम साबित हो रहे हैं।

    मुखर्जी अगली सरकार द्वारा सदन में नियमित बजट पेश किए जाने तथा उसे पास किए जाने तक सरकारी खर्च के लिए लेखानुदान मांगे पेश की। उन्होंने कहा कि असाधारण आर्थिक परिदृश्य असाधारण कदमों की मांग करते हैं। और अभी ऐसे ही कदमों की जरूरत है।

    अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा, “यह कठिन समय है, जब अधिकतर अर्थव्यवस्थाएं अपने को स्थिर बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही हैं। ऐसे में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर 7.1 फीसदी होने से देश की अर्थव्यवस्था दुनिया की दूसरी सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था बन गई है।”

    मुखर्जी ने साफ कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, उच्च शिक्षा और स्कूली छात्रों के लिए मिड-डे मील योजना जैसे सामाजिक क्षेत्रों पर खर्च बढ़ाने के कारण वित्तीय घाटा बढ़कर 5.5 फीसदी हो जाएगा। फरवरी 2006 में आरंभ की गई राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना देश के 100 जिलों में क्रियान्वित की जा रही है। वर्ष 2009-10 में इस योजना के लिए 30,100 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव रखा गया है।

    मुखर्जी ने कहा कि प्रारंभिक शिक्षा सुलभ कराने और इसके ढांचागत विकास में महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए सर्व शिक्षा अभियान कार्यक्रम के अंतर्गत 2009-10 के लिए 13,100 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव रखा गया है। साथ ही युवा कार्य व खेल मंत्रालय तथा संस्कृति मंत्रालय के लिए वर्धित आयोजना आवंटनों का प्रावधान किया गया है, ताकि अगले वर्ष राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी के लिए पर्याप्त संसासधन सुलभ हो सकें।

    उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में वित्तीय घाटा बढ़कर छह फीसदी हो जाएगा, जबकि अनुमान 2.5 फीसदी का लगाया गया था। इसी तरह राजस्व घाटा अनुमानित एक फीसदी से बढ़कर 4.4 फीसदी हो जाने की संभावना है। आर्थिक मंदी के इस दौर में राजस्व संग्रह में कमी को देखते हुए योजनागत खर्च में किसी भी तरह की बढ़ोतरी से वित्तीय घाटा बढ़ेगा।

     

    अंतरिम बजट भाषण में नई योजनाओं की चर्चा करते हुए उन्होंने 18 से 40 वर्ष की विधवाओं और शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना और इंदिरा गांधी विकलांगता पेंशन योजना की घोषणा की। मुखर्जी ने कहा कि विकसित देश जिस स्तर पर आर्थिक संकट की मार झेल रहे हैं उसका असर दुनिया के अन्य देशों पर पड़ना आश्चर्य की बात नहीं है। भारत भी इससे प्रभावित हुआ है।

    उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान बेहतरीन काम किया है और हमें लोक-लुभावन बजट की जरूरत नहीं है। हमने अंतरिम बजट की संवैधानिक मर्यादा का ध्यान रखा है।”

    उत्तरप्रदेश के मुसलिम मतदाता – ब्रजेश झा

    CORRECTION-THAILAND-POLITICS-REFERENDUMइन दिनों देश में 15वीं लोकसभा चुनाव की तैयारी चल रही है। इस बाबत भाजपा के पूर्व नेता कल्याण सिंह और सपा के बीच हुए राजनीतिक गठजोड़ ने उत्तर भारत की मुसलिम राजनीति को नए मोड़ पर ला खड़ा किया है। उत्तरप्रदेश में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं। दिल्ली की सत्ता में किस पार्टी की कितनी हैसियत होगी ! इसे तय करने में यह प्रदेश बड़ी भूमिका अदा करता है।

     

    वर्ष 2001 में हुई जनगणना के मुताबिक राज्य में मुसलमानों की जनसंख्या राज्य की कुल आबादी का 17.33 प्रतिशत है। ऐसे में मुसलिम मतदाताओं का सभी पार्टियों के लिए खास महत्व है। हालांकि उनका महत्व पहले भी रहा है, जिसका मुसलिम ठेकेदारों व धर्मनिरपेक्षता का बांग देने वाली पार्टियां सत्ता पाने के लिए मनमाफिक इस्तेमाल करती रही हैं। राम मंदिर आंदोलन (1991) से जो स्थितियां बनी उसने इन पार्टियों का काम और भी आसान कर दिया।

     

    खैर, यह अलग मसला है। मूल बात यह है कि वर्ष 1980 को छोड़कर राज्य में संख्या के औसत के हिसाब से मुसलिम प्रतिनिधि नहीं चुने जा सके हैं। यहां मुसलिम बहुल इलाकों से मुसलिमों को टिकट देने का चलन भर सभी पार्टियों ने अख्तियार कर रखा है।

     

    राज्य में कांग्रेस पार्टी का आधार कमजोर होने और राममंदिर आंदोलन के बाद मुसलिम वोटर समाजवादी पार्टी के लिए एक लाटरी के रूप में सामने आए। हालांकि, इससे पहले सातवें (1980) और आठवें (1984) लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से 11-11 उम्मीदवार मुसलिम समुदाय के चुनकर आए थे।

     

    अब जब राम मंदिर आंदोलन का असर कम हो गया है तो प्रदेश में सांप्रदायिकता की आंच पर वोट पाना किसी भी पार्टी के लिए मुश्किल हो गया है। ऐसे में पिछड़े वोटरों को एक साथ करने के इरादे से कल्याण सिंह और सपा ने साथ-साथ चुनाव में उतरने का फैसला किया है। मायावती इस गठबंधन के बहाने मुसलमानों को अपने पक्ष में करने की कोशिश में लगी हैं, जबकि कांग्रेस नए रास्ते तलाश रही है।

     

    दूसरी तरफ इस गठबंधन से प्रदेश के कई मुसलिम नेता खासे नाराज हैं। ऐसी संभावना बन रही है कि इस दफा उनका वोट बैंक दूसरी करवट ले सकता है। यदि ऐसा होता है तो धर्मनिरपेक्षता के नाम पर ठगे जा रहे इस समुदाय के पास अपने सही नुमाइंदों को चुनने का मौका मिल सकता है। अब देखना है कि प्रदेश का मुसलिम मतदाता एक बार फिर किसी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का शिकार बनता है या अपनी मर्जी का उम्मीदवार चुनता है। आखिर फैसला तो उन्हें ही करना है।
     

    लोकसभा में चुनकर आए मुसलिम प्रतिनिधियों के आंकड़े

     

    लोकसभा चुनाव

    वर्ष

    सीट

    राज्य में मुसलिम समुदाय का प्रतिशत

    मुसलिम नुमाइंदों की चुने जाने की आदर्श संख्या

    चुनाव में खड़े हुए मुसलिम प्रतिनिधि

    चुनाव जीत कर आए मुसलिम प्रतिनिधि

    चुनाव जीते निर्दलीय मुसलिम उम्मीदवार

     

     

    1 चुनाव

    1952

    86

       14.28

         12

       11

      7

     कोई नहीं

     

     

    दूसरा

    1957

    86

       14.28

         12

       12

      6

     कोई नहीं

     

     

    तीसरा

    1962

    86

       14.63

         12

       21

      5

     कोई नहीं

     

     

    चौथा

    1967

    85

       14.63

         12

       23

      5

     कोई नहीं

     

     

    पांचवां

    1971

    85

       15.48

         13

       15

      6

     कोई नहीं

     

     

    छठा

    1977

    85

       15.48

         13

       24

      10

     कोई नहीं

     

     

    सातवां

    1980

    85

       15.48

        13

      46

      18

     कोई नहीं

     

     

    आठवां

    1984

    85

      15.93

        13

      34

      12

    कोई नहीं

     

     

    नौवां

    1989

    85

      15.93

        13

      48

      8

       1

     

     

    दसवीं

    1991

    85

      17.33

        14

      55

      3

    कोई नहीं

     

     

    11वीं

    1996

    85

      17.33

        14

      59

      6

    कोई नहीं

     

     

    12वीं

    1998

    85

      17.33

        14

      65

      6

    कोई नहीं

     

    13वीं

    1999

    85

      17.33

        14

      68

      8

    कोई नहीं

     

    14वीं

    2004

    80

      17.33

        14

      85

      11

    कोई नहीं

    कुल

     

    1108

     

       183

      566

      111

     01

     

     

                       
     अब तक उत्तरप्रदेश से लोकसभा में 112 मुसलिम सांसद चुनकर आए हैं। नौवीं लोकसभा (1989) चुनाव में प्रदेश के बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र से एफ. रहमान निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुने जाने वाले एक मात्र उम्मीदवार रहे हैं। फिलहाल इस सीट का प्रतिनिधित्व भाजपा के ब्रजभूषण शरण सिंह कर रहे हैं।
     
     

    पहले लोकसभा (1952) चुनाव में उत्तरप्रदेश से चुनकर आने वाले प्रतिनिधि-

    लोकसभा क्षेत्र का नाम       चुने गए उम्मीदवार            पार्टी

    मुरादाबाद                  हफिजुर रहमान               इंडियन नेशनल कांग्रेस

    रामपुर-बरेली               अबुल कलाम आजाद               ,,

    मेरठ (उत्तर पूर्व)            शाह नवाज खान                   ,,

    फर्रुखाबाद                 बशिर हुसैन जैदी                        ,,

    सुल्तानपुर                 एम. ए. काजमी                            ,,

    बहराइच (पूर्व)              रफि अहमद किदवई              ,,

    गोंडा (उत्तर)                चौधरी एच. हुसैन                       ,,

     

     

     

      

    सातवें लोकसभा चुनाव (1980) में राज्य के 85 लोकसभा सीटों में 18 सीटों मुस्लिम प्रतिनिधियों को जीत हासिल हुई थी। राज्य में पहली बार मुस्लिम आबादी के औसत के हिसाब से पांच अधिक उम्मीदवार चुनकर लोकसभा पहुंचे। आठवें लोकसभा चुनाव (1984) में 12 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे, जो संख्या की आदर्श स्थिति के हिसाब से एक कम है।

     

     

     

    वर्ष 2004 में हुए 14वें लोकसभा चुनाव में 11 मुस्लिम मतदात चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे।

    लोकसभा क्षेत्र का नाम       चुने गए उम्मीदवार                          पार्टी

    मुरादाबाद                               डा. शफीकुर्रहमान बर्क                               सपा

    बदायूं                                         सलीम इकबाल शेरवानी                         सपा

    शाहबाद                                          इलियास आजमी                               बसपा

    सुल्तानपुर                                    मो. ताहिर                                                 ,,

    बहराइच                                        रूबाब सैयद                                          सपा

    डुमरियागंज                                  मो. मुकीम                                           बसपा

    गाजीपुर                                   अफजाल अंसारी                                        सपा

    फुलपुर                                   अतीक अहमद                                            सपा

    मेरठ                                      मोहम्मद शाहिद                                         बसपा

    मुजफ्फरनगर                         चौ. मुनव्वर हसन                                      सपा

    सहारनपुर                               रशीद मसूद                                                 सपा