इन दिनों देश में 15वीं लोकसभा चुनाव की तैयारी चल रही है। इस बाबत भाजपा के पूर्व नेता कल्याण सिंह और सपा के बीच हुए राजनीतिक गठजोड़ ने उत्तर भारत की मुसलिम राजनीति को नए मोड़ पर ला खड़ा किया है। उत्तरप्रदेश में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं। दिल्ली की सत्ता में किस पार्टी की कितनी हैसियत होगी ! इसे तय करने में यह प्रदेश बड़ी भूमिका अदा करता है।
वर्ष 2001 में हुई जनगणना के मुताबिक राज्य में मुसलमानों की जनसंख्या राज्य की कुल आबादी का 17.33 प्रतिशत है। ऐसे में मुसलिम मतदाताओं का सभी पार्टियों के लिए खास महत्व है। हालांकि उनका महत्व पहले भी रहा है, जिसका मुसलिम ठेकेदारों व धर्मनिरपेक्षता का बांग देने वाली पार्टियां सत्ता पाने के लिए मनमाफिक इस्तेमाल करती रही हैं। राम मंदिर आंदोलन (1991) से जो स्थितियां बनी उसने इन पार्टियों का काम और भी आसान कर दिया।
खैर, यह अलग मसला है। मूल बात यह है कि वर्ष 1980 को छोड़कर राज्य में संख्या के औसत के हिसाब से मुसलिम प्रतिनिधि नहीं चुने जा सके हैं। यहां मुसलिम बहुल इलाकों से मुसलिमों को टिकट देने का चलन भर सभी पार्टियों ने अख्तियार कर रखा है।
राज्य में कांग्रेस पार्टी का आधार कमजोर होने और राममंदिर आंदोलन के बाद मुसलिम वोटर समाजवादी पार्टी के लिए एक लाटरी के रूप में सामने आए। हालांकि, इससे पहले सातवें (1980) और आठवें (1984) लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से 11-11 उम्मीदवार मुसलिम समुदाय के चुनकर आए थे।
अब जब राम मंदिर आंदोलन का असर कम हो गया है तो प्रदेश में सांप्रदायिकता की आंच पर वोट पाना किसी भी पार्टी के लिए मुश्किल हो गया है। ऐसे में पिछड़े वोटरों को एक साथ करने के इरादे से कल्याण सिंह और सपा ने साथ-साथ चुनाव में उतरने का फैसला किया है। मायावती इस गठबंधन के बहाने मुसलमानों को अपने पक्ष में करने की कोशिश में लगी हैं, जबकि कांग्रेस नए रास्ते तलाश रही है।
दूसरी तरफ इस गठबंधन से प्रदेश के कई मुसलिम नेता खासे नाराज हैं। ऐसी संभावना बन रही है कि इस दफा उनका वोट बैंक दूसरी करवट ले सकता है। यदि ऐसा होता है तो धर्मनिरपेक्षता के नाम पर ठगे जा रहे इस समुदाय के पास अपने सही नुमाइंदों को चुनने का मौका मिल सकता है। अब देखना है कि प्रदेश का मुसलिम मतदाता एक बार फिर किसी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का शिकार बनता है या अपनी मर्जी का उम्मीदवार चुनता है। आखिर फैसला तो उन्हें ही करना है।
लोकसभा में चुनकर आए मुसलिम प्रतिनिधियों के आंकड़े–
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लोकसभा चुनाव
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वर्ष
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सीट
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राज्य में मुसलिम समुदाय का प्रतिशत
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मुसलिम नुमाइंदों की चुने जाने की आदर्श संख्या
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चुनाव में खड़े हुए मुसलिम प्रतिनिधि
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चुनाव जीत कर आए मुसलिम प्रतिनिधि
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चुनाव जीते निर्दलीय मुसलिम उम्मीदवार
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1 चुनाव
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1952
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86
|
14.28
|
12
|
11
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7
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कोई नहीं
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दूसरा
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1957
|
86
|
14.28
|
12
|
12
|
6
|
कोई नहीं
|
|
|
तीसरा
|
1962
|
86
|
14.63
|
12
|
21
|
5
|
कोई नहीं
|
|
|
चौथा
|
1967
|
85
|
14.63
|
12
|
23
|
5
|
कोई नहीं
|
|
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पांचवां
|
1971
|
85
|
15.48
|
13
|
15
|
6
|
कोई नहीं
|
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छठा
|
1977
|
85
|
15.48
|
13
|
24
|
10
|
कोई नहीं
|
|
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सातवां
|
1980
|
85
|
15.48
|
13
|
46
|
18
|
कोई नहीं
|
|
|
आठवां
|
1984
|
85
|
15.93
|
13
|
34
|
12
|
कोई नहीं
|
|
|
नौवां
|
1989
|
85
|
15.93
|
13
|
48
|
8
|
1
|
|
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दसवीं
|
1991
|
85
|
17.33
|
14
|
55
|
3
|
कोई नहीं
|
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11वीं
|
1996
|
85
|
17.33
|
14
|
59
|
6
|
कोई नहीं
|
|
|
12वीं
|
1998
|
85
|
17.33
|
14
|
65
|
6
|
कोई नहीं
|
|
13वीं
|
1999
|
85
|
17.33
|
14
|
68
|
8
|
कोई नहीं
|
|
14वीं
|
2004
|
80
|
17.33
|
14
|
85
|
11
|
कोई नहीं
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कुल
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1108
|
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183
|
566
|
111
|
01
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अब तक उत्तरप्रदेश से लोकसभा में 112 मुसलिम सांसद चुनकर आए हैं। नौवीं लोकसभा (1989) चुनाव में प्रदेश के बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र से एफ. रहमान निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुने जाने वाले एक मात्र उम्मीदवार रहे हैं। फिलहाल इस सीट का प्रतिनिधित्व भाजपा के ब्रजभूषण शरण सिंह कर रहे हैं।
पहले लोकसभा (1952) चुनाव में उत्तरप्रदेश से चुनकर आने वाले प्रतिनिधि-
लोकसभा क्षेत्र का नाम चुने गए उम्मीदवार पार्टी
मुरादाबाद हफिजुर रहमान इंडियन नेशनल कांग्रेस
रामपुर-बरेली अबुल कलाम आजाद ,,
मेरठ (उत्तर पूर्व) शाह नवाज खान ,,
फर्रुखाबाद बशिर हुसैन जैदी ,,
सुल्तानपुर एम. ए. काजमी ,,
बहराइच (पूर्व) रफि अहमद किदवई ,,
गोंडा (उत्तर) चौधरी एच. हुसैन ,,
सातवें लोकसभा चुनाव (1980) में राज्य के 85 लोकसभा सीटों में 18 सीटों मुस्लिम प्रतिनिधियों को जीत हासिल हुई थी। राज्य में पहली बार मुस्लिम आबादी के औसत के हिसाब से पांच अधिक उम्मीदवार चुनकर लोकसभा पहुंचे। आठवें लोकसभा चुनाव (1984) में 12 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे, जो संख्या की आदर्श स्थिति के हिसाब से एक कम है।
वर्ष 2004 में हुए 14वें लोकसभा चुनाव में 11 मुस्लिम मतदात चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे।
लोकसभा क्षेत्र का नाम चुने गए उम्मीदवार पार्टी
मुरादाबाद डा. शफीकुर्रहमान बर्क सपा
बदायूं सलीम इकबाल शेरवानी सपा
शाहबाद इलियास आजमी बसपा
सुल्तानपुर मो. ताहिर ,,
बहराइच रूबाब सैयद सपा
डुमरियागंज मो. मुकीम बसपा
गाजीपुर अफजाल अंसारी सपा
फुलपुर अतीक अहमद सपा
मेरठ मोहम्मद शाहिद बसपा
मुजफ्फरनगर चौ. मुनव्वर हसन सपा
सहारनपुर रशीद मसूद सपा