पतई वाले बाबा संत रामस्वरूप महाराज ने बांद्राभान को बनाया है तपस्थली
Updated: January 11, 2024
भारत संत-महात्मा और सिद्धों का देश है। देश में संत ही है जो मानव जीवन में निराशा के…
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राम मंदिर: सियासी मंच या आस्था का उत्सव
Updated: January 11, 2024
राजनीति अपनी जगह है लेकिन राम मंदिर करोडों भारतीयों के लिए आस्था का विषय है। राजनीति कैसे साधारण विषयों को भी उलझाकर मुद्दे में तब्दील…
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श्रीराम के अदभुत अर्चक-फ़ादर कामिल बुल्के
Updated: January 11, 2024
प्रो. श्याम सुंदर भाटिया बेल्जियम में जन्मे फ़ादर कामिल बुल्के की जग-विख्यात विशेषता यह है, वे रामकथा के मर्मज्ञ, हिंदी के विद्वान और विलायत में…
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नर्मदा क्षेत्र के उदारमना महंत दौलत दास जी ग्वाल
Updated: January 11, 2024
आत्माराम यादव पीव नर्मदापुरम नगर के ग्वालटोली में निवासरत हीरालाल बानिये के घर दौलतराम जी का जन्म…
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नये भारत की पुलिस में बड़े बदलाव जरूरी
Updated: January 9, 2024
-ललित गर्ग- पुलिस की भक्षक छवि आजादी के अमृतकाल की सबसे बड़ी विडम्बना एवं त्रासदी है, पुलिस की रक्षक छवि कैसे स्थापित हो, वे खलनायक…
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घरेलू पर्यटन प्रोत्साहन से मालदीप क्यों बौखलाया?
Updated: January 9, 2024
-ललित गर्ग- नववर्ष पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लक्षद्वीप की यात्रा पर क्या गये, चीन की कटपुतली बने मालदीव को मिर्ची लग गयी। वहां की नई…
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पांव पांव वाले भैया से,मुख्यमंत्री तक का सफर
Updated: January 8, 2024
अराजनीतिक तरीके से राजनीति करने वाला एक नेता जिसने मध्यप्रदेश के रंग रूप को बदल दिया।खस्ताहाल सड़कों को सरसराती हुई सड़कों में,कम उपज वाले खेतों…
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अनुबाद
Updated: January 8, 2024
जीवन मृत्यु में अनुबाद होता है धीरे-धीरे, बेहद धीरे-धीरे l पिता से पुत्र का अनुवाद पुत्र से पिता का, माँ से बेटी का अनुवाद पुनः…
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पेड़ की हत्या
Updated: January 8, 2024
जब में पेड़ बनके मरता हूँ मेरे हत्यारे कहीं फरार नहीं होता वल्कि वह अस्त्र उठाके ऐसे चलता है जैसे कोई युद्ध जीतके लौटा है …
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कितना अच्छा होता
Updated: January 8, 2024
कितना अच्छा होता अगर दुनिआ में इनसान नहीं होते चारो तरफ जंगल ही जंगल होता पानी ही पानी होता चिड़िया अपने सुर में गाते सारे…
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ग्रामीण क्षेत्रों की लचर शिक्षा व्यवस्था
Updated: January 8, 2024
मुरली कुमारीबीकानेर, राजस्थान पिछले कुछ वर्षों में देश के ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों की तरह कई स्तरों पर विकास हुआ है. विशेषकर सड़क और…
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वैश्विक बाजार शक्तियां भारत के बैकिंग, बीमा क्षेत्र एवं शेयर बाजार को प्रभावित करने के प्रयासों में रही हैं असफल
Updated: January 8, 2024
भारत की आर्थिक प्रगति कुछ विघन संतोषी देशों, विशेष रूप से चीन एवं पाकिस्तान, को रास नहीं आ रही है। हालांकि भारत के कुछ मित्र बने देश भी कभी कभी भारत विरोधी इस मुहिम में शामिल पाए जाते हैं। कुल मिलाकर वैश्विक बाजार शक्तियां आज सक्रिय हो चुकी हैं जो भारत की आर्थिक प्रगति को प्रभावित करने का भरपूर प्रयास कर रही हैं। भारत के सामाजिक ताने बाने को छिन्न भिन्न करने के साथ साथ भारत की सांस्कृतिक एकता पर भी प्रहार करने के प्रयास इन शक्तियों द्वारा किए जा रहे हैं, ताकि भारत की सामाजिक समरसता में छेद करते हुए भारत को आर्थिक क्षेत्र के साथ ही राजनैतिक रूप से भी अस्थिर किया जा सके। उक्त वर्णित परिस्थितियों के बीच भी चीन जैसे देशों की कुछ कम्पनियां एवं वैश्विक बाजार शक्तियां भारतीय बैंकिंग प्रणाली, बीमा प्रणाली एवं शेयर बाजार को भी प्रभावित करने के प्रयास करती रहती हैं। हाल ही में चीन की वीवो नामक एक कम्पनी ने भारत से भारी भरकम राशि को अनुचित तरीके से चीन के अपने प्रधान कार्यालय को हस्तांतरित किया है। इस भारी भरकम राशि पर टैक्स अदा न करते हुए मनी लौंडरिंग के माध्यम से उक्त राशि हस्तांतरित की गई है। इसकी कार्य प्रणाली को निम्न प्रकार बताया गया है। चीन की वीवो नामक एक कम्पनी जो स्मार्ट फोन का निर्माण करती है ने अपने कुल टर्नओवर का 50 प्रतिशत अर्थात 62,476 करोड़ रुपए की राशि को अवैध तरीके से चीन में अपने प्रधान कार्यालय को हस्तांतरित कर दिया है। इस कम्पनी द्वारा इस राशि पर भारतीय नियमों के अनुसार टैक्स का अपवंचन करते हुए टैक्स की राशि अदा नहीं की गई है। प्रवर्तन निदेशालय ने इस भारी भरकम राशि के गबन की विस्तार से जांच प्रारम्भ कर दी है एवं इस कम्पनी के कुछ मुख्य अधिकारियों को गिरफ्तार भी कर लिया है। प्रवर्तन निदेशालय ने कम्पनी के 119 खातों को ब्लाक कर दिया है, इन खातों में 495 करोड़ रुपए की राशि जमा है। वीवो कम्पनी ने भारत में 23 सहायक कम्पनियों की स्थापना की है। वीवो कम्पनी का मत है कि चूंकि उसकी कुछ सहायक कम्पनियां हानि दर्शा रही थीं अतः इन कम्पनियों द्वारा दर्शाई जा रही हानि के विरुद्ध वीवो कम्पनी के लाभ का समायोजन करते हुए टैक्स अदा नहीं किया गया है। जबकि इन सहायक कम्पनियों की स्थापना में भी कई प्रकार की गडबड़ियाँ पाई गईं हैं। विदेशी ताकतों द्वारा, इस प्रकार, भारत में व्यापार करते हुए कमाए गए लाभ पर देश के कानून के अनुसार, कर अदा न किया जाकर भारत के आर्थिक हितों को चोट पहुंचाई जा रही है। इसी प्रकार, अप्रेल 2023 माह में भी प्रवर्तन निदेशालय ने चीन की ही शाओमी नामक एक अन्य कम्पनी की 5,551 करोड़ रुपए की राशि को जब्त करने सम्बंधी कार्यवाही की थी, क्योंकि इस कम्पनी ने विदेशी विनिमय से सम्बंधित नियमों का उचित तरीके से पालन नहीं किया था। भारत में 45 विदेशी बैंक कार्यरत हैं, जबकि सरकारी क्षेत्र, निजी क्षेत्र के बैंकों, भुगतान बैंक एवं छोटे वित्त बैंकों की संख्या 137 है। परंतु, विदेशी बैंकों के भारत के समस्त बैकों की कुल जमाराशि में केवल लगभग 5 प्रतिशत का योगदान है और भारत के समस्त बैकों की कुल ऋणराशि में केवल 3.8 प्रतिशत का योगदान है। भारत के सरकारी क्षेत्र एवं निजी क्षेत्र के बैकों से विदेशी बैंक प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पा रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक की सजगता के कारण विदेशी बैंकों को भारत में लागू कड़े नियमों का पालन करते हुए अपना बैकिंग व्यवसाय करना होता है, जो इन बैकों को शायद रास नहीं आता है। इसके परिणामस्वरूप एवं अपने व्यवसाय को विस्तार देने में असफल रहने के कारण, वर्ष 2022-23 में सिटी बैंक अपने कंजूमर बैंकिंग व्यवसाय को भारतीय एक्सिस बैंक को बेचने को मजबूर हुई थी। वर्ष 2021 में साऊथ अफ्रीका की बैंक फर्स्ट रांड ने भारत में अपने व्यवसाय को बंद कर दिया था तथा वर्ष 2016 में रोयल बैंक आफ स्कोटलैंड ने भी भारत में अपने व्यवसाय को बंद कर दिया था। वर्ष 2015-16 में एचएसबीसी ने भारत में अपनी कई शाखाओं को बंद कर दिया था। वर्ष 2012 में ब्रिटेन की एक बैंक बार्कलेस ने अपने रिटेल व्यवसाय को भारत में समाप्त कर दिया था। दरअसल आज भारत का बैकिंग, बीमा एवं शेयर बाजार क्षेत्र बहुत मजबूत स्थिति में पहुंच गया है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इन तीनों क्षेत्रों में क्रमशः भारतीय बैकिंग संस्थानों, भारतीय बीमा संस्थानों एवं भारतीय निवेशकों का बोलबाला है। विदेशी संस्थागत निवेशक यदि भारत के शेयर बाजार से विदेशी निवेश निकालते भी हैं तो भारतीय शेयर बाजार पर विपरीत प्रभाव लगभग नहीं के बराबर होता दिखाई देता है क्योंकि भारतीय संस्थागत निवेशक एवं विभिन्न भारतीय म्यूचूअल फंड विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार से निकाली गई राशि की भरपाई तुरंत शेयर बाजार में अपना निवेश बढ़ाकर कर ली जाती हैं। वरना, वैश्विक बाजार शक्तियां भारतीय शेयर बाजार को प्रभावित कर इसे नीचे गिराने के कोई कसर नहीं छोड़ती हैं। इसी प्रकार, बैंकिंग के क्षेत्र में भी आज भारत के सरकारी क्षेत्र एवं निजी क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी 95 प्रतिशत से अधिक है एवं बीमा के क्षेत्र में भारत के सरकारी क्षेत्र एवं निजी क्षेत्र के बीमा कम्पनियों की हिस्सेदारी लगभग 90 प्रतिशत है। दूसरे, भारत ने विदेशी कम्पनियों की भारतीय बैंकिंग कम्पनियों में हिस्सेदारी को 24 प्रतिशत तक सीमित किया हुआ है, हालांकि, भारतीय बीमा कम्पनियों में, विदेशी कम्पनियां 74 प्रतिशत तक का विदेशी निवेश कर सकती है। तीसरे, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विभिन्न वित्तीय संस्थानों से निगमित अभिशासन सम्बंधी नियमों का कड़ाई से पालन कराया जाना भी विदेशी बैकों एवं बीमा कम्पनियों पर लगाम लगाने में अपनी प्रभावी भूमिका अदा करता है। चीन जैसे देशों सहित वैश्विक बाजार शक्तियां भारत के वित्तीय क्षेत्र को अस्थिर करने के प्रयास तो लगातार करती तो हैं परंतु भारतीय बैंकिंग, बीमा एवं शेयर बाजार के नियामक संस्थानों की सजगता के चलते विदेशी वित्तीय संस्थानों सहित वैश्विक बाजार शक्तियां इन तीनों ही क्षेत्रों को प्रभावित करने में असफल ही रही हैं। प्रहलाद सबनानी
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